Tuesday, May 30, 2023

Breaking: जिस नहर से पीबीटी टैंक में पानी सप्लाई होगा उसकी स्थिति भगवान भरोसे // घटिया गुणवत्ताविहीन नहरों के निर्माण ने किसानों की आय दुगुनी करने पर खड़ा किया बड़ा सवाल // बहुती नहर की स्थिति दुर्दशापूर्ण, पीबीटी टैंक में पानी सप्लाई किए जाने पर असमंजस बरकरार // नईगढ़ी माइक्रो इरिगेशन का काम अधर में // किसानों की आय दुगुनी नहीं पाई लेकिन ठेकेदारों और भ्रष्ट कमीशनखोर अधिकारियों की आय बढ़ रही कई गुना //

*Breaking: जिस नहर से पीबीटी टैंक में पानी सप्लाई होगा उसकी स्थिति भगवान भरोसे // घटिया गुणवत्ताविहीन नहरों के निर्माण ने किसानों की आय दुगुनी करने पर खड़ा किया बड़ा सवाल // बहुती नहर की स्थिति दुर्दशापूर्ण, पीबीटी टैंक में पानी सप्लाई किए जाने पर असमंजस बरकरार // नईगढ़ी माइक्रो इरिगेशन का काम अधर में // किसानों की आय दुगुनी नहीं पाई लेकिन ठेकेदारों और भ्रष्ट कमीशनखोर अधिकारियों की आय बढ़ रही कई गुना //*
दिनांक 30 मई 2023 रीवा मप्र।

  नईगढ़ी माइक्रो इरिगेशन का कार्य अधर में लटकता नजर आ रहा है। हालत यह हैं की जिस बहुती नहर से रघुराजगढ़ स्थित पीबीटी टैंक से प्रेशर तकनीक से पानी सप्लाई किया जाना है वह स्वयं ही संदेह के घेरे में है। यदि यही स्थिति रही तो किसानों की आय निकट भविष्य में तो दुगुनी नहीं हो पाएगी। अब यदि आय दुगुनी नहीं हो पाई तो सत्ताधारी पार्टी के लिए मुश्किलों का दौर प्रारम्भ हो जायेगा। क्योंकि पिछले अपने रीवा दौरे के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तो फसलों का उत्पादन 25 से 30 गुना तक बता दिया था।
  *रघुराजगढ़ बहुती कैनाल की हो रही दुर्दशा, घास फूस के साथ क्षतिग्रस्त होती नहर स्वयं ही बयां कर रही स्थिति*

  ताज्जुब की बात तो यह है की जिस बहुती कैनाल के दम पर रघुराजगढ़ पीबीटी टैंक का निर्माण कार्य कराया जा रहा है और जिसके बलबूते टरबाइन के माध्यम से तमरी और ढेरा में तकरीबन 72 मीटर को ऊंचाई पर पानी लिफ्ट किए जाने के सपने किसानों को दिखाए जा रहे हैं वह पीबीटी टैंक की टेस्टिंग कब और कैसे हो पाएगी यह प्रश्न के दायरे में है। कारण साफ है की जब बहुती कैनाल में टेस्टिंग के लिए पर्याप्त पानी नहीं पहुंचेगा तो पानी लिफ्ट कैसे करेगा। गौरतलब है की पीबीटी टैंक के पास की बहुती नहर भी कई स्थानों में मानक अनुरूप न बनाए जाने के चलते क्षतिग्रस्त हो गई है। जहां तक सवाल नहर के रख रखाव का है तो यहां स्पष्ट करना उचित है की नहर का रख रखाव बिलकुल ही नही किया जा रहा है। जिसका खामियाजा नहर में घास फूस उगना और ज्वाइंट के बीच में स्पेस डेवलप होने से नहर क्षतिग्रस्त होना देखा गया है। नहर में अमानक गुणवत्ताविहीन सामग्री उपयोग में लिए जाने से नहर कई स्थानों पर धस गई है। नहर ने दोनो दीवालों में वेजीटेशन होने से नहर की भविष्य में और अधिक क्षतिग्रस्त होने की संभावना प्रबल हो गई है।
   अब बड़ा सवाल तो यही है की किसान का क्या होगा? कब होगी किसान को से दुगुनी? जबकि देखा जाय तो आए दिन लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू के छापों और कार्यवाहियों से तो यही पता चल रहा है की ठेकेदारों और कमीशनखोर अधिकारियों की आय तो कई गुना बढ़ रही है।

  आइए देखते हैं रघुराजगढ़ के नजदीक पीबीटी टैंक  के पास नहर की वर्तमान स्थिति के बारे में….

*स्पेशल ब्यूरो रिपोर्ट रीवा मप्र*

Breaking: नईगढ़ी माइक्रो इरिगेशन का फेज वन 33 केवी का पावर स्टेशन पड़ा अधूरा// जब तक पावर स्टेशन का काम नहीं तब तक माइक्रो इरिगेशन का सपना अधूरा// फिलहाल प्रारंभिक स्थिति में नईगढ़ी माइक्रो इरिगेशन का कार्य // किसानों के खेतों में पानी पहुंचाने का सपना अभी रहेगा मात्र नाइटमेयर//

*Breaking: नईगढ़ी माइक्रो इरिगेशन का फेज वन 33 केवी का पावर स्टेशन पड़ा अधूरा// जब तक पावर स्टेशन का काम नहीं तब तक माइक्रो इरिगेशन का सपना अधूरा// फिलहाल प्रारंभिक स्थिति में नईगढ़ी माइक्रो इरिगेशन का कार्य // किसानों के खेतों में पानी पहुंचाने का सपना अभी रहेगा मात्र नाइटमेयर//*
दिनांक 29 मई 2023 रीवा मप्र।

  मध्य प्रदेश और केंद्र सरकार के किसानों की आय को दुगुनी करने के दावे दिन प्रतिदिन खटाई में पड़ते नजर आ रहे हैं। जाहिर है यदि किसानों की बात की जाए तो उनके लिए बिजली और पानी सबसे महत्वपूर्ण होता है लेकिन यदि दोनों ही समय पर न मिले तो फिर उनकी पूंजी वापस लाने के लिए ही जद्दोजहद करनी पड़ती है आय दुगनी की बात तो बहुत दूर की हो जाती है। मध्य प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी सिंचाई योजना नईगढ़ी माइक्रो इरिगेशन फेज वन का कार्य अभी तक पूरा नहीं हो पाया है और किसानों के खेतों में सूक्ष्म दबाव तकनीक के तहत सिंचाई किए जाने के सपने दिखाए जा रहे हैं। अभी हाल ही में सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी रिटायर्ड चीफ इंजीनियर एसबीएस परिहार के साथ जब रघुराजगढ़ स्थित प्रेशर ब्रेक टैंक के पास बनाए जा रहे इरिगेशन सिस्टम का मुआयना करने पहुंचे तो पाया कि अभी इस योजना का काफी कार्य बाकी है। जिस बहुती कैनाल के माध्यम से पानी सप्लाई किए जाने का प्लान किया जा रहा है फिलहाल वही बहुती कैनाल पर पानी टैंक बनकर पूरा नहीं हो पाया है तो फिर सवाल यह है कि नईगढ़ी माइक्रो इरिगेशन फेज वन में आखिर पानी आएगा कहां से। जहां तक सवाल टेस्टिंग का है तो माइक्रो इरिगेशन के प्रेशर ब्रेक टैंक की टेस्टिंग तो की जा सकती है लेकिन किसानों के खेतों में पानी टेस्टिंग से नहीं बल्कि बहुती कैनाल और बहुती टैंक को दुरुस्त करने के बाद ही आ पाएगा जो अभी दूर की कहानी है।
   *पीबीटी टैंक के साथ 33 केवी पावर स्टेशन का काम भी पड़ा अधूरा*

  रघुराजगढ़ स्थित बहुती मेजर कैनाल के पास बनाए जा रहे प्रेशर ब्रेक टैंक और प्रेशर के माध्यम से पानी सप्लाई किए जाने के लिए लगाए गए 2100 हॉर्स पावर के पांच बड़े मोटर पंप के नजदीक स्थित 33 केवी का पावर स्टेशन का काम अभी भी अधूरा पड़ा हुआ है। जेपी कंपनी के लिए काम करने वाले मौके पर उपस्थित इलेक्ट्रिकल मकैनिक राजेश दुबे ने बताया कि जब तक 33 केवी पावर स्टेशन बनकर तैयार नहीं हो जाता तब तक चाहे हम अपना काम पूरा भी कर लें तब भी यहां से पानी सप्लाई नहीं किया जा सकता। हालाकी मौके पर देखने पर ऐसा प्रतीत हुआ कि जेपी कंपनी की तरफ से तो काम लगभग पूरा हो चुका है लेकिन वहीं दूसरी तरफ 33 केवी पावर स्टेशन न बनाए जाने के कारण अभी भी पानी सप्लाई किए जाने पर संदेह बना हुआ है। जिस प्रकार कार्य कछुआ चाल से चल रहा था उससे स्पष्ट तौर पर समझा जा सकता है कि 2023 के मानसून सीजन के पहले रघुराजगढ़ स्थित प्रेशर ब्रेक टैंक से पानी सप्लाई हो पाना काफी मुश्किल होगा। हालांकि यह पूरा मामला अभी टेस्टिंग स्तर तक ही समझा जा सकता है क्योंकि किसानों के खेतों में नियमित तौर पर कब पानी पहुंचेगा यह अपने आप में एक बड़े सवाल के दायरे में है।
 देखिए वीडियो के माध्यम से किस प्रकार प्रेशर ब्रेक टैंक के पास पावर ग्रिड और पावर स्टेशन में लगाई गई मशीनों के विषय में उपस्थित इलेक्ट्रिकल मैकेनिक राजेश दुबे के द्वारा एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी को जानकारी प्रदान की गई। 
*स्पेशल ब्यूरो रिपोर्टर रीवा मध्य प्रदेश*

Sunday, May 28, 2023

Breaking: जब मैकेनिक राजेश दुबे ने बताया कैसे काम करेंगे पीबीटी टैंक के 2100 हॉर्स पावर के 5 पावर फुल मोटर// पीबीटी टैंक रघुराजगढ़ में चल रहा निर्माण कार्य// नईगढ़ी माइक्रो इरिगेशन संबंधित महत्वपूर्ण कार्य को दिया जा रहा अंजाम // प्रेशर ब्रेक टैंक का काम है महत्वपूर्ण, इसके बाद परियोजना में तेजी की उम्मीद//

