Tuesday, August 12, 2025

Breaking// श्रीमद भागवत महायज्ञ का पहला दिन - ईश्वर दृष्ट नही है, ईश्वर दृष्टा हैं ( कैथा की पावन पुनीत स्थली पर चल रही भागवत कथा में चल रहा प्रथम एवं द्वितीय स्कंध का वर्णन, 18 को हवन भंडारे के साथ होगा कथा का विसर्जन)

दिनांक 12 अगस्त 2025, स्थान - रीवा मप्र
    विंध्य क्षेत्र में जनजागरण का केंद्र कैथा श्रीहनुमान श्री शिव मंदिर प्रांगण में आयोजित श्रीमद भागवत महापुराण महायज्ञ का दिनाँक 12 अगस्त को प्रथम दिवश रहा। इस बीच 11 अगस्त को कलश यात्रा एवं 12 अगस्त को बैठकी के साथ प्रारम्भ हुई कथा निरंतर चल रही है। अमृतमयी मोक्षप्रदायक भगवत कथा का प्रवचन एवं परायण का कार्य भगवताचार्य डॉक्टर श्री गौरीशंकर शुक्ला के मुखारविंद से किया जा रहा है जिसका रसास्वादन करने के लिए सैकड़ों की संख्या में भक्त श्रद्धालुगण उपस्थित होकर अपने जीवन को धन्य बना रहे हैं।

*प्रथम एवं द्वितीय स्कंध तक कि कथा*

   इस बीच दिनाँक 12 अगस्त दिन मंगलवार को श्रीमद भागवत कथा के प्रथम एवं द्वितीय स्कंध की कथा प्रसंगों का वर्णन किया गया जिसमें सच्चिदानंद स्वरूप भगवान श्रीकृष्ण का वंदन, गोकर्ण कथा, भागवत सप्ताह महायज्ञ की विधि, सुदामा जी की निष्काम भक्ति, गोपियों की निष्काम भक्ति, वैराग्य से ही ज्ञान सम्भव, भक्ति में सभी का अधिकार, परीक्षित की जन्मकथा, श्रीकृष्ण की काम विजय, कलयुग का आगमन, जगत की उत्पत्ति की कथा, भगवत्सेवा से ही सुख की प्राप्ति, सुख-दुःख का कारण माया आदि कथा प्रसंग सम्मिलित रहे।

  *ईश्वर दृश्य नही बल्कि स्वयं सर्वदृष्टा है* 

   डॉक्टर शुक्ला ने बताया कि ईश्वर दृश्य नही बल्कि ईश्वर दृष्टा है। ईश्वर ने ही आंखों को देखने की शक्ति दी है लेकिन इतनी शक्ति नही दी कि वह उन नग्न आंखों से ईश्वर को देख सकें। ईश्वर दृश्य नही है क्योंकि सांसारिक आंखें सर्वव्यापी परमात्मा को नही देख सकतीं उसके लिए अन्तरचक्षु की आवश्यकता होती है। जब ज्ञान रूपी प्रकाश पुंज का उदय हृदय में होगा तभी वह सर्वव्यापक परमात्मा देखा जा सकेगा।फिर हम शुख दुःख लाभ हानि जय पराजय और द्वैत भाव से ऊपर उठकर सभी मे उसी परमात्मा को अनुभव करेंगे। यही वेदांत का सिद्धांत भी है। वेदांत वेदों का निचोड़ ज्ञान है। 

   *भक्ति की शक्ति से ईश्वर दृश्य हो जाता है*

   डॉक्टर गौरीशंकर शुक्ल ने बताया कि भक्ति की शक्ति ही आत्मा और मन मे जमे हुए बाहरी विकारों, मोह माया, दुर्गुणों, द्वेष ईर्षा आदि बुरे संस्कारों और भावों को धोकर मन और आत्मा में सन्निहित ज्ञान पुंज को खोल देती है। उस भक्ति को प्राप्त करने के श्रीरामचरित मानस में 9 मार्ग बताए हैं जिन्हें नवधा भक्ति कहा गया है। बताया गया कि भगवान श्रीराम ने भीलनी शबरी को नवधा भक्ति का राज बताया था।

  भक्ति जब बढ़ती है और अपने चरम पर पहुचती है तब भगवान को भी भक्त के लिए दृश्य होना पड़ता है। 
  
   *वृंदावन क्या है? हृदय ही वृंदावन है*

    डॉक्टर शुक्ला ने बताया कि मॉनव हृदय वास्तव में वृंदावन जैसा ही है। जिस प्रकार भागवत महापुराण में आया कि वृंदावन में भक्ति ज्ञान और वैराग्य निवास करते हैं और कलिकाल के प्रभाव से ज्ञान और वैराग्य मूर्छित हो जाते हैं जबकि भक्ति छिन्न भिन्न हो जाती है ऐसे में नारद मुनि स्वयं चिंतित हो जाते हैं। भोग प्रधान जीवन मे भगवान गौंड़ हो गए हैं धन और पैसा मुख्य हुआ है। भक्ति हृदय में निवास करती है और भक्ति भगवान की ही शक्ति है। आचार्य ने बताया कि ऐसे लोग भी जो ऐसी धारणा पालकर रखे हुए हैं कि वह भगवान और भक्ति कुछ नही मानते उनके भी हृदय में भक्ति निवास करती है। ईश्वर पर आस्था न भी रखने वाले लोग जब अत्यंत दुखी होते हैं तब वह भी यह विचार करते हैं कि यह सृष्टि किसी शक्ति के अधीन ही है और ऐसे नास्तिक भी अंततः ईश्वरीय शक्तियों पर विश्वास करते हैं। 

    इस प्रकार वृंदावन रूपी हृदय में ज्ञान वैराग्य और भक्ति की अलख जगाने से हमारा हृदय ही देवस्थल बन जाता है और परमशान्ति की प्राप्ति होकर मोक्ष की प्राप्ति होती है।
 
     श्रीहनुमान मन्दिर प्रांगण में चल रही श्रीमद भगवत कथा 18 अगस्त 2025 तक चलेगी। महापुराण कथा का विसर्जन हवन एवं भंडारे के साथ किया जाएगा जिसमे सभी भक्त श्रद्धालुओं को सादर आमंत्रित किया गया है।

*स्पेशल ब्यूरो रिपोर्ट रीवा मप्र*

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