दिनांक 02/03/2017, स्थान - थाना गढ़, रीवा मप्र
(थाना गढ़, रीवा मप्र - शिवानन्द द्विवेदी) क्या जनता को यह बात ज्ञात है की भारतीय लोकतंत्र में प्रत्येक भारतीय नागरिक यदि किसी अप्रिय घटना की प्रथम सूचना लेकर किसी भी थाने में जाता है तो उस सम्बंधित थाना प्रभारी को सी आर पी सी की धारा 154 के अंतर्गत प्रथम सूचना रिपोर्ट अथवा एफ आई आर तत्काल दर्ज कर आगे की जांच और इन्वेस्टीगेशन किया जाना चाहिए. लेकिन दुर्भाग्य है की भारत में सब कुछ उल्टा होता है. पहले यहाँ की पुलिश दोनों पक्षों का इंतज़ार करती है की कौन सा पक्ष भारी है. किसकी तरफ से ऊपर और ऊंचे लोगों नेतायों सांसदों और विधायकों के कॉल आने वाले हैं. और कौन सी पार्टी ज्यादा मोटा माल रखती है. इतने में ज्यादातर मामले ठंडे पड़ जाते हैं. जो भारी पक्ष होता है वह दबाब बनाकर पैसे की लेन देन कर अथवा और अधिक डरा धमकाकर दूसरे पीड़ित और कमज़ोर पक्ष को शांत कर देता है. ज्यादातर मामलों में यही देखा जा सकता है. पुलिश विभाग अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए दुनिया भर की बातें करेगा और बता देगा की फला फला जगह से दबाब बनाया जा रहा हैअथवा जांच चल रही है और जांच में समय लग रहा है.
आज सबसे बड़ा प्रश्न यह है की क्या पुलिश जैसी संवैधानिक संस्था गरीबों, पीडतों, और कमजोरों को न्याय दिलवा पाने में किसी भी तरह से सक्षम है? कहना यह होगा की आज रीवा जिला और पूरे प्रदेश की पुलिश व्यवस्था निष्क्रिय, अप्रतिस्पर्धी और अक्षम होकर अपराधिक प्रवित्ति के तत्वों से मिल चुकी है. अन्यथा यदि कोई पीड़ित व्यक्ति सबूतों और गवाहों के साथ किसी भी सम्बंधित थाने में जाए तो भला पुलिश विभाग को एफ आई आर दर्ज कर कार्यवाही करने में क्या हर्जा है? पुलिश न्यायालय नहीं है मात्र एक जांच एजेंसी है अतः कौन दोषी है और कौन निर्दोष यह काम पुलिश विभाग को न्यायलय के ऊपर छोंड देना चाहिए.
कैथा सरपंच संत कुमार पटेल और उसके अपराधिक प्रवृत्ति के साथियों द्वारा नाबालिग अरुणेन्द्र पटेल और संतोष केवट के साथ मारपीट एवं लूट की वारदात में पुलिश ने अब तक क्यों दर्ज नहीं किया कोई एफ आई आर ?
