दिनांक 16 जनवरी 2020, स्थान - रीवा/भोपाल मप्र
सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 अब तक का सबसे सशक्त माध्यम रहा है जिसमे आम से आम नागरिक को वह सभी सरकारी अथवा चिन्हित जानकारी मिल सकती है जो इसके पहले खास लोगों अथवा सरकार या अधिकारियों तक ही सीमित रहती थी.
लेकिन क्या यह आपको पता है की काफी कुछ जानकारियां आज जो आप इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी के दौर पर वेबसाइटों और नेट के माध्यम से देख लेते हैं और जनसामान्य की एक क्लिक की पहुंच पर उपलब्ध है वह आपको कैसे इतनी आसानी से मिलती है? जी हां यदि नही जानते तो आपको बताते चलें की सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 4 और उसकी विभिन उपधाराओं के तहत स्वतः ही लोक प्राधिकारियों की यह बाध्यताएं होती हैं की वह जनहित की समस्त जानकारियां सार्वजनिक करें और समय समय पर उसे अद्यतन करते रहें जो गुप्त बात अधिनियंम के अन्तर्गत न आती हो.
आर टी आई की धारा 4 - लोक प्राधिकारियों की बाध्यताएं
सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 4 एवं इसकी विभिन्न उपधाराओं 4(1), 4(2),4(3),4(4) एवं 4(1)(क), 4(1)(ख), 4(1)(ग), 4(1)(घ) एवं 4(1)(ख) की उपधाराओं की उपधाराओं (i) से (xvii) तक में जनहित से संबंधित सूचना साझा करने विषयक प्रत्येक लोक प्राधिकारी का अनिवार्य दायित्व बताया गया है जिसके तहत धारा 4(2) में प्रत्येक लोक प्राधिकारी का निरंतर यह प्रयाश रहेगा की वह उपधारा 4(1) के खंड (ख) की अपेक्षाओं के अनुसार स्वप्रेरणा से जनता को नियमित अंतरालों पर संसूचना के विभिन्न साधनो के माध्यम से जिनके अन्तर्गत इंटरनेट भी है इतनी अधिक सूचना उपलब्ध कराने के लिए उपाय करे जिससे की जनता को सूचना प्राप्त करने के लिए इस अधिनियम का कम से कम उपयोग करना पड़े. इसी प्रकार धारा 4 की उपधारा 4(3) कहती है की उपधारा 4(1) के प्रयोजन के लिए प्रत्येक सूचना को विस्तृत रूप से और ऐसे प्रारूप और रीति में प्रसारित किया जाएगा जो जनता के लिए सहज रूप से पहुंच योग्य हो. ऐसे ही उपधारा 4(1) के (ख) में कहा गया की इस आर टी आई अधिनियम के अधिनियमन के 120 दिन के भीतर उपधाराओं 4(1)(ख) की उपधाराओं (i) से (xvii) तक समस्त चिन्हित सूचना को प्रकाशित करेगा एवं इस सूचना को अद्यतन करेगा.
अतः देखा जा सकता है की आर टी आई अधिनियम वास्तव में इतना शसक्त है की इसमे लगभग वह समस्त जानकारी मिल जाती है जो गुप्त बात अधिनियम के अन्तर्गत न आती हो और वह भी काफी सहज और सुलभ प्रारूप में लोक प्राधिकारियों को उपलब्ध कराए जाने की बात कही गयी है.
वास्तव में धारा 4 और उसकी उपधाराओं के तहत ज्यादातर जानकारी सार्वजनिक करने की बात आती है.
शिवानन्द द्विवेदी बनाम मप्र शासन - कराधान मामला
अब आते हैं उस मामले में जिसने मप्र में वर्तमान में काफी हलचल मचा रखी है. यह मामला है करारोपण और कराधान का. गंगेव ब्लॉक रीवा से प्रारम्भ होकर पूरे मप्र की 1148 पंचायतों में लगभग 300 करोड़ रुपये से अधिक के इस घोटाले में काफी परतें खुलती नजर आ रही हैं.
