Thursday, December 1, 2016

(Rewa, MP) लोहरा जंगल क्षेत्र में अवैध बिजली के करंट से मरे नीलगाय का कंकाल रातों-रात गायब, मात्र शिर का शेष बचा भाग ही हो पाया जब्त


दिनांक: 01/12/2016
  स्थान: (हिनौती, रीवा मप्र)

 लोहरा में अवैध बिजली के करंट से मरे नीलगाय का कंकाल रातों-रात गायब, मात्र शिर का शेष बचा भाग ही हो पाया जब्त.

   (हिनौती, रीवा मप्र – शिवानन्द द्विवेदी)  रीवा जिले में वन अपराध किस हद तक जा सकता है इसका उदहारण दिनांक 30/11/2016 को सुबह दिखा जब हिनौती-सेदहा पंचायती क्षेत्र अंतर्गत लोहरा नामक स्थान पर दिनांक 29/11/2016  को दोपहर दो बजे के बाद करंट से मरे हुए नीलगाय के शिर के  अतिरिक्त का छोड़ा गया कंकाल का शेष भाग रातों-रात गायब हो गया. जाहिर है यह काम वन विभाग के उच्चाधिकारियों की संलिप्तता को ही उजागर करता है क्योंकि इसके पहले 29  नवम्बर को पूरा दिन यह जानकारी प्रमुख मुख्य वन संरक्षक पीसीसीएफ श्री अनिमेष शुक्ला भोपाल से लेकर रीवा के डीएफओ श्री गुप्ता, रीवा सीसीएफ श्री मुद्रिका सिंह, एसडीओ श्री ए के शर्मा एवं सिरमौर रेंज अफसर श्री अशोक बाजपाई को दिया गया था. पर क्योंकि फॉरेंसिक जांच के लिए और डीएनए परीक्षण के लिए शरीर के शेष कंकाल का भाग वहां से नहीं उठाया गया इसलिए वह रातोंरात गायब कर दिया गया. इस सन्दर्भ में न तो कोई जांच की गयी और न ही यह पता लगाया गया की वह हड्डियों का बचा हुआ कंकाल आखिर रातोंरात गया तो गया कहाँ.
      निश्चित तौर पर कार्यवाही की गाज गिरने से चिंतित वन कर्मचारी और अधिकारी रातोंरात कंकाल को गायब करवा दिए जिससे कोई सिनाख्त न हो पाए कि मरा हुआ जानवर नीलगाय ही था. क्योंकि यदि यह सिद्ध हो जाएगा की मारा हुआ जानवर नीलगाय है और वह बिजली के करंट से मारा गया है तो निश्चित तौर पर यह उन दबंगों को भी सलाखों के नीचे पंहुचा देगा जो की अवैध तरीके से बिजली का खुला तार लगाकर रात में बिजली का करंट सप्लाई कर देते हैं और साथ ही उन वन कर्मचारियों और अधिकारियों को भी कटघरे में खड़ा करने वाला है जिनकी सांठ-गांठ से ऐसा कृत्य खुलेआम किया जा रहा है.
