Friday, March 30, 2018

हिनौती-कैथा मोड से नेवरिया तक जल्द बनेगी प्रधानमंत्री सड़क, टेंडर प्रक्रिया मे, अप्रैल से ही कार्य प्रारम्भ हो सकता है (मऊगंज प्रधानमंत्री सड़क उपयंत्री शिवपाल सिंह से प्राप्त हुई जानकारी), मेरी सड़क एप्प के माध्यम से दर्ज कराई गई थी शिकायत

दिनांक 30 मार्च 2018, स्थान - गंगेव रीवा मप्र। 

(रीवा मप्र, शिवानंद द्विवेदी)

        जैसा की आजकल चुनाव भी आने वाले हैं अतः कुछ ठंडे बस्ते मे भी पड़े कार्यों को पूरा किया जा रहा है। पूर्व मे वर्ष 2013-14 मे एक अति विशेष सामाजिक पहल के अंतर्गत  कैथा, हिनौती, सेदहा, लोटनी, डाढ़, जमुई, बांस, लौरी सहित आसपास की दर्जनों पंचायती क्षेत्रों के हजारों लोगों का समूहिक रूप से हस्ताक्षरित एक आवेदन प्रधानमंत्री महोदय से लेकर प्रधानमंत्री सड़क बनाने के जिम्मेदार ग्रामीण सड़क विभाग के अतिरिक्त चीफ़ सेक्रेटरी राधेश्याम जुलनिया सहित मप्र राज्य मानवाधिकार आयोग भोपाल मे भी मूलभूत मानवाधिकारों मे से एक आम जनता के सड़क पर चलने के अधिकार के हनन संबंधी मामले को सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता  द्वारा व्यक्तिगत उपस्थित होकर दिया गया था जिस पर सज्ञान लेते हुये ग्रामीण सड़क विभाग एवं प्रधानमंत्री सड़क के अधिकारियों ने आसपास की कई पंचायती सड़कों को प्रधानमंत्री सड़क से जोड़ने का सर्वेक्षण किया था।  जिसमे सर्वे करके जानकारी विभाग एवं मंत्रालय को प्रेषित कर बजट आवंटन के लिए अप्लाई किया था, नतीजतन इस पर कार्यवाही हुई और कैथा से अगडाल-लौरी सड़क 9.4 किमी और हिनौती-कैथा मोड से नेवरिया तक की प्रधानमंत्री सड़क पर टेंडर हुआ है। जहां लौरी-अगडाल से कैथा 9.4 किमी प्रधानमंत्री सड़क पर पहले ही काम चल रहा है वहीं हिनौती-कैथा मोड से नेवरिया प्रधानमंत्री सड़क परियोजना क्रमांक एल066 पर कोई सुगबुगाहट नहीं हो रही थी। इस परभि पिछले दिनों मेरी सड़क एप्प के माध्यम से प्रधानमंत्री सड़क संबंधी शिकायत प्रणाली मे सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी द्वारा। दिनांक 23 मार्च 2018 को  एक शिकायत दर्ज कारवाई गई थी जिस पर जानकारी चाहिए गई थी आखिर सर्वे होने के बाद आज तक इस सड़क पर कार्य क्यों नहीं प्रारम्भ नहीं हुआ। इस पर दिनांक 30 मार्च को मऊगंज क्षेत्र के उपयंत्री शिवपाल सिंह द्वारा जानकारी देकर बताया गया की नेवरिया वाली प्रधानमंत्री सड़क पर कार्य अप्रैल मे प्रारम्भ हो जाएगा।

     अब देखना यह है की जिस कार्य की अभी तक कोई सुगबुगाहट तक नहीं हो रही थी और यहाँ तक की हिनौती और नेवरिया क्षेत्र के लोगों को यह तक जानकारी नहीं थी की उनके गाँव के लिए प्रधानमंत्री सड़क बनेगी भी की नहीं जिस पर शिकायत के बाद सज्ञान लिया गया है, उसे जून के अंदर पूरा किया जाता है अथवा नहीं। 

संलग्न - नेवरिया क्षेत्र की कच्ची सड़क का दृश्य एवं साथ ही मेरी सड़क नागरिक प्रतिकृया प्रणाली पर दर्ज शिकायत की फोटो भी यहाँ पर संलग्न है। 

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शिवानंद द्विवेदी, सामाजिक कार्यकर्ता, रीवा मप्र। 

7869992139, 9589152587   

Tuesday, March 27, 2018

भोपाल से पी एच ई की टीम जल्द ही करेगी रीवा संभाग का दौरा, लेगी पेयजल स्थिति का जायज़ा, इंजीनियर इन चीफ़ के कार्यालय भोपाल से जारी हुये आदेश Dysfunctional Handpumps and water problems in Rewa MP


दिनांक 27 मार्च 2018, स्थान – रीवा मप्र

(कैथा, शिवानंद द्विवेदी, रीवा मप्र)

      गर्मी बढ्ने के साथ ही जिले मे जल संकट बढ़ गया है। कई स्थानो पर तो जलस्तर अभी भी ठीक है पर राइजर पाइप के अभाव और रखरखाव की समस्या के चलते नलकूपों से पानी नहीं निकल रहा है। इस संदर्भ मे जब सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी द्वारा संबन्धित त्योंथर,गंगेव, हनुमना, जवा, रायपुर करचुलियान आदि के उपयंत्री, अनुविभागीय अधिकारी लोक स्वस्थ्य यान्त्रिकी और कार्यपालन अभियंता शरद कुमार, और पी एस बुंदेला सहित मुख्य अभियंता भोपाल के निज सचिव, मुख्य अभियंता जबलपुर श्री गौड़, और पी एच ई विभाग के अधिकारी अनुराग श्रीवास्तव आदि से बात की गई तो हर एक व्यक्ति का अपना अलग वक्तव्य सामने आया। हर किसी ने समस्या के समाधान पर तो कम परंतु जनता के ऊपर कुछ ज्यादा ही दोष मढ़ा। अधिकारियों ने अपने विभाग और सरकार की कमी को बिलकुल स्वीकार नहीं किया परंतु जनता ही उनकी नज़र मे सबसे ज्यादा दोषी दिखी। सभी अधिकारियों की बातचीत के अंश भी यहाँ पर औडियो फ़ाइल मे संलग्न हैं कृपया देखें।

  देखिये जब इन संबन्धित अधिकारियों से बात की गई तो इनका क्या जबाब था –

1)    “अभी हमारे पास हनुमना, जवा,त्योंथर, आदि ब्लॉक का प्रभार है। मैं हर स्थान पर नहीं पहुच सकता, सरकार को इस बात को सोचना चाहिए, आप त्योंथर के सहायक यंत्री एमके यादव से बात कर लें। वैसे हम आपको बता दें की हमारी माग के वावजूद भी हमे पर्याप्त पाइप नहीं दी गई है। मात्र हमारे पास त्योंथर के 95 के आसपास पंचायतों के लिए अभी 100 पाइप हैं। अब बताइये हर पंचायत मे औसतन 40 से 50 नलकूपों के लिए कैसे इतनी पाइप मे काम चल पाएगा।” – आनंद तिवारी, प्रभारी अनुविभागीय अधिकारी, हनुमना, त्योंथर, जवा,पी, एच, ई विभाग रीवा मप्र। मोब –9589135484,  

2)   “हमने सरकार से 1500 पाइप की डिमांड की थी लेकिन हमे मात्र 100 पाइप एक बार मे दी गई हैं। गाँव वाले चाहते हैं की उनके नलकूप मे हम 10-12 पाइप डालें तो कैसे संभव है। सरकार हमे पर्याप्त माग की हुई पाइप नहीं दे रही है। आप सरकार के उच्चस्तर मे शिकायत करें जिससे हमारे लिए पाइप मिले तो हम काम करें। हमने नलकूप मैकेनिक को बताया है की आपके द्वारा बताई गई डाढ़,जमुई, बरहट, आदि पंचायतों को दिखवाता हूँ। पर आप भोपाल और जबलपुर मे उच्चस्तर मे बात करें। नलजल योजना के विषय मे जो बात आपने बताई है तो उसमे हमारे विभाग से जो किया जाना था किया जा चुका है अब आगे का काम पंचायत का है की वह उसकी व्यवस्था कराये। नलजल के लिए जमुई पंचायत त्योंथर ब्लॉक के लिए सवा लाख रुपए से अधिक उनके खाते मे भेजा जा चुका है। अब यदि पंचायतें काम नहीं करवा रही हैं तो हम क्या कर सकते हैं।”– एम के यादव, सहायक यंत्री त्योंथर ब्लॉक, रीवा मप्र। मोब –7000310187,