*Breaking: जब मैकेनिक राजेश दुबे ने बताया कैसे काम करेंगे पीबीटी टैंक के 2100 हॉर्स पावर के 5 पावर फुल मोटर// पीबीटी टैंक रघुराजगढ़ में चल रहा निर्माण कार्य// नईगढ़ी माइक्रो इरिगेशन संबंधित महत्वपूर्ण कार्य को दिया जा रहा अंजाम // प्रेशर ब्रेक टैंक का काम है महत्वपूर्ण, इसके बाद परियोजना में तेजी की उम्मीद//*
दिनांक 28 मई 2023 रीवा मप्र।

   बाणसागर के पानी को किसानों के खेतों में पहुंचाने का सपना आज कई दशकों बाद भी अधूरा है जबकि देखा जाय तो योजनाओं के नाम पर अरबों खरबों राशि पानी की तरह बहाई जा चुकी है। 
  पिछले कई खबरों में आपने रीवा जिले की बदहाल नहर परियोजनाओं और बांधों के बारे में जानकारियां प्राप्त की। इसी श्रृंखला में एक बार पुनः हम आपके लिए लाए हैं सूक्ष्म सिंचाई परियोजनाओं की जानकारी। जैसा की पिछले एपिसोड में आपने देखा की कैसे 2017-18 में पूर्ण की जाने वाली माइक्रो इरिगेशन परियोजना किसानों के लिए मात्र नाइटमेयर साबित हुई है। सरकार की कथनी और करनी की पोल खोलती यह नहर परियोजनाएं किसानों की आय दुगुनी करने की डींगें हांकती हैं लेकिन धरातल की सच्चाई कुछ और ही है। 
   
  *रघुराजगढ के प्रेशर ब्रेक टैंक के कार्य पर टिका है माइक्रो इरिगेशन का दारोमदार*

  बहुती मेजर कैनाल से जुड़ा हुआ रघुराजगढ़ ग्राम में बनाया जा रहा प्रेशर ब्रेक टैंक का कार्य प्रगति पर है। मौके पर पहुंचने पर वहां उपस्थित मैकेनिक से बात की गई तो उनके द्वारा काम की प्रगति के विषय में अवगत कराया गया। इलेक्ट्रिकल मैकेनिक राजेश दुबे के द्वारा बताया गया कि वह जेपी कंपनी के लिए काम कर रहे हैं और इस प्रोजेक्ट में एक लंबे अरसे से समय देते आए हैं और वह स्वयं भी चाह रहे हैं कि काम जल्दी पूरा हो जिससे वह आगे की तरफ बढ़ सकें लेकिन काम इतना ढीला है कि चींटी की चाल से चल रहा है। राजेश दुबे के द्वारा जानकारी दी गई की बहुती मेजर कैनाल से पानी दो गेट के माध्यम से पास किया जाकर इंटेक में लिया जाएगा जो प्रेशर ब्रेक टैंक के जाली नुमा छन्ने से होते हुए 5 पावरफुल और प्रत्येक 2100 हॉर्स पावर के मोटर पंप के माध्यम से पानी को प्रेशर टेक्निक से सप्लाई किया जाएगा। हालांकि रीवा जिले में अभी तक इस प्रकार की परियोजनाएं संचालित नहीं हो पाई है लेकिन नईगढ़ी माइक्रो इरिगेशन के काम के बाद बहुत कुछ धरातल पर देखने को मिलेगा। 
  *तमरी में 72 मीटर ऊंचाई में पानी चढ़ाए जाने का प्रावधान*

  मौके पर रिटायर्ड चीफ इंजीनियर शेर बहादुर सिंह परिहार ने जब मैकेनिक राजेश दुबे से बात की तो उन्होंने बताया कि रघुराजगढ़ से लेकर तमरी तक पानी की ऊंचाई लगभग 72 मीटर है जिसे प्रेशर टेक्निक से चढ़ाया जाएगा जिसके लिए 33 केवी पावर स्टेशन की व्यवस्था बनाई गई है। उन्होंने दो बड़े एयर प्रेशर सिलेंडर दिखाया जिसके माध्यम से पानी के साथ अत्यधिक तेज हवा के दबाव के माध्यम से पानी सप्लाई किया जाना बताया गया। उन्होंने कहा कि इसी तकनीक के माध्यम से पानी को प्रेशराइज कर 72 मीटर ऊंचाई पर पानी चढ़ाया जाएगा।

  फिलहाल इस अंक में इतना ही और आगे आप जुड़े रहिए नईगढ़ी माइक्रो इरिगेशन से संबंधित अधिक जानकारी के लिए….

  *स्पेशल ब्यूरो रिपोर्ट रीवा मध्य प्रदेश*

Saturday, May 27, 2023

Breaking: रघुराजगढ़ में बनाया जा रहा माइक्रो इरिगेशन का प्रेशर ब्रेक टैंक // नईगढ़ी माइक्रो इरिगेशन का फेज वन कार्य प्रगति पर // वर्ष 2018 में पूर्ण किया जाकर किसानों के खेतों में पानी दिए जाने का था प्रावधान// अब तक पीबीटी टैंक नही बन पाया कब पहुंचेगा किसानों के खेतों में पानी//

*Breaking: रघुराजगढ़ में बनाया जा रहा माइक्रो इरिगेशन का प्रेशर ब्रेक टैंक // नईगढ़ी माइक्रो इरिगेशन का फेज वन कार्य प्रगति पर // वर्ष 2018 में पूर्ण किया जाकर किसानों के खेतों में पानी दिए जाने का था प्रावधान// अब तक पीबीटी टैंक नही बन पाया कब पहुंचेगा किसानों के खेतों में पानी//*
दिनांक 27 मई 2023 रीवा मप्र।

  ऊंचाई क्षेत्रों में स्थित ग्रामों में परंपरागत सिंचाई पद्धति से नहर खोदकर कर खेतों की सिंचाई सफल न होते हुए देखकर सरकार ने नए जमाने की उन्नत तकनीकों का प्रयोग करना लाजिमी समझा। जिसका नतीजा यह हुआ की रीवा जिले में फेज वन के तहत 855 करोड़ की लागत से नईगढ़ी माइक्रो इरिगेशन परियोजना लाई गई। इस परियोजना का कार्य वर्ष 2017-18 में पूर्ण किए जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। लेकिन जैसा की हमेशा ही होता आया है कि शासन की कोई योजना कभी भी निर्धारित समय में पूर्ण नहीं हो पाती। यहां पर नईगढ़ी माइक्रो इरिगेशन के साथ भी बिलकुल ऐसा ही हुआ। जो कार्य वर्ष 2018 में पूर्ण किया जाना था उसमे कंपनी का लिक्विडेशन बताया जाकर नए सिरे से टेंडर हुआ और नया लक्ष्य 2021-22 के लिया निर्धारित हुआ। लेकिन हाला यह हैं की जेपी कंपनी द्वारा पीबीटी टैंक बनाए जाने तक का कार्य 2023 तक भी पूर्ण नहीं किया जा सका है। 
  *रघुराजगढ़ में बनाया जा रहा पीबीटी टैंक*

  गौरतलब है की नईगढ़ी माइक्रो इरिगेशन फेज वन से जुड़ा हुआ एक महत्वपूर्ण कार्य पीबीटी टैंक के निर्माण से संबंधित है जिसका काम रघुराजगढ़ ग्राम के पास किया जा रहा हैं। रघुराज गढ़ से गुजरने वाली बहुती मेजर कैनाल से जोड़कर इस बड़ी क्षमता के पीबीटी टैंक का निर्माण कार्य किया जा रहा है। इस कार्य को वर्तमान में नई दिल्ली स्थित जयप्रकाश अर्थात जेपी कम्पनी द्वारा किया जा रहा है। 
   मामले को लेकर और माइक्रो इरिगेशन फेज वन से जुड़ी इस महत्वपूर्ण सिंचाई परियोजना के बारे में हम आपको इस विशेष कार्यक्रम में एक एक करके बताएंगे।
   आइए आज इस एपिसोड में हम रिटायर्ड चीफ इंजीनियर शेर बहादुर सिंह और सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी से जानते हैं इस पीबीटी अर्थात प्रेशर ब्रेक टैंक के विषय में और नईगढ़ी माइक्रो इरिगेशन फेज वन की बदहाली के बारे में…..

*स्पेशल ब्यूरो रिपोर्ट रीवा मप्र*

Monday, May 22, 2023

Breaking: जब अधीक्षण अभियंता ने कहा मेरा दिमाग अब गच्चा खा गया // ऊपर से जाती नहर औरे नीचे से जाते नाले से ज्वाइंट एक्यूडक्ट क्षतिग्रस्त // एक्यूडक्ट की डाउन स्ट्रीम की विंग गायब एसई ने कहा हैरान करने वाली इंजीनियरिंग का नमूना // नहर और नाला की लड़ाई में नाला जीता नहर हारी // स्लूस के चलते बेड और इन्वर्ट लेवल क्या हैं इसकी जांच किया जाना आवश्यक // किसान सुखवंत पाण्डेय ने बताया बिना पानी के ही पानी की चल रही वसूली // जल संसाधन विभाग कैसे लूट रहा किसानों को इसकी स्टोरी इस एपीसोड में//

*Breaking: जब अधीक्षण अभियंता ने कहा मेरा दिमाग अब गच्चा खा गया // ऊपर से जाती नहर औरे नीचे से जाते नाले से ज्वाइंट एक्यूडक्ट क्षतिग्रस्त // एक्यूडक्ट की डाउन स्ट्रीम की विंग गायब एसई ने कहा हैरान करने वाली इंजीनियरिंग का नमूना // नहर और नाला की लड़ाई में नाला जीता नहर हारी // स्लूस के चलते बेड और इन्वर्ट लेवल क्या हैं इसकी जांच किया जाना आवश्यक // किसान सुखवंत पाण्डेय ने बताया बिना पानी के ही पानी की चल रही वसूली // जल संसाधन विभाग कैसे लूट रहा किसानों को इसकी स्टोरी इस एपीसोड में//*
दिनांक 22 मई 2023 रीवा मप्र.

पिछले कई ख़बरों में आपने मऊगंज और हनुमना के बांधों की दुर्दशा देखी है. हमने आपको ग्रामीणों और किसानो से चर्चा कराई. इस बीच आपने जल संसाधन विभाग के रिटायर्ड वरिष्ठ अधीक्षण अभियंता और चीफ इंजिनियर को भी सुना. 

