Monday, December 10, 2018

MP - गोवंशों को चचाई जलप्रपात से बचाने मानवता की पेश की मिशाल - हिंदुओ ने मौत के घाट धकेला तो मुस्लिमों ने जीवित बचाया

दिनांक 10 दिसंबर 2018, स्थान - चचाई जलप्रपात, रीवा मप्र

(शिवानन्द द्विवेदी, रीवा मप्र) 

    संभाग के अब तक के सबसे भीषण पशु क्रूरता के मामले में चचाई जलप्रपात की हजारों फीट गहरी घाटियों के नीचे धकेले गए सैकड़ों गोवंशों को अभी भी रेस्क्यू किये जाने का कार्य चल रहा है और अभी भी सैकड़ों गोवंशों का 20 किमी की हजारों फीट गहरी घाटी में फंसे होने की संभावना बनी हुई है. यद्यपि ध्यान फाउंडेशन ने तो पूरे मामले में पूरा सहयोग दिया लेकिन आइए इस बीच पिछले दो सप्ताह से अधिक के रेस्क्यू आपरेशन में कुछ मानवीय पहलुओं पर चर्चा करते हैं जहां भारतीय संस्कृति की माता गोमाता को बचाने के लिए मात्र हिन्दू ही नही बल्कि मुस्लिमों ने भी कोई कोर कसर नही छोड़ी.  

 संकल्प फाउंडेशन - द एनिमल रेस्क्यू टीम का सराहनीय कार्य

    रीवा ज़िले में कार्य करने वाले एवं श्रीमती नजमा बेगम के द्वारा आधारित संकल्प फाउंडेशन के सदस्यों द्वारा चचाई की हजारों फीट गहरी घाटियों से गोवंशों को जीवित सुरक्षित निकालने में अतुलनीय योगदान रहा है. श्रीमती मेनका गांधी की एनजीओ संस्था पीपल फ़ॉर एनिमल की मप्र टीम द्वारा एक रीवा जिले का भी व्हाट्सएप्प ग्रुप बनाया हुआ है जिंसमे इस प्रकार पशुओं से प्रेम रखने वाले और उनके रेस्क्यू के लिए कार्य करने वाले युवाओं को जोड़कर रखा हुआ है. उसी ग्रुप में प्रियांशु जैन, रूपा द्विवेदी, विनय श्रीवास्तव, असद उल्लाह उर्फ आरिफ आदि कई सदस्य जुड़े हुए हैं. जब भी मवेशियों और पशुओं के पीड़ा और कष्ट में होने की कोई सूचना आती है तो यह सभी सदस्य अपने स्तर से एक दूसरे को सूचित करते हुए उन्हें रेस्क्यू किये जाने के प्रयास करते हैं.

मोहम्मद असद उल्लाह उर्फ आरिफ की टीम का महत्वपूर्ण योगदान

   इस बीच जब पिछले सप्ताह चचाई की हजारों फीट गहरी घाटियों में हजारों गोवंशों को घाट के नीचे जबरन धकेल दिए जाने की खबर अखबारों और सोशल मीडिया में आई तो सामाजिक कार्यकर्ता शिवानन्द द्विवेदी की अगुआई में सभी टीम मेंम्बर को सूचना दी गई जिस पर संकल्प फाउंडेशन के आरिफ ने अपने टीम के सदस्यों समीर अंसारी, पारस सोंधिया, फैजल खान, विक्की शर्मा, जीशान राईन, सूर्य रॉय एवं मोहम्मद असद उल्लाह ने अगले दिन मोर्चा संभाला और न केवल रीवा से बाइकिंग करते हुए पूरे टीम मेंबर के साथ उपस्थित हुए बल्कि आवश्यकता अनुरूप घायल और बीमार गोवंशों के लिए दवाईयां भी खरीद कर लाये.

  लड़कों ने हजारों फीट गहरे चचाई घाट के नीचे उतरकर गाय को पानी से निकाला

    दिनाँक 30 नवंबर का दिन था जब संकल्प फाउंडेशन के यह सभी सदस्य दोपहर तक चचाई घाट के नीचे उतर चुके थे जहां इन्हें प्रपात के पानी में गिरी हुई एक गाय मिली जिसे सभी ने मिलकर बाहर निकाला और वहीं जंगल से खर पतवार निकालकर आग लगाकर गाय को ऊष्मा दिया. इतने में ध्यान फाउंडेशन नई दिल्ली से आये गोशेवक विनोद सिंह उपस्थित हुए जो पहले से सामाजिक कार्यकर्ता और अन्य साथियों के साथ चचाई घाट के नीचे थे, इस प्रकार विनोद सिंह ने गाय को एंटीबायोटिक, दर्द बुखार के इंजेक्शन और साथ में डी-टेन का बॉटल चढ़ाया. चूंकि गाय उठ पाने और चल पाने में पूरी तरह से असमर्थ थी अतः उसका जीवन मुश्किल समझ आया. 