3)   “आप हमे सारी जानकारी के साथ ईमेल कर दें और उसे हम संबंधितों को प्रेषित कर देंगे। इंजीनियर इन चीफ़ भोपाल से आज बात नहीं हो पाएगी मैं उनका पीए बोल रहा हूँ, आप सब बाते ईमेल कर दें हम कार्यवाही करवा देंगे। वैसे आप के सूचना पर हमने रीवा और सतना के लिए एक टीम गठित कर दिया है जिसमे आपके रीवा के ही अधिकारी अनुराग श्रीवास्तव भी हैं और जल्द ही पानी संबंधी समस्या का सर्वेक्षण कर अपनी जानकारी वह टीम हमे देगी। मैं आपको उनका मोबाइल नंबर बता देता हूँ आप उनसे संपर्क कर लें जब वह आपके क्षेत्र मे आयें। वैसे हमारे यहाँ से पाइप संबंधी कोई कमी नहीं है पर्याप्त मात्रा मे पाइप भेजी जा रही हैं। यह जिले स्तर के अधिकारियों की ज़िम्मेदारी है। फिर भी हम दिखवाएंगे। ” – निज सचिव,इंजीनियर इन चीफ़ भोपाल, मप्र शासन लोक स्वस्थ्य यान्त्रिकी विभाग। लैंड्लाइन नंबर इंजीनियर इन चीफ़ – 07552779411,   

4)   “देखिये नलकूप संधारण और रख रखाव के लिए हमे सरकार से एक निश्चित सीमा मे ही बजट मिल पाता है,और उसी मे हमे काम करना पड़ता है। जनता की सोच बिलकुल गलत है की हमारे पास पाइप का भंडार है और हम जितना चाहें उतना पाइप उपलब्ध करवा सकते हैं। ऐसा नहीं है, हमारे पास प्रति वर्ष के हिसाब से प्रत्येक नलकूप के रखरखाव के लिए 16 सौ रुपये दिये जाते हैं जिसमे 60 प्रतिशत सामाग्री का खर्च होता है जिसमे पाइप, नट, बोल्ट, वासर आदि रहता है और उसमे 40 प्रतिशत लेबर चार्ज होता है। अब इसी मे हमे सब कुछ देखना पड़ता है तो ऐसे मे तो देखा जाय तो वर्ष मे एक नलकूप के लिए मात्र एक ही पाइप आ सकती है। हम चाहे कितना भी यहाँ से डिमांड देंगे लेकिन सरकार बजट मे पर्याप्त नहीं देती जिससे यह सब समस्याएँ बनी रहती हैं। चाहे भले ही इस वर्ष विशेष अकाल सूखे की स्थिति है परंतु सरकार नहीं सुनती उनका बजट पहले से तय रहता है, सरकार का कोई विशेष आवंटन नहीं होता है। फिर भी हमारे द्वारा आपके पूरे रीवा संभाग के लिए पर्याप्त पाइप भेजी जा चुकी है और डिमांड पर भेजी जा रही है मै आपको पूरा हिसाब बता सकता हूँ। कहीं कोई पाइप की कमी नहीं है।” – मिस्टर गौड़, चीफ़ इंजीनियर जबलपुर क्षेत्र (जिसके परिक्षेत्र मे रीवा संभाग आता है) । मोब – 9907065750 

5)   “रीवा सतना के हमारे दौरे के विषय मे आप बता रहे हैं परंतु अभी मुझे कोई लिखित जानकारी नहीं मिली है। पर यदि ऐसा है तो जब भी मुझे लिखित आदेश मिलेगा तो मैं आता हूँ और आपको सूचित करूंगा। देखिये हम भी रीवा के ही हैं और 20 वर्ष से अधिक हमने रीवा संभाग मे रहकर नौकरी किया है हम वहाँ की भौगोलिक स्थिति के विषय मे वाकिफ हैं। परंतु लोगों को एट्टीट्यूड प्रॉब्लेम्स है जिसके कारण समस्या होती हैं। लोग यह चाहते हैं की सभी पाइप उनही के नलकूप मे डाल दी जाएँ पर ऐसा नहीं होता है। हमे सभी को देखना पड़ता है। परंतु जब हम आएंगे तो जो भी वास्तविक स्थिति होगी उससे शासन को अवगत कराएंगे। वैसे हम मई-जून मे एक बार दौरा करते हैं।” –अनुराग श्रीवास्तव, अधिकारी पी एच ई, भोपाल, जिनहे रीवा और सतना के लिए दौरा के लिए कई सदस्यों के साथ भेजा जा रहा है। मोब- 9827239912

संलग्न – कृपया उक्त सभी अधिकारियों कर्मचारियों से सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा की गई बातचीत के अंश यहाँ पर संलग्न औडियो फ़ाइल मे हैं, देखने का कष्ट करें। साथ ही पिछले कई दिनों से जल की समस्या को लेकर मीडिया मे खबर का भी अंश यहाँ प्रस्तुत है जिसे इंजीनियर इन चीफ़ को भी उनके ईमेल एड्रैस मे भेजा जा चुका है।

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 शिवानंद द्विवेदी, सामाजिक मानवाधिकार कार्यकर्ता, रीवा मप्र। मोब – 7869992139,

Sunday, March 25, 2018

गंगेव पीएचई उपयंत्री अखिलेश ऊईके नहीं उठाता फोन, जनता बूंद बूंद पानी के लिए तरसी, सभी हैंडपम्प पाइप और रखरखाव के अभाव मात्र मे खराब, बताया जाता है की जलस्तर नीचे चला गया जबकि जलस्तर एकदम दुरुस्त, 90 फीसदी नलकूप मात्र 10 पाइप डालने से काम करना चालू कर देंगे

दिनांक 26 मार्च 2018, गढ़/गंगेव मप्र

      (कैथा, शिवानंद द्विवेदी)

       ज़िले मे जल संकट बढ़ता जा रहा परंतु इस जल संकट के पीछे काफी हद तक प्रसाशनिक उदाशीनता और पीएचई विभाग का भष्ट्राचार जिम्मेदार है। ज़्यादातर नलकूपों का रखरखाब सही तरीके से न हो पाने के कारण यह नलकूप खराब बता दिये जाते हैं। यद्यपि अभी भी कई ग्रामों मे जलस्तर ठीक है फिर भी इसका सहारा लेकर लोक स्वास्थ्य यान्त्रिकी विभाग के कर्मचारी अधिकारी जलस्तर नीचे बताकर पल्ला झाड लेते हैं। ज़िले भर मे सही सही सर्वे किया जाय तो पाया जाएगा की औसतन नलकूपों मे 5 से 6 तक ही पाइप लगाई हुई हैं, जबकि गलत जानकारी देकर बताया जाता है सभी नलकूपों मे 10 से अधिक पाइप डाली हुई हैं। बहुत कम नलकूप ऐसे हैं जिनमे 10 अथवा इससे अधिक पाइप लगाई हुई हैं। परंतु गलत जानकारी देकर सरकार को पूरी तरह से भ्रमित किया जाता है और नई पाइप को ज़िला से लेकर जनपद तक बैठे अधिकारियों और दलालों ठेकेदारों की सह से बेंच लिया जाता है। जब कभी पुरानी टूटी पाइप को निकालकर नवीन पाइप डाली जाती है पुरानी पाइप का कोई हिसाब नहीं रहता। पुरानी पाइप को भी विभाग के कर्मचारी काला बाजारी कर लेते हैं।