*किसानों ने बताया बिना पानी के ही पनकट की चल रही वसूली* 
हम अब आपको इस एपिसोड में मिलवाएंगे स्थानीय किसान सुखवंत पाण्डेय से जो जल संसाधन विभाग की तानाशाही के बारे में आपको और अधिक जानकारी देंगे. सुखवंत पाण्डेय ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हए कहा की नहर से तो उनको पानी मिल नहीं रहा लेकिन ऊपर से यदि वह सीधे बाँध अथवा किसी नाले में मोटर पंप डालकर सिंचाई कार्य करते हैं तो जल संसाधन विभाग खुद का पानी बताकर पनकट के नाम पर इसका भी पैसा वसूल रहा है जो पूरी तरह से उपभोक्ता नियमों के भी विपरीत है. उन्होंने मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से किसानो की इन समस्याओं को ध्यान देने के लिए कहा है. 
   
 *एक्यूडक्ट की विंग गायब, वरिष्ठ इंजिनियर ने कहा इंजीनियरिंग का ऐसा नमूना पहले कभी नहीं देखा* 
उपस्थित अधीक्षण अभियंता बाणसागर नागेन्द्र मिश्रा ने बताया की ऐसा घटिया इंजीनियरिंग का नमूना देखकर उनका दिमाग गच्चा खा गया. जाहिर है यह सब अपना जमीर बेंच चुके इंजिनियर और भ्रष्ट ठेकेदारों की करामात का नमूना है. गौरतलब है की हनुमना क्षेत्र के कई बांधों और नहरों के कार्य ठेकेदार विजय मिश्रा द्वारा किये गए हैं. इंजिनियर नागेंद्र मिश्रा ने बताया की नहर की एंट्री हैंग है जिसका मतलब यह है की वह टूटकर काम करना बंद कर दिया है. एक्यूडक्ट की विंग गायब होने के पीछे उन्होंने कहा की यह भ्रष्टाचार की इबारत है. उन्होंने बताया की जो घटना सुपर पैसेज में देखने को मिली जहाँ नाला और नहर की आपस में टकराव की वजह से नहर डैमेज हुई वही यहाँ एक्यूडक्ट के ऊपर से जाते नाले में भी देखा गया. अधीक्षण यंत्री ने बताया की स्लूस के चलते दिक्कत हुई है जिसमे नहर के बेड लेवल और इन्वर्ट लेवल क्या हैं यह जांच का विषय है. जब तक जांच नहीं होती और इन भ्रष्टाचारियों पर कार्यवाही नहीं होती तब तक किसानो की आय दुगुनी तो दूर यदि उनकी मूल लागत भी मिल जाए तो बड़ी बात होगी. 

  *जूड़ा-टटिहरा बाँध से बमुश्किल एक किमी में ही नहर ख़त्म*

  पूरे निरीक्षण के दौरान देखा गया की जूड़ा-टटिहरा बाँध के पानी निकासी के लिए बनाए गए स्लूस से प्रारंभ होकर लगभग एक किलोमीटर के भीतर ही नहर टूट गयी है. नहर और नाले के बीच सुपर पैसेज और नाले बीच में टकराव होने से और गुणवत्तायुक्त कार्य न होने से और रास्ता न बनाए जाने के कारण नहर जगह-जगह टूटी है. कई स्थानों पर नहर का लेवल मेन्टेन नहीं हुआ जिससे पानी नीचे से ऊपर की ओर भेजा जा रहा है जो फ़ैल इंजीनियरिंग का नमूना है. इसी प्रकार नहरों के बीच फंसी हुई चट्टान को भी नहीं तोड़ा गया. ऐसे ही नहर के बीच मिटटी का ढेर भी पानी निकासी में बाधा उत्पन्न किया. इस प्रकार दसहो भर पूर्व बनाई गयी जूड़ा-टटिहरा बाँध से जुडी हुई नहर अपने अस्तित्व की तलास में लगी हुई है और कमीशनखोर इंजिनियर मजे मार रहे हैं. अब तक के इस पूरे सीरीज और एपिसोड से एक बात तो स्पष्ट हो गयी की जल संसाधन विभाग को जो भ्रष्टाचार का गढ़ कहा जाता है वह बिलकुल गलत नहीं है. 
  अब आइये आपको बाँध और नहर से जुड़े कुछ और विडियो दिखाते हैं और सुनाते हैं विशेषज्ञ इंजिनियर इसके विषय में क्या कह रहे हैं और जूड़ा-टटिहरा बाँध के आसपास के किसानों का क्या कहना है.

*स्पेशल ब्यूरो रिपोर्ट रीवा मप्र.*

Saturday, May 20, 2023

Breaking: नहर का सुपर पैसेज और डाउन स्ट्रीम का मुह बंद, भारत के इंजिनियरों का कारनामा // जल संसाधन विभाग के इंजिनियरों के आगे डॉक्टर विश्वेसरैया भी फ़ैल // जूड़ा तेरी अजब कहानी, विलेज रोड ब्रिज के पास अप स्ट्रीम पैक्ड और ऑन स्ट्रीम में चट्टान // बिना खुदाई छोड़ दिया नहर // कैनाल डक्ट का मुह बंद पानी पासिंग में दिक्कत //

*Breaking: नहर का सुपर पैसेज और डाउन स्ट्रीम का मुह बंद, भारत के इंजिनियरों का कारनामा // जल संसाधन विभाग के इंजिनियरों के आगे डॉक्टर विश्वेसरैया भी फ़ैल // जूड़ा तेरी अजब कहानी, विलेज रोड ब्रिज के पास अप स्ट्रीम पैक्ड और ऑन स्ट्रीम में चट्टान // बिना खुदाई छोड़ दिया नहर // कैनाल डक्ट का मुह बंद पानी पासिंग में दिक्कत //*
 
दिनांक 21 मई 2023 रीवा मप्र.

  हम आपको रीवा जिले में सिंचाई के लिए बनाए गए बांधों और नहरों के विषय में लगातार नॉनस्टॉप खबरें दिखा रहे हैं। पिछले कुछ खबरों में हमने आपको रीवा हनुमना के जूड़ा-टटिहरा बाँध के विषय में नहरों और बांधों की दुर्दशा के बारे में विस्तार से समझाया. यहाँ हम आपको इस एपिसोड में जूड़ा-टटिहरा के नजदीक स्थित ग्रामों के किसानो से एक बार फिर रूबरू कराएँगे और नहरों की स्थिति का जायजा लेंगे. उपस्थित वरिष्ठ इंजिनियरों से भी जानेंगे की कैसे जल संसाधन विभाग के निकम्मे कमिशनखोर अधिकारियों की मिलीभगत से भ्रष्ट ठेकेदारों और नेताओं ने पूरे बाँध और नहरों का सत्यानास कर दिया. 

   *बाँध का पानी नहीं पहुंचा नहरों में* 

    जल संसाधन विभाग के पूर्व और रिटायर्ड चीफ इंजिनियर शेर बहादुर सिंह परिहार एवं अधीक्षण अभियंता नागेन्द्र प्रसाद मिश्रा के साथ जब सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी ने जूड़ा-टटिहरा बाँध और आसपास की नहरों का दौरा किया तो जल संसाधन विभाग के भष्टाचार की एक एक करके सभी परतें खुलने लगीं. पिछले कई एपिसोड में आपने देखा की किसानों की आय दुगुनी चौगुनी करने के दंभ भरने वाली सरकारें कैसे किसानों के खून चूसने में लगी हुई हैं. किसानों की आय दुगुनी तो दूर यहाँ अब किसान अपनी फंसी जमीन वापस करने की गुहार लगा रहे हैं. पानी के नाम पर अधिग्रहण की गयी किसानों की जमीने बर्बाद हो गयीं और टूटी पड़ी नहरों से इधर उधर पानी के भरने से बोई हुई फसलें भी सड़कर बर्बाद हो रही हैं. कुछ किसानो ने तो खुलकर कैमरे के सामने अपनी समस्याएं बतायीं. 

*जूड़ा-टटिहरा के पास स्थित नहरों का सुपर पैसेज के डाउन स्ट्रीम का मुह बंद*
  जूड़ा-टटिहरा बाँध के नजदीक के ग्रामों में जो नहरें बनाई गयी हैं वह संचालित नहीं हैं. एक तरह से काम तो कागजों पर होना बताया गया और किसानो की फसलें सिंचित होना बताया गया लेकिन सच्चाई यह है बाँध बननें के बाद नहरों में पानी पहुँच ही नहीं पाया. जूड़ा-टटिहरा के पास स्थित नहरों में नालों के मिलन स्थल पर बनाए गए सुपर पैसेज में ब्रिज टूट गए. डाउन स्ट्रीम के मुह बंद पड़े हुए हैं. नहरों की दीवालें टूट गयी हैं. नहरों के बीच में मिटटी भरी हुई है. नहरों की खुदाई ठीक ढंग से नहीं हुई जिससे पत्थर की चट्टानें स्पष्ट देखी जा सकती हैं. सुपर पैसेज एक ऐसा स्ट्रक्चर होता है जिसमे नीचे नीचे नहर पास होती है और ऊपर से लोकल नाले का बहाव रहता है. लेकिन मौके पास सुपर पैसेज स्ट्रक्चर भी डैमेज मिला. नाले का पानी सुपर पैसेज को तोड़ रहा था जिससे नहर में भी डैमेज देखा गया. सुपर पैसेज के डाउन स्ट्रीम का मुह बंद पाया गया. 
  *कैनाल डक्ट की स्थिति भी खराब*

  अधीक्षण अभियंता नागेन्द्र मिश्रा ने बताया की तकनीकी तौर पर कैनाल डक्ट की स्थिति ठीक नहीं है. प्रधानमंत्री सड़क से पासिंग के दौरान नाहर का कैनाल डक्ट का मुह छोटा है जिससे पानी के दबाब के चलते नाहर को नुक्सान पहुचा रहा है. विशेषज्ञों द्वारा बताया गया की कैनाल डक्ट को ठीक करना आवश्यक है. नहर और पानी के लेवल को लेकर इंजिनियर ने बताया की नहर खुदाई के दौरान काम ठीक ढंग से नहीं किया गया और जिस ठेकेदार ने काम किया है वह गुणवत्ता विहीन और अमानक है जिसको ब्लैक लिस्ट किया जाय.
   *इन इन किसानो ने बतायीं नहर सम्बन्धी समस्याएं*