 सिरमौर रेंजर अशोक बाजपाई को शिर के ऊपर का हिस्सा देख यह कहना मुश्किल था की मारा गया जानवर नीलगाय था की नहीं
      सबसे बड़ा आश्चर्य तो तब हुआ जब घटना के अगले दिन 30 नवम्बर को दोपहर बाद जांच करने और पंचनामा बनाने आये सिरमौर रेंजर अशोक बाजपाई ने यह कहने से इनकार कर दिया की मारा हुआ जानवर नीलगाय ही था. क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों की इकट्ठी जनता जिनमे अयोध्या प्रसाद केवट कांकर, संतोष केवट कैथा, इन्द्रलाल साकेत डाढ़, पुष्पराज तिवारी डाढ़, गेंदलाल सिंह सेदहा, कमलेश पाण्डेय हिनौती, आदि चिल्ला चिल्ला कर कह रहे थे की मारा हुआ जानवर जिसके शिर का शींग सहित कंकाल जब्त किया गया था वह कुछ और नहीं बल्कि नीलगाय का ही शिर था परन्तु वहां पर देर से अगले दिन जांच के लिए पंहुचे रेंजर अशोक बाजपाई, डिप्टी रेंजर के. के. पाण्डेय, मुन्सी प्रवीण गौतम, बीट गार्ड आनंद चतुर्वेदी इस बात को मानने से इनकार कर रहे थे की मारा हुआ जानवर नीलगाय ही था. अब प्रश्न यह उठता है की नीलगाय के शिर और उसकी सींगों की एक निश्चित ज्यामिति और आकर होता है जो अन्य वन पशुओं और घरेलू पशुओं को नीलगाय से अलग करता है. उसी आधार पर क्योंकि ग्रामीण जनमानस प्रतिदिन नीलगायों से वाकिफ होते रहते हैं अतः ग्रामीणजनों द्वारा इसे पहचानने में कोई दिक्कत नहीं हो रही थी की मारा हुआ जानवर का शिर का भाग नीलगाय ही था. अब जब वन विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों को यह ज्ञात नहीं है कि उनके जंगल में पाए जाने वाले कौन-कौन से जंगली पशु हैं और उनका आकर कैसा होता है? तो प्रश्न यह उठता है की इन वन अधिकारियों को क्या सरकारें यह ट्रेनिंग नहीं देती की उनके क्षेत्र में पाए जाने वाले जानवर के शिर के आकर को और उसके ज्यामिति को देखकर, उसके कंकाल और गोबर को देखकर अंदाज़ा लगाया जा सके की अमुक पशु किस प्रकार का है और कौन सा पशु है?
सींग सहित शिर के मिले कंकाल को अज्ञात पशु बताकर बनाया गया पंचनामा
      करते कराते बमुश्किल इन वन कर्मचारियों और अधिकारियों ने आखिरकार जाकर 30 नवम्बर को शाम लगभग 3:30 बजे के बाद इस मारे गए पशु का पंचनामा बनाया जिसमे फॉरेंसिक जांच के लिए कांकर बीट में ले जाया गया. यद्यपि कांकर बीट में न तो कोई फॉरेंसिक जांच की व्यवस्था है और न ही कोई फॉरेंसिक लैब प्रक्रिया जहाँ कांकर बीट में उस मरे हुए पशु की जांच की जा सके. वहरहाल यह अपेक्षा की जा रही है की मरे हुए पशु के शिर को कहीं हैदराबाद अथवा जबलपुर भेजा जायेगा जहाँ पर फॉरेंसिक और डीएनए जाँच की जानी चाहिए की मारा गया पशु करंट लगाकर मरा की गोली बन्दूक से मरा की अपनी प्राकृतिक मौत से मरा अथवा किसी शेर-चीते के खाने से मरा. वहरहाल, क्षेत्र से प्राप्त जानकारी के अनुशार कुछ दिन पूर्व ही वहीँ के दबगों और अवैध कार्यों में संलिप्त लोगों के द्वारा करंट लगाकर नीलगाय का शिकार किया गया और चमडा रातों-रात उधेड़ ले जाया गया. कुछ संदिग्धों की सिनाख्त हुई है जिनकी अभी तक कोई जांच नहीं की गयी और न ही उन्हें किसी प्रकार से रिमांड में लिया गया है. यदि संदिग्धों को रिमांड में लेकर पूंछतांछ की जाएगी तो निश्चित ही इस पूरे अवैध कार्य भंडाफोड़ हो जाएगा.
