दिनाँक 17 नवंबर 2018, स्थान - भठवा/गढ़/गंगेव रीवा मप्र
(शिवानन्द द्विवेद, रीवा मप्र)
विकाश और भ्रष्टाचार तो एक ऐसा मुद्दा है ही जिनमे काफी लोग मतदान के बहिष्कार और नोटा दबाने की बातें करते रहते हैं, इसके अतिरिक्त भी कई ऐसे इशू हैं जिनके चलते मतदाता चुनाव बहिष्कार की बातें कर रहे हैं.
हाई टेंशन लाइन ने मतदाताओं की बढ़ाई टेंशन
मामला है ज़िले के विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र 73 के मतदान केंद्र क्रमांक 15 का जहां पर पताई पंचायत अन्तर्गत अतरैला शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय में पढ़ने वाले स्कूली बच्चों के अभिभावकों ने हाई टेंशन लाइन न हटाये जाने की स्थिति में सामूहिक तौर पर मतदान से बाहिष्कार करने की बातें कही हैं.
दिनाँक 16 नवंबर 2018 को समाजिक कार्यकर्ता शिवानन्द द्विवेदी से चर्चा के दौरान यूट्यूब चैनल के लिए दिए गए अपने लगभग 12 मिनट के इंटरव्यू में उपस्थित दर्ज़नों अभिभावकों ने पीड़ा व्यक्त करते हुए बताया की पिछले कई वर्षों से स्कूल परिसर के भीतर माध्यमिक भवन के ठीक ऊपर से छूती हुई गुजरी हाई टेंशन लाइन के खुले खतरनाक तारों की वजह से गांव वालों को काफी टेंशन है.
इस विषय में अभिभावकों ने कई मर्तबा स्कूल शिक्षा विभाग से लेकर बिजली विभाग के स्थानीय एवं ज़िले के अधिकारियों तक बातें पहुचाई है लेकिन अब तक मात्र कागज़ी कार्यवाही ही चलती रही है, जबकि धरातल पर स्थिति वैसे ही बनी हुई है.
हाई टेंशन लाइन हटाएं वरना करेंगे मतदान का बहिष्कार
उपस्थित अभिभावकों प्रमोद सिंह, सूर्यपाल सिंह, राजाराम कोरी, रामलाल विश्वकर्मा, रामबहोर कोरी, चंद्रिका कोरी आदि ने बताया की हमारे बच्चों के जीवन में बराबर संकट मंडरा रहा है और कभी भी कोई भीषण हादसा हो सकता है. कई बार स्कूल एवं विजली विभाग को अवगत कराए जाने के बाबजूद भी कार्यवाही न होना बच्चों के जीवन के प्रति प्रशासनिक निर्दयता को दर्शाता है. यदि ऐसा है तो हम भी वोट नही करेंगे चाहे जो जाए. सबसे पहले यहां स्कूल परिसर से हाई टेंशन लाइन हटाये तभी मतदान करेंगे वरना हम सब गांव वाले 28 नवंबर को होने वाले विधानसभा के चुनाव का खुले तौर पर बहिष्कार करेंगे यह कहना था अभिभावकों का.
11 केवी लाइन की वजह से मतदान के दिन भी हो सकती है दुर्घटना
वास्तव में देखा जाए तो जिस प्रकार से हाई टेंशन लाइन के तार छत को छूते हुए निकले हुए हैं उससे मतदान के दिन भी भीड़भाड़ में कोई भी अप्रिय दुर्घटना हो सकती है. अमूमन बताया जाता है की यदि बारिश का मौसम है और शरीर गीला है ऐसे में लगभग ढाई से तीन मीटर दूरी से भी हाई टेंशन लाइन के तार शॉक दे देते हैं. इसके पूर्व भी हाई टेंशन लाइन की वजह से कई दुर्घटनाएं हो चुकी हैं जिनमे पीड़ित का बचना मुश्किल हो जाता है.
जेई एवं डीई ने बताया एस्टीमेट जारी हुआ
इस बीच जब सामाजिक कार्यकर्ता ने संबंधित बिजली विभाग के अधिकारियों से जानकारी चाही तो त्योंथर डिविजनल इंजीनियर रामचरण पटेल एवं लालगांव कनिष्ठ यंत्री उमाशंकर द्विवेदी द्वारा बताया गया की स्कूल परिसर अथवा कहीं की भी लाइन शिफ्ट करवाने के लिए विभाग के पास कोई बजट नही होता. संबंधित पीड़ित पक्ष जब संबंधित एस्टिमटेड राशि को बिजली विभाग को प्रदान करता है तो लाइन शिफ्ट करने का कार्य विभाग द्वारा कराया जाता है. यह पूँछे जाने पर की जब स्कूल बनी हुई थी तो हाई टेंशन की लाइन परिसर के भीतर से क्यों खींची गई. इस पर जबाब मिला की लाइन पहले से थी और स्कूल भवन का निर्माण बाद में कराया गया अतः जिम्मेदारी और गलती बिजली विभाग की नही बल्कि स्कूल शिक्षा विभाग की है.