   जूड़ा-टटिहरा के नजदीक के किसान रामावतार साकेत ने बताया की जब से यह नहर बनी है उसका कोई उपयोग उनके लिए नहीं है. बताया गया की नहर बनने के बाद से ही टूट गयी है. गाँव की जमीन भी बर्बाद हो गयी है लेकिन पानी नहीं मिला. बताया गया की पास के नाले से कभी कभी कुछ सिंचाई कर लेते हैं. रामावतार ने बताया की बाँध से मात्र ठेकेदार मछली पालन का काम करते हैं जबकि बांध सिंचाई के लिए बनाए गए थे. नजदीक गाँव के ही अर्जुन ने बताया की जूड़ा-टटिहरा बाँध से उन्हें भी पानी नहीं मिल रहा है. अर्जुन ने बताया की पानी के लिए बाँध में जाना पड़ता है. नहरों से पानी इसलिए नहीं मिल रहा क्योंकि नहर जगह जगह टूट गयी है. उनके लिए इस पानी का कोई उपयोग नहीं क्योंकि पानी पहुँच ही नहीं पाता. पास के देउरा गाँव के निवासी गंगा ने बताया की उनके गाँव देउरा में पानी नहीं है. नेताओं ने चुनाव के दौरान एक दशक पहले कहा था की बाणसागर का पानी पहुंचा देंगे लेकिन गाँव में बोर तक में भी पानी नहीं है. विधायक सांसद मात्र वोट के लिए आते हैं.
  आइए आगे देखते हैं इस रिपोर्ट में और लोगों की स्वयं की जुबानी।
  *स्पेशल ब्यूरो रिपोर्ट रीवा मप्र*

Friday, May 19, 2023

Breaking: भारत के भ्रष्ट ठेकेदारों और कमीशनखोर इंजीनियरों के आगे फेल हो गया न्यूटन का नियम // यहां बांध की गहराई से ऊपर बना दी गईं नहरें, नहीं मिल रहा किसानों को पानी // भारतीय इंजीनियरों का नायाब नमूना, बांध नीचे और नहरें ऊंची अब भला कैसे नहरों में पहुंचे पानी // जगह जगह नहरें तोड़कर पानी बह रहा यहां वहां, जूड़ा बांध के आसपास किसानों की जमीन भी बर्बाद // किसानों ने स्वयं ही सुनाई अपनी बर्बादी की दास्तान //

*Breaking: भारत के भ्रष्ट ठेकेदारों और कमीशनखोर इंजीनियरों के आगे फेल हो गया न्यूटन का नियम // यहां बांध की गहराई से ऊपर बना दी गईं नहरें, नहीं मिल रहा किसानों को पानी // भारतीय इंजीनियरों का नायाब नमूना, बांध नीचे और नहरें ऊंची अब भला कैसे नहरों में पहुंचे पानी // जगह जगह नहरें तोड़कर पानी बह रहा यहां वहां, जूड़ा बांध के आसपास किसानों की जमीन भी बर्बाद // किसानों ने स्वयं ही सुनाई अपनी बर्बादी की दास्तान //*
दिनांक 20 मई 2023 हनुमना रीवा मप्र।

  मऊगंज और हनुमना क्षेत्र में बनाए गए बांधों के विषय में निरंतर जानकारी उपलब्ध कराई जा रही है। पिछले कुछ लेख में देखा गया की कैसे बांधों के निर्माण में जमकर भ्रष्टाचार हुआ और तकनीकी मापदंडों का खुलमखुल्ला उल्लंघन किया गया। 

  अब इस कार्यक्रम में हम आपको मिलाएंगे कई किसानों से और उनसे बात कर रहे एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी और रिटायर्ड इंजीनियर और तकनीकी विशेषज्ञों से। 
   
  *नीचे बांध और ऊंची नहरें, अब विज्ञान का कौन सा नया सिद्धांत दौड़ाएगा ऊंचाई में पानी*

   इस देश के इंजीनियरों की यह कैसी कार्यक्षमता है? इसे विडंबना कहा जाए अथवा कुछ और? तकनीकी तौर पर इन इंजीनियरों को अपाहिज क्यों न कहा जाय? यह कमीशन के पैसे का ही कमाल की अब हवा पानी के रुख और विज्ञान के सिद्धांत को भी कमीशन के दम पर बदलने में भारत के यह प्रतिभावान इंजीनियर आमादा हैं। अमूमन पानी का बहाव प्राकृतिक तौर पर गुरुत्वाकर्षण के नियम अनुसार ऊपर से नीचे की तरफ अथवा समतल में होता है जिसे आप वाटर लेवल कहते हैं। ऐसा तो शायद एक अनपढ़ अज्ञान व्यक्ति भी नहीं कहेगा की पानी का बहाव नीचे से ऊपर की तरफ होता है। यह तो आश्चर्य ही है कि कोई ठेकेदार अथवा इंजीनियर यह कहे कि वह पानी के बहाव और प्रकृति के सिद्धांत को ही बदल देगा। जहां तक सवाल जूड़ा बांध का है तो यहां पर बिके अधिकारी और भ्रष्ट ठेकेदारों ने प्रकृति के नियमों को ही बदलने का प्रयास किया है। जूड़ा बांध का अध्ययन विशेषज्ञ वरिष्ठ इंजीनियर की उपस्थिति में किया गया तो पाया गया की बांध गहराई में है और पानी के तल से अपेक्षाकृत नहर अधिक ऊंचाई में है। साथ ही जो नहर की खुदाई टटिहरा एवं कोलहा गांव और उसके आसपास के ग्रामों के पास की गई है वह भी एक जैसी समतल न होकर आगे की तरफ ऊंचाई बढ़ती जाती है। बात करने पर ग्रामीणों ने बताया की जब यह नहर बनी थी तो बांध का पानी छोड़ा गया। पानी छोड़ते ही क्योंकि नहर के दोनो छोर में मिट्टी का बैठाब और कंपैक्शन बिल्कुल नही किया गया था तो पानी के प्रेशर में नहर कई जगह से टूट भी गई। चूंकि टटिहरा कोलहा और उसके आसपास स्थित ग्रामों के पास नहर की ऊंचाई बढ़ती गई इससे पानी का दवाब उल्टा हुआ और नहर में रिवर्स फ्लो की वजह से नहर टूट गई। बाद में किसानों ने बताया की उन्होंने स्वयं भी अपने स्तर से बोरी बंधान आदि तकनीकों से नहर को ठीक करने का प्रयास किया लेकिन सफल नहीं हुए। किसानों ने बताया की इस नहर से उन्हे फायदा कम और नुकसान अधिक हुआ। जगह जगह टूटी पड़ी नहर से उनके खेत में पानी भर जाता है। 
   अब आइए आपको सुनाते हैं तकनीकी विशेषज्ञों और गांववालों की जुबानी….और बने रहिए हमारे जल जीवन जागरण के इस विशेष एपिसोड में जिसमे हम आपको हर बार दिखाते रहेंगे ग्राउंड जीरो की कुछ ऐसी सच्चाई जिसे अब तक आपको किसी ने नहीं दिखाया होगा….
  संलग्न - इंजीनियर और किसानों की बाइट। 
  *स्पेशल ब्यूरो रिपोर्ट रीवा मप्र*

Breaking: वसूली से बौखलाए सेदहा रोजगार सहायक ने खुद सड़क पुलिया खोदकर की सरकारी संपत्ति के नुकसान की शिकायत // सीईओ जिला पंचायत रीवा की जांच और कार्यवाही के बाद शिकायत वापस लेने का बना रहे दबाव // सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी ने मध्य प्रदेश मानवाधिकार आयोग राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग सहित पुलिस महानिदेशक मध्य प्रदेश पुलिस को की शिकायत // गौरतलब है इसके पहले भी भ्रष्टाचारियों द्वारा शिवानंद द्विवेदी के ऊपर हमले सहित नुकसान पहुंचाने का किया गया है प्रयास // मामले के पीछे सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी ने बताया हाई हैंडेड राजनीतिक षड्यंत्र एक बड़ी वजह//

*Breaking: वसूली से बौखलाए सेदहा रोजगार सहायक ने खुद सड़क पुलिया खोदकर की सरकारी संपत्ति के नुकसान की शिकायत // सीईओ जिला पंचायत रीवा की जांच और कार्यवाही के बाद शिकायत वापस लेने का बना रहे दबाव // सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी ने मध्य प्रदेश मानवाधिकार आयोग राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग सहित पुलिस महानिदेशक मध्य प्रदेश पुलिस को की शिकायत // गौरतलब है इसके पहले भी भ्रष्टाचारियों द्वारा शिवानंद द्विवेदी के ऊपर हमले सहित नुकसान पहुंचाने का किया गया है प्रयास // मामले के पीछे सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी ने बताया हाई हैंडेड राजनीतिक षड्यंत्र एक बड़ी वजह//*
 दिनांक 19 मई 2023 रीवा मध्य प्रदेश।

   अपनी कार्यशैली के लिए जाने जाने वाले सामाजिक कार्यकर्ता और आरटीआई एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी के ऊपर भ्रष्टाचारी विभिन्न प्रकार से आरोप लगाते रहते हैं। कई बार उनके ऊपर भ्रष्टाचार में संलिप्त लोगों के द्वारा हमले भी करवाए गए जिसमें कैथा ग्राम पंचायत के पूर्व सरपंच और चंदेह ग्राम पंचायत के पूर्व सरपंच द्वारा किए गए हमले पर भी थाना गढ़ और मनगवां में एफआइआर भी दर्ज है। ऐसे ही सैकड़ों बार धमकियां दिए जाने और गाली गलौज किए जाने के मामले भी सामने आए हैं। एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी के द्वारा बताया गया कि यह रोज की बात है जब कोई न कोई धमकी और गाली-गलौज के मामले सामने आते रहते हैं। 
   इस बात को लेकर एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी के द्वारा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग नई दिल्ली मध्यप्रदेश राज्य मानवाधिकार आयोग भोपाल पुलिस महानिदेशक मध्यप्रदेश पुलिस सहित सभी वरिष्ठ अधिकारियों अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक संभाग रीवा जोन पुलिस अधीक्षक रीवा अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक मऊगंज एसडीओपी मनगवां एवं थाना गढ़ में भी इसकी इत्तला दे दी गई है। 