      यह कोई नई बात नहीं है की सिरमौर वन परिक्षेत्र में नीलगाय अथवा अन्य जंगली जानवरों का इस प्रकार से बेरहमी से करंट लगाकर मारा गया है. इसके पूर्व भी ग्रामीणों और वन क्षेत्र में भ्रमण करने वालों द्वारा समय समय पर यह जानकारी दी जाती रही है की रोझ और नीलगाय को मारा जा रहा है. पर सभी शिकायतों का गलत और झूठा निराकरण देकर वन विभाग मुक्त हो जाता था परन्तु इस मर्तबा सीधे-सीधे जानकारी प्राप्त होने पर घटनास्थल पर पंहुच कर कंकाल ही देखा गया और वह भी ऐसे क्षेत्र में जहाँ पर शेर चीते आदि मांसाहारी जानवरों की होने की कोई न तो शिनाख्त मिलती है और न ही कोई वजह समझ आती है. वहरहाल वहीँ पर लगभग सभी के खेतों में अवैध तरीके से बिजली सप्लाई वाले खुले तार अवश्य लगाए मिलते हैं जिससे इस बात की और भी पुष्टि होती है की मारा गया जानवर अपनी प्राकृतिक मौत नहीं मरा बल्कि उसे किसी न किसी के द्वारा मारा गया है जो अक्सर इस क्षेत्र में बताया जाता रहा है.
मप्र की सीएम हेल्पलाइन पर वन विभाग की शिकायतों का दिया जाता है सरासर झूंठा और भ्रामक निराकरण
रीवा जिले के सिरमौर वन परिक्षेत्र में अवैध शिकार, नीलगायों को करंट लगाकर मारा जाना, अवैध उत्खनन, अवैध वनों की कटाई, जंगली क्षेत्र में सबूतों को नष्ट करने के लिए वनों में आग लगवा देना, तेंदू पत्ता संग्रहण में अनियमितता आदि के सन्दर्भ में सतत प्रकरण रखे गए पर सभी में रीवा के वन अधिकारियों द्वारा झूठा निराकरण देकर लीपापोती की जाती रही है. कुछ प्रकरण नीचे दिए जा रहे हैं जिन्हें अभी भी मप्र शासन की सीएम हेल्पलाइन की वेबसाइट पर जाकर देखा जा सकता है. इस विषय में सबसे पहली शिकायत क्र. 641418 है जो एक वर्ष पूर्व दर्ज की गयी थी और तब से अब तक पचासों प्रकरण दर्ज कर शासन-प्रशासन का ध्यान इस गंभीर समस्या के विषय में आकर्षित करने का प्रयास किया गया परन्तु किसी भी शिकायत पर सार्थक कार्यवाही तो तब होगी जब वन विभाग अथवा किसी भी विभाग के कर्मचारियों-अधिकारियों की मानशिकता में कोई बदलाव आएगा तब. एक सामान्य मनोवृत्ति बन चुकी है की किसी भी ऑनलाइन शिकायत पर किस प्रकार से लीपापोती कर दी जाए और अपने गंदे दामन को स्वच्छ बताया जाए. आखिर कौन ऐसा विभाग और कौन ऐसे कर्मचारी होंगे जो अपने आपको गलत बताएँगे? सीएम हेल्पलाइन की जांच भी तो विभागीय अधिकारियों कर्मचारियों द्वारा ही की जाती है. और विभागों की स्थिति यह है कोई भी विभाग अपने छोटे से छोटे कर्मचारी को भी गलत सिद्ध नहीं कर सकता है इतना बड़ा विभागीय नाता रिश्ता होता है इनका. यह सब हम आम जन ही इतने मूर्ख हैं की समाजसेवा और फला फला कार्यों और आदर्शों के नाम पर एक दूसरे की शिकायत करते रहते हैं. शायद हमे भगवान् कभी सद्बुद्धि दे दे और हम चाहे इस समाज और देश में कुछ भी घटिया और अवैध कार्य होता रहे, चाहे किसी का मर्डर होता रहे, कोई कितना भी लुटता रहे हम चुप चाप मूकदर्शक बनकर देखते रहें और सिर्फ हम भी अपनी रोटी ही सेंके और समाज और प्रशासन जाए भाड़ में हम सिर्फ अपना ही कल्याण करें तो ज्यादा बेहतर रहेगा. हे प्रभू! आपने काश हमे भी इतनी अच्छी बुद्धि दी होती और यह समाजसेवा का भूत उतार दिया होता तो कितना अच्छा होता पर आपकी माया तो बड़ी विचित्र है पता नही आप क्या-क्या करवाते रहते हैं और हम सबको विचित्र गोल-गोल कार्यों में घुमाते रहते हैं. देखें कुछ वन अपराधों के विषय में दर्ज सीएम हेल्पलाइन के प्रकरण क्र.