 मोहम्मद असद उल्लाह की टीम ने पूरा दिन रेस्क्यू में किया सहयोग

   इस बीच दिनाँक 30 नवंबर को चचाई घाट की हजारों फीट गहरी घाटी में चले सबसे महत्वपूर्ण रेस्क्यू आपरेशन में मोहम्मद असद उल्लाह और उनके संकल्प फाउंडेशन के साथियों द्वारा अभूतपूर्व योगदान देते हुए पूरे दिन भर रेस्क्यू आपरेशन में सहयोग प्रदान किया. जहां मरैला, कुइयां-मटीमा और अन्य आसपास के आये ग्रामवाशियों और वन विभाग के कर्मचारी मात्र तमाशबीन बने रहे वहीं लगभग 130 गोवंशों को हजारों फीट गहरी चचाई की घाटी से बाहर निकालने में मोहम्मद असद उल्लाह की टीम ने एड़ी चोटी की ताकत लगा दी और तब तक शांत नही हुए जब तक 130 गोवंश सुरक्षित घाट के ऊपर निकाल नही दिए गए.

   दया और मानवता का नही कोई जाति-धर्म 

   इस प्रकार इन दो सप्ताह अर्थात 15 दिन के लगभग किये गए रेस्क्यू आपरेशन के कई मानवीय पहलू सामने आये हैं जिनसे जाति, धर्म और आस्था के आधार पर यह बिल्कुल नही कहा जा सकता मानवीयता और दया धर्म अथवा जाति देखकर आती है.

   देखा जाय तो जिस चचाई और पुरवा जलप्रपात क्षेत्र में पशुओं और विशेषतौर पर गोवंशों के साथ क्रूरता बढ़ी है वह कोई अन्य धर्म सम्प्रदाय का क्षेत्र नही है बल्कि उच्चवर्गीय हिन्दू बाहुल्य क्षेत्र है जिंसमे उच्चवर्गीय हिंदुओं के सहयोग से ऐसी भीषण पशु क्रूरता और विशेषतौर पर गोवंशों के साथ प्रताड़ना और हत्या हुई है. तो क्या यह कहा जाय की आज हिंदुओं का वह समूह जो गोवंशों और गोमाता को पूजता था आज स्वयं ही पथभ्रष्ट्र हो कर अपने धर्म और कर्तव्य को भूल चुका है? क्या यह माना जाए की इन तथाकथित उच्चवर्गीय हिंदुओं से श्रेष्ठ तो हमारे वह मुस्लिम भाई हैं जिनके ऊपर गोहत्या के आरोप लगते रहे हैं? मानाकि की हर धर्म में हर व्यक्ति एक जैसा नही होता उसमे अच्छे और बुरे दोनों तरह के लोग होते हैं. अतः यह बिल्कुल कहना उचित नही की मानवीयता और दया कोई धर्म और जाति देखकर आती है. यदि ऐसा होता तो चचाई और रीवा में होने वाले ज्यादातर गोवंशों के साथ क्रूरता के मामलों में हिन्दू सम्मिलित नही होते क्योंकि धर्म से तो गोमाता और गोवंश हिंदुओ के पूज्य हैं और गाय में तो 84 करोड़ देवी देवताओं का निवास माना गया है.

   समय था जब 1857 की क्रांति का आधार ही गोमाता थीं 

  इस प्रकार यदि इतिहास को उठाकर देखा जाए तो लगता नही की यह वही भारत देश है जिंसमे 1857 का स्वतंत्रता संग्राम मात्र गाय और सुअर की चर्बी लगी कारतूस के कारण हुआ था. तो फिर ऐसे में भारत जैसे देश के इतिहास और वर्तमान के लिए क्यों किसी धर्म और क्यों किसी विदेशी शक्ति अथवा अंग्रेजों को दोषी ठहराया जाय. वास्तव में अब देखकर और अनुभव करके तो यही लगता है की बाप बड़ा न मैया सबसे बड़ा रुपैया. पेट और रुपये की अंधी दौड़ के पीछे धर्म, मानवता और इंसानियत तुच्छ साबित हो रही है. 

    वरना यदि ऐसा नही होता तो भारत का हिन्दू किसान भूंखों मरना उचित समझता लेकिन कभी भी अपनी गोमाता को आंच नही आने देता लेकिन क्या समय आ चुका है की आवश्यकता और भौतिकतावादी दौड़ के चलते कहीं कुछ नही बचा है मात्र पेट और पेट बचा है जिसका पोषण पहले होना चाहिए बांकी दया, मानवता रहे अथवा न रहे, इसे किसी को फिक्र नही.

संलग्न - संलग्न तस्वीरों में कुछ वह तस्वीरें हैं जिनमे संकल्प फाउंडेशन के लड़के जिनमे मोहम्मद असद उल्लाह उर्फ आरिफ की टीम सामिल हैं और उन लड़कों ने गोवंशों को बचाकर जीता जागता नमूना प्रस्तुत कर रीवा जिला क्या देश के इतिहास में अपना नाम दर्ज कराया है.

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शिवानन्द द्विवेदी

सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता

ज़िला रीवा मप्र, मोब 9589152587, 7869992139

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