   *सीईओ जिला पंचायत रीवा की 10 मई की जांच के बाद बौखलाए भ्रष्टाचारी*

  अभी हाल ही में दिनांक 10 मई 2023 को मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत रीवा संजय सौरभ सोनवाने मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत गंगेव राहुल पांडे कार्यपालन यंत्री ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग क्रमांक 1 टीपी गुरद्वान सहायक यंत्री जनपद पंचायत गंगेव श्रीकांत द्विवेदी सहित कई अधिकारी और गांव के नागरिकों की उपस्थिति में ग्राम पंचायत सेदहा और चौरी की दर्जनों निर्माण कार्यों की जांच की गई जिसमें कई लाख रुपए की रिकवरी दोनों पंचायतों में बनाई गई है। मौके पर गुणवत्ताविहीन और अमानक स्तर का कार्य होना पाया गया जिसमें पुलिया निर्माण रपटा निर्माण पीसीसी सड़क निर्माण ग्रेवल सड़क निर्माण पानी की टंकी चबूतरा निर्माण खेल के मैदान शासकीय भवन की मरम्मत मेढ़ बंधान सेग्रीगेसन शेड निर्माण मोटर पंप स्टॉप डैम से संबंधित दर्जनों में गड़बड़ी देखने को मिली है जिसको लेकर जिले के मुख्य कार्यपालन अधिकारी संजय सौरभ सोनवाने द्वारा वसूली बनाए जाने के निर्देश दिए गए हैं। अपनी जांच और वसूली से घबराए और बौखलाए सेदहा ग्राम पंचायत के रोजगार सहायक दिलीप कुमार गुप्ता जिसका की पहले भी अनियमितता के चलते वित्तीय एवं सचिव प्रभार छीन लिया गया है उसके द्वारा एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी के विरुद्ध मनगवां के वर्तमान विधायक पंचूलाल प्रजापति के दबाव में शिकायत दर्ज करवाई जा रही है जिसमें कुछ पुलिया रपटा निर्माण की खुदाई कर शासकीय संपत्ति को नुकसान पहुंचाए जाने के मामले बताए जा रहे हैं। बताया गया कि मनगवां विधायक पंचूलाल प्रजापति के द्वारा वरिष्ठ अधिकारियों को फोन कर दबाव बनाया जा रहा है और फर्जी मामले में फंसाए जाने का प्रयास किया जा रहा है। जबकि गौरतलब है कि जिन पुलिया रपटा और पीसीसी सड़क को खोदकर शासकीय संपत्ति को नुकसान पहुंचाए जाने की बात कही जा रही है वह पहले ही जांच में अमानक गुणवत्ताविहीन और तकनीकी स्वीकृत के अनुसार बनाए गए नहीं पाए गए हैं और उन कार्यों से संबंधित अभिलेख और दस्तावेज भी संबंधित आरोपी ग्राम रोजगार सहायक सेदहा पंचायत दिलीप कुमार गुप्ता के द्वारा जांच अधिकारियों को उपलब्ध नहीं करवाए गए हैं जिसका कि उल्लेख पूर्व में गठित जांच दल के द्वारा अपनी जांच रिपोर्ट में विधिवत किया जा चुका है। एक्टिविस्ट का कहना है कि मामले में राजनीतिक हस्तक्षेप कर अधिकारियों के ऊपर दबाव बनाया जा कर फर्जी मामले में फंसाए जाने का प्रयास किया जा रहा है जिसके विषय में उपरोक्त अनुसार सभी वरिष्ठ अधिकारियों को और संबंधित मानवाधिकार आयोग को भी शिकायत भेज दी गई है और जान माल की सुरक्षा सहित कार्यवाही की माग की गई है। 

 *आरटीआई को लेकर चल रहा राष्ट्रव्यापी आंदोलन सभी विभाग के भ्रष्टाचारी राडार पर*

  गौरतलब है कि सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी के द्वारा न केवल पंचायत विभाग बल्कि राष्ट्रीय राजमार्ग मध्य प्रदेश सड़क परिवहन विभाग प्रधानमंत्री ग्राम सड़क पीडब्ल्यूडी एवं जल संसाधन विभाग सहित जल स्रोतों पर अवैध अतिक्रमण और कब्जा आदि को लेकर लगभग सभी विभागों में व्याप्त व्यापक स्तर की अनियमितता और भ्रष्टाचार के विषय में समय-समय पर आवाज उठाई जाती है और जन समूह की समस्याओं के लिए सोशल ऑडिट और जनसुनवाई आयोजित की जाती है जिस में उपस्थित होकर लोगों की समस्याएं सुनते हैं और वरिष्ठ अधिकारियों तक पहुंचाया जाता है। वर्तमान में उनके द्वारा जल जीवन जन जागरण यात्रा के तहत जल जीवन मिशन में व्यापक अनियमितता एवं बांधों नहरों की घटिया गुणवत्ता के विषय में अभियान चलाया जा रहा है। ऐसे में विरोधी और भ्रष्टाचार में संलिप्त अधिकारी कर्मचारी ठेकेदार और ऐसे लोग जो राजनीति से जुड़े हुए हैं उन्हें समय-समय पर विभिन्न प्रकार से क्षति पहुंचाने का प्रयास करते रहते हैं। 

  *आरटीआई से जुड़े हुए मामले को लेकर सूचना आयुक्त का आदेश उपलब्ध कराई जाए पुलिस सुरक्षा*

   आरटीआई से जुड़े हुए एक ऐसे ही मामले में जांच के दौरान उनके ऊपर हमला भी किया गया था जिसके बाद मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह के द्वारा सुप्रीम कोर्ट और डीओपीटी के निर्देशों और सर्कुलर का हवाला देते हुए रीवा जिले के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक राकेश कुमार सिंह को उन्हें पुलिस सुरक्षा उपलब्ध करवाए जाने के लिए लेख भी किया जा चुका है। ऐसी स्थितियों में जब कभी जांच होती हैं उसमें शिवानंद द्विवेदी पुलिस सुरक्षा के साथ जांचों में जाते हैं। अभी हाल ही में चंदेह ग्राम पंचायत में पिछले कार्यकाल में हुए व्यापक भ्रष्टाचार और अनियमितता को लेकर एक जांच में मनगवां थाना प्रभारी के द्वारा उन्हें पुलिस सुरक्षा उपलब्ध करवाई गई थी और इसके बाद ही जांच हो पाई थी।

  *बड़ा सवाल क्या समाज के लिए काम करने वाले लोगों के प्रति शासन प्रशासन का कोई उत्तरदायित्व नहीं?*


   जिस प्रकार एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी के साथ पिछले कुछ वर्षों में उनके ऊपर हमले कराए गए उन्हें धमकियां और गालीगलौज किया गया और जिस प्रकार से फर्जी मामलों में फंसाए जाने के भी प्रयास किए गए इससे बड़ा सवाल ये है कि क्या आज समाज में कार्य करने वाले व्यक्तियों के लिए शासन प्रशासन का कोई उत्तरदायित्व नहीं है? बड़ा सवाल यह भी है कि क्या आज शासन-प्रशासन में बैठे हुए अधिकारी मात्र सत्ताधारी राजनीतिक पार्टियों के विधायकों और पदाधिकारियों की जी हजूरी करने के लिए ही बैठे हुए हैं? आज हालात यह हो गए हैं कि एक एफआईआर दर्ज करने के लिए विधायक द्वारा दबाव बनाया जाता है और तब थाने में बैठे हुए थाना प्रभारी और वरिष्ठ अधिकारी दबाव में आकर बिना आगे पीछे देखे हुए झूठे मामले में फंसा देते हैं और एफआईआर देते हैं। सवाल यह भी है कि जिस प्रकार से आए दिन आरटीआई के लिए कार्य करने वाले लोगों और सामाजिक क्षेत्र में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले कई ऐसे एक्टिविस्टों के ऊपर हमले करवाए जा रहे हैं और उन्हें धमकियां दी जा रही हैं ऐसे में क्या वर्तमान लोकतांत्रिक परिवेश में सच्चाई और भ्रष्टाचार के विरुद्ध आवाज उठाने वाले लोगों के लिए एक यही पारितोषिक बचा है? 

   यह सवाल उस जनता से भी है जो ऐसी पार्टियों को सत्ता में बैठा देती है जो भस्मासुर की तरह उन्हीं आम जनता के विरुद्ध काम करते हैं जो उन्हें पदों पर बैठाते हैं और उन्हें भस्म करने का प्रयास कर रहे हैं। ताजा मामला मनगवां विधायक के इस मामले पर हस्तक्षेप को लेकर स्पष्ट हो जाता है कि कैसे इनके भ्रष्टाचारियों के विरुद्ध आवाज उठाने के लिए एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी को टारगेट किया जा रहा है। 

*संलग्न*- फोटो शिकायत वगैरा की पीडीएफ कॉपी।

*स्पेशल ब्यूरो रिपोर्ट रीवा मध्य प्रदेश*

Thursday, May 18, 2023

Breaking: कंपैक्शन की कमी का खामियाजा भुगत रहा हनुमना का जूड़ा बांध// ऐसा भ्रष्टाचार की घटिया काम ही बना गवाह// रिटायर्ड अधीक्षण अभियंता ने कहा मुर्दा ही गवाही देंगे// भीटे की मिट्टी में नहीं किया गया कंपेक्शन जिससे पिचिंग ऊपर और सतह नीचे// देखिए कैसे विस्तार से रिटायर्ड अधिकारियों ने जल संसाधन विभाग का बजाया बाजा//

*Breaking: कंपैक्शन की कमी का खामियाजा भुगत रहा हनुमना का जूड़ा बांध// ऐसा भ्रष्टाचार की घटिया काम ही बना गवाह// रिटायर्ड अधीक्षण अभियंता ने कहा मुर्दा ही गवाही देंगे// भीटे की मिट्टी में नहीं किया गया कंपेक्शन जिससे पिचिंग ऊपर और सतह नीचे// देखिए कैसे विस्तार से रिटायर्ड अधिकारियों ने जल संसाधन विभाग का बजाया बाजा//*
 दिनांक 19 मई 2023 रीवा मप्र।

   पानी तेरी अजब कहानी। किसी वैज्ञानिक और चिंतक ने कहा है की अगला विश्वयुद्ध पानी के लिए लड़ा जाएगा। यह बात काफी हद तक जायज भी है। जीवन में पानी का कितना महत्व है इसका अंदाजा इसी से लगा सकते हैं की सरकार की अरबों खरबों करोड़ की योजनाएं मात्र पानी के लिए ही केंद्रित हैं। भारत में तो सरकारें तक पानी के लिए बनती बिगड़ती हैं। शायद कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच का कावेरी जल विवाद तो आपको याद ही होगा। चांद के बाद अब मंगल ग्रह में भी वैज्ञानिक पानी की खोज में लगे हुए हैं लेकिन धरती पर मानव को आवश्यक पानी मिले इसकी चिंता किसे है यह सवाल के घेरे में है? घर आंगन में पानी पहुंचाने वाली योजनाओं में नल जल और अब जल जीवन मिशन का नाम भी चर्चा में है। पर जैसा की भारत में अधिकतर होता है जहां कोई देखने वाला अथवा आवाज उठाने वाला नहीं होता वहां सच्चाई भी दफन कर दी जाती हैं। सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में पानी आपूर्ति करने के लिए वाटर शेड के बाद अब प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना भी चलाई जा रही है। 
  