क्या कहा रीवा डीईओ अंजनी त्रिपाठी ने
जब इस विषय में रीवा जिला शिक्षा अधिकारी अंजनी कुमार त्रिपाठी से उनके मोबाइल फ़ोन में सामाजिक कार्यकर्ता शिवानन्द द्विवेदी द्वारा जानकारी चाही गई तो पहले डीईओ रीवा ने जानकारी नही होने की बात कही. बाद में जैसे ही उन्हें बताया गया की अतरैला स्कूल एवं हिनौती शंकुल केंद्र के प्राचार्य द्वारा एस्टीमेट डीईओ कार्यालय रीवा भेज दिया गया है तब उनका कहना था की यह माध्यमिक शिक्षा विभाग का मामला होने से रमसा द्वारा नही बल्कि डीपीसी द्वारा सुलझाया जाएगा. इस प्रकार डीईओ रीवा ने जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया.
बिजली एवं स्कूल शिक्षा विभाग में मामले को लेकर मचा है हड़कंप
इस बीच जानकारी मिली है की जिस प्रकार से पताई और उसके आसपास अतरैला आदि ग्रामों मतदाताओं और अभिभावकों ने 28 नवंबर के मतदान के बहिष्कार की बात की है उससे बिजली विभाग सहित स्कूल शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया है. स्वयं अतरैला स्कूल माध्यमिक शाला एवं प्राथमिक शाला के हेड भी काफी चिंतित और परेशान नजर आये साथ ही डीईओ रीवा की भी बोलती बन्द दिखी. यद्यपि डीईओ ने डीपीसी पर मामला थोपने की कोशिश की लेकिन कहा की हम मामले को दिखवा रहे हैं.
हिनौती शंकुल केंद्र के प्राचार्य सबसे अधिक जिम्मेदार
वास्तव में देखा जाए तो स्थानीय स्तर पर दर्ज़नों शंकुल स्कूलों की जिम्मेदारी मात्र शंकुल केंद्र के प्राचार्य पर हुआ करती है. शंकुल केंद्र का प्राचार्य ही स्थानीय स्तर पर सर्वेसर्वा हुआ करता है. जो जानकारी शंकुल केंद्र के प्राचार्य द्वारा डीईओ एवं डीपीसी को भेजवाई जाती है और जिस तन्मयता के साथ लगकर कार्य करवाया जाता है कार्य उसी हिसाब से हो पाता है.
अतरैला शासकीय पूर्व माध्यमिक पाठशाला के मामले में शंकुल केंद्र हिनौती के प्रभारी प्राचार्य रमाकांत चतुर्वेदी को कई मर्तबा फ़ोन से लेकर व्यक्तिगत एवं आवेदनों के माध्यम से अभिभावकों एवं सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा भी सूचित किया गया है लेकिन स्कूली बच्चों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ करते हुए हिनौती स्कूल शानुल प्राचार्य ने मामले को गम्भीरता से लिया ही नही जिसका की परिणाम है शंकुल के अंदर आने वाली स्कूलों में रमसा और डीपीसी के पास फण्ड होने के वाबजूद भी समय पर विद्युत लाइनें शिफ्ट न किया जाना. जिसका की परिणाम यह हुआ की व्यथित अभिभावकों ने लोकतंन्त्र के सबसे पड़े पर्व मतदान दिवस को भी मतदान से बहिष्कार करने का फैसला लिया है. जिसकी पूरी जिम्मेदारी स्कूल शिक्षा विभाग की बनती है.
देखना होगा चुनाव आयोग क्या एक्शन लेता है
अब देखना यह होगा की मतदान के बहिष्कार के इस मामले में केंद्रीय एवं मप्र चुनाव आयोग क्या एक्शन लेता है. इस बीच अतरैला स्कूल परिसर में हाई टेंशन लाइन के सम्पूर्ण मामले सहित अभिभावकों के यूट्यूब इंटरव्यू को मप्र राज्य के मुख्य चुनाव आयुक्त सहित भारत निर्वाचन आयोग नई दिल्ली के मुख्य चुनाव आयुक्त श्री ओपी रावत को भी सामाजिक कार्यकर्ता शिवानन्द द्विवेदी द्वारा ट्विटर एवं ईमेल के मॉध्यम से भेज दी गई है और ग्रामीण अभिभावकों की पीड़ा व्यथा को समझते हुए मामले पर तत्काल संज्ञन लेते हुए हाई टेंशन लाइन तत्काल शिफ्ट करवाकर भय रहित वातावरण में मतदान कराए जाने की माग की गई है.
संलग्न - कृपया संलग्न तस्वीरों में देखने का कष्ट करें किस तरह से अतरैला स्कूल परिसर में छत को छूते हुए हाई टेंशन लाइन 11 केवी के खुले तार झूल रहे हैं साथ ही स्कूल परिसर में उपस्थित छात्र, शिक्षक और अभिभावक. ट्विटर एवं ईमेल के माध्यम से मुख्य चुनाव आयुक्त भारत निर्वाचन आयोग सहित अन्य विभागों को भेजे गए ईमेल की प्रतियां के स्क्रीनशॉट.
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शिवानन्द द्विवेदी
सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता
ज़िला रीवा मप्र, मोब 9589152587, 7869992139
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