आइए नजर डालते हैं मप्र राज्य सूचना आयुक्त के दिनांक 23 दिसंबर 2019 की एक सुनवाई के मामले पर जिसमे कई लोक सूचना अधिकारियों की पेशी हुईं वहीं कुछ को जुर्माना भी लग चुका है.
राज्य सूचना आयुक्त श्री राहुल सिंह ने लगाया जुर्माना जारी किया एससीएन
मप्र राज्य सूचना आयुक्त श्री राहुल सिंह ने एक शिकायत नंबर सी-0820/आईसी-7/रीवा/2019 के निराकरण में शिवानन्द द्विवेदी बनाम लोक सूचना अधिकारी कलेक्टर रीवा, लोक सूचना अधिकारी सीईओ जिला पंचायत रीवा एवं लोक सूचना अधिकारी जनपद रीवा के केस में जहां पीआईओ गंगेव बालेन्द्र पांडेय को 5 हज़ार रुपये का जुर्माना लगाया वहीं तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी कलेक्टर रीवा श्रीमती माला त्रिपाठी, तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी सीईओ जिला पंचायत रीवा राजेश शुक्ला को कारण बताओ नोटिस जारी किया है.
सूचना आयुक्त श्री राहुल सिंह ने लिखा पंचायत एसीएस मनोज श्रीवास्तव को
एक्टिविस्ट शिवानन्द द्विवेदी द्वारा उठाये गए प्रकरण जिसमे मप्र की 1148 पंचायतों की कराधान घोटाले की जांच की माग की गयी थी इस परिपेक्ष में सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने कहा की अपीलकर्ता द्वारा इस प्रकरण में मध्यप्रदेश स्तर पर समस्त पंचायतों में कराधान घोटाले की जांच की माग की गयी है. इस प्रकरण में कार्यवाई के लिए राज्य सूचना आयोग उपयुक्त फोरम नही है. सूचना आयुक्त द्वारा आगे कहा गया कि अपीलकर्ता उपयुक्त फोरम पर संपर्क करके भ्रष्टाचार के इस प्रकरण में कार्यवाई की माग कर सकते हैं जिसके बाबत सूचना आयुक्त ने पत्र को अग्रिम कार्यवाही की अनुसंशा के साथ पंचायत एवं ग्रामीण विकाश विभाग बल्लभ भवन मंत्रालय में एडिशनल चीफ सेक्रेटरी मनोज श्रीवास्तव को कार्यवाही के लिए लिखा है.
कराधान घोटाला में धारा 4 के तहत जानकारी करो सार्वजनिक
इसी बीच पंचायत दर्पण एवं पंचायत विभाग की वेबसाइट में सूचना सार्वजनिक किये जाने की एक्टिविस्ट की माग को लेकर अपने कार्यक्षेत्र के अदेश में सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 4 की शक्तियों का प्रयोग करते हुए पंचायत विभाग को आरटीआई की धारा 4(1)(ख)(11) एवं 4(1)(ख)(14), 4(2), 4(4) के तहत कराधान एवं स्वकरारोपण की जानकारी सार्वजनिक करने के लिए आदेशित किया है जिसके विषय में पंचायत विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी मनोज श्रीवास्तव को निर्देशित किया है एवं साथ ही संचालक पंचायतराज संचालनालय अरेरा हिल्स भोपाल की निदेशिका श्रीमती उर्मिला शुक्ला को भी पत्र की प्रतियां फारवर्ड किया गया है.
इस प्रकार देखा जा सकता है की आरिटीआई आज आम जनता का सबसे शसक्त लोकतांत्रिक हथियार है जिसके तहत काफी महत्वपूर्ण जानकारी जनमानस तक आसानी से पहुचकर समस्त सरकारी कार्यों में पारदर्शिता लाई जा सकती है. आज आवश्यकता है इसके प्रति जागरूक रहने और इसके सही उपयोग की.
संलग्न - कृपया संलग्न राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह का कराधान घोटाले के आदेश पीडीएफ फ़ाइल की प्रति देखने का कष्ट करें।
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शिवानन्द द्विवेदी
सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता
जिला रीवा मप्र, मोबाइल 9589152587
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सार्वजनिक जनहित में काम
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