वैसे रीवा पुलिश सहित पूरे थाना गढ़ की पुलिश प्रक्रिया पर संदेह व्यक्त करने के सैकड़ों सबूत हैं जो इनके निष्क्रियता और इनके अप्रतिस्पर्धी होने का बयान करते हैं परन्तु अभी अभी जो घटना एक सार्वजनिक स्थल के सन्दर्भ में ग्राम इटहा में घटित हुई उससे सर्मिंदगी की बात और कुछ नहीं हो सकती. आज यह समाज और यह शासन प्रशासन इस बात का जबाब दे की आखिर संवैधानिक प्रक्रिया द्वारा चुना गया एक सरपंच कैसे एक नाबालिग के साथ अपनी गुंडों बदमाशों की गैंग के साथ मारपीट, गाली-गलौज और लूट जैसा घृणित कार्य कर सकता है. कैथा सरपंच संत कुमार पटेल और उसके दो अन्य अपराधिक साथी शेषमणि पटेल एवं अशोक पटेल ने एक सत्रह वर्षीय नाबालिग के साथ मारपीट और लूट कर नपुंसकता का परिचय दिया और साथ ही सरपंच के पद की मर्यादा को एक बार फिर तार तार कर दिया है. यह कोई नया वाकया नहीं की यह कैथा पंचायत का सरपंच अपनी सीमा से आगे जाकर ऐसा कृत्य किया है. जैसा की सर्वविदिति है की इसके पहले भी करीब तीन वर्ष पहले से ही इटहा आंगनवाडी कार्यकर्ता श्रीमती राजकुमारी पटेल पति सुग्रीव पटेल निवासी इटहा के साथ यह वर्तमान कैथा सरपंच संत कुमार पटेल और इसके दो अन्य साथी रुक्मणी पटेल एवं सुग्रीव पटेल (यह दूसरा सुग्रीव पटेल है जो इटहा आंगनवाडी कार्यकर्ता का पति नहीं है) निवासी क्रमशः इटहा एवं अकलसी ने महिला एवं बाल विकास विभाग में कार्यरत एक महिला की अस्मिता को तार तार करने का प्रयाश किया था जिसके सन्दर्भ में वर्षों तक यह पीड़ित महिला थाना गढ़ से लेकर रीवा पुलिश एवं देश प्रदेश के उच्चतम कार्यालयों तक चक्कर लगाती रही. पुलिश प्रशासन की निष्क्रियता और अपराधिक प्रवित्ति के लोगों से सांठ -गाँठ के कारण जब एफ आई आर तक दर्ज नहीं हुई तब अंततः आंगनवाडी कार्यकर्ता व्यथित होकर माननीय उच्च न्यायलय जबलपुर पंहुची थीं और केस क्र. 2308/2016 दर्ज करवाया तब जाकर गढ़ और रीवा पुलिश के कानों में जूं रेंगी और जाकर गढ़ पुलिश ने प्रकरण क्रमांक 96/16 दर्ज किया जिसमे की आई पी सी की धारा 354क , 294, 506बी , 34 तीनों अभियुक्तों सरपंच संत कुमार पटेल, रुक्मणी पटेल और सुग्रीव पटेल पर लगाया.
इतना ही नहीं अभी अभी दिनांक 23 फरवरी को नाबालिग अरुणेन्द्र पटेल एवं संतोष पटेल के साथ मारपीट करने वाले दोनों अभियुक्त शेषमणि पटेल और अशोक पटेल के ऊपर इटहा हरिजन बस्ती निवासी लुटई साकेत और उसकी पत्नी पार्वती पटेल के के साथ लुटई साकेत की छः माह की नातिन को पैरों तले कुचलकर कुचलकर मार डालने का केस सिरमौर कौर्ट में चल रहा थाजिसके एक गवाह स्वयं बी एम ओ गंगेव देवव्रत पाण्डेय हैं जिन्होंने यह बात कोर्ट परिश्र में स्वीकारी थी की मेडिकल रिपोर्ट में आया की बच्ची की मौत कुचलकर कर हुई थी. परन्तु बीच में ही पार्वती साकेत की दिमागी हालत ठीक न होने और लुटई साकेत की पतोहू घर से पलायन कर जाने के कारण ठंडा पड़ गया था. इस प्रकार यदि वर्तमान कैथा सरपंच संत कुमार पटेल और इसके अपराधों में संलिप्त साथियों का अपराधिक रिकॉर्ड थाने गढ़ और जिला रीवा से उठाया जाए तो इनके ऊपर आधा दर्जन से ऊपर प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष प्रकरण दर्ज हैं फिर भी ऐसे अपराधियों को पुलिश मुक्त कर आराम कर रही है.
घटना की जानकारी निम्नलिखित मोबाइल नंबर और थाना गढ़ के सम्बंधित टी आई से ली जा सकती है -
डायल 100 का मोबाइल नंबर 07587600513
एस बी सिंह बीट प्रभारी ए एस आई का मोबाइल - 7049122816
रामकृष्ण तिवारी हेड-कांस्टेबल मुन्सी, थाना गढ़ - 9993528394
गढ़ थाना प्रभारी बी आर सिंह मोबाइल - 9826315768, 7049122845,
एस डी ओ पी इन-चार्ज - 09424703367
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Sincerely Yours,
Shivanand Dwivedi
(Social, Environmental, RTI and Human Rights Activists)
Village - Kaitha, Post - Amiliya, Police Station - Garh,
Tehsil - Mangawan, District - Rewa (MP)
TWITTER HANDLE: @ishwarputra - SHIVANAND DWIVEDI
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