मात्र रखरखाव के अभाव मे गंगेव त्योंथर मे बंद हैं 80 फीसदी नलकूप

      उदाहरण के लिए गंगेव जनपद अंतर्गत आने वाली कैथा, अगडाल, सेदहा, बांस, मदरी,पनगड़ी, लौरी, गढ़, पंडुआ, रक्सा-माजन एवं त्योंथर अंतर्गत आने वाली डाढ़, जमुई, बरहट,कलवारी, कटरा सोहागी आदि पंचायतों मे देखा जाए तो 80 फीसदी से अधिक नलकूप मात्र सही रख रखाव के अभाव मे बंद हैं जबकि सरकार द्वारा लोक स्वस्थ्य यान्त्रिकी विभाग  को हर वर्ष करोड़ों रुपया मात्र जिला भर के सभी नलकूप के रख रखाव के लिए दिये जाते हैं।

अखिलेश ऊईके नहीं उठाते फोन, जनता परेशान, सीएम हेल्पलाइन भी कारगर नहीं

   जब कभी भी गंगेव उपयंत्री अखिलेश ऊईके को कॉल कर खराब नलकूपों की जानकारी दी जाती है तो उनके द्वारा काल नहीं उठाया जाता। फिर जब इसी बात को लेकर सीएम हेल्पलाइन और अन्य माध्यमों से शिकायत की जाती है तो लोक स्वास्थ्य यान्त्रिकी के कर्मचारियों का हांथ पैर जोड़ने का सिलसिला चालू हो जाता है। कहा जाता है की सीएम हेल्पलाइन मे शिकायतें क्यों की गईं आप हमे बता देते तो हम समस्या का समाधान करवा देते, मुख्यमंत्री तक बात पाहुच जाती है तो हमारी नौकरी मे परेशानी होगी,जबकि उल्टा जब बार बार बताए जाने पर भी इनके द्वारा समस्या का समाधान नहीं किया जाता तो फोन कॉल नहीं उठाए जाते तब जाकर जनता मजबूर होकर सीएम हेल्पलाइन और अन्य माध्यमों से शिकायतें दर्ज़ करवाती है।

चुनाव आते ही फिर मुह उठाए दौड़े आएंगे जनता के पास

– हमे वोट की भीख दे दो -

      गंगेव लोक स्वास्थ्य यान्त्रिकी विभाग के उपयंत्री का रवैय्या जनता के विपरीत है। गर्मी की स्थिति को देखते हुये वास्तव मे चाहिए यह की जितने भी लोक स्वास्थ्य यान्त्रिकी विभाग के जनपदों मे पदस्थ कर्मचारी अधिकारी और नलकूप मैकेनिक हैं इन्हे अपने क्षेत्र मे जाकर हर एक नलकूप का रेकॉर्ड उठाकर सही सही डाटा सरकार को प्रेषित करना चाहिए और वस्तुस्थिति से अवगत कराना चाहिए। परंतु जिस प्रकार स्थिति बनी हुई है इससे यह नहीं समझ आता की जिम्मेदार विभाग है की सरकार? आखिर सरकार मे भी बैठे जन सेवकों को भी तो पेपर पत्रिकाओं के माध्यम से रोज यह खबर लगती ही होगी की हर एक गाँव मे क्या वास्तविक स्थिति है। पर वोट लेने के बाद कहाँ किसे सुध है। जब एक बार फिर चुनाव आ जाएगा तो हांथ मे भीख का कटोरा लिए फिर जनता के पैरों तले पड़ जाएंगे पैर चाटने के लिए और इस देश की जनता तो पहले ही भगवान भरोशे है। सब कुछ भूलकर सब दुख क्लेश भूलकर फिर अपने वोट का दुरुपयोग कर लेगी। फिर किसी भष्ट्राचारी को बैठा देगी गद्दी पर और पूरे पाँच वर्ष तक लुटती रहेगी चिल्लाती रहेगी।

  संलग्न – क्षेत्र के बंद पड़े नलकूप और परेशान लोग, जिनकी आवाज़ न तो भगवान सुन रहा है और न ही सरकार।

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शिवानंद द्विवेदी, सामाजिक कार्यकर्ता रीवा मप्र।7869992139


Friday, March 23, 2018

कैथा के प्राचीन देवी मंदिर मे भागवत कथा का समापन दिनांक 24 मार्च को, भंडारा और हवन के साथ होगा विसर्जन

दिनांक 23 मार्च 2018, स्थान – गढ़/गंगेव रीवा मप्र

(शिवानंद द्विवेदी, रीवा मप्र)

  पावन यज्ञस्थली कैथा के अति प्राचीन शारदा देवी मंदिर प्रांगण मे दिनांक 18 मार्च से प्रारम्भ हुई श्रीमद भगवद कथा का समापन दिनांक 24 मार्च को हवन और भंडारे के साथ किया जाएगा।

  बता दें की देवी मंदिर के कार्यक्रम परंपरागत रूप से प्रत्येक चैत्र नवरात्रि मे होते आए हैं और इस वर्ष भी परंपरानुरूप कार्यक्रम चल रहा है। क्षेत्र के 12 मौज़ा हिनौती के भक्त श्रद्धालुगण माता मंदिर मे चैत्र नवरात्रि के  प्रत्येक दिन नवमी तक जल चढ़ाने और पूजा अर्चना करने आते हैं। कैथा स्थित यह देवी मंदिर काफी प्राचीन बताया जाता है जिसे इसी कैथा ग्राम की इलाकेदार गौटिन पटेल द्वारा बनवाया गया था जो उनकी पूज्य कुल देवी थीं। बाद मे गौटिन के मरने के बाद देवी मंदिर की रौनक भी लगभग मर गई। क्योंकि गौटिन के परिवार के सदस्यों और उनके पुत्र पौत्रों द्वारा देवी मंदिर का रख रखाव सही तरीके से न हो पाने और मंदिर का जीर्णोद्धार भी न होने की वजह से अब मंदिर पूरी तरह से खंडहर मे तब्दील हो चुका है जिसकी फोटो भी यहाँ पर संलग्न है।

   बीच मे कुछ श्रद्धालु भक्तों ने मंदिर के जीर्णोद्धार की चर्चना की तो बताया गया की अति प्राचीन देवी मंदिर की जमीन अभी भी कुछ पटेल परिवारों के पट्टे मे आने के कारण उसमे आपत्ति है अतः सार्वजनिक तौर पर प्रयास कर इस मंदिर का जीर्णोद्धार किया जाना कानूनी मुद्दा बन सकता है। इस प्रकार आज इस कलयुग मे देवी देवता भी आदमी के ही सहारे हो चुके हैं कि कोई तो इनका उद्धार करे। कभी तो यह कहा जाता था की देवी देवताओं के पूजा अर्चना से मानव का कल्याण होता है और मानुषी तन को मोक्ष मिलता है परंतु देवी मंदिर और अन्य हिन्दू धर्मस्थलों की आज इस कलयुग के समय स्थिति देखकर ऐसा प्रतीत होता है मानों देवी देवता ही आज मानव से अपना उद्धार चाह रहे हैं।

   वहरहाल कुछ अत्यधिक धर्मावलम्बी और ओर्थोड़ोक्स धार्मिक व्यक्ति अभी भी श्रीमद शारदा देवी माता रानी पर पूर्ण श्रद्धा भक्ति रखते हैं जिससे औपचारिक तौर पर भागवत कथा आदि का कार्यक्रम समय समय पर करवाते रहते हैं। चूंकि देवी जी इस पूरे 12 मौज़ा हिनौती क्षेत्र की पूज्य कुल मानी गई हैं अतः यहाँ वर्ष के दोनों शारदेय  और चैत्र नवरात्रि मे भक्तों श्रद्धालुओं का तांता जरूर लगा रहता है।

कार्यक्रम में श्रीमद भगवद कथा धर्मार्थ समिति भारत का विशेष योगदान –
 

      इस कार्यक्रम के विशेष सहयोगियों मे धर्मार्थ समिति से सम्पूर्णानन्द द्विवेदी, मतिगेंद पटेल,भैयालाल द्विवेदी, संतोष केवट, विशेषर केवट,ब्रिज बल्लभ पटेल, राम यतन शुक्ल, संतोष शुक्ला, शिव शंकर शुक्ला, भूपेंद्र शुक्ला, बीएस पटेल, उपेंद्र शुक्ला, सिद्धमुनी द्विवेदी, आचार्य अनिल तिवारी, आचार्य राशिरमन तिवारी, राजेंद्र तिवारी, अचचू द्विवेदी आदि हैं।

