दिनांक 02 जनवरी 2019, स्थान - रीवा मप्र
मप्र में भारतीय डाक की स्थिति काफी चिंताजनक बनी हुई है. जहाँ एक तरफ सरकार डाक विभाग को जनता के लिए बैंकिंग मोर्चों और एटीएम आदि मामलों सहित आधार कार्ड बनवाने, पासपोर्ट की सुविधा देने आदि के लिए खोलना चाहती है वहीं डाक विभाग सरकार की अपेक्षाओं और नियमों की धज्जियां उड़ा रहा है. जानिए पूरा मामला इस तरह.
मप्र में डाक विभाग की कार्यप्रणाली ठप्प
मप्र में डाक विभाग प्रश्न के दायरे में आ चुका है. यहां आम जनता की मामूली सी अपेक्षाएं जो की अपेक्षा तो कम कही जा सकती हैं जनता के अधिकार ज्यादा वह तक आज डाक विभाग पूरा करने में अक्षम साबित हो रहा है. यदि आम नागरिक को एक रजिस्ट्री अथवा स्पीड पोस्ट करना है तो उसे पता नही कहां जाना पड़ेगा यह उसे भी नही पता रहता. बांकी की अन्य सेवाएं जैसे की पासपोर्ट सुविधा, आधार रजिस्ट्रेशन, पैसे के लेनदेन तो दूर की बातें हैं.
क्या समस्याएं हैं डाक विभाग की
बता दें की डाक विभाग की मुख्य समस्या इनकी जनता के प्रति जबाबदेही का न होना है जो ज्यादातर सरकारी विभागों में होता है. आज सरकारी कर्मचारी नौकरी पाकर पूरी तरह से स्वतंत्र हो जाते हैं की हमे तनख्वाह तो मिलनी ही है चाहे जनता का काम हो की न हो.
डाक विभाग में रीवा का पुख्ता उदाहरण लेते हैं तो पाएंगे की यहां शायद ही कोई ऐसा एसओ हो जहां आप रजिस्ट्री करके कंप्यूटराइज्ड रसीद प्राप्त कर सकते हों. ज्यादातर डाक एसओ में आपको कंप्यूटर इंटरनेट ठप मिलेंगे और बिजली गुल मिलेगी. कारण पूंछेगे तो पता चलेगा की यह आम समस्या है जिसका की कोई सार्थक समाधान नही है.
अब सवाल यह उठता है की यदि प्रिंटर और नेटवर्क कार्य नही करेगा तो भला रेजिस्ट्री और स्पीड पोस्ट कैसे हो पाएगी.
रीवा जीपीओ में एक किलोमीटर लंबी कतार
अब बात कर लेते हैं रीवा जीपीओ की. शायद ही इन छोटी दिखने वाली समस्या पर किसी का ध्यान जाता हो जबकि हममें से अधिकतर लोग आये दिन इन समस्याओं से दो चार होते रहते हैं. लेकिन मजाल क्या है की आम जनता अथवा खास लोग इसके विरुद्ध कुछ बोल दें. ऐसा लगता है जैसे जलील होकर लाइन में लगकर ठोकर खाकर जीने की हम सबकी आदत सी हो गई है जिसे हम सबने अंदर ही अंदर स्वीकार कर लिया है.
आईपीओ लेने के लिए 2 घंटे का इंतजार
यदि आपको रीवा हेड पोस्ट आफिस से आरटीआई अथवा किसी अन्य उपयोग के लिए इंडियन पोस्टल आर्डर की जरूरत महसूस होती है तो आपको 2 घंटे से अधिक का इंतजार करना पड़ सकता है. कारण यह नही है की डाक विभाग को आईपीओ सतना से मंगवाना पड़ेगा बल्कि कारण यह है की डाक विभाग को इससे कोई फर्क नही पड़ता की आप कौन हैं आपको क्या चाहिए. उन्हें सिर्फ इस बात से मतलब है की वह आफिस में बैठकर मजे कर रहे हैं और आप परेशान हो रहे हैं. जीपीओ के 8 में से मात्र एक काउंटर कार्य करता है जहां आप चाहें तो आईपीओ खरीदें, लेटर पोस्ट करें, रजिस्ट्री करें, स्पीड पोस्ट करें अथवा अन्य कोई बैंकिंग का कार्य करें सब आपको उंसि एक काउंटर पर ही करना है. यह स्थिति है रीवा जीपीओ की. तो फिर सोचिए की आम एसओ की क्या स्थिति होगी जहां न तो सही तरीके से इंटरनेट कार्य करता न ही बिजली अथवा अथवा कंप्यूटर प्रिंटर.
