दिनांक - 09/03/2017, स्थान - त्योंथर/कांकर/गढ़/तेंदुआ/गंगेव, रीवा मप्र
( त्योंथर/कांकर/गढ़/तेंदुआ/गंगेव, रीवा मप्र - शिवानन्द द्विवेदी/संजय पाण्डेय) मनरेगा के कार्यों में सरकारी खजाने को चूना लगाने का कार्य सतत जारी है. यह मामला है त्योंथर ब्लाक का जहाँ दर्ज़नों पंचायतों में मनरेगा के अंतर्गत हो रहे कार्यों में फर्जी मजदूरों के नाम से पैसे की निकासी जारी है और पूरा कार्य सरपंचों एवं सचिवों द्वारा जेसीबी एवं मशीनों द्वारा करवाया जा रहा है.
अभी हाल ही में जब कांकर-बरहट पंचायती क्षेत्र में अवैध उत्खनन का प्रकरण मीडिया सहित सबन्धित खनिज, पुलिश एवं राजस्व विभाग में भेजा गया तो पता लगाया गया की आखिर इतनी अधिक मात्रा में उत्खनन कर खनिज सम्पदा जैसे मोरम आदि कहाँ पर ले जाया जा रहा है. जानकारी एकत्रित करने पर पता चला की पंचायत सड़क निर्माण एवं मनरेगा के कार्यों के नाम पर अच्छा खासा गोरख धंधा चलाया जा रहा है जहाँ पर जगह-जगह सरकारी एवं जंगली भूभाग को खोदकर वहां से खनन माफियाओं द्वारा अवैध तरीके से बिना लीज लिए हुए मोरम एवं खनिज सम्पदा कांकर, कलवारी, डाढ़, कटरा, गंतीरा, बरहट आदि पंचायतों में मनरेगा के नाम पर चल रहे सड़क निर्माण के कार्यों में पहुचाया जा रहा है. जब सम्बंधित सभी उक्त पंचायतों के कार्यों का अवलोकन मनरेगा की वेबसाइट से किया गया तो पाया गया सभी कार्य मात्र कागजों पर हो रहे हैं. जिन जिन मजदूरों के नाम सभी उक्त पंचायतों के मस्टर रोल में दर्ज थे उन मजदूरों का वास्तविक धरातल पर कहीं नामोंनिशान नहीं था. और जं मजदूरों को वास्तव में कार्य की तलाश थी उन मजदूरों के नाम तक मस्टर रोल में दर्ज नहीं हैं.
मनरेगा की वेबसाइट से भी फर्जीवाड़े का हुआ खुलासा
इस प्रकार नरेगा की वेबसाइट में जाकर पता लगाया गया तो पाया गया की अभी तक तो सभी ग्राम सड़क . खेत सड़क, सुदूर ग्राम सड़क आदि सम्बन्धी कार्यों का मुस्किल से दस प्रतिशत भी राशि नहीं निकली है परन्तु कार्य लगभग पूर्ण हो चुके हैं. यह कैसे संभव हुआ मात्र दस प्रतिशत राशि निकाशी में पचहत्तर प्रतिशत से अधिक मनरेगा के कार्य हो चुके हैं जबकि मजदूर कहीं दूर दूर तक कार्यस्थल में उपलब्ध नहीं हैं.
