दिनांक 03 अक्टूबर 2018, स्थान - गढ़/गंगेव, रीवा मप्र
(कैथा से, शिवानन्द द्विवेदी)
कृत्रिम जलसंकट उत्पन्न होना मानवाधिकार हनन की समस्या है. क्या पीएचई विभाग और पंचायत विभाग की जिम्मेदारी नही है की ग्रामीण क्षेत्रों के गरीब तबके के लिए पानी की उपलब्धता बनाएं? क्या आज जितने भी नलकूप उत्खनन के कार्य विधायक एवं सांसद निधि आदि से हो रहे हैं उनमे से कोई भी सही और उपयुक्त स्थान पर कराए जा रहे हैं? आज किसी भी ग्राम में जाया जाय तो पाया जाएगा की रसूखदारों, नेताओं के चमचों के घर आंगन में बोरवेल हैं और उनमे उनके निजी मोटर पंप तो पड़े हुए हैं लेकिन जिन गरीबों को वास्तव में इन नलकूपों की आवश्यकता है उनके लिए आज 21 वीं सदी में भी पिछली 18 वीं सदी जैसी ही समस्या बनी हुई है. इन गरीबों की समस्या को देखने सुनने वाला कोई भी नही है. कागजों पर तो दुनियाभर की योजनाएं संचालित हो रही हैं लेकिन वास्तविक धरातल पर कहीं कोई रता पता नही है.
मानवाधिकार आयोग के समक्ष पहुचा जलसंकट का मामला
बता दें की जब निचले एवं जिलास्तर से जलसंकट की भीषण स्थिति का कोई सार्थक समाधान निकलता नही दिखा तब सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता शिवानन्द द्विवेदी द्वारा मामले को तत्काल अध्यक्ष मप्र राज्य मानवाधिकार आयोग भोपाल के समक्ष रख दिया गया जिंसमे कॉपी सीएम, सीएस, अन्य पीएचई विभाग एवं ज़िला रीवा कलेक्टर एवं कमिश्नर को भी भेजी गई. इसी बात पर तत्काल संज्ञान भी हुआ और पिछले दिनों 1 अक्टूबर 2018 को पीएचई विभाग द्वारा जानकारी चाही गई की कहां कहां नलकूप नही हैं और कहां इनकी आवश्यकता है. इस पर समस्त जानकारी सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा संबंधितों को उपलब्ध कराई गई.
गांधी जयंती 2 अक्टूबर को पीएचई विभाग का बना मुहूर्त, हुआ सर्वे
इस प्रकार समस्त जानकारी उपलब्ध कराए जाने के बाद पीएचई विभाग के गंगेव उपयंत्री अखिलेश उइके, हुज़ूर तहसील के अनुविभागीय अधिकारी पीएचई एसके श्रीवास्तव, सिरमौर पीएचई डिवीज़न के अनुविभागीय अधिकारी श्री काम्बले, कैथा क्षेत्र के नलकूप मिस्त्री अश्वनी पटेल सहित अन्य जांच सर्वे टीम क्रमशः गंगेव ब्लॉक अन्तर्गत आने वाले हिनौती, कैथा, एवं सेदहा पंचायत के नेवरिया, भमरिया, नेवरिया, कैथा, एवं बड़ोखर ग्राम में हरिजन आदिवाशियों की बस्ती में उपस्थित हुए और सर्वे किया. जो जानकारी पेपर पत्रिकाओं के मॉध्यम से उपलब्ध कराई गई थी और आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गई थी वह सब मौके पर सत्य पायी गई.
कैथा पंचायत अन्तर्गत आने वाली शासकीय प्राथमिक पाठशाला के सामने एकमात्र नलकूप का पानी भी पीने योग्य नही था जिसके सैंपल लेकर लेबोरेटरी जांच के लिए भेजा गया है. इसी प्रकार प्राचीन देवी मंदिर कैथा के पास आवाद लगभग 50 की आवादी के लोगों के लिए भी पानी की समस्या थी जिसका की सर्वे करके तत्काल निराकरण किये जाने के आश्वासन अधिकारियों द्वारा उपस्थित जनसामान्य को दिए गए.
यहाँ यहाँ हुआ सर्वे, अब लगेंगे नए नलकूप
गंगेव ब्लॉक के जिन ग्राम पंचायतों एवं ग्रामों में पीएचई विभाग के उच्चधिकारियों द्वारा सर्वे कार्य किया गया और नए नलकूप उत्खनन के प्रपोजल सरकार को भेजे गए उनमे से सेदहा पंचायत के नेवरिया ग्राम में लगभग 50 की आवादी वाले हरिजनों के लिए एक नलकूप, सेदहा/हिनौती पंचायत बॉर्डर से लगे लगभग 100 की आवादी वाले हरिजन आदिवाशियों की भमरिया बस्ती के लिए एक नलकूप, हिनौती पंचायत के बड़ोखर ग्राम की हरिजन बस्ती की लगभग 250 से अधिक की आवादी वाली बस्ती के लिए, जहाँ के नलकूप खराब थे उनके लिए एक नया नलकूप, कैथा पंचायत में शासकीय प्राथमिक पाठशाला के सामने पुराने नलकूप के कार्य न करने के कारण एक अन्य नलकूप, एवं कैथा पंचायत में ही प्राचीन देवी मंदिर प्राँगण के पास निवासरत लगभग 50 की आवादी वाले शुक्ला-पटेल-हरिजन परिवार एवं साथ ही धार्मिक आस्था के केंद्र देवी मंदिर में जल चढ़ाने के लिए भी एक नलकूप के उत्खनन का सर्वे किया गया एवं उपस्थित हुज़ूर एवं सिरमौर एसडीओ, गंगेव उपयंत्री द्वारा बताया गया की प्रस्ताव बनाकर कार्ययोजना में सम्मिलित कराया जाएगा जिससे जल्द से जल्द पानी सम्बन्धी मानवाधिकार की समस्या का समाधान हो सके और आम जनता जल संकट से निजात पा सके.
संलग्न - कृपया संलग्न तस्वीरों में देखने का कष्ट करें, सर्वे एवं जांच के दौरान उपस्थित एसडीओ, उपयंत्री, नलकूप मैकेनिक आदि की टीम एवं जानकारी प्रदान करते आमजनमानस और पीड़ित लोग.
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शिवानन्द द्विवेदी, सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता,
ज़िला रीवा, मप्र, मोबाइल 9589152587, 7869992139
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