     खैर यह तो सब हुई भूमिका। अब आइए आपको ले चलते हैं रीवा जिले के बांधों और नहरों की ओर जहां इस एपिसोड में आपको हम दिखाते हैं जूड़ा बांध की एक और दुर्दशा। जी हां हनुमना तहसील का जूड़ा बांध वाकई काफी बड़ा बांध है जो कोलहा सहित दर्जनों आसपास के ग्रामों की लाइफ लाइन हो सकता है पर दुखद बात यह है की जिस प्रकार इसे भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ाया गया वह अब किसी से छुपा नहीं और आप इसे पिछले एपिसोड में देख चुके हैं।

  *बांध के भीट का कंपैक्शन नहीं जिससे भीट की सतह में हुआ बैठाव*

  रिटायर्ड अधीक्षण अभियंता नागेंद्र मिश्रा ने एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी को बताया की जब जूड़ा बांध बनाया गया तो इसे बनाते समय तकनीकी मापदंडों का बिल्कुल पालन नहीं किया गया। सामान्य तौर पर बांध के भीटे में मिट्टी डालते समय उसे सतह दर सतह वाइब्रेटर और रोलर से दबाकर बैठाया जाता है जिससे बांध में मजबूती आती है। इसमें मिट्टी का चयन भी तकनीकी मापदंडों के हिसाब से किया जाता है। कुछ सिलेक्टेड किस्म की मिट्टी का ही बांध के भीटे में उपयोग किया जाता है परंतु यहां पैसे हजम करनें के उद्देश्य से ठेकेदार और कमीशनखोर अधिकारी मिलकर सब खा गए और न तो सही मिट्टी का उपयोग किया गया और न ही उन तकनीकी मापदंडों का पालन किया गया। जाहिर है उस समय न तो इस प्रकार मीडिया था और न ही जिम्मेदार जमीर वाले इंजीनियर जो देखते की किस प्रकार जनता के टैक्स के पैसे की बर्बादी हुई।
  *विजय मिश्रा ठेकेदार के बताए जा रहे कारनामे*

    प्राप्त जानकारी के अनुसार बांध और नहर का काफी काम रीवा जिले के  एक चर्चित ठेकेदार विजय मिश्रा द्वारा किया गया है। बताया गया की विजय मिश्रा की नेताओं और अधिकारियों से सांठगांठ होने के कारण अधिकतर कार्य के टेंडर इनको ही मिलते हैं। जिस प्रकार से कार्य की घटिया गुणवत्ता और अमानक वेस्ट बियर वाल और नहरों की स्थिति देखी गई उससे स्पष्ट है की इतना कमीशन शायद कोई और नहीं बल्कि विजय मिश्रा जैसे ठेकेदार ही दे सकते हैं। बाकी जहां तक सवाल कमीशन से परहेज को लेकर है तो भला जलसंसाधन विभाग के अधिकारियों और नेताओं को भला काहे का परहेज।

  *बांध से किसानों को नहरों से नहीं मिल रहा कोई पानी*

   इस बीच एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी हनुमना के जूड़ा बांध के नजदीक स्थित ग्राम टटिहारा के कुछ किसानों से भी चर्चा की तो किसानों ने बताया की जब से बांध बना है उन्हे इससे कोई पानी नसीब नही हुआ। बताया गया की जो नहरें बांध से आगे की तरफ उनके खेतों को तोड़ काटकर बनाई गई हैं उनमें पानी नहीं पहुंच पा रहा है। हालांकि यह हम आपको आगे के एपिसोड में दिखाएंगे की इसके पीछे क्या कारण हैं और आपको मिलवाएंगे विशेषज्ञ इंजीनियर से।
फिलहाल इस एपिसोड में बस इतना ही।
  अब आइए आपको सुनाते हैं आगे विशेषज्ञों ने क्या बताया।

   बने रहिए हमारे इस स्पेशल श्रृंखला में जिसमे हम आपको सैर कराएंगे स्वतंत्रता प्राप्ति से अब तक के ग्रामीण भारत की बदहाली और किसानों की पीड़ा की।

*स्पेशल ब्यूरो रिपोर्ट रीवा मप्र*

Breaking: वरिष्ठ इंजीनियर ने हनुमना बांध के जूड़ा बांध की दीवाल टूटने की जताई आसंका // शासन प्रशासन को किया अलर्ट, कहा यह बड़ा खतरा // बांध की दीवाल का निरंतर हो रहा क्षरण चिंता का विषय // यदि समय रहते नहीं जागा जल संसाधन विभाग तो घट सकती है बड़ी दुर्घटना।।

*Breaking: वरिष्ठ इंजीनियर ने हनुमना बांध के जूड़ा बांध की दीवाल टूटने की जताई आसंका // शासन प्रशासन को किया अलर्ट, कहा यह बड़ा खतरा // बांध की दीवाल का निरंतर हो रहा क्षरण चिंता का विषय // यदि समय रहते नहीं जागा जल संसाधन विभाग तो घट सकती है बड़ी दुर्घटना।।*
दिनांक 17 मई 2023 रीवा मध्य प्रदेश

  पिछले कई एपिसोड में आपने देखा कि किस तरह से मऊगंज और हनुमना क्षेत्र में दर्जनों बांध खतरे में हैं। इसका एक बड़ा कारण है कमीशनखोर अधिकारियों की मिलीभगत से ठेकेदार और भ्रष्ट नेताओं की जुगलबंदी से किस प्रकार निर्माण कार्य के लिए आई राशि का बंदरबांट किया जा रहा है। जिसका नतीजा यह हुआ कि जो राशि बांध और नहरों के निर्माण और रखरखाव में लगाई जानी थी वह भ्रष्ट अधिकारियों ठेकेदारों की जेब भरने में लग गई। किसानों की आय दोगुनी करने के जुमले मात्र जुमले ही रह गए और अधिकारी ठेकेदार आसामी बन गए। पटवारी और चतुर्थ ग्रेड के कर्मचारियों के ऊपर तो एंटी करप्शन ब्यूरो और लोकायुक्त के छापे तो आप खूब सुनते होंगे लेकिन बड़े आईएएस अधिकारियों और टॉप लेवल पर बैठे हुए अरबपतियों और खरबपतियों के ऊपर क्या कभी ऐसे छापे पड़े हैं जरा इस पर भी गौर करिए। किसानों को बांध और नहरों से पानी मिलने का सपना मात्र सपना रह गया जबकि सिंचाई योजनाओं के नाम पर बहाए गए पानी की तरह पैसे भ्रष्ट नेताओं ठेकेदारों और कमीशन खोर अधिकारियों के के महल बनाने में जरूर लग गए। आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ रीवा का बाणसागर नहर मंडल परियोजना के उन लगभग 80 अधिकारियों के ऊपर एफ आई आर तो आपको याद ही होगा। आप इसी से अंदाजा लगा सकते हैं की जल संसाधन विभाग में बांधों और नहरों के लिए आने वाले पैसे का किस कदर बंदरबांट किया जा रहा है।

   *जूड़ा बांध बयां कर रहा अपनी बदहाली की दास्तान*

 खैर अब आगे बढ़ते हैं और एक बार पुनः आ जाते हैं हनुमना तहसील के जूड़ा बांध में जो बेलहा ग्राम के पास स्थित है। आप यहां पर देख सकते हैं कि रिटायर्ड अधीक्षण अभियंता नागेंद्र प्रसाद मिश्रा और चीफ इंजीनियर शेर बहादुर सिंह परिहार ने एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी के साथ कैसे जूड़ा बांध की दुर्दशा की कहानी अपनी जुबानी बता रहे हैं। जूड़ा बांध से संबंधित पिछले 2 एपिसोड में जहां आपने वेस्ट वियर और घटिया पिचिंग की जानकारी प्राप्त की वहीं इस एपिसोड में आप लाइव टेलीकास्ट देखेंगे कि किस प्रकार बांध की अपोजिट साइड की दीवाल कॉम्पेक्शन और रखरखाव न होने की वजह से कैसे पानी के कारण कट रही है और उसमे बड़ी-बड़ी नालियां बन गई हैं। लोगों को आश्चर्य नहीं होगा यदि अगले कुछ वर्षों में बांध की दीवार कमजोर होकर पूरी तरह से बह जाए।। 

  *बोल्डर टो के ऊपर बांध में बन गई बड़ी बड़ी नालियां आखिर इसके लिए कौन है जिम्मेदार?*

   अधीक्षण अभियंता नागेंद्र प्रसाद मिश्रा ने बताया कि बांध के दूसरे साइड में पिचिंग के तौर पर लगाए गए बोल्डर टो के ऊपर समानांतर तौर पर बड़ी बड़ी नालियां बन गई है जिसका तात्पर्य यह हुआ कि पानी का स्टोरेज होकर समय के साथ बांध का बेस कमजोर होगा और बाद में इसके धंस जाने की संभावना बनी हुई है। अमूमन किसी भी बांध में तकनीकी तौर पर ऐसा नहीं होना चाहिए और इसके लिए रखरखाव के लिए पर्याप्त व्यवस्थाएं की जाती है लेकिन क्योंकि विजय मिश्रा जैसे ठेकेदारों ने बांध के लिए आई राशि का बंदरबांट कर लिया और जल संसाधन विभाग के भ्रष्ट अधिकारी आंख कान बंद कर बैठे रह गए जिसका नतीजा हुआ कि समय के साथ जूड़ा बांध कमजोर हो गया।

 *हनुमना के जूड़ा बांध में भी नही हैं क्रॉस और लोंगिट्यूडनल ड्रेन*

  जल संसाधन विभाग के रिटायर्ड चीफ इंजीनियर शेर बहादुर सिंह परिहार ने हनुमना के जूड़ा बांध में भी बताया कि बेलहा बांध की तरह यहां भी क्रॉस ड्रेन और लोंगिट्यूडनल ड्रेन नहीं बनाई गई है। यदि यह ड्रेन कभी प्रारंभ में बनाई भी गई होगी तो क्योंकि उसका रखरखाव समय के साथ नहीं हुआ इसलिए वह डैमेज हो गई जिसका नतीजा यह हुआ कि पानी के बहाव के साथ बांध की दूसरी साइड की दीवाल कटती गई और अब तलहटी में चलकर एक दलदल जैसी स्थिति निर्मित हो गई है जिसके कारण दलदल का पानी बांध के नीव को अब कमजोर कर रहा है। अधीक्षण अभियंता नागेंद्र प्रसाद मिश्रा ने बताया कि यदि इसी प्रकार से स्थिति बनी रही तो आगे कुछ ही वर्षों में बांध की दीवाल पूरी तरह से कमजोर हो जाएगी टूटकर बहने की संभावना बनी हुई।
  देखिए इस विशेष एपिसोड में आपको अधीक्षण अभियंता नागेंद्र मिश्रा एवं चीफ इंजीनियर शेर बहादुर सिंह परिहार शिवानंद द्विवेदी के साथ बता रहे हैं कि बांध से संबंधित अभी भी क्या-क्या दिक्कतें हैं….