  संलग्न – अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ता श्रीमद शारदा देवी माताजी का मंदिर जो अब लगभग पूरी तरह से खंधर मे बादल चुका है,साथ ही औपचारिक रूप से व्यास गद्दी पर बैठे हुये परंपरागत आचार्या श्री राशि रमन तिवारी जी के सुपुत्र आचार्य अनिल तिवारी जी।

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शिवानंद द्विवेदी, सामाजिक कार्यकर्ता रीवा मप्र 7869992139

Thursday, March 22, 2018

अगडाल-कैथा प्रधानमंत्री सड़क : पुलों मे बनते ही आई दरार, घटिया निर्माण पर भी कोई कार्यवाही नहीं, ठेकेदार और पीएम सड़क विभाग की मिलीभगत से 3 करोड़ 33 लाख का पूरा चूना लगाने की कर ली तैयारी

दिनांक 22 मार्च 2018, स्थान – गढ़ गंगेव रीवा मप्र


(शिवानंद द्विवेदी, रीवा मप्र)

   लोक यान्त्रिकी के कार्यों मे कितना अधिक फर्जीवाड़ा चल रहा है इसका उदाहरण निर्माणाधीन और निर्मित हो चुकी प्रधानमंत्री सड़कों से लगाया जा सकता है। यद्यपि ऐसा कोई भी दिन नहीं होता जब घटिया और गुणवत्ता विहीन प्रधानमंत्री सड़कों की बातें किसी न किसी अखबार मे न छप रही हों।

   जब से कार्य प्रारम्भ हुआ तब से लेकर अब तक अग्डाल से काइथा प्रधानमंत्री सड़क के गुणवत्ता विहीन कार्य की बात राखी जा रही है लेकिन विभागों के ढुलमुल रवैये और मिलीभगत के कारण कहीं कोई कार्यवाही होती नहीं दिख रही है।

समस्या का प्रोटोटाइप अगडाल से कैथा पीएम सड़क


  पिछले वर्ष जेबी कैथा इटहा अकलसी लौरी ग्रामों मे पीएम सड़क की पुले बनाई जा रही थी तो इसमे दोयम और घटिया किश्म की डस्ट, राखड़ और गिट्टी मिलाये जाने की बात सामने आई थी जिसकी कई मर्तबा सीएम हेल्पलाइन से लेकर कई जगह पर शिकायतें की गईं थीं। लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई। जो भी कार्यवाहियाँ की गईं वह मात्र कागज़ तक ही सीमित रहीं। यहाँ तक पुलों और सड़क के घटिया निर्माण की बात मेरी सड़क नामक ऐप्प मे भी राखी गई थी जिसमे सड़क की तस्वीरें लेकर भेजी गई थीं परंतु वहाँ भी मात्र गलत और भ्रामक ही निराकरण दिया गया जिसमे बताया गया की कार्य पैमाने और मापदंड के अनुसार चल रहा है।

   अब यहाँ पर एक ऐसा जीता जागता उदाहरण प्रस्तुत किया जाएगा जिसमे पिछले 6 माह के भीतर ही बन कर तैयार पुल की ऊपरी पट्टी पूरी तरह से दो टुकड़ों मे विभक्त हो चुकी है जो इस प्रधानमंत्री सड़क की बनाई गई पुलों की वास्तविक स्थिति को बयान कर रही है।

वर्तमान लोकतान्त्रिक और सरकारी प्रणाली पर बड़ा प्रश्न चिन्ह?


  अब प्रश्न यह उठता है की एक लोकतान्त्रिक व्यवस्था पर यदि विश्वास किया जाए और उसे माना जाए तो किसी भी समस्या को लेकर संबन्धित विभागों और सरकार तक बात रखने का प्रावधान होता है। तब वह विभाग उस समस्या पर संजान लेकर कुछ कार्यवाही करने की प्रक्रिया करता है। अब यदि वह विभाग ही नियमित तौर पर उठाई जा रही समस्या के विषय मे कोई सार्थक कार्यवाही नहीं करेगा तो कैसे काम चलेगा। फिर तो पूरी लोकतान्त्रिक प्रणाली पर ही बहुत बड़ा प्रश्न चिन्ह लग जाता है।

  संलग्न – अगडाल कैथा 9.4 किमी प्रधानमंत्री सड़क की कैथा मे रिटायर्ड आर्मी कैप्टन श्री आर डी पांडे के घर के पास स्थित पुल मे आई दरार की फोटो जो साफ साफ देखी जा सकती है।   

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  शिवानंद द्विवेदी, सामाजिक कार्यकर्ता रीवा मप्र

   78699992139

Wednesday, March 21, 2018

बंसल कंपनी ने तालाबों के आकार को ही बदल दिया, मनमानी खुदाई से तालाबों की उपयोगिता पर प्रश्नचिन्ह, किस आधार पर हो रहा उत्खनन, क्या बंसल कंपनी के पास है कोई लीज?

दिनांक 22 मार्च 2018, स्थान गढ़ गंगेव रीवा मप्र

(शिवानंद द्विवेदी, रीवा मप्र)

      ज़िले की मनगवा से चाकघाट तक बनाई जा रही बहचर्चित हाइ वे सड़क के लिए सरकारी तालाबों से मिट्टी लेने का सिलसिला चल रहा है। जहां तहां स्थित सरकारी तालाबों और शासकीय राजस्व की भूमि से मिट्टी खोदकर सड़क मे डाली जा रही है।

      अभी हाल ही मे गढ़ से गुजरते समय लोगों ने बताया की बंसल की जेसीबी और ट्रक गढ़ थाने के पास स्थित पितरी तालाब और इंडियन ऑइल पेट्रोल पम्प तेंदुआ के उत्तर दिशा मे स्थित तालाब से मिट्टी खोदने का कार्य चल रहा है। सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी द्वारा ग्रामीणों के साथ मौके पर जाकर देखा गया तो पाया गया की चैन वाली जेसीबी और बंसल ट्रडेमार्क वाले कई ट्रक मिट्टी खोदने और ले जाने मे लगे हुये पाये गए। वहाँ मौके पर कोई भी जिम्मेदार व्यक्ति नहीं दिखा जिससे यह जानकारी प्राप्त की जा सकती की यह वैध कार्य था अथवा अवैध। तालाब की आकृति देखकर ऐसा समझ आया की गहरीकरण और भूमि सुधार के हिसाब से भी ज्यादा उचित कार्य होना नहीं पाया गया। सबसे तजुब्ब यह देखने मे हुआ की तालाब को बिना किसी सिविल इंजीन्यरिंग के ही खोदा जा रहा था और बनी हुयी कई खाई से यह अंदाजा लगा की तालाब और शासकीय भूभाग का गलत तरीके से दोहन किया जा रहा है।

तालाबों की ताबड़तोड़ खुदाई से कई प्रश्न उठने लाजमी हैं ?

1)  क्या बंसल कंपनी अथवा किसी भी संबन्धित कंपनी द्वारा शासकीय राजस्व की संपत्ति का दोहन करने के लिए आधिकारिक तौर पर लीज अथवा परमीशन ली गई है?

