दिनांक 3 मार्च 2018, स्थान - रीवा मप्र
(शिवानंद द्विवेदी, रीवा मप्र)
जब अधिकतर देश रंग भांग और दारू के जश्न के बीच होली मना रहा था तब रीवा के थाना गढ़ अंतर्गत हिनौती पंचायत के पांडेय ढाबा के पीछे सहित कई अवैध बाड़ों में बन्द बेजुबान गायें चारा पानी बिना जान दे रहीं थी।
यह वाकया हिनौती निवासी कमलेश पांडेय पिता अनुसुइया पांडेय द्वारा एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी को बताई गई कि दिनाँक 2 मार्च की शाम को तीन गायें बाड़े के अंदर मर चुकी हैं। इस पर शिवेंद्र सिंह परिहार, देवेंद्र सिंह परिहार, अखंड प्रताप सिंह सभी निवासी बड़ोखर के साथ पहुचकर मौके पर देखा गया तो पाया गया कि बाड़े में तीन गायें थीं जिसमे दो गायें मृत पड़ीं थीं और एक गाय बाड़े में घायल कमजोर अवस्था मे पड़ी थी। वहीं पर आसपास देखा गया तो पाया गया कि गायों के मरने की खबर पर किसी अज्ञात व्यक्ति ने तार हटाकर बाड़ा तोड़ दिया था जिससे लगभग सौ के आसपास बन्द गायें मुक्त कर दी गईं थीं। आसपास गायों की उपस्थिति भी देखी गई। बाद में दिनाँक 3 मार्च की सुबह को कमलेश पांडेय द्वारा खबर दी गई कि सभी गायें फिर से अवैध बाड़े के अंदर कर दी गई हैं। अवैध बाड़ा बनाने में मुख्य सहयोग गो संवर्धन बोर्ड के उपाध्यक्ष राजेश पांडेय, हिनौती पंचायत के सरपंच पति महेंद्र चतुर्वेदी, सेदहा पंचायत से चिन्तामड़ि सिंह, महेंद्र सिंह सहित अन्य कई लोग सम्मिलित थे। पिछले तीन माह पूर्व हिनौती शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में उपस्थित होकर अवैध वाड़ा बनाये जाने की रूपरेखा तय की गई थी जिस पर उपस्थित उक्त सभी सदस्यों द्वारा सहयोग प्रदान कर वैकल्पिक व्यवस्था की मौखिक जिम्मेदारी ली गई थी जिस पर उपस्थित रीवा गो संवर्धन बोर्ड के उपाध्यक्ष राजेश पांडेय एवं सीएम सिंह सेदहा, महेंद्र सिंह सेदहा एवं अन्य लोगों द्वारा पैसा देकर गोवंशों के लिए उचित व्यवस्था करने की बात कही गयी थी। लेकिन अवैध बाड़ा बनाने के बाद कोई उचित व्यवस्था नही की गई। पूरे ठंड के मौसम में पशु खुले आसमान के नीचे महुआ के नीचे रहे जिसमे कई मारे गए। सूत्रों से यह भी जानकारी प्राप्त हुई कि सैकड़ों बैलों को कसाइयों के हाँथ बेंच दिया गया। पहले 24 घंटे में मुश्किल से 2 से 3 घंटे मवेशियों को बाड़े के बाहर कर दिया जाता था जिससे पूरे 24 घण्टे में मात्र वह एक बार वहीं अनुसुइया प्रसाद पांडेय के तालाब में पानी पी लिया करते थे लेकिन पिछले दस पंद्रह दिन से तालाब का पानी भी सूख जाने से पशुओं के लिए पीने योग्य पानी तक नही बचा है।
फसल नुकसानी का हवाला देकर हिनौती में बनाए गए अवैध बाड़े को असामाजिक तत्वों एवं गोहत्यारों द्वारा महिमा मंडन भी करने का प्रयास किया गया जिसमें पिछले महीनों कुछ मीडिया समूहों को गलत जानकारी प्रेषित कर प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से यह भी प्रकाशित कराया गया जिसमें दसरथ और सूर्यपाल उपाध्याय आदि के द्वारा यह भी बताया गया कि अवैध बाड़ा गोशाला है जिसमे 6 सेवादारों को रखा गया है जिसका रोज का खर्च प्रति सेवादार 200 रुपये के हिसाब से 1200 रुपये है, इस प्रकार 36 हज़ार रुपये प्रतिमाह मात्र सेवादारों की तनख्वाह है जिसे आसपास के 10 से 12 ग्रामों के लोगों द्वारा चंदे से इकठ्ठा की गई राशि से दी जाती है। ऐसा भी झूँठा मनगढ़ंत भ्रामक जानकारी प्रकाशित की गई थी कि मवेशियों को दिन में पूरे दिन छोंड़ कर रखा जाता है और मात्र रात्रि में बाड़े के अंदर किया जाता है।
