Thursday, December 6, 2018

चचाई कालापानी में नौ गायों का फिर हुआ इलाज, पहुचाया चारा-भूषा (मामला ज़िले के अब तक के सबसे भीषण गो प्रताड़ना के किस्से का जिंसमे डेढ़ सौ से अधिक गोवंशों के रेस्क्यू के बाद अभी भी हजारों फीट गहरी घाटी में फंसी है गायें)

दिनाँक 06 दिसंबर 2018, स्थान - चचाई जलप्रपात रीवा मप्र

(शिवानन्द द्विवेदी, रीवा मप्र)

    ज़िले के चचाई जलप्रपात की हजारों फीट गहरी घाटी में हुए अब तक से सबसे भीषण गोहत्या और गोप्रताड़ना के बारदात में अब तक लगभग डेढ़ सैकड़ा गायों को घाट के ऊपर निकाला गया है. अभी भी कई सैकड़ा गोवंशों के घाटी में फंसे होने की सूचना है लेकिन घाटी इतनी गहरी और विस्तृत है की वहां तक पहुच पाना असंभव सा प्रतीत होता है. यह काम रेस्क्यू आपरेशन में ट्रेनिंग प्राप्त प्रोफेशनल के सहयोग एवं जंगली इलाकों में रहने वाले लोगों के सहयोग से ही पूरी तरह संभव है.

 दिनाँक 06 दिसंबर को वेटेरिनरी कर्मचारियों ने किया इलाज, फंसी गायों के लिए पहुचा भूषा

    दिनाँक 06 दिसंबर को एक बार फिर सामाजिक कार्यकर्ता एवं एनिमल राइट्स एक्टिविस्ट शिवानन्द द्विवेदी के डायरेक्शन में चचाई की गहरी घाटियों में फंसे गोवंशों के लिए भूषा पहुचाया गया साथ ही वेटेरिनरी विभाग सिरमौर के प्रशिक्षु सहायक पशु चिकित्सा क्षेत्राधिकारी रमेश सिंह, प्रतिबंधक संत कुमार साकेत एवं राष्ट्रीय किसान संगठन के मप्र मंत्री वंश गोपाल सिंह, कठमना निवासी विजय सिंह के सहयोग से हजारों फीट की चचाई जलप्रपात की गहरी घाटी में पहुचा गया जहां पर प्रारंभिक स्थल पर मात्र 10 गोवंश ही मिले. उम्मीद की गई की यह वही गोवंश थे जो रेस्क्यू के दौरान उसी स्थान पर छूट गए थे. साथ ही इनमे से वह गाय भी सम्मिलित थी जिसके पैर में चोट की वजह से कीड़े पड़ गए थे. पशु चिकित्सक के रूप में गए रमेश सिंह एवं संत कुमार साकेत ने गोवंशों का स्वास्थ्य चेक किया और आवश्यकतानुसार कमजोर गोवंशों को क्रमसः 9 एंटीबायोटिक, 9 मल्टी विटामिन इंजेक्शन लगाया. साथ ही 3 गायों को दर्द बुखार के इंजेक्शन लगाए, घाव वाली गाय के घाव को धोकर एकबार फिर मलहम पट्टी की गई. इनमे से एक बैल था जो स्वस्थ्य था जिसको कोई उपचार नही किया गया. 

   बांस के पत्ते तोड़कर खिलाये और भूसा डाला

  इस बीच ऊपर चचाई रेस्ट हाउस के पास स्टोर किया गया एक बोरी भूषा ले जाया गया और सभी गोवंशों को थोड़ा थोड़ा दिया गया साथ ही वहां पर बांस के पत्ते भी तोड़कर खिलाये गए जिससे पशुओं के स्वास्थ में सुधार हो सके और उन्हें भी किसी प्रकार से चढ़ाकर घाट के ऊपर तक लाया जा सके.