2)  क्या तालाब गहरीकरण का कोई निश्चित पैमाना नहीं है की तालाब की गहराई कितनी होनी चाहिए क्योंकि जिस तरह से तालाब गहरीकरण का काम चल रहा है उससे पता चलता है की तालाब खुदने के बाद तो खतरे के निशान के बाहर जा सकते हैं।

3)  नियमानुसार सभी निर्माण एजेंसियों को माइनिंग संबंधी सभी जानकारी नोटिस बोर्ड लगाकर सूचना पटल मे रखनी चाहिए जिससे यह पता आम जनता को भी चले की उसकी शासकीय संपत्ति का कौन और किस तरह दोहन कर रहा है जिससे कहीं खनिज अपराध होने की स्थिति मे आम जनमानस भी जानकारी संबंधितों तक पहुचा सके।

4)  आम तौर पर यह देखा जा रहा है की तालाब की खुदाई तो वैध अथवा अवैध तरीके से कर ली जाती है परंतु तालाब के भीटे को वैसे ही छोंड दिया जाता है, भीटे मे कोई भी मिट्टीकरण न हो पाने से तालाब जहां एक ओर देखने मे भद्दे दिखते हैं वहीं दूसरी तरफ भीटा भी अनुपयोगी ही बना रहता है।   
 
   संलग्न – गढ़ तेंदुआ स्थित दोनों तालाबों की बंसल कंपनी द्वारा हो रही खोदाई की तस्वीरें।

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  शिवानंद द्विवेदी, सामाजिक कार्यकर्ता रीवा मप्र

  मोबाइल 78699992139

Tuesday, March 20, 2018

क्षेत्र मे बढ़ रहा जल आतंकवाद का खतरा, आम जनमानस बूंद बूंद पानी के लिए तरसा, प्रसासन ने साधी चुप्पी – सरल पर पानी की तलाश मे व्यस्त

दिनांक 19 मार्च 2018,

स्थान – गढ़, गंगेव, रीवा मप्र

(शिवानंद द्विवेदी, रीवा मप्र)

       क्षेत्र मे जल संकट गहराता जा रहा है। पूरे क्षेत्र मे हैंडपम्प हवा और आग उगल रहे हैं। दिनांक 19 मार्च 2018 को हिनौती ग्राम पंचायत के हिनौती ग्राम की हरिजन आदिवशियों की बस्ती मे दौरा किया गया तो देखा गया की लोग अत्यधिक परेशान हैं। बस्ती के सभी नलकूप सूख चुके हैं। हरिजन आदिवाशी सहित विभिन्न वर्ग के लोग हांथ मे डिब्बे बाल्टी लिए हुये पानी की तलाश मे लगे दिखे। बता दें की हिनौती,सेदहा, पंडुआ, डाढ़, बरहट, मदरी, पनगडी,कांकर सहित आसपास की दर्जनों पंचायतों मे भीषण जेएल संकट उत्पन्न हो चुका है। गंगेव जनपद अंतर्गत आने वाली इन दर्जनों पंचायतों मे लोक स्वास्थ्य यान्त्रिकी एवं पंचायत विभाग ध्यान नहीं दे रहा। जबकि देखा जाये तो अभी भीषण गर्मी की शुरुआत मात्र है मार्च का आधा समय भी नहीं बीता है और पानी के लिए इतनी बड़ी दुर्दशा हो रही है जो शासन प्रसासन की असंवेदनशीलता को दर्शाता है।

 हिनौती पंचायत मे हितग्राहियों की जुबानी –

1)  “मैं हिनौती ग्राम पंचायत का का उपसरपंच हूँ परंतु उपसरपंच होते हुये भी मैं अपने लोगों की पीड़ा देखता रहता हूँ और इसके लिए कुछ नहीं कर पा रहा हूँ। सरपंच ने हुमारे हांथ मे कोई शक्ति नहीं दी है, साथ ही यहाँ पर कौन से मद मे कितना पैसा आता है इसकी भी हमे कोई जानकारी नहीं मिलती। यहाँ हिनौती पंचायत मे दो नलजल योजना हमारी जानकारी मे मे कागजों पर काम कर रही हैं लेकिन वास्तविक धरातल पर कहीं कुछ नहीं है। जैसा की आप देख सकते हैं की उपाध्याय टोला और शुक्ला टोला के पास दोनों नलजल योजना बंद पड़ी हुई हैं। कागजों मे यहाँ पर पाइप लाइन बिछा कर नल द्वारा पानी सप्लाइ बताई गई है लेकिन सब पैसा लोक स्वस्थ्य यान्त्रिकी विभाग और पंचायत विभाग द्वारा हजम कर लिया गया है हमारे लिए तो पीने का पानी तक नहीं है।” – राम मिलन साकेत उपसरपंच हिनौती पंचायत, गंगेव ब्लॉक रीवा मप्र

2)  “हम बूंद बूंद पानी के लिए मारे मारे फिर रहे हैं कोई देखने सुनने वाला नहीं है। हमारे सभी नलकूप सूख चुके हैं अथवा जलस्तर बहुत नीचे चला गया है। हमने कई मर्तबा अपने समस्या सीएम हेल्पलाइन आदि के माध्यम से दर्ज कारवाई है परंतु कोई सुनवाई नहीं की जा रही है मात्र गलत सलत निराकरन देकर फुर्सत कर दिया जाता है।”-जगन्नाथ कोल, निवासी हिनौती, गंगेव ब्लॉक रीवा मप्र

3)   “हम अपने बच्चों को घर के अंदर रोते बिलखते छोंडकर पानी की तलाश मे सेदहा पंचायत अंतर्गत आने वाली हिनौती स्कूल के पास एकमात्र स्थित नलकूप से पानी लाते हैं। हमारे छोटे छोटे बच्चे हैं जिन्हे काफी परेशानी होती है। हम पानी की समस्या से बहुत परेशान हैं। हमारा पूरा हरिजन आदिवशियों का टोला ही पानी की समस्या से जूझ रहा है।” – ज्योति साकेत पति रमेश साकेत निवासी हरिजन बस्ती हिनौती,ब्लॉक गंगेव रीवा मप्र

      संलग्न- ग्राम पंचायत हिनौती जनपद पंचायत गंगेव अंतर्गत हिनौती पंचायत के परेशान रहवासी अपने अपने हाथों मे डिब्बे बाल्टी लिए हुये पानी की तलाश करते हुये। साथ ही कई खराब पड़े नलकूप के पास खड़े हुये।

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शिवानंद द्विवेदी सामाजिक कार्यकर्ता रीवा मप्र

मोब – 7869992139

मुख्यमंत्री की घोषणाओं का कोई असर नहीं, सहकारिता विभाग की मनमानी जारी, किसानों से वसूली का सिलसिला शुरू

दिनांक 20 मार्च 2018, स्थान – गढ़ गंगेव रीवा मप्र

(शिवानंद द्विवेदी, रीवा मप्र)

    अभी हाल ही मे प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश के किसानों को कुछ राहत देते हुये बजट मे कुछ घोषणाएँ की थी जिसमे पिछले साल की व्याज मे अनुदान से लेकर धान और गेहूं की खरीदी मे 200 रुपये प्रति क्विंटल तक बोनस दिये जाने की बात आई थी साथ ही सहकारी बैंकों और समितियों से लिए गए कर्ज की अदायगी की सीमा भी मार्च से बढ़ाकर अप्रैल अंत तक कर दी गई थी। यद्यपि ये काफी घोषनाए मात्र बयानबाजी मे होनी बताई जा रही हैं सहकारिता विभाग का कहना है की हमारे पास कोई भी ऐसा लिखित आदेश सरकार से प्राप्त नहीं हुआ है जिससे हम तो वसूली करेंगे और डेफौल्टर को किसी प्रकार से व्याज मे अनुदान नहीं मिलेगा। साथ ही समय सीमा 28 मार्च के पहले तक है न की अप्रैल की यह कहना है गढ़ सहकारी बैंक सहित कई सहकारी बैंक के बैंक प्रबन्धकों का और साथ ही सभी प्रभारी समिति प्रबन्धकों का। अब समस्या यह है की किसान पहले ही सूखे अकाल की मार झेल रहा है अत्महत्या कर रहा है, अब ऐसे मे वह बैंकों का कर्ज आसानी से कैसे पटा पाएगा। इस पर बांस, हिनौती, कटरा, लौरी-गढ़ सहित गढ़ बैंक अंतर्गत आने वाली सभी नौ समितियों के किसानों ने असमर्थता जाहिर करते हुये बताया की मुख्यमंत्री तो भोपाल से घोषणा कर देते हैं लेकिन यहाँ जिले के सहकारी बैंक और समितियां अपनी मनमानी पर उतारू रहती हैं।

