दिनांक 26 मार्च 2018, गढ़/गंगेव मप्र
(कैथा, शिवानंद द्विवेदी)
ज़िले मे जल संकट बढ़ता जा रहा परंतु इस जल संकट के पीछे काफी हद तक प्रसाशनिक उदाशीनता और पीएचई विभाग का भष्ट्राचार जिम्मेदार है। ज़्यादातर नलकूपों का रखरखाब सही तरीके से न हो पाने के कारण यह नलकूप खराब बता दिये जाते हैं। यद्यपि अभी भी कई ग्रामों मे जलस्तर ठीक है फिर भी इसका सहारा लेकर लोक स्वास्थ्य यान्त्रिकी विभाग के कर्मचारी अधिकारी जलस्तर नीचे बताकर पल्ला झाड लेते हैं। ज़िले भर मे सही सही सर्वे किया जाय तो पाया जाएगा की औसतन नलकूपों मे 5 से 6 तक ही पाइप लगाई हुई हैं, जबकि गलत जानकारी देकर बताया जाता है सभी नलकूपों मे 10 से अधिक पाइप डाली हुई हैं। बहुत कम नलकूप ऐसे हैं जिनमे 10 अथवा इससे अधिक पाइप लगाई हुई हैं। परंतु गलत जानकारी देकर सरकार को पूरी तरह से भ्रमित किया जाता है और नई पाइप को ज़िला से लेकर जनपद तक बैठे अधिकारियों और दलालों ठेकेदारों की सह से बेंच लिया जाता है। जब कभी पुरानी टूटी पाइप को निकालकर नवीन पाइप डाली जाती है पुरानी पाइप का कोई हिसाब नहीं रहता। पुरानी पाइप को भी विभाग के कर्मचारी काला बाजारी कर लेते हैं।
मात्र रखरखाव के अभाव मे गंगेव त्योंथर मे बंद हैं 80 फीसदी नलकूप
उदाहरण के लिए गंगेव जनपद अंतर्गत आने वाली कैथा, अगडाल, सेदहा, बांस, मदरी,पनगड़ी, लौरी, गढ़, पंडुआ, रक्सा-माजन एवं त्योंथर अंतर्गत आने वाली डाढ़, जमुई, बरहट,कलवारी, कटरा सोहागी आदि पंचायतों मे देखा जाए तो 80 फीसदी से अधिक नलकूप मात्र सही रख रखाव के अभाव मे बंद हैं जबकि सरकार द्वारा लोक स्वस्थ्य यान्त्रिकी विभाग को हर वर्ष करोड़ों रुपया मात्र जिला भर के सभी नलकूप के रख रखाव के लिए दिये जाते हैं।
अखिलेश ऊईके नहीं उठाते फोन, जनता परेशान, सीएम हेल्पलाइन भी कारगर नहीं
जब कभी भी गंगेव उपयंत्री अखिलेश ऊईके को कॉल कर खराब नलकूपों की जानकारी दी जाती है तो उनके द्वारा काल नहीं उठाया जाता। फिर जब इसी बात को लेकर सीएम हेल्पलाइन और अन्य माध्यमों से शिकायत की जाती है तो लोक स्वास्थ्य यान्त्रिकी के कर्मचारियों का हांथ पैर जोड़ने का सिलसिला चालू हो जाता है। कहा जाता है की सीएम हेल्पलाइन मे शिकायतें क्यों की गईं आप हमे बता देते तो हम समस्या का समाधान करवा देते, मुख्यमंत्री तक बात पाहुच जाती है तो हमारी नौकरी मे परेशानी होगी,जबकि उल्टा जब बार बार बताए जाने पर भी इनके द्वारा समस्या का समाधान नहीं किया जाता तो फोन कॉल नहीं उठाए जाते तब जाकर जनता मजबूर होकर सीएम हेल्पलाइन और अन्य माध्यमों से शिकायतें दर्ज़ करवाती है।
चुनाव आते ही फिर मुह उठाए दौड़े आएंगे जनता के पास
– हमे वोट की भीख दे दो -
गंगेव लोक स्वास्थ्य यान्त्रिकी विभाग के उपयंत्री का रवैय्या जनता के विपरीत है। गर्मी की स्थिति को देखते हुये वास्तव मे चाहिए यह की जितने भी लोक स्वास्थ्य यान्त्रिकी विभाग के जनपदों मे पदस्थ कर्मचारी अधिकारी और नलकूप मैकेनिक हैं इन्हे अपने क्षेत्र मे जाकर हर एक नलकूप का रेकॉर्ड उठाकर सही सही डाटा सरकार को प्रेषित करना चाहिए और वस्तुस्थिति से अवगत कराना चाहिए। परंतु जिस प्रकार स्थिति बनी हुई है इससे यह नहीं समझ आता की जिम्मेदार विभाग है की सरकार? आखिर सरकार मे भी बैठे जन सेवकों को भी तो पेपर पत्रिकाओं के माध्यम से रोज यह खबर लगती ही होगी की हर एक गाँव मे क्या वास्तविक स्थिति है। पर वोट लेने के बाद कहाँ किसे सुध है। जब एक बार फिर चुनाव आ जाएगा तो हांथ मे भीख का कटोरा लिए फिर जनता के पैरों तले पड़ जाएंगे पैर चाटने के लिए और इस देश की जनता तो पहले ही भगवान भरोशे है। सब कुछ भूलकर सब दुख क्लेश भूलकर फिर अपने वोट का दुरुपयोग कर लेगी। फिर किसी भष्ट्राचारी को बैठा देगी गद्दी पर और पूरे पाँच वर्ष तक लुटती रहेगी चिल्लाती रहेगी।
संलग्न – क्षेत्र के बंद पड़े नलकूप और परेशान लोग, जिनकी आवाज़ न तो भगवान सुन रहा है और न ही सरकार।
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शिवानंद द्विवेदी, सामाजिक कार्यकर्ता रीवा मप्र।7869992139
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