-  2988040, 2089301, 1960527, 193006, 1921718, 1919170, 1906829, 1904264, 1903493, 1901190, 1866486, 1832163, 1124794, 1109470, 1091167, 1089417, 1071920, 1054059, 1031416, 1029963, 1029498, एवं 1029457,

वन एवं पुलिश दोनों विभागों की जानकारी में हैं अवैध शिकार और अवैध करंट लगाने की घटना
    ऐसा नहीं है की रीवा जिले के वन परिक्षेत्र के आसपास करंट लगाकर वन्य पशुओं के शिकार अथवा किस कारण बस उनको नुक्सान की कोई यह पहली घटना है. इसके पूर्व भी कई मर्तबा यह प्रकरण आये हुए हैं और यह बात वन विभाग के छोटे से छोटे कर्मचारी से लेकर भोपाल और दिल्ली तक के वन अधिकारियों और मंत्रियों के संज्ञान में रखी गयी है. अभी हाल ही में जब भमरिया क्षेत्र में गायों के लिए अवैध कैदखाना बनाया गया था तो उस समय भी यह प्रकरण सम्बंधित गढ़ थाने में रखा गया था और गढ़ थाना प्रभारी को घुमाकर पूरा क्षेत्र दिखाया भी गया था उस समय थाना प्रभारी महोदय ने क्षेत्र के कास्तकारों और करंट लगाने वालों को मौखिक रूप से आगाह भी किया था की इस प्रकार की अवैधानिक प्रक्रिया में संलिप्तता उनको कानून के दायरे में ले लेगी और ऐसे सभी लोग तत्काल करंट अपने खेतों से हटा लें परन्तु आज तक दबगों की दबंगई में कोई प्रभाव नहीं पड़ा और करंट जस का तस है. अब मात्र आवश्यकता है इन दबगों और अवैध कार्य में संलिप्तों पर सम्बंधित धारा में प्रकरण दर्ज करने की तभी जाकर समस्या का समाधान हो पायेगा अन्यथा बिना कानूनी सख्ती से मानवता का पाठ पढ़ाना काफी मुश्किल होगा.
खेतों में अवैध करंट लगाने के पीछे दबंग बताते हैं नीलगायों से फसल नष्ट होने का बहाना
      कभी भमरिया से लेकर नेवरिया और गदही, डकरकुण्ड, लोहरा, रोझौही, और यहाँ तक की सन्नसिया की डाडी आदि ऐसे क्षेत्र सरकारी भूभाग में शुमार हुआ करते थे जो वास्तव में एक सार्वजनिक किस्म के चारागाह होते थे जहाँ ग्राम-क्षेत्र के लोग अपने माल-मवेशियों को बरसात और अन्य मौसमों में ले जाकर चराया करते थे. अब आज मानवीय हस्तक्षेप की कोई सीमा ही नहीं बची है. कांकर और पनगड़ी बीट के जंगली क्षेत्र में भी मानवीय अतिक्रमण हो गया है. यह बात भी समझ के परे है की आखिर नौपथा और तेंदुन क्षेत्र जो लगभग पांच सौ हेक्टेयर के ऊपर का है यह राजस्व क्षेत्र कैसे हो गया? क्योंकि यह एक अजीब ही प्रकरण है की इतना बड़ा राजस्व भूभाग जंगली भूभाग के मध्य में कैसे स्थित है और यदि है तो सरकार प्रशासन ने इसे जंगली क्षेत्र के अधीनस्थ सम्मिल्लित करने की कोई प्रक्रिया क्यों नहीं की? या की इस बड़े राजस्व भूभाग को जंगल विभाग को सरकार दे दे अथवा जंगले विभाग की