   गहरी घाटी में पहुचना था काफी मुश्किल

   इस बीच दिनाँक 06 दिसंबर को शाम 5 बजने को थे और चचाई एवं पुरवा की गहरी और लगभग 20 किमी के विस्तार में फैली घाटी में पहुच पाना काफी मुश्किल था. पूरी घाटी में घुसने के लिए शुबह सूर्योदय से ही प्रवेश करते हुए दिन भर का समय देना पड़ेगा तभी जाकर कुछ सार्थक कार्य किया जा सकेगा.

   सबसे बड़ी चुनौती रेस्क्यू किये गए पशुओं का रिहैबिलिटेशन

     आज रीवा ज़िले में पशुओं के रखने के लिए कोई समुचित गोशाला नही है जहां इन्हें रखा जा सके. सबसे बड़ी चुनौती आज यह है की कैसे अधिक से अधिक गोशालाओं की व्यवस्था की जाए और कैसे इन गोवंशों का पुनर्वाश और पोषण किया जा सके. ज्ञातव्य है की रीवा में लक्ष्मण बाग गोशाला पहले से ही भस्ट्राचार की बलि चढ़ चुकी है जहां पर गोवंशों का पूरा खाना पशुओं को न दिया जाकर गोशाला प्रबंधन समिति के लोग खाये जा रहे हैं और गोवंश भूंखों मर रहे हैं.

  बसामन मामा गोवंश वन्य विहार केंद्र में भी अनियमिता

    अभी अभी खोली गई बसामन मामा गोवंश वन्य विहार केंद्र में भी अनियमितता देखने को मिल रही है. जब चचाई घाट से रेस्क्यू किये गए मवेशियों को बसामन मामा गोवंश वन्य विहार केंद्र में डालने की बात आई तो वहां का प्रबंधन संभाल रहे अरुण गौतम का कहना था की मीडिया में बात मत रखिये तो जितने चाहिए उतने लाकर डाल दीजिए. कुछ चचाई के लोगों द्वारा बताया गया की प्रति मवेशी 500 रुपये फिक्स किया हुआ है जो पैसा देता है उसके मवेशी डाल लेता है और जो नही देता उसे वापस कर देता है.

   300 की क्षमता पर कैसे पहुच गए ढाई हजार?

   सबसे बड़ी बात यह है जब मंत्री के पिए राजेश पांडेय से बात की गई तो उसका कहना था की हमारे पास बसामन मामा में जगह नही बची है और हमारी क्षमता मात्र 300 की है तब सवाल यह उठता है की गोवंशों की संख्या वन्य विहार केंद्र में ढाई हजार कैसे पहुच गई? निश्चित तौर पर जिस प्रकार लक्षमण बाग में इनकी दलाली और गोवंशों के नाम पर भ्रष्टाचार चल रहा था ठीक वही इन्होंने बसामन मामा गोवंश वन्य विहार केंद्र में भी प्रारम्भ कर दिया है. 

  घायल रेस्क्यू किये गए गोवंशों तक के लिए मना कर दिया 

    जब चचाई से रेस्क्यू किये गए गोवंशों को बसामन मामा में रखने की बात अरुण गौतम और मंत्री के पीए राजेश पांडेय के समक्ष रखी गई तो इनके लिए जगह नही थी लेकिन ढाई हजार के लिए जगह कहां से निकल आई? 500 रुपये प्रति मवेशी लेकर घुसेड़ने का धंधा इनका काफी पुराना है जो लक्षमण बाग में भी चलता था.

  संलग्न - दिनाँक 06 दिसंबर 2018 को चचाई घाट के नीचे जाकर गोवंशों का इलाज किया गया एवं साथ ही उनके लिए भूसे चारे की भी व्यवस्था की गई. घाटी के नीचे पहुचे कार्यकर्ता की तस्वीर.

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शिवानन्द द्विवेदी

सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता

ज़िला रीवा मप्र, 9589152587, 78699992139

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