दिनांक - 05/03/2017, स्थान - थाना गढ़, कांकर पंचायत त्योंथर ब्लाक रीवा मप्र,
(कांकर/गढ़/गंगेव, रीवा मप्र - शिवानन्द द्विवेदी) भारत में कोई शासन प्रशासन चलता भी है की सब कुछ तमाशा ही है? कहना यह होगा की इतने शिकायतें/कोम्प्लैंट्स, संदेशों, एसएमएस, ईमेल एवं लिखित देने के वावजूद भी मजाल क्या है की पुलिश और माइनिंग विभाग अवैध उत्खनन पर रोक लगा पाए. इधर एक्टिविस्ट लोग माफियों से दुश्मनी लेकर शासन प्रशासन को जगाने में लगे हैं उधर माइनिंग माफिया का यह कहना है की चाहे जो कर लो पुलिश और माइनिंग विभाग हमारा क्या बिगाड़ लेंगे. चाहे रोज़ न्यूज़ पेपर में छापते रहो इससे कुछ फर्क नहीं पड़ने वाला. यहाँ सभी को हमारा शेयर जाता है. और माइनिंग माफियाओं का कहना भी बिलकुल सही है. आखिर यदि ऐसा न होता तो भला पिछले ही दिन पुलिश विभाग की थाना गढ़ की टीम अवैध माइनिंग स्थल पर पहुचने के वावजूद कैसे खाली हाँथ चली आती जबकि पुलिश की आँखों के समक्ष ही उत्खनन चल रहा था जिसमे बिना नंबर प्लेट के चैन वाली जेसीबी सहित तीन छः चक्के वाले डम्पर बराबर सेवा में लगे थे. यद्यपि पुलिश और माइनिंग विभाग की इस नाकामी की तथाकथित सीएम हेल्पलाइन 181 में भी शिकायतें औपचारिकता के रूप में दर्ज करवा दी गयी हैं, अब देखना यह होगा इन सबसे होने क्या वाला है?
बड़े मजे की बात तो यह थी आज जब इस अवैध रूप से संचालित माइनिंग वाले प्रकरण के विषय में रीवा आई जी आशुतोष रॉय, माइनिंग ऑफिसर संजीव मोहन पाण्डेय एवं डीजीपी मप्र शासन ऋषि कुमार शुक्ला से पुनः बात की गयी तो बड़ा ही मजाकिया जबाब मिला जो की यहाँ पर ऑडियो फाइल में टेप किया हुआ संलग्न है. कभी कभी तो आश्चर्य होता है की क्या यही पुलिश और माइनिंग विभाग मिलकर अवैध कार्यों पर कभी लगाम लगा सकता है? उल्टा अब तो यह लगता है की सभी अवैध कार्य पुलिश, माइनिंग विभाग और शासन प्रशासन की सह से ही हो रहे हैं वर्ना भला इन माफियाओं में इतना दम कहाँ की इतने बड़े पैमाने पर अवैध कार्य कर पायें और वह भी बेधड़क. अब तो ऐसा लगने लगा है की समाज सेवा का कार्य सायद अपराध है और अवैध कार्य करना ज्यादा बेहतर का काम है?
बेहतर तो यही होगा की इन सभी विभागों की पेमेंट तत्काल प्रभाव के साथ जनता को बंद करने आन्दोलन करना चाहिए क्योंकि यह विभाग किसी काम के हैं ही नहीं तो जनता के टैक्स का पैसा क्यों बर्वाद कर रहे हैं? इनसे मोबाइल, एस एम एस, ईमेल आदि के माध्यम से बात कर के और अवैध कार्यों सम्बन्धी सूचना देने से क्या लाभ बल्कि उल्टा नुकसान अलग से हो रहा है. पैसे और समय की वर्वादी के अतिरिक्त कहीं कुछ नहीं. यह सब इस देश और समाज का दुर्भाग्य है. अब सवाल यह उठता है की इसी भौखरी पंचायत-गंगेव जनपद के उत्खननकर्ता के स्थान पर कोई छोटा मोटा किसान अपनी जमीन का समतलीकरण करवा रहा होता अथवा दो चार गठ्ठे अपनी स्वयं की लकड़ी ट्रेक्टर में लादकर कहीं रखने जा रहा होता इस पर पुलिश, वन, राजस्व सभी विभाग एक साथ कार्यवाही कर देते उससे रमन्ना पूछते, गाडी की जानकारी लेते, चिटपास पूछते, परमिशन की जानकारी पूछते, परन्तु आज इन बड़े पहुचे हुए खनन माफियाओं को छूने तक की शक्ति न तो यहाँ के पुलिश विभाग में है और न ही माइनिंग विभाग में जबकि सूचना के तौर पर जैसा की बताया गया की थाने से लेकर, एसपी, कलेक्टर, आई जी, डीजीपी भोपाल, और माइनिंग ऑफिसर तक कई मर्तबा पहुचाई जा चुकी है. और तो और अभी पिछले दिनों से निरंतर पेपर में खबरें छप रहीं हैं. क्या यही इस देश प्रदेश की पुलिश और प्रशासनिक व्यवस्था है? क्या यही सुशासन है? यह निरंकुश शासन है सुशासन नहीं. अब तो वास्तव में कहना पड़ेगा की इस देश और समाज का कुछ नहीं होने वाला. जाने दें इसको भगवान् भरोसे,
संलग्न- देखें इस email के साथ संलग्न माइनिंग ऑफिसर संजीव मोहन पाण्डेय रीवा सहित आई जी रीवा आशुतोष रॉय, एवं डीजीपी मप्र शासन भोपाल से मोबाइल बातचीत के अंश.
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Sincerely Yours,
Shivanand Dwivedi
(Social, Environmental, RTI and Human Rights Activists)
Village - Kaitha, Post - Amiliya, Police Station - Garh,
Tehsil - Mangawan, District - Rewa (MP)
TWITTER HANDLE: @ishwarputra - SHIVANAND DWIVEDI
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