लगी सम्पूर्ण जमीन ही राजस्व घोषित कर दे तो रोज़ रोज़ की समस्याओं से निजात मिल जाए तो न ही हमारे जैसे जैसे लोग कंप्लेंट ही करेंगे और न ही पर्यावरण जैसी कोई बात होगी फिर जाने दें पर्यावरण को भगवान् भरोशे. अब चूँकि इतना बृहद पांच सौ हेक्टेयर के आसपास का भूभाग जंगल के ठीक बीचोंबीच में है इसी कारण काफी हद तक बाहरी लोगों का अतिक्रमण बढ़ गया है और कुछ अपना पट्टा भी बताकर जंगलों में घुस गए हैं जिसे देखने और जांच करने वाला कोई नहीं है. जो लोग जंगलों में अपना पट्टा बताकर घुस जाते हैं वह वहां से अवैध तरीके से ट्रेक्टर में लकड़ी और पत्थर परिवहन करके लाते हैं और ऐसों का कहना होता है की वह यह सब अपने पट्टे और राजस्व क्षेत्र से कर रहे हैं. इस प्रकार कई बार वन विभाग को भी यह कहने का मौका मिल जाता है की वह ऐसे वन अपराधियों को इस लिए नहीं पकड़ पाते क्योंकि ऐसा करने वाले अपने राजस्व क्षेत्र से लकड़ी अथवा पत्थर का उठाव किये होंगे.
मानव की भूख का कोई अंत नहीं, अब तो मानवीय मर्यादा भी पार हो चुकी है  
      मानव की भूंख का कोई अंत नहीं. चाहे यह जितना भी खा ले सब थोडा ही रहता है. आज से लगभग दशकों पूर्व जब आज की अपेक्षा कहीं अधिक पशु भी हुआ करते थे और तब अनाज उत्पादकता भी उतनी अधिक नहीं थी जितनी आज है तब का किसान और व्यक्ति बड़ी आसानी से पशुओं से तालमेल भी बैठा लेता था और ज्यादा खुश रहता था, पर आज जब कृषि विज्ञान ने इतना ज्यादा विकास कर लिया है की प्रति एकड़ अनाज उत्पादकता तो बढ़ी ही है साथ ही सरकार भी कई योजनायों के माध्यम से खाद्य सुरक्षा आदि पर विशेष ध्यान दे रही है फिर भी मानव की भूंख शांत होने का नाम नहीं ले रही है. वह जंगली क्षेत्रों में अवैध अतिक्रमण करता जा रहा है जिससे आज जंगली जानवरों के अस्तित्व पर संकट पैदा हो गया है. अब सवाल यह है की जंगल और जंगली जानवरों, वन संपदाओं की सुरक्षा के लिए ही तो वन एवं पर्यावरण मंत्रालय होता है. यह मंत्रालय क्या कर रहा है? इसके क्या कार्य हैं? यह बिलकुल ही स्पष्ट नहीं हो पा रहा है. दबंग और अवैध कब्ज़े वाले जमीदार तो हमेशा ही यह तर्क रखेंगे की उनकी फसल को रोझ-नीलगाय और आवारा पशुओं से नुकसान हो रहा है और वह काफी हद तक सही भी है. पर क्या किसान, जमीदार और हमारे इस समाज के तथाकथित ठेकेदार यह भी बताएँगे की आखिर इतने पशु आते कहाँ से हैं? जब तक गाय दूध दे तब तक तो वह बड़ी प्रिय है, और यदि वह बछड़ा बड़ा हो जाए और गाय दूध देना बंद कर दे तो वह आज बुजुर्ग माँ-बाप की ही तरह बोझ बन जाती है. क्या यही सच्चाई नहीं है? यदि मानव अवैध तरीके से जंगलों में घुस जाएगा तो जंगली पशु कहाँ जायेंगे? जंगली पशु भी जब तक जीवित हैं तो अपनी भूंख शांत करने के लिए यदि चारागाह और पानी की तलाश में जंगलों से बाहर निकल आते हैं तो इसमें गलत क्या है? अब सवाल यह है की जब यह बात लगातार शासन-प्रशासन के संज्ञान में आ रही है तो शासन-प्रशासन इन समाज के तथाकथित ठेकेदारों को साथ में लेकर क्यों कोई सार्थक पहल नहीं कर रहा है?  