पंचायती भ्रष्ट्राचार में मजदूर सचिव सरपंच सहित सीईओ तक का हाँथ
पंचायतों, सचिवों, सीईओ, सहित माफियाओं का ऐसा मकद जाल बुना गया है की इसे समझ पाना काफी मुस्किल हो रहा है. उधर पंचायती कार्यों का ठेका सरपंच सचिवों द्वारा जनपद सीईओ एवं अन्य अधिकारियों की सहमति से खनन माफियाओं को दे दिया जाता है और खनन माफिया मात्र कुछ ही दिनों में जेसीबी मशीनों को लगाकर कई किमी रोड बनाकर दे देता है. बाद में कुछ अपने पक्ष के तथाकथित मजदूर जिनका की काम से कोई सरोकार नहीं होता उन्ही के नाम पर सम्बंधित सरपंच सचिव मस्टर रोल जारी कर मजे से घर बैठे पैसे की अंधाधुंध निकासी करते रहते हैं. इस गोरख धंधे में सरपंच सचिव काफी फूंक फूंक कर कदम रखते हैं. सम्बंधित सरपंच सचिव कभी भी ऐसे मजदूर का नाम मस्टर रोल में नहीं जोड़ते जो उनके पक्ष का न हो. क्योंकि यदि ऐसे ही कभी शिकायतें हों गयीं तो वह तथाकथित मजदूर सीधे सीधे झूंठ बोल दे की नहीं मई कार्य कर रहा था और मेरे ही अकाउंट में मनरेगा के पैसे आ रहे थे. ऐसे में यदि मजदूर कहीं विपक्ष का हुआ और उसने सही सही बोल दिया की नहीं मैंने काम वाम नहीं किया है सरपंच सचिव ने हमसे शेयर बांधा हुआ था की जो पैसा आएगा इसमें अपना अपना भाग तय कर लेंगे तो सरपंच सचिव मुस्किल में पद जाएगा. और बिलकुल ऐसा ही हर एक पंचायत में निरंतर होता आ रहा है. इसीलिए मनरेगा के फर्जीवाड़े पर लगाम भी नहीं लग पा रही है. क्योंकि पंचायत अथवा राजस्व विभाग तो कार्यवाही करने से रहा क्योंकि इनका भी अपना शेयर बंधा होता है तो भला यह क्यों अपने घर आने वाली लक्ष्मी के लिए दरवाज़ा बंद करेंगे. अब मात्र मीडिया, जनता, अथवा हमारे जैसे कुछ सरफिरे समाज सेवी ही हो सकते हैं जो इनके काले कारनामों की धज्जियाँ उड़ाते फिरें.
सीईओ जनपद त्योंथर को विन्ध्य किसान परिषद् की तरफ से सौंपा ज्ञापन
मनरेगा के उक्त भ्रष्ट्राचार को लेकर अभी हाल ही में दिनांक 06 मार्च 2017 को सीईओ जनपद पंचायत त्योंथर को विन्ध्य किसान परिषद् के जिलाध्यक्ष एवं सामाजिक कार्यकर्त्ता शिवानन्द द्विवेदी एवं परिषद् के युवा कार्यकर्त्ता पुष्पराज तिवारी द्वारा एक ज्ञापन सौपा गया है जिसमे सात दिवस के अन्दर उक्त सभी अनियमितता एवं मनरेगा एवं पंचायती भ्रष्ट्राचार में जांच कर कार्यवाही करने की माग की गयी है. ज्ञापन में यह भी स्पष्ट किया गया है की यदि नियत समय में जाँच कर कार्यवाही नही की गयी तो सीईओ जनपद पंचायत त्योंथर के समक्ष धरना प्रदर्शन एवं अनसन किया जायेगा.
मांग में यह भी सम्मिल्लित है की जिन गरीब मजदूरों को कार्य नही दिया गया है उन्हें काम उपलब्ध करवाया जाए जबकि फर्जी रूप से मजदूरों के नाम पर निकासी करने वाले ऐसे लोग जो न टन मजदूर हैं और न ही किसान बल्कि इनके नाम पर मात्र मनरेगा का पैसा हज़म कर रहे हैं उनसे पैसे की वसूली की जाए. जो मजदूर अपना जॉब कार्ड बनवाए हुए हैं एवं नियमित मजदूरी करने में रूचि रखते है उन्हें पूरे सौ दिन की रोजगार गारंटी उपलब्ध करवाई जाए, मजदूर सुरक्षा कार्ड के अंतर्गत प्राप्त होने वाले सभी लाभों को दिया जाए.
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Sincerely Yours,
Shivanand Dwivedi
(Social, Environmental, RTI and Human Rights Activists)
Village - Kaitha, Post - Amiliya, Police Station - Garh,
Tehsil - Mangawan, District - Rewa (MP)
TWITTER HANDLE: @ishwarputra - SHIVANAND DWIVEDI
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