   बने रहिए हम आपको वर्तमान सरकार के अमृत काल में लाते रहेंगे बांधों और नहरों से संबंधित इसी प्रकार की खास जानकारी!

*स्पेशल ब्यूरो रिपोर्ट रीवा मध्य प्रदेश*

Breaking: कोनी कला पंचायत जवा में सरपंच सचिव इंजीनियर हजम कर गए विकास की राशि // पीसीसी सड़क निर्माण में दिखी व्यापक अनियमितता // लालमणि साहू सहित ग्रामीणों की शिकायतों पर की जा रही लीपापोती // लालमणि साहू ने जांच की उठाई माग कहा पूर्व सचिव विवेकानंद पांडेय ने किया लाखों का घोटाला // सीईओ जनपद और इंजीनियर की मिलीभगत का आरोप//

*Breaking: कोनी कला पंचायत जवा में सरपंच सचिव इंजीनियर हजम कर गए विकास की राशि // पीसीसी सड़क निर्माण में दिखी व्यापक अनियमितता // लालमणि साहू सहित ग्रामीणों की शिकायतों पर की जा रही लीपापोती // लालमणि साहू ने जांच की उठाई माग कहा पूर्व सचिव विवेकानंद पांडेय ने किया लाखों का घोटाला // सीईओ जनपद और इंजीनियर की मिलीभगत का आरोप//*
दिनांक 17 मई 2023 रीवा मप्र।

  मध्य प्रदेश की ग्राम पंचायतों में विकास के लिए आने वाले राशि का किस प्रकार से बंदरबांट किया जा रहा है इसका एक ताजा उदाहरण जवा जनपद की कोनी कला ग्राम पंचायत में देखने को मिला है। लालमणि साहू ने बताया कि उनके द्वारा जनपद जिला एवं प्रदेश स्तर पर कई बार शिकायतें की गई और स्वतंत्र निष्पक्ष जांच कराए जाने की मांग की गई है लेकिन जनपद स्तर के इंजीनियर और मुख्य कार्यपालन अधिकारी की मिलीभगत से जांच में लीपापोती की जा रही है और फर्जी जांच प्रतिवेदन बनाकर दिया जा रहा है। हर बार जांच के नाम पर मात्र दिखावा होता है और वास्तविक तकनीकी जांच नहीं की जाती है। लालमणि साहू ने बताया की पूर्व सचिव विवेकानंद पांडेय के द्वारा अधिकारियों की खरीद-फरोख्त कर जांच को प्रभावित किया जा रहा है। बताया गया कि कई ऐसे निर्माण कार्य हैं जो पिछले पंचायती कार्यकाल में किए जाने थे लेकिन अब वह वर्तमान सरपंच की सांठगांठ से इस कार्यकाल में किए जा रहे हैं जो कि पूरी तरह से अवैधानिक हैं और पंचायती राज अधिनियम के विरुद्ध है। 
  *उखड़ी पीसीसी सड़क की गिट्टी उठाकर लालमणि साहू ने बताया कि कैसे हुआ भ्रष्टाचार*

  पिछले दिनों जब सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी जवा जनपद के दौरे पर थे तो उन्हें कोनी कला ग्राम पंचायत के गणमान्य नागरिकों ने फोन कर अपनी ग्राम पंचायत में बुलाया और उनकी पंचायत में हुए व्यापक भ्रष्टाचार को बताने लगी। इस बीच लालमणि साहू ने कहा कि उनके ग्राम में कई पीसीसी सड़कें बनाई गई हैं और कई वृक्षारोपण के भी काम हुए हैं लेकिन जहां एक ही पीसीसी सड़क कई अलग अलग नाम से बनाई गई हैं वहीं वृक्षारोपण के नाम पर मात्र कागजी खानापूर्ति हुई है। इस बीच व्ही सी साहू के घर से टमस नदी की ओर 200 मीटर सड़क लागत राशि 5 लाख 35 हजार की लागत से बनाई गई वहीं दूसरी प्राथमिक पाठशाला से टमस नदी की तरफ दो पीसीसी सड़क नाम से एक ही काम होना बताया गया। इसी प्रकार सेग्रीगेसन शेड निर्माण भी अधूरा मिला जिसमें मजदूरी में 33 हजार रुपए और मटेरियल में 1.10 लाख रुपए आहरण होना बताया गया। इसी प्रकार एक अन्य पीसीसी सड़क व्ही सी साहू के घर से हाई स्कूल की तरफ एवं हाई स्कूल से बृजभूषण नामदेव के घर तक नामक सड़कें एक ही होना बताया गया लेकिन पैसे दो अलग अलग नाम से निकाले गए।
  इस बीच गांव के लोगों से संपर्क कर जानकारी चाही गई तो उन्होंने पंचायत में हुए व्यापक भ्रष्टाचार और समस्याओं के विषय में अवगत कराया। बताया गया कि कोनी कला ग्राम पंचायत काफी बड़ी ग्राम पंचायत है जिसमें विकास कार्य के नाम पर काफी बंदरबांट किया गया है। लोगों का यह मानना था कि कोली कला ग्राम पंचायत के पिछले 8 वर्ष के निर्माण कार्यों की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच की जानी चाहिए जिसमें सच्चाई सामने आ जाएगी। ग्रामवासी कई वर्षों से इसकी शिकायतें कर रहे हैं लेकिन अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे। 

  *स्पेशल ब्यूरो रिपोर्ट रीवा मप्र*

Monday, May 15, 2023

Breaking: बिना जमीर के अधिकारियों और ठेकेदारों ने हनुमना के जूड़ा बांध को भी लूट खाया // सामाजिक कार्यकर्ता ने बांध का किया दौरा साथ में अधीक्षण यंत्री और चीफ इंजीनियर ने जूड़ा बांध में भी बताई कमियां // ठेकेदार विजय मिश्रा का कमाल यहां भी स्लुस निर्माण में की गड़बड़ी // 24 घंटे बांध से हो रहा पानी का रिसाव // वेस्ट वियर और उससे जुड़ी वाल दिखी गुणवत्ताविहीन// वरिष्ठ इंजीनियरों ने बताया बड़ा तकनीकी फैलियर //

*Breaking: बिना जमीर के अधिकारियों और ठेकेदारों ने हनुमना के जूड़ा बांध को भी लूट खाया // सामाजिक कार्यकर्ता ने बांध का किया दौरा साथ में अधीक्षण यंत्री और चीफ इंजीनियर ने जूड़ा बांध में भी बताई कमियां // ठेकेदार विजय मिश्रा का कमाल यहां भी स्लुस निर्माण में की गड़बड़ी // 24 घंटे बांध से हो रहा पानी का रिसाव // वेस्ट वियर और उससे जुड़ी वाल दिखी गुणवत्ताविहीन// वरिष्ठ इंजीनियरों ने बताया बड़ा तकनीकी फैलियर //*
दिनांक 15 मई 2023 हनुमना रीवा मध्य प्रदेश।

  रीवा जिले में किसानों की सिंचाई के लिए बनाए गए बांध और नहरों की जानकारी आपको निरंतर कुछ एपिसोड से दी जा रही है। अब आपको हम इस नए एपिसोड में जल संसाधन विभाग के कमीशनखोर अधिकारियों भ्रष्ट ठेकेदारों और नेताओं के और भी काले कारनामे दिखा रहे हैं। जहां बेलहा बांध में आपने देखा कि किस प्रकार से पूरा बांध भ्रष्टाचार की बलि चढ़ गया और कैसे घटिया और गुणवत्ताविहीन इंजीनियरिंग के कारण टूट गया वहीं आज इस एपिसोड में आपको मऊगंज से थोड़ा आगे चलकर हनुमना तहसील के जूड़ा बांध के विषय में आपको दिखाएंगे। सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी के साथ जल संसाधन विभाग बाणसागर के रिटायर्ड अधीक्षण अभियंता नागेंद्र प्रसाद मिश्रा, पेंशनर समाज के अध्यक्ष और समाजसेवी डॉ मंगलेश्वर सिंह और चीफ इंजीनियर शेर बहादुर सिंह परिहार जूड़ा बांध में उपस्थित होकर बांध की स्थिति का जायजा लिया। तो फिर जूड़ा बांध के इस एपिसोड के पहले अंक में हम आपको इस न्यूज़ के माध्यम से पानी निकासी के लिए बनाए गए ड्रेनेज सिस्टम की कमियों की जानकारी देंगे। आप देख सकते हैं कि जूड़ा बांध में किस प्रकार 24 घंटे लगातार पानी बहता रहता है। टटिहरा ग्राम में बने जूड़ा बांध के वेस्ट वियर स्ट्रक्चर को देखने पर पता चला की इसमें अतिरिक्त जल निकासी के लिए रास्ता न बनाए जाने से पानी वापस आकर नहर को तोड़ रहा था। हेड स्लूष से पानी एस्केप कैनाल की तरफ डायवर्ट हो रहा था क्योंकि मेंटेनेंस के लिए बनाया गया एस्केप कैनाल ही काम कर रहा था मुख्य नहर काम नही कर रही थी। बांध और वेस्ट वियर के बीच बनाई गई दीवाल भी टूटकर गुणवत्ताविहीन स्थिति प्रदर्शित कर रही थी। वहीं वेस्ट वियर की दीवाल भी पूरी तरह से गुणवताविहीन मटेरियल की बनाई गई थी जिसमे बड़ी बड़ी दरारें और गड्ढे दूर से ही देखे जा सकते थे। अधीक्षण अभियंता नागेंद्र प्रसाद मिश्रा ने पूरे मामले को विस्तार से समझाया …. अब आइए देखते हैं यह एपिसोड….
*स्पेशल ब्यूरो रिपोर्ट रीवा मध्य प्रदेश*

Sunday, May 14, 2023

Breaking: देखिए कैसे रिटायर्ड चीफ इंजीनियर ने हांथ में नक्शा बनाकर जल संसाधन विभाग के काले कारनामों का कैसे खोला काला चिट्ठा // मामला है मऊगंज तहसील के बहुचर्चित बेलहा बांध का जहां कमीशनखोर अधिकारी, भ्रष्ट ठेकेदार और नेताओं ने मिलकर राशि का किया बड़ा बंदरबांट // बांध में नहीं बनाई लोंगिट्यूडनल और क्रॉस ड्रेन भी // चौंकिए नहीं क्योंकि जल संसाधन विभाग के कारनामों का अभी तो यह ट्रेलर है, पिक्चर अभी बाकी है//