  संलग्न – 1) दिनांक 30 नवम्बर 2016 को सिरमौर रेंजर श्री बाजपाई और अन्य की उपस्थिति में हुए पंचनामे की प्रति संलग्न है. 2) कुछ फोटोग्राफ एवं देखें यूट्यूब विडियो जिसमे करंट से मरे हुए नीलगाय के कंकाल और शिर के भाग और साथ ही उसकी गोबर को दिखाया गया है:
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Sincerely Yours,
Shivanand Dwivedi
(Social, Environmental, RTI and Human Rights Activists)
Village - Kaitha, Post - Amiliya, Police Station - Garh,
Tehsil - Mangawan, District - Rewa (MP)
Mob - (official) 07869992139, (whatsapp) 09589152587

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Tuesday, November 29, 2016

(Rewa, MP) हिनौती-सेदहा के लोहरा में बिजली के करंट से पुनः हुआ नीलगाय का शिकार - सिरमौर वन परिक्षेत्र रीवा का प्रकरण



दिनांक: 29/11/2016
स्थान: लोहरा (हिनौती, रीवा मप्र)


विषय – सेदहा-हिनौती पंचायत अंतर्गत लोहरा नामक स्थान पर बिजली के अवैध खुले करंट से फिर हुआ नीलगाय का अवैध शिकार.


   (हिनौती, रीवा मप्र – शिवानन्द द्विवेदी)  अभी हाल ही में कुछ दिनों पूर्व ही सिरमौर वन परिक्षेत्र के भमरिया-डकरकुण्ड क्षेत्र के आसपास विद्युत् करंट लगाकर जंगली जानवरों जैसे नीलगाय, शुअर आदि का शिकार और साथ ही घरेलू  पशुओं जैसे गाय, बैल आदि का भी करंट में फसकर मरने का प्रकरण रीवा जिले में पेपर पत्रिकाओं में सिटी संस्करण के मुख्य पृष्ठ में प्रकाशित हुआ था और सोशल मीडिया में भी छाया रहा.
हिनौती-सेदहा के लोहरा में बिजली के करंट से पुनः हुआ नीलगाय का शिकार
    अभी पुनः एक प्रकरण की जानकारी मिली जिसमे ग्रामीणों और इस क्षेत्र के लोगों द्वारा एक रोझ अथवा नीलगाय के मरने की सूचना सेदहा-हिनौती पंचायती क्षेत्र के पास दी गयी जो की वनपरिक्षेत्र सिरमौर के अंतर्गत ही आता है. दिनांक 29 नवम्बर 2016 को सूचना मिलने पर पर्यावरण एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता द्वारा सर्वप्रथम सिरमौर के रेंज ऑफिसर श्री बाजपाई को सूचित किया गया. उनके दवारा त्वरित कार्यवाही न होने पर कांकर के प्रशिक्षु बीटगार्ड मनोज तिवारी को साथ लेकर हिनौती-सेदहा के लोहरा क्षेत्र के पास ग्राम बडोखर निवासी राजकुमार सिंह वैस की डबरी के पास जाया गया जहाँ एक ट्रांसफार्मर के पास तथा शारदा सिंह निवासी बडोखर के अहरी के पास अभी ताजा मरे हुए नील गाय का कंकाल मिला जिसमे भारी बदबू आ रही थी. कंकाल के पास ही उसका गोबर पड़ा मिला जो ताज़ा था जिससे रोझ होने की पुष्टि होती है. कंकाल से लगभग पचास मीटर दूर चलने पर एक छोटे से पेंड के पास वहीँ लोहरा में ही रोझ अथवा काले नीलगाय का सींग सहित शिर का ऊपरी भाग मिला जिसको की वहां से एक बोरी में भरकर फारेस्ट गार्ड मनोज तिवारी की उपस्थिति में अग्रिम कार्यवाही और जांच के लिए लाया गया जिसमे शिर के ऊपरी भाग की फॉरेंसिक एवं डीएनए जांच की मांग की गयी है.    
