भारत में आपको ऐसे कई प्रकरण मिलेगें जहाँ पर विधायक, सांसद से लेकर बड़े बड़े रसूखदारों के ऊपर पुलिस प्रकरण दर्ज रहते हैं पर शायद ही कोई कार्यवाही हुई हो? परन्तु बड़े प्रकरणों में ज्यादातर मीडिया के हावी होते ही दबाब बन जाता है और कार्यवाही करनी पड़ती है. ऐसे भी कुछ मामले आये हैं जिनमे कुछ जेलों से ही जन प्रतिनिधि चुन लिए जाते हैं. जहाँ तक सवाल छोटे स्तर का है वहां भी पंचायतों का हाल ज्यादा अलग नहीं है. हमारे ग्राम कैथा की पंचायत का ही केस ले लें. यहाँ पर कैथा का वर्तमान सरपंच संत कुमार पटेल जो की भारतीय दंड संहिता की धारा 294, 354A, 506 और 34 का सह-आरोपी है अब तक पुलिस की गिरफ्त से बाहर है. यह प्रकरण है उसी क्षेत्र की एक आंगनवाडी कार्यकर्ता के साथ दुष्कर्म के प्रयास का. पहले पहल तो लगभग दो वर्षों तक गढ़ पुलिस ने इन आरोपियों पर दबाब और नेतागिरी के भी चलते कोई प्रकरण ही दर्ज नहीं किया पर जब मामला हाई कोर्ट जबलपुर पंहुचा तो हाई कोर्ट की याचिका क्र. (Writ Petition : 2308/16) के माध्यम से हाई कोर्ट ने जब मुख्यमंत्री सचिवालय एवं विधान सभा से लेकर रीवा जिला के कलेक्टर, एस.पी. और मध्य प्रदेश के पुलिश महानिदेशक तक नोटिस जारी किया और जबाब माँगा तब जाकर पुलिस ने मई वर्ष 2016 में आरोपियों - वर्तमान कैथा सरपंच संत कुमार पटेल (निवासी इटहा), रुक्मणी पटेल (निवासी इटहा), और सुग्रीव पटेल (निवासी अकलसी) के ऊपर बड़े मुस्किल से जाकर Cr.PC 154 के अंतर्गत आई.पी.सी. की धाराएँ - 294, 354A (यह धारा म.प्र. के अमेंडमेंट में गैर जमानती है), 506 और 34, FIR क्र. 96/16 जो की गढ़ थाने में दर्ज है लगाया. वैसे कोर्ट ने चालान पेस करने संबधी नब्बे दिन की मुहलत पुलिस को दी है परन्तु पुलिस यह काम पहले भी कर सकती है. पर पुलिस आरोपियों को फरार बता रही थी. जबकि सभी आरोपी पुलिस के आसपास ही घूम रहे थे और चाय पानी कर रहे थे. एक दिन जब उनमे से एक सह-आरोपी रुक्मणी पटेल पी.एच.ई. विभाग द्वारा (कृपया यहाँ पढ़ें- http://www.newsnationindia.in/580 ) किये जा रहे हैण्डपंप में वाधा पंहुचाने कैथा के देवीजी मंदिर में गया था तो हमारे माध्यम से पुलिस की डायल 100 सेवा में सूचना देकर तथा टी.आई. एवं ए.एस.पी. आदि को सूचित करके बड़े मुस्किल से पकड़वाया गया था. परन्तु पता नहीं कैसे रीवा की किसी कोर्ट ने इस 354A के आरोपी को जमानत दे दी. जबकि यह धारा म.प्र. के अमेंडमेंट में गैर जमानती बताई गयी थी. निर्भया प्रकरण २०१३ में केंद्र सरकार द्वारा किये गए अमेंडमेंट में तो यह धारा जमानती बताई गयी है परन्तु म.प्र. शासन के कार्य क्षेत्र में तो गैर-जमानती है.
इस प्रकार अभी भी दो अन्य आरोपी वर्तमान कैथा सरपंच संत कुमार पटेल और सुग्रीव पटेल निवासी अकलसी फ्री घूम रहे हैं और कैथा पंचायत के आसपास ही हैं. यदि पुलिस चाहे तो कभी भी इन्हें गिरिफ्तार कर कोर्ट में चालान पेस कर सकती है परन्तु पुलिस इन्हें अपने से कभी नहीं पकड़ सकती क्योंकि पूरे अनुभव के साथ कह सकता हूँ की आज की तारिख में पुलिस के ऊपर जब तमाम से दबाब बनाया जाता है, मीडिया का प्रेशर होता है डेली फॉलो-अप होता है और आरोपी का पूरा जब पता बताया जाता है तब बड़े मुस्किल से जाकर पुलिस इन्हें पकड़ती है. ग्रामीण क्षेत्रों में लॉ एंड आर्डर अर्थात कानून और व्यवस्था की कोई व्यवस्था नहीं है और इसकी धज्जियां उड़ाई जा रही हैं और नेतागिरी तो अपने स्थान पर पूरी तरह से हावी है ही. कभी कभी भारत देश में एक चौथे ग्रेड के बाबू अथवा चपरासी के ऊपर कार्यवाही करवाना अर्थात मुख्यमंत्री और मंत्रियों तक के ऊपर कार्यवाही से भारी पड़ता है. बाबुओं की पंहुच इतनी लम्बी होती है.