*Breaking: देखिए कैसे रिटायर्ड चीफ इंजीनियर ने हांथ में नक्शा बनाकर जल संसाधन विभाग के काले कारनामों का कैसे खोला काला चिट्ठा // मामला है मऊगंज तहसील के बहुचर्चित बेलहा बांध का जहां कमीशनखोर अधिकारी, भ्रष्ट ठेकेदार और नेताओं ने मिलकर राशि का किया बड़ा बंदरबांट // बांध में नहीं बनाई लोंगिट्यूडनल और क्रॉस ड्रेन भी // चौंकिए नहीं क्योंकि जल संसाधन विभाग के कारनामों का अभी तो यह ट्रेलर है, पिक्चर अभी बाकी है//*
दिनांक 14 मई 2023 रीवा मध्य प्रदेश।

  किसानों की सिंचाई के लिए बनाए गए बांध और नहरों में किस कदर जम कर भ्रष्टाचार किया गया और कैसे कागजों पर बांधों से नहरों में पानी सप्लाई दिखाया जाकर सरकारी खजाने में चूना लगाया गया यह सब आप पिछले कुछ समय से चलाए जा रहे इस एपिसोड में देखते आ रहे हैं। हमने आपको मऊगंज तहसील में बेलहा डैम में किए गए भ्रष्टाचार को लेकर विस्तार से बताया है। आज हम इस कड़ी में आपको आगे जल संसाधन विभाग के भ्रष्ट इंजीनियरों और कमीशनखोर अधिकारियों के कुछ और भी कारनामे दिखाने जा रहे हैं। यहां पर आप इस वीडियो में स्पष्ट तौर पर देख सकते हैं कि किस प्रकार से जल संसाधन विभाग के रिटायर्ड चीफ इंजीनियर शेर बहादुर सिंह परिहार ने बेलहा बांध में सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी के साथ पहुंचकर मौके पर स्थिति का कैसे जायजा लिया और फिर पूरी गड़बड़ी को बिना कागज के ही अपने हाथ में पेन से कैसे नक्शा बनाकर समझा दिया जिससे न केवल विभाग का पूरा काला चिट्ठा भी खुल गया बल्कि आम जनता को भी पूरी सचाई दिख गई। यहां पर आप इन वीडियो में अभी देख सकते हैं कि चीफ इंजीनियर बांध के नीचे घूम कर कैसे स्पष्ट तौर पर बता रहे हैं कि पानी की निकासी के लिए बनाए जाने वाले लोंगिट्यूडनल ड्रेन एवं क्रॉस ड्रेन नहीं बनाए गए और यदि कहीं बनाए भी गए थे तो रखरखाव की कमी की वजह से नष्ट हो चुके हैं और कैसे पूरे बांध के भीटे का क्षरण हो रहा है और किस प्रकार से बांध को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। कंपेक्सन न होना भी बांध टूटने का एक बड़ा कारण बनाकर सामने आ चुका है। 
 *चीफ इंजीनियर ने जब हांथ पर ही बना डाली ड्राइंग और खोल दिया विभाग का काला चिट्ठा*

  चीफ इंजीनियर श्री परिहार ने हांथ पर ही ड्राइंग बनाते हुए दिखाया कि किस प्रकार कॉलर ज्वाइंट में जूट की बोरी भरी जा रही हैं पाइप के ज्वाइंट में भी जूट की बोरी भरी जा रही हैं और साथ में टूटे हुए बांध पर बिना बेंचिंग किए हुए एक साथ कैसे पूरे कटाव के बीच में ही स्लूस सौर पाइप बैठाकर मिट्टी डाल दी जाएगी जिसकी वजह से कॉम्पेक्शन न होने और मिट्टी न बैठने की वजह से वापस कटाव होने के बाद बांध की दीवारों को नुकसान पहुंचेगा। रिटायर्ड चीफ इंजीनियर परिहार ने इस पूरे मामले को बहुत ही बढ़िया ढंग से अपने हाथ में डायग्राम बनाकर समझाया….
  अभी तो आप ताज्जुब कर रहे होंगे कि जब एक रिटायर्ड चीफ इंजीनियर भीषण गर्मी और इस कड़ी धूप में जाकर इतनी मेहनत से बांध निर्माण से संबंधित बारीकियों को बता सकता है तो फिर जनता के टैक्स पर पलने वाले एयर कंडीशनर में बैठे हुए यह इंजीनियर और अधिकारी आखिर मौके पर जाकर महत्वपूर्ण कार्यों का जायजा क्यों नहीं लेते और निगरानी क्यों नहीं करते? 
     जाहिर है यह सब कमीशन के पैसे का कमाल है। कमीशन के पैसे से भ्रष्ट अधिकारियों की आंखों में इस प्रकार पट्टी और कान में रुई भर जाती है जिसकी वजह से इन्हें न कुछ सुनाई देता और न भ्रष्टाचार दिखाई देता है और उसी का परिणाम है कि आज भ्रष्टाचार प्रशासन के नस नस में फलता फूलता दिख रहा है और जिम्मेदार गांधारी और धृतराष्ट्र बने बैठे हैं। 
  आइए अब आगे देखते हैं रिटायर्ड चीफ इंजीनियर ने शिवानंद द्विवेदी से इसके विषय में और आगे क्या क्या कहा…
*स्पेशल ब्यूरो रिपोर्ट रीवा मध्य प्रदेश*

Friday, May 12, 2023

Breaking: जल संसाधन विभाग ने बेलहा बांध को बनाया कूड़ादान// भ्रष्टों ने डैम खुदाई का गार्बेज डाल दिया बांध के अंदर// इंजीनियरिंग का इतना घटिया नमूना देख सभी हैरान// मरे जमीर के इंजीनियरों ने रीवा के किसानों की डुबो दी लोटिया// आय दुगुनी तो दूर किसान मामा और मोदी से पूंजी लौटाने की लगा रहा गुहार//

*Breaking: जल संसाधन विभाग ने बेलहा बांध को बनाया कूड़ादान// भ्रष्टों ने डैम खुदाई का गार्बेज डाल दिया बांध के अंदर// इंजीनियरिंग का इतना घटिया नमूना देख सभी हैरान// मरे जमीर के इंजीनियरों ने रीवा के किसानों की डुबो दी लोटिया// आय दुगुनी तो दूर किसान मामा और मोदी से पूंजी लौटाने की लगा रहा गुहार//*
दिनांक 13 मई 2023 रीवा मप्र।

  पिछले कुछ एपिसोड में आपको रीवा जिले के मऊगंज तहसील में जल संसाधन विभाग के भ्रष्ट इंजीनियरों की मिलीभगत से बनवाए जा रहे बांधों के विषय में लाइव वीडियो दिखाए जा रहे हैं। उसी सिलसिले में इस बार आपको हम बेलहा डैम के अंदर एक हैरतअंगेज कारनामे के विषय में भी आज अवगत कराएंगे।  

 *मऊगंज के बेलहा डैम को बना दिया कूड़ादान, डैम खुदाई का पूरा गार्बेज मटेरियल डाल रहे बेलहा डैम में*

  जल संसाधन विभाग के रिटायर्ड चीफ इंजीनियर शेर बहादुर सिंह परिहार और एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी बेलहा डैम की फ्लॉप स्टोरी और बर्बादी की दास्तान पर जब रिसर्च किए तो उसमें जल संसाधन विभाग के कमीशनखोर अधिकारियों भ्रष्ट ठेकेदारों और नेताओं की जुगलबंदी की एक-एक कर परत खुलने लगी। आप आज इस एपिसोड में कुछ ऐसे वीडियो देख रहे होंगे जिसमें डैम के अंदर खुदाई का पूरा गार्बेज मटेरियल डैम के अंदर ही भर दिया गया है। अब आप सोचिए कि यह कहां की इंजीनियरिंग है कि जिस बांध की खुदाई हो रही है उसके गार्बेज मटेरियल को उसी बांध के भीतर भर दिया जाए। जाहिर है पानी निकासी के लिए बनाए जा रहे पाइप सिस्टम में जब यह गार्बेज मटेरियल पानी के दबाव में सप्लाई लाइन से टकराएगा तो यह पूरे वाटर सप्लाई सिस्टम को बंद कर देगा जिसकी वजह से पूरा कंस्ट्रक्शन वर्क बर्बाद हो जाएगा। सवाल यह है इस कार्य की मॉनिटरिंग करने के लिए जल संसाधन विभाग के उपयंत्री और एसडीओ निगरानी करते हैं और इनकी देखरेख में काम किया जाता है लेकिन जैसा कि यहां पर यह बहुत अच्छी तरह से देखा जा सकता है कि मौके पर न तो कोई जल संसाधन विभाग का इंजीनियर मौजूद था और न ही कोई ऐसे अधिकारी जो यह बताएं कि काम किस प्रकार से किया जाना है। काम के दौरान ठेकेदार के व्यक्ति भी मौजूद नहीं थे और मात्र कुछ लेवर थे जिनके हवाले सिंचाई परियोजना से संबंधित इतने महत्वपूर्ण काम को छोड़ दिया गया था। चीफ इंजीनियर शेर बहादुर सिंह परिहार ने मौके पर पानी सप्लाई के पाइप लाइन की साइड वॉल को लेकर भी प्रश्न खड़े किए और जिस प्रकार उसकी विंग वाल नहीं बनाई गई है इससे पानी के दबाव में क्षतिग्रस्त होने की संभावना है। मौके पर कुछ ऐसा भी मटेरियल देखने को मिला जो पूरी तरह से गुणवत्ताविहीन था जिसको लेकर सवाल खड़े किए गए। मटेरियल को हाथ में उठाते हुए चीफ इंजीनियर ने कहा कि ऐसे ही मटेरियल लगाने का परिणाम है कि आज बांध टूट गए हैं और उनसे बूंदों में सिंचाई का पानी किसानों को नहीं मिल रहा है।
   इस प्रकार आप इस एपिसोड में दिखाए गए वीडियो के माध्यम से समझ सकते हैं कि सिंचाई परियोजना से संबंधित नहरों और बांधों के इतने महत्वपूर्ण काम को किस प्रकार भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत से पलीता लगाया जा रहा हैं और कैसे बाणसागर परियोजना, त्यौंथर बहाव और 1600 करोड़ की नईगढ़ी माइक्रो इरिगेशन कि अरबों खरबों की सिंचाई परियोजनाओं के बावजूद भी किसानों को क्यों बूंदों में पानी नहीं मिल पा रहा है?
   
    आप बने रहिए हमारे इस विशेष नहरों और बांधों से संबंधित सीरीज में क्योंकि हम आपको रोज लाते रहेंगे जल संसाधन विभाग के नए कारनामे जो आपको विशेषज्ञों की तकनीकी राय के साथ अब तक किसी ने नहीं दिखाया होगा….

*स्पेशल ब्यूरो रिपोर्ट रीवा मध्य प्रदेश*