सैकड़ों किसानों के खातों मे अभी तक नहीं पहुचा धान खरीदी का पैसा

  ज़िला सहकारी केन्द्रीय बैंक मर्यादित बैंक शाखा गढ़ अंतर्गत आने वाली समितियों एवं बनाए गए खरीदी केन्द्रों मे पिछले खरीफ 2017 की जो धान बेची गई थी अभी तक कई किसानों के पैसे उनके खातों मे नहीं पहुचे हैं। पुष्परज सिंह निवासी बड़िओर सहित कई ऐसे किसानों ने शिकायत दर्ज करवाते हुये बताया की रोज सहकारी बैंकों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं परंतु कोई सुनवाई नहीं हो रही है। उधर सहकारी बैंकों के प्रबन्धक और समिति प्रबन्धकों का कहना होता है की ज़्यादातर खरीदी वाले पैसे पहुच चुके हैं। मात्र वही पैसे रुके हो सकते हैं जिनके खातों मे कोई गड़बड़ी रही हो अथवा दूसरे बैंकों के खाते रहे हों जिनके आई एफ एस सी कोड वगैरह मे कोई त्रुटि रही हो।

   वहरहाल कारण चाहे जो भी हो पर आए दिन सहकारी बाँकों मे किसानों की भीड़ जमा देखी जा सकती है जिसमे से ज़्यादातर किसान अपने धान बेंची का पैसा लेने के लिए आते हैं और शाम तक बैंकों मे बैठे रहते हैं।

    सहकारी बैंकों के साथ एक समस्या और भी बताई जा रही है। बैंक मैनेजर का कहना होता है की हमारे बैंक मे पैसे की लेनदेन की सीमा होती है। हमे केन्द्रीय ज़िला सहकारी बैंक मुख्य-शाखा रीवा से एक सीमित मात्रा मे ही पैसा मिलता है जिससे हम सभी किसानों अथवा हितग्राहियों को पर्याप्त मात्रा मे पैसा नहीं दे सकते हैं। इसीलिए हमने ज़्यादातर किसानों मे 5 से दस हज़ार तक की लिमिट बनाकर रखी हुई है जिससे सभी किसानों को थोड़ा थोड़ा दिया जा सके और सभी का चलता रहे। जबकि कई उपस्थित किसानों द्वारा लगातार बैंक प्रबंधन पर भी आरोप लगाया जाता रहा है की बैंक प्रबंधन पहुच वाले किसानों को तो एक मुस्त लाख तक दे देता है पर हम छोटे और बिना पहुच वाले किसानों को रोज बैंक के चक्कर लगाने पड़ते हैं और बैंक कर्मचारियों की जी हुज़ूरी करनी पड़ती है।

सहकारी बैंकों मे 12 महीने रहता है नोटबन्दी –

  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नोटबंदी भले ही उनकी सरकार मे अब तक मात्र एक बार ही हुई है परंतु सहकारी बैंकों के यह हाल हैं की यहाँ पर हमेशा ही नोटबंदी रहती है। जब कभी भी जाया जाये तो पता चलता है की आज कैश की कमी है कल आइए, तो कल जाते हैं तो परसों और इसी प्रकार का रोज़ का सिलसिला चलता रहता है। सबसे बड़ी बात जो बैंक प्रबंधकों द्वारा बताई गई की सहकारी बाँकों मे जमा के नाम पर कहीं कुछ नहीं होता मात्र हमे देना पड़ता है। और चूंकि शाखा मे कैश की कमी निरंतर बनी रहती है अतः जैसा की बताया गया की जो राशि ऊपर की मुख्य शाखा से मिल गई उसी से काम चलाना पड़ता है। अतः जब तक दूसरे राष्ट्रीयकृत बैंकों की तरह सहकारी बैंक को भी विकसित नहीं किया जाएगा तब तक यही हालात बने रहेंगे।

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शिवानंद द्विवेदी, सामाजिक कार्यकर्ता, रीवा मप्र।

78699992139

Saturday, March 17, 2018

अगडाल से कैथा प्रधानमंत्री सड़क की घटिया गुणवत्ता की शिकायत पर जांच करने पहुचे मऊगंज उपयंत्री अमित गुप्ता, ठेकेदार को पकड़ाया नोटिस, गुणवत्तापूर्ण सड़क नही बनी तो होगी रिकवरी और साथ ही होगा ठेका निरस्त

दिनांक 17 मार्च 2018, स्थान - गंगेव/गढ़ रीवा मप्र

(शिवानंद द्विवेदी, रीवा मप्र)

    मऊगंज प्रधानमंत्री सड़क योजना अंतर्गत अगडाल से कैथा तक बनायी जा रही 9.4 किमी सड़क की घटिया गुणवत्ता की शिकायत ज़िले से लेकर केंद्र तक की गयी है जिस पर कई मर्तबा जांचें हुईं लेकिन एस क्यू एम और एन क्यू एम से लेकर सभी जांच करने पहुचे हैं परंतु इस पर अब तक कोई सार्थक कार्यवाही नही हुई है। 

     पुलों के निर्माण में पहले ही गुणवत्ता की अनदेखी की गयी है जिससे कई पुलें समय से पहले मात्र 6 माह में ही टूट चुकी हैं। कैथा स्थित कैप्टेन आर डी पांडेय के घर के सामने पुल बीचों बीच दरार आने से टूट गयी है।

      इसी प्रकार कई पुलें ऐसी देखी जा सकती हैं जिनमे दरार आ जाने और घटिया गुणवत्ता के कारण खराब हो चुकी है। इन सब बातों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि पूरे ज़िले में प्रधानमंत्री सड़क के कार्यों में गुणवत्ता की कितनी अनदेखी हो रही है।

    अभी हाल ही में पिछले कुछ दिनों से लौरी मोड़ से लेकर अकलसी मोड़ तक मात्र तीन किमी सड़क पर डब्लू एम एम डालकर बिना पर्याप्त पानी डाले और बिना उचित मात्रा में प्राइमर डाले डामर युक्त गिट्टी डाली जा रही थी जिससे डामर की पकड़ नही बन पा रही थी जिसके कारण कई स्थानों पर सड़क में गड्ढे बन गए थे और सड़क टूटी हुई दिख रही थी। कई स्थलों पर यह भी देखा गया था कि 27 एम एम की डामर गिट्टी मिली हुई प्रथम लेयर भी सही तरीके से नही डाली गई थी जिस कारण से स्वतः ही गड्ढे बन गए थे। इस बात पर संबंधित ठेकेदार सोनभद्र कंस्ट्रक्शन लिमिटेड के संदीप पांडेय और मऊगंज प्रधानमंत्री सड़क के जीएम सुजीत कुमार निगम और उपयंत्री अमित गुप्ता को कई मर्तबा अवगत कराया गया था परंतु मात्र हवा में ही अस्वासन का खेल चल रहा था। अब जब लौरी नंबर 3 के निवासी योगेंद्र शर्मा ने सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी को दिनांक 17 मार्च शुबह यह जानकारी पुनः दी कि सड़क की गुणवत्ता के साथ निरंतर खिलवाड़ चल रहा है और कोई सुनवाई नही हो रही है जिस पर सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा संबंधित मऊगंज उपयंत्री को तत्काल निर्माण स्थल पर पहुचकर निरीक्षण करने की मांग की गयी जिस पर दोपहर लगभग 1 बजे उपयंत्री अमित गुप्ता लौरी नंबर 3 पहुचे और पाया कि शिकायत सही थी। प्राइमर का उचित अनुपात में प्रयोग नही होना पाया गया, सड़क में पानी का छिड़काव भी होना नही पाया गया साथ ही 27 एम एम परत भी कई स्थानों पर नही पायी गई। 

     इस पर उपयंत्री द्वारा लिखित तौर पर ठेकेदार संदीप पांडेय को नोटिस जारी करने की बात कही गयी साथ ही बताया गया कि यदि सड़क की गुणवत्ता के साथ समझौता किया जाता रहा तो राशि रोककर ठेका निरस्त कर वशूली की कार्यवाही भी की जा सकती है। इस पर उपस्थित सभी ग्रामीण जनों ने प्रधानमंत्री सड़क के मजबूती पूर्ण निर्माण की माग की है।