यह दुर्भाग्य की बात होगी की निर्भया २०१३ नई दिल्ली के प्रकरण के बाद जो भी गाइड लाइन्स महिलायों की सुरक्षा के लिए जारी हुई हैं उनका कड़ाई से पालन विशेष तौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में नहीं हो रहा है. यह प्रकरण राष्ट्रीय महिला आयोग में भी रखा गया था (रसीद संख्या : 2014110119530) जो की खारिज कर दिया गया और कोई कारण स्पष्ट नहीं बताया गया, जो भी बताया गया वह बड़ा ही मजाक लगता है. ऐसे आयोगों का क्या करना जो महिलायों अथवा किसी विशेष समूह की सुरक्षा और न्याय दिलवाने और ग्रिवेंसेस रेड्रेसल के लिए बनाये गए हैं और वही आयोग इन प्रकरणों को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं. पुलिस की कार्य प्रणाली तो वैसे ही पूरे देश में नेताओं और रसूखदारों के हवाले है पर यदि कोर्ट और आयोग भी शिकायतों और मानवाधिकार के उल्लंघन के प्रकरण गंभीरता से न लेंगे तो जनता का विश्वास इस देश की न्याय प्रक्रिया से पूरी तरह से उठ सकता है.
प्रधानमंत्रीजी भारत सरकार के नाम लिखे गए नीचे आवेदन में ऐसे सरपंच को जो की महिला प्रताड़ना का आरोपी है और भ्रस्ट्राचार में लिप्त है को जल्द से जल्द पद से हटाकर कार्यवाही की मांग की गयी है. यह आवेदन जिला कलेक्टर रीवा को भी दिनांक २४/०५/२०१६ को शिकायत क्र. १३६० और १३६१ के माध्यम से दी गयी थी, साथ ही श्रीमान अध्यक्ष महोदय मानवाधिकार आयोग भोपाल, मुख्या सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकाश विभाग मध्य प्रदेश शासन भोपाल में भी रखी गयी थी. आज तक इन सब में क्या कार्यवाही हुई है यह सब प्रश्न चिन्हित है.
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To,
The Prime Minister of India, Date………………
Govt. of India, NewDelhi, India Place: REWA/MP
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Subject: - 1) Regarding immediate removal/termination
of KAITHA Panchayat (Gangev block, REWA) Sarpanch SANT KUMAR PATEL from the
post of Sarpanch due to his criminal record and FIR No. 96/16 against him at PS
GARH under CrPC 154 and under IPC section 294, 354A, 506, and 34.
2) Also action must be taken against CEO JANPAD PANCHAYAT
Gangev Mr. PRADEEP PAUL for NOT taking actions against guilty and also for NOT
giving the right solutions of the CM Helpline complaints and other written
applications submitted in his office.
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Sir/Madam,
Kaitha Panchayat Sarpanch Sant Kumar Patel has Criminal FIR
against Him: -
Please remove/terminate KAITHA
Panchayat Sarpanch SANT KUMAR PATEL from his post of SARPANCH as he has the FIR
lodged against him at the Garh Police Station. The FIR No. 96/16 were lodged
against him with immediate interference of High court of Madhya Pradesh at
Jabalpur bench. This case no. 2308/16 in High court of Jabalpur was lodged by
Mrs. RAJ KUMARI PATEL, an Anganwadi worker in ITEHA village under PS GARH in
REWA district of MP.
At the
present a FIR No. 96/16 in Garh Police station is lodged against three accused
Kaitha Panchayat sarpanch Sant Kumar Patel, Rukmani Patel and Sugriv Patel.
Under CrPC 154 and under IPC 294, 354A, 506, and 34 the case FIR is lodged.
Therefore
having iterated the fact that present KAITHA panchayat Sarpanch Sant Kumar
Patel and his two other accompanied Rukmani Patel and Sugriv Patel has the
criminal character, it is highly unlikely that such a person can represent the
public and thus SANT KUMAR PATEL need to be removed/terminated from his current
Sarpanch post with immediate effect.
There are
also irregularities in Kaitha Panchayat MGNREGA and other panchayati works,
therefore, under section 40 and 92 of the Madhya Pradesh Panchayati Raj Act,
the sarpach must be removed from his post with immediate recovery on the
irregular panchayati work.
Action
must be taken against Janpad Gangev CEO Mr. Pradeep Paul: -
JANPAD Panchayat GANGEV CEO Mr. PRADEEP PAUL is non-cooperative to the general public and
all the corruptions under JANPAD Panchayat Gangev is under his cognizance as
the information of various such corruptions and irregularities is given to him
timely in written as well as through CM Helpline complaints. Also mobile SMS
and call are also sent whenever such situation occurs. However, Mr. Pradeep
Paul many times does NOT receive the mobile calls and also never took any
resulting actions to those of many such complaints and information. Mr. Pradeep
Paul, the CEO of Janpad panchayat Gangev in REWA could never be found in his
chair in his office. Most of the time he is away from the office and public is
suffering highly to get the sign/signature even in important documents and to tell other problems of the panchayat
related matter.
ATTACHMENT: - The copies of the two complaints/applications No.
1360 and 1361 given at the office of collector REWA dated 24/05/2016.
Sincerely
SHIVANAND DWIVEDI
(Social, Scientific, and RTI
activist)
Village KAITHA, Post AMILIYA,
Police Station GARH, Tehsil MANGAWAN,
District REWA, Madhya Pradesh. PIN –
486117
Mob. +917869992139
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