कटरा एसओ सहित कहीं भी कुछ भी ठीक नही
अब बात कर लेते हैं एक उपडाकघर अर्थात एसओ की. जी हाँ आप कोई भी एक उपडाकघर ले सकते हैं लेकिन हम यहां बात कर रहे हैं कटरा उपडाकघर की जहां पर आप स्पीड पोस्ट रजिस्ट्री अथवा अन्य कंप्यूटर इंटरनेट रिलेटेड कार्य कर सकते हैं. लेकिन यहाँ पर कार्यरत एसपीएम वंशगोपाल का कहना है की कटरा एसओ में न तो बिजली ठीक रहती, न बैटरी बैकअप है न इंटरनेट है न ही प्रिंटर कार्य करता है. वंशगोपाल ने बताया की यद्यपि इसकी शिकायत कई मर्तबा विभागीय उच्चाधिकारियों को की जा चुकी है लेकिन इससे किसी को कोई फर्क नही पड़ता हमे जनता की भी सुननी पड़ती है और विभाग के उच्चाधिकारियों की भी. बताया की वह कुछ कर पाने में अक्षम हैं.
क्या होगा भारतीय डाक का
अब सवाल यह है आज वर्ष 2020 लग चुका है और जब हर जगह डिजिटल हो गया है और रोज इसी डिजिटलीकरण की बात की जा रही है तो फिर भारतीय डाक विभाग किस दिशा और दशा की तरफ अग्रसर है? क्या भारतीय डाक भी बीएसएनएल, इंडियन एयरवेज, इंडियन रेलवेज की तरह ही तो नही हो चुका है जिसके कर्मचारियों अधिकारियों को यह बताना पड़ेगा की जनता की सेवा के लिए बैठे हैं और यदि सेवा नही दे सकते तो इनका भी क्यों न जल्दी से जल्दी निजीकरण कर दिया जाय.
ट्विटर पर संदेश का यह रहता है जबाब
यद्यपि भारतीय डाक विभाग की घटिया कार्यप्रणाली की बात बार बार सामाजिक कार्यकर्ता शिवानन्द द्विवेदी द्वारा ट्विटर और अन्य माध्यमों से इंडिया पोस्ट की पब्लिक ग्रेविन्सेस रिड्रेसल सेल को भेजी गई है जिसका समय समय पर जबाब भी दिया गया है लेकिन वह मात्र जबाब तक ही सीमित रहता है क्योंकि उनके जबाब में जो बताया जा रहा है उसका समाधान किया नही जा रहा है. यहाँ रीवा से लोकल अधिकारी जो झूँठी भ्रामक जानकारी ऊपर दे देते हैं वही हमे बता दी जाती है. जैसे रीवा और कटरा के विषय में देखें कुछ संलग्न ट्विटर के भी संदेश जिसमे विभाग कैसे कैसे निराकरण देकर स्वयं अपने आप को भी संतुष्ट नही कर पॉय रहा है.
संलग्न - संलग्न कुछ तस्वीरों में देखने का कष्ट करें जीपीओ रीवा और कटरा एसओ की फ़ोटो एवं साथ ही आप देखें ट्विटर पर रीवा जीपीओ के विषय में क्या कुछ निराकरण इंडिया पोस्ट द्वारा भेजा गया है.
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शिवानन्द द्विवेदी
सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता
जिला रीवा मप्र, मोबाइल 9589152587
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