    बता दें कि अगडाल से कैथा तक 9 किमी 4 सौ मीटर लंबाई की सड़क का पैकेज क्र. एम पी 32170 है जिसकी प्रारंभिक लागत 3 करोड़ 33 लाख 43 हज़ार रुपये बतायी गई है। औसतन देखा जाए तो प्रति किमी इस सड़क की लागत 33 लाख के आसपास आ रही है जो प्रधानमंत्री सड़क के हिसाब से उचित भी है परंतु इस पर भी सड़क की गुणवत्ता के साथ समझौता किया जाना विभाग और ठेकेदार की मिली भगत को दर्शाता है। एक बात और भी ध्यान देने योग्य है यह पूरी सड़क पहले से भी 12 मासी मुख्यमंत्री सड़क थी जिस पर पहले से भी पर्याप्त मिट्टी और मोरम डाला गया था जिससे सड़क की ऊंचाई काफी थी। ऐसे में सड़क की गुणवत्ता के साथ समझौता करना सम्पूर्ण सिस्टम पर बहुत बड़ा प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है।

      अब देखना यह होगा कि दिनांक 17 मार्च को मऊगंज प्रधानमंत्री सड़क उपयंत्री की जांच और की गई कार्यवाही भी मात्र औपचारिकता ही रहेगी कि कार्य की गुणवत्ता में कुछ सुधार होगा।

  संलग्न - अगडाल से कैथा प्रधानमंत्री सड़क की जांच करने पहुचे उपयंत्री अमित गुप्ता एवं ठेकेदार के कर्मचारियों की फ़ोटो और साथ ही सड़क की घटिया गुणवत्ता की फ़ोटो।

  - शिवानंद द्विवेदी सामाजिक कार्यकर्ता रीवा मप्र। 7869992139

Sunday, March 4, 2018

गोवंश की रक्षा मानवता की सुरक्षा

नमस्कार।
   देखिए भाजपा सरकार के कार्यकाल में गौमाताओं की कितनी बड़ी दुर्दशा हो रही है। खुलेआम गायों की प्रताड़ना का शिलशिला निरंतर चलता हुआ।
    Unauthorized बाड़ों में जिनमे की किसी की कोई जिम्मेदारी तय नही है, इन बेजुबानों को कैद कर दिया जाता है जिसमे समुचित व्यवस्था के अभाव में भूंख प्यास से यह बेजुबान दम तोड़ रहे हैं जिन्हें देखने वाला न तो भाजपा और न ही कोई हिंदूवादी संगठन समझ आ रहे हैं। सभी हिंदूवादी संगठन यह बात जानते हैं फिर भी भाजपा पर दबाब बनाने में असफल सिद्ध हुए हैं इससे साफ जाहिर है कि सत्ता पर आने के बाद सभी पार्टियों के एक ही आदर्श होते हैं और वह है पैसा, कुर्सी और सत्ता। आखिर बजरंग दल, विश्व हिंदू परिषद, आर एस एस सहित अन्य गोरक्षा दलों के होते हुए भाजपा इस बात को गंभीरता से क्यों नही लेती? ,जब भाजपा की सरकार बनी थी तो इसने हिंदुओं को वेवकूफ बनाकर हिंदुओं के संवेदनशील मुद्दों के नाम पर ही तो वोट और सत्ता हथियाई थी तो अब भाजपा हिंदुओं को जबाब क्यों नही देती की गायों की दुर्दशा के पीछे क्या कारण हैं?
    यदि प्रदेश में हो रहे अरबों खरबों के घोटालों में इन नेताओं और उनके चमचों के हाँथ साफ हो रहे हैं तो आखिर इन घोटालों का 5 प्रतिशत भी यदि गोरक्षा के लिए लगा दिया जाए तो पर्याप्त गोशालाएं और गो अभयारण्य बनाये जा सकते हैं और प्रदेश में गायों और जनके वंशों की समुचित सुरक्षा व्यवस्था की जा सकती है।
     धन्य है उमा भारती जिन्होंने मप्र में गायों को कटने के लिए अदिनियम पास कर इनकी सुरक्षा की अन्यथा कोई माई का लाल नही था जो इनकी सुरक्षा कर पाता। अब आखिर मप्र में गोरक्षा के लिए यदि इतने नियम बने हैं तो भी उनका पालन यह प्रदेश सरकार क्यों नही करवा पॉय रही है?
   
     किसानों का खून पी रही है प्रदेश भाजपा सरकार
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    जहां एक तरफ भारतीय संस्कृति की माता गोमाता की इतनी बड़ी दुर्दशा हो रही है वहीं दूसरी तरफ प्रदेश के किसानोंकी भी दुर्दशा बढ़ती जा रही है। आवारा छोड़ दिये गए पशु किसानों के लिए समस्या बन हुए हैं जिससे कुछ समाज के निर्दयी लोग इन गोवंशों को अवैध बाड़ों में कैद कर देते हैं और चारे पानी छाया एवं समुचित व्यवस्था बिना छोड़ देते हैं जिससे यह बेजुबान धीरे धीरे करके घुट घुट कर कमजोर होकर मर जाते हैं। इनकी देखभाल करने वाला कोई मई बाप नही होता। अब कृष्ण राम तो जन्म नही लेंगे। यह हिन्दू समाज आज स्वयं ही इनका भारी दुश्मन बन चुका है।

सूखा अकाल और महामारी फैलने का मूल कारण गोहत्या होना -
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   आज जो पूरे देश मे सूखा अकाल अशांति, आतंकवाद और महामारी फैल रही है उसके पीछे मात्र गोहत्या का होना ही कारण है।
     जिस प्रकार यह समाज आज गायों की उपेक्षा कर रहा है और इतने शांत प्राणी को मौत के घाट उतार रहा है, गो प्रताड़ना बढ़ती जा रही है, मांसाहार बढ़ता जा रहा है उसी का परिणाम है कि प्राकृतिक संतुलन बिगड़ कर महामारी, युद्ध, अशांति, आतंकवाद, सूखा, अकाल, बाढ़, अतिवृष्टि, भूकंप, भूस्खलन जैसी प्राकृतिक विपदाएँ बढ़ती जा रही हैं लेकिन मॉनव की आंख नही खुल रही है जिसका परिणाम भयानक मानवीय क्लेश, और दुखद स्थितियों के रूप में सामने आएगा।
     यदि मॉनव समय रहते नही चेता तो अंत मे सोचने के लिए और गलती सुधारने के लिए भी और प्रायश्चित करने के लिए भी समय नही बचेगा।

   - शिवानंद द्विवेदी, गोरक्षक, सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता रीवा मप्र।
      7869992139

 

Saturday, March 3, 2018

रंग, भांग और दारू के जश्न के बीच रीवा के अवैध बाड़ों में चारा पानी बिना दम तोड़ रही बेजुबान भारतीय संस्कृति की माता !

दिनांक 3 मार्च 2018, स्थान - रीवा मप्र

(शिवानंद द्विवेदी, रीवा मप्र)

  जब अधिकतर देश रंग भांग और दारू के जश्न के बीच होली मना रहा था तब रीवा के थाना गढ़ अंतर्गत हिनौती पंचायत के पांडेय ढाबा के पीछे सहित कई अवैध बाड़ों में बन्द बेजुबान गायें चारा पानी बिना जान दे रहीं थी।

