दिनांक - 10/03/2017, स्थान - गढ़/गंगेव/कांकर/तेंदुआ - रीवा मप्र
मध्यांचल ग्रामीण बैंक शाखा गढ़ में जारी है भर्रेसाही – मात्र मंगलवार को बांटी जाती है गरीब वृद्धों की सामाजिक सुरक्षा पेंशन, महीने भर होता है भटकना
(गढ़/तेंदुआ/गंगेव/कांकर, रीवा मप्र – शिवानन्द द्विवेदी) गढ़ थाने के ठीक सामने स्थित मध्यांचल ग्रामीण बैंक में भर्रेसाही बराबर जारी है. अंग्रेजी काल का भारतीय स्टेट बैंक अभी कुछ वर्ष पूर्व उस समय के रीवा-सीधी ग्रामीण बैंक को अपने अंतर्गत/सम्बद्ध लेकर इसका नाम परिवर्तित कर इसे मध्यांचल ग्रामीण बैंक नाम दिया. मगर नए नाम का तमगा मिलने के वावजूद भी और एसबीआई से सम्बद्ध होने के वावजूद भी लगता है मध्यांचल ग्रामीण बैंकों की कार्य प्रणाली में कोई विशेष वदलाव नहीं दिख रहा है.
बैंकिंग सेक्टर में कोई भी ऐसे नियम कानून नहीं होते जो मनमुताबिक बना लिया जाए और मनमुताबिक लगा दिया जाय. और कम से कम ऐसे नियम तो बिलकुल नहीं जो ग्राहकों के लिए असुविधा का कारण बनें. मध्यांचल ग्रामीण बैंक शाखा गढ़ में तो ऐसा लगता है की यहाँ के बैंक मेनेजर और कर्मचारियों की ही बस मनमानी चलती है. अब इसी बात को देखें की किस प्रकार सामाजिक सुरक्षा पेंशन पाने वाले बुजुर्ग वृद्ध, विधवा, विकलांग लोगों को मात्र मंगलवार के दिन पेंशन देने के लिए बुलाया जाता है. और यदि दुर्भाग्यबस यदि इन बेचारों को इनकी पेंशन मंगलवार को भीड़ होने के कारण नहीं मिल पाई तो फिर इन्हें पूरे सप्ताह भर इंतज़ार करना पड़ता है क्योंकि अन्य दिनों चाहे यह बेचारे कितना भी प्रयास कर डालें इन्हें बैंक मेनेजर द्वारा पेंशन नहीं दी जाएगी. ऐसे में यदि कोई वृद्ध, असहाय, विकलांग की आवश्यकता है अथवा कोई मेडिकल कंडीशन निर्मित हो जाये तो उसे मरना तय है क्योंकि उसके पास कोई दूसरा सहारा नहीं है. आखिर वह बुड्ढा पैसा लायेगा तो लायेगा कहाँ से?
मध्यांचल ग्रामीण बैंक शाखा गढ़ का मात्र मंगलवार को पेंशन देने के तुगलकी फरमान में बदलाव होना अति आवश्यक
ऐसे में प्रश्न यहं उठता है की यदि मध्यांचल ग्रामीण बैंक अथवा कोई भी बैंक यदि सभी दिनों अपने बैंकों में आम जनता का पैसा जमा करवा सकता है, और अन्य कोई भी सख्स पैसे निकाल रहा है तो आखिर सामाजिक सुरक्षा पेंशन की कुछ रुपये पाने वाले हितग्राहियों के साथ ऐसा अन्याय क्यों किया जा रहा है की उन्हें भर मात्र मंगलवार को पैसा मिलता है अन्य दिनों नहीं. इस सन्दर्भ में एक दिन सामाजिक कार्यकर्ता शिवानन्द द्विवेदी द्वारा मध्यांचल ग्रामीण बैंक शाखा गढ़ के प्रांगण में जाकर वहां पर उपस्थित वृद्ध विकलांग हितग्राहियों से संपर्क कर उनसे इनकी व्यथा पूँछी गयी इनका इंटरव्यू लिया गया तो सभी उपस्थित हितग्राहियों ने अपनी पूरी दुःख दर्द से भरी कहानी सुनायी और सभी एक स्वर में चाहते थे की मात्र मंगलवार को पेंशन देनें का बैंक का तुगलकी फरमान बिलकुल उचित नहीं है और इसे बदलना चाहिए.
संलग्न – कृपया संलग्न फोटोग्राफ एवं यूट्यूब विडियो देखने का कष्ट करें जिसमे मध्यांचल ग्रामीण बैंक शाखा गढ़ के सामाजिक सुरक्षा पेंशन प्राप्त करने वाले हितग्राहियों के फोटो संलग्न हैं.
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Sincerely Yours,
Shivanand Dwivedi
(Social, Environmental, RTI and Human Rights Activists)
Village - Kaitha, Post - Amiliya, Police Station - Garh,
Tehsil - Mangawan, District - Rewa (MP)
TWITTER HANDLE: @ishwarputra - SHIVANAND DWIVEDI
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