Thursday, May 11, 2023

Breaking: रिटायर्ड चीफ इंजीनियर ने देखिए कैसे बताई बांध निर्माण में कमियां // बेलहा बांध कैसे बना दलाली का अड्डा// कैसे दलालों ने किसानों की सिंचाई के लिए बनाए गए बांध को मिल बांटकर खाया // स्लुश के काम में अमानक मैटेरियल का हुआ उपयोग// तकनीकी दृष्टि से कॉलर ज्वाइंट वाटर क्यूरिंग पैकेट डेवलप होना जैसे बताएं कारण//

*Breaking: रिटायर्ड चीफ इंजीनियर ने देखिए कैसे बताई बांध निर्माण में कमियां // बेलहा बांध कैसे बना दलाली का अड्डा// कैसे दलालों ने किसानों की सिंचाई के लिए बनाए गए बांध को मिल बांटकर खाया // स्लुश के काम में अमानक मैटेरियल का हुआ उपयोग// तकनीकी दृष्टि से कॉलर ज्वाइंट वाटर क्यूरिंग पैकेट डेवलप होना जैसे बताएं कारण //*
दिनांक 12 मई 2023 रीवा मध्य प्रदेश।

  पिछले कुछ दिनों से हम आपको मऊगंज तहसील में बनाए गए सिंचाई के बड़े बांधों को लेकर उसकी घटिया इंजीनियरिंग और कंस्ट्रक्शन के विषय में विस्तार से बता रहे हैं। इस बात को लेकर एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी जल संसाधन विभाग के रिटायर्ड चीफ इंजीनियर शेर बहादुर सिंह परिहार एवं अन्य तकनीकी अधिकारियों के साथ मौका मुआयना किया एवं ढेर सारी कमियां सामने आईं। अमूमन सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में जल संसाधन विभाग द्वारा कराए जा रहे कार्यों का जायजा लेने न तो मीडिया पहुंच पाता है और न ही गांव वाले उतना ध्यान दे पाते हैं जिसकी वजह से कमीशनखोर अधिकारियों भ्रष्ट नेताओं और ठेकेदारों की मिलीभगत से बंदरबांट चलता रहता है।

  लेकिन इन कार्यों को ध्यान से देखा जाए वो स्पष्ट तौर पर कमियां नजर आती हैं। और यदि कोई तकनीकी वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंचकर इनका जायजा लेता है तो कमियों को बेहतर ढंग से समझा जा सकता है। आज इस कड़ी में हम आपको रिटायर्ड  चीफ इंजीनियर बाणसागर परियोजना एवं जल संसाधन विभाग शेर बहादुर सिंह परिहार के द्वारा वाटर सप्लाई के लिए डाली गई पाइप और उसके कंस्ट्रक्शन के विषय में बताएंगे। आप देख सकते हैं कि किस प्रकार रिटायर्ड चीफ इंजीनियर ने स्लूश कंस्ट्रक्शन एवं वाटर सप्लाई के लिए टूटे हुए बांध के हिस्से में किए जा रहे कंस्ट्रक्शन की कमियों के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि मटेरियल क्वालिटी सही नहीं है और कॉलर जॉइंट सही नहीं किया गया है। जिसकी वजह से वाटर सीपेज की वजह से पानी बाहर निकल जाएगा। उन्होंने बताया की पाइप ज्वाइंट में जूट की बोरी का जो इस्तेमाल किया गया है वह तकनीकी दृष्टि से उचित नहीं है और पानी लीकेज होकर बांध को पुनः तोड़ देगा। चीफ इंजीनियर ने बताया की जो बेल का कंस्ट्रक्शन हो रहा है उसमें डेट नहीं डाली हुई है जिसकी वजह से किस लेयर की क्यूरिंग कितने समय तक की जानी है यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि सामान्य तौर पर क्यूरिंग अर्थात कंक्रीट को गीला रखने का कार्य कम से कम 21 दिन तक किया जाना चाहिए ताकि कंक्रीट के कार्य में मजबूती आए लेकिन यहां पर ऐसा कुछ भी देखने को नहीं मिला। विशेषज्ञों की माने तो टूटे हुए बांध की दोनों दीवारों में जो गड्ढे अर्थात पॉकेट बने हुए हैं वह क्यूरिंग न होने से और सीपेज की वजह से हुए हैं। मिट्टी डालते समय और बांध की दीवाल बनाते समय पर्याप्त कॉम्पेक्शन न होने सिंचाई कर रोलर से न बैठाए जाने की वजह से भी ऐसी स्थिति निर्मित हुई है जिसमें अंदर होल और गड्ढे हो गए। इस प्रकार आप देख सकते हैं की किस प्रकार रिटायर्ड चीफ इंजीनियर ने अपने ही विभाग के काले कारनामों की एक-एक करके बखिया उधेड़ दी और बैठे बिठाए बताया कि कैसे जल संसाधन विभाग मात्र कमीशनखोर और भ्रष्टाचारी अधिकारियों ठेकेदारों और भ्रष्ट नेताओं की जुगलबंदी का अड्डा बन चुका है। 
  आप नजर बैठा कर रखें क्योंकि यह तो ट्रेलर है अभी पिक्चर बाक़ी है। जल्द ही हम आपके सामने और पिक्चर लेकर आएंगे।

  देखिए मामले को लेकर चीफ इंजीनियर ने मौके पर उपस्थित होकर कैसे टूटे हुए बांध के एक-एक भाग को विस्तार से बताया….

*स्पेशल ब्यूरो रिपोर्ट रीवा मध्य प्रदेश*

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