      यह वाकया हिनौती निवासी कमलेश पांडेय पिता अनुसुइया पांडेय द्वारा एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी को बताई गई कि दिनाँक 2 मार्च की शाम को तीन गायें बाड़े के अंदर मर चुकी हैं। इस पर शिवेंद्र सिंह परिहार, देवेंद्र सिंह परिहार, अखंड प्रताप सिंह सभी निवासी बड़ोखर के साथ पहुचकर मौके पर देखा गया तो पाया गया कि बाड़े में तीन गायें थीं जिसमे दो गायें मृत पड़ीं थीं और एक गाय बाड़े में घायल कमजोर अवस्था मे पड़ी थी। वहीं पर आसपास देखा गया तो पाया गया कि गायों के मरने की खबर पर किसी अज्ञात व्यक्ति ने तार हटाकर बाड़ा तोड़ दिया था जिससे लगभग सौ के आसपास बन्द गायें मुक्त कर दी गईं थीं। आसपास गायों की उपस्थिति भी देखी गई। बाद में दिनाँक 3 मार्च की सुबह को कमलेश पांडेय द्वारा खबर दी गई कि सभी गायें फिर से अवैध बाड़े के अंदर कर दी गई हैं। अवैध बाड़ा बनाने में मुख्य सहयोग गो संवर्धन बोर्ड के उपाध्यक्ष राजेश पांडेय, हिनौती पंचायत के सरपंच पति महेंद्र चतुर्वेदी, सेदहा पंचायत से चिन्तामड़ि सिंह, महेंद्र सिंह सहित अन्य कई लोग सम्मिलित थे। पिछले तीन माह पूर्व हिनौती शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में उपस्थित होकर अवैध वाड़ा बनाये जाने की रूपरेखा तय की गई थी जिस पर उपस्थित उक्त सभी सदस्यों द्वारा सहयोग प्रदान कर वैकल्पिक व्यवस्था की मौखिक जिम्मेदारी ली गई थी जिस पर उपस्थित रीवा गो संवर्धन बोर्ड के उपाध्यक्ष राजेश पांडेय एवं सीएम सिंह सेदहा, महेंद्र सिंह सेदहा एवं अन्य लोगों द्वारा पैसा देकर गोवंशों के लिए उचित व्यवस्था करने की बात कही गयी थी। लेकिन अवैध बाड़ा बनाने के बाद कोई उचित व्यवस्था नही की गई। पूरे ठंड के मौसम में पशु खुले आसमान के नीचे महुआ के नीचे रहे जिसमे कई मारे गए। सूत्रों से यह भी जानकारी प्राप्त हुई कि सैकड़ों बैलों को कसाइयों के हाँथ बेंच दिया गया। पहले 24 घंटे में मुश्किल से 2 से 3 घंटे मवेशियों को बाड़े के बाहर कर दिया जाता था जिससे पूरे 24 घण्टे में मात्र वह एक बार वहीं अनुसुइया प्रसाद पांडेय के तालाब में पानी पी लिया करते थे लेकिन पिछले दस पंद्रह दिन से तालाब का पानी भी सूख जाने से पशुओं के लिए पीने योग्य पानी तक नही बचा है।

      फसल नुकसानी का हवाला देकर हिनौती में बनाए गए अवैध बाड़े को असामाजिक तत्वों एवं गोहत्यारों द्वारा महिमा मंडन भी करने का प्रयास किया गया जिसमें पिछले महीनों कुछ मीडिया समूहों को गलत जानकारी प्रेषित कर प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से यह भी प्रकाशित कराया गया जिसमें दसरथ और सूर्यपाल उपाध्याय आदि के द्वारा यह भी बताया गया कि अवैध बाड़ा गोशाला है जिसमे 6 सेवादारों को रखा गया है जिसका रोज का खर्च प्रति सेवादार 200 रुपये के हिसाब से 1200 रुपये है, इस प्रकार 36 हज़ार रुपये प्रतिमाह मात्र सेवादारों की तनख्वाह है जिसे आसपास के 10 से 12 ग्रामों के लोगों द्वारा चंदे से इकठ्ठा की गई राशि से दी जाती है। ऐसा भी झूँठा मनगढ़ंत भ्रामक जानकारी प्रकाशित की गई थी कि मवेशियों को दिन में पूरे दिन छोंड़ कर रखा जाता है और मात्र रात्रि में बाड़े के अंदर किया जाता है।

     जबकि सच्चाई यह है कि न तो कोई सेवादार थे और न ही गोवंशों के लिए कोई व्यवस्था। मात्र सेवादारों के नाम पर एक दो लोग थे जिनके खेत बाड़े के आसपास होने के कारण वही अपने खेत की रखवाली के समय कभी कभार जब समय मिलता तो एक दो घंटे के लिए दिन में पानी के वास्ते मवेशियों को ढील दिया करते और 24 घंटे में मात्र एक बार पानी पिलाकर पुनः खदेड़ कर गायों को अंदर कर देते।

     इस गोहत्या में मुख्य सह्योगियो में हिनौती सरपंच प्रतिनिधि एवं सरपंच पति महेंद्र चतुर्वेदी, सूर्यपाल उपाध्याय सहित सेदहा के सरपंच प्रतिनिधि थे जिनकी मिलीभगत से यह अवैध बाड़ा एक बार फिर बनाया गया था।

      अवैध बाड़ा बनाये जाने के पूर्व जिले के गो संवर्धन बोर्ड के उपाध्यक्ष राजेश पांडेय को हिनौती स्कूल परिषर में बुलाया जाकर इनकी अनुसंशा के पीछे क्या माजरा था? इससे साफ जाहिर था कि सभी की मिलीभगत थी।

     आखिर जब गो संवर्धन बोर्ड के उपाध्यक्ष की उपस्थिति वहां मौके पर थी तो गो रक्षा के वास्ते इन्हें यह बात तो कहनी थी कि हम गोहत्या नही होने देंगे और यदि शासन प्रशासन से कोई फण्ड अथवा व्यवस्था नही है तो अवैध बाड़ा नही बनाया जा सकता? आखिर जब गो संवर्धन बोर्ड का उपाध्यक्ष मौजूद था तो उसे यह बताना था कि यदि कोई बाड़ा बनाया जाए तो पहले एक आधिकारिक तौर पर पंचायती समिति गठित की जाए जिसके सदस्यों की पूरी जिम्मेदारी तय होनी चाहिए कि कौन और कैसे मवेशियों के चारा भूषा पानी और छाया की व्यवस्था करेगा। 

    लेकिन जिस प्रकार से गो संवर्धन बोर्ड के उपाध्यक्ष द्वारा इतने महत्वपूर्ण पद पर बैठकर पद का दुरुपयोग कर असामाजिक तत्वों द्वारा अवैध बाड़ा बनाकर प्रोत्साहन दिया गया इससे बहुत बड़ा प्रश्न खड़ा करता है की गायों और भारतीय संस्कृति की माता के नाम पर भी राजनीति करने वालों की भी कमी नही है।

    दिनाँक 2 एवं 3 मार्च को गढ़ टी आई मंगल सिंह सहित डायल 100 को भी घटना के बारे में सूचित किया गया -

      दिनांक 2 मार्च फगुआ की शाम को गायों का अवैध बाड़े में मरने की सूचना संबंधित गढ़ थाना के टी आई मंगल सिंह को दी गई जिस पर मंगल सिंह द्वारा मात्र कार्यवाही का आश्वासन दिया गया है। टी आई द्वारा लिखित शिकायत दर्ज करने की बात कही गयी है लेकिन भलघटी पनगड़ी से लेकर सेदहा प्राइवेट स्कूल के खंडहर में बन्द गायों तक के मामले में कोई एफआईआर दर्ज नही हुई है जबकि सभी के लिखित शिकायत दी गई हैं और मौके बारदात पर घटना घटित होना पाया गया था। जिस प्रकार गोवंश प्रताड़ना वाले प्रकरण में कोई एफआईआर दर्ज नही की जा रही है और दोषियों को छोड़ा जा रहा है जबकि घटना के पर्याप्त साक्ष्य मौजूद रहते हैं इससे रीवा और मप्र पुलिश की निष्क्रियता एवं आपराधिक तत्वों से मिली भगत और राजनीतिक दबाब का पता चलता है।

      वहरहाल दिनांक 3 मार्च को शिकायतकर्ता कमलेश पांडेय एवं गोवंश राइट्स एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी द्वारा एक बार पुनः लिखित शिकायत भी दर्ज करवा दी गई है जिसकी प्रति भी यहां संलग्न है और अब देखना यह है कि गोहत्याओं के इस मामले में एफआईआर दर्ज कर दोषियों के ऊपर कार्यवाही की जाती है अथवा पहले जैसी ही हीलाहवाली की जाती है।

     जानकारी लिखे जाने तक सभी सैकड़ों गायें उसी हिनौती में पांडेय ढाबा के पीछे बनाये गए अवैध बाड़े में चारा पानी भूषा बिना बन्द मर रही है और अपने जीवन का गुहार लगा रहे हैं।

  संलग्न - अवैध बाड़े में मृत पड़ी गायों की तस्वीर।

   - शिवानंद द्विवेदी रीवा मप्र। 7869992139

     थाना गढ़ में दिए गए शिकायत की एक और प्रति संलग्न है।