जबकि सच्चाई यह है कि न तो कोई सेवादार थे और न ही गोवंशों के लिए कोई व्यवस्था। मात्र सेवादारों के नाम पर एक दो लोग थे जिनके खेत बाड़े के आसपास होने के कारण वही अपने खेत की रखवाली के समय कभी कभार जब समय मिलता तो एक दो घंटे के लिए दिन में पानी के वास्ते मवेशियों को ढील दिया करते और 24 घंटे में मात्र एक बार पानी पिलाकर पुनः खदेड़ कर गायों को अंदर कर देते।
इस गोहत्या में मुख्य सह्योगियो में हिनौती सरपंच प्रतिनिधि एवं सरपंच पति महेंद्र चतुर्वेदी, सूर्यपाल उपाध्याय सहित सेदहा के सरपंच प्रतिनिधि थे जिनकी मिलीभगत से यह अवैध बाड़ा एक बार फिर बनाया गया था।
अवैध बाड़ा बनाये जाने के पूर्व जिले के गो संवर्धन बोर्ड के उपाध्यक्ष राजेश पांडेय को हिनौती स्कूल परिषर में बुलाया जाकर इनकी अनुसंशा के पीछे क्या माजरा था? इससे साफ जाहिर था कि सभी की मिलीभगत थी।
आखिर जब गो संवर्धन बोर्ड के उपाध्यक्ष की उपस्थिति वहां मौके पर थी तो गो रक्षा के वास्ते इन्हें यह बात तो कहनी थी कि हम गोहत्या नही होने देंगे और यदि शासन प्रशासन से कोई फण्ड अथवा व्यवस्था नही है तो अवैध बाड़ा नही बनाया जा सकता? आखिर जब गो संवर्धन बोर्ड का उपाध्यक्ष मौजूद था तो उसे यह बताना था कि यदि कोई बाड़ा बनाया जाए तो पहले एक आधिकारिक तौर पर पंचायती समिति गठित की जाए जिसके सदस्यों की पूरी जिम्मेदारी तय होनी चाहिए कि कौन और कैसे मवेशियों के चारा भूषा पानी और छाया की व्यवस्था करेगा।
लेकिन जिस प्रकार से गो संवर्धन बोर्ड के उपाध्यक्ष द्वारा इतने महत्वपूर्ण पद पर बैठकर पद का दुरुपयोग कर असामाजिक तत्वों द्वारा अवैध बाड़ा बनाकर प्रोत्साहन दिया गया इससे बहुत बड़ा प्रश्न खड़ा करता है की गायों और भारतीय संस्कृति की माता के नाम पर भी राजनीति करने वालों की भी कमी नही है।
दिनाँक 2 एवं 3 मार्च को गढ़ टी आई मंगल सिंह सहित डायल 100 को भी घटना के बारे में सूचित किया गया -
दिनांक 2 मार्च फगुआ की शाम को गायों का अवैध बाड़े में मरने की सूचना संबंधित गढ़ थाना के टी आई मंगल सिंह को दी गई जिस पर मंगल सिंह द्वारा मात्र कार्यवाही का आश्वासन दिया गया है। टी आई द्वारा लिखित शिकायत दर्ज करने की बात कही गयी है लेकिन भलघटी पनगड़ी से लेकर सेदहा प्राइवेट स्कूल के खंडहर में बन्द गायों तक के मामले में कोई एफआईआर दर्ज नही हुई है जबकि सभी के लिखित शिकायत दी गई हैं और मौके बारदात पर घटना घटित होना पाया गया था। जिस प्रकार गोवंश प्रताड़ना वाले प्रकरण में कोई एफआईआर दर्ज नही की जा रही है और दोषियों को छोड़ा जा रहा है जबकि घटना के पर्याप्त साक्ष्य मौजूद रहते हैं इससे रीवा और मप्र पुलिश की निष्क्रियता एवं आपराधिक तत्वों से मिली भगत और राजनीतिक दबाब का पता चलता है।
वहरहाल दिनांक 3 मार्च को शिकायतकर्ता कमलेश पांडेय एवं गोवंश राइट्स एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी द्वारा एक बार पुनः लिखित शिकायत भी दर्ज करवा दी गई है जिसकी प्रति भी यहां संलग्न है और अब देखना यह है कि गोहत्याओं के इस मामले में एफआईआर दर्ज कर दोषियों के ऊपर कार्यवाही की जाती है अथवा पहले जैसी ही हीलाहवाली की जाती है।
जानकारी लिखे जाने तक सभी सैकड़ों गायें उसी हिनौती में पांडेय ढाबा के पीछे बनाये गए अवैध बाड़े में चारा पानी भूषा बिना बन्द मर रही है और अपने जीवन का गुहार लगा रहे हैं।
संलग्न - अवैध बाड़े में मृत पड़ी गायों की तस्वीर।
- शिवानंद द्विवेदी रीवा मप्र। 7869992139
थाना गढ़ में दिए गए शिकायत की एक और प्रति संलग्न है।
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