रेंज ऑफिसर सिरमौर श्री बाजपाई से लेकर पीसीसीएफ भोपाल श्री अनिमेष शुक्ला तक सूचना प्रेषित पर घटनास्थल पर कोई अधिकारी समय पर नहीं पंहुचा
     यह जानकारी प्रारंभिक तौर पर सिरमौर रेंज के वन परिक्षेत्र अधिकारी श्री बाजपाई (मोबाइल - 09926764285) को प्रेषित की गयी वहां से घंटों कोई प्रतिक्रिया न मिलने पर वन मंडलाधिकारी रीवा श्री गुप्ता (मोबाइल - 09424793326), सहायक वन संरक्षक श्री ए के शर्मा (मोबाइल - 09424793327) मुख्य वन संरक्षक श्री मुद्रिका सिंह (मोबाइल - 09424793325) , और पीसीसीएफ श्री अनिमेष शुक्ला भोपाल (मोबाइल -  09424790001) को दी गयी. लगभग तीन बजे तक इंतज़ार करने पर भी जब कोई वन अधिकारी घटनास्थल पर नहीं आया तो मरे हुए नील गाय का शिर का अग्र  भाग लेकर घटनास्थल से हिनौती लाया गया.   

जांचकर्ता वनपरिक्षेत्र अधिकारी अतरैला द्वारा बदतमीजी से पेस आना इनकी वन अपराध में संलिप्तता दर्शाता है   
      इसके पूर्व जाँच के लिए आये सहायक वन संरक्षक श्री योगेश्वर वर्मा द्वारा बताया गया की अभी हाल ही में कांकर पनगड़ी बीट की जांच अतरैला के वनपरिक्षेत्र अधिकारी (मोबाइल - 07692053520) समेत एक पूरी टीम को सौपी गयी है जिसके सिलसिले में वह जाँच करने हेतु आ रहे हैं. इस जांच के सिलसिले में सूचना मिलने पर सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता सतत इस जांच टीम के एक सदस्य अतरैला के रेंजर के संपर्क में रहा जिनको सुबह 11 बजे तक आना बताया गया था. पर जब अतरैला रेंजर अपने दल के साथ 11 बजे तक नहीं आये तो उनसे जानकारी चाही गयी जिस पर उनका कहना था की वह पनगड़ी अथवा कांकर बीट में नहीं आ रहे बल्कि आवेदक स्वयं ही सिरमौर में आये और जांच में भागीदारी दे और कुछ बदतमीजी पूर्ण बातें की गयी. जाहिर है ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि पूरा रीवा वन विभाग ही सामाजिक एवं पर्यावरण कार्यकर्ता के जांच वाले बिन्दुओं से भयभीत है और क्योंकि इन वन कर्मचारियों और आला अधिकारियों के पास कोई जबाब देने को नहीं बचा है अतः स्वाभाविक रूप से अपनी भड़ास किसी न किसी माध्यम से निकाल रहे हैं जिसकी ऑडियो रिकॉर्डिंग भी मौजूद है.
      अब प्रश्न यह उठता है की भड़ास निकालने और आवेश में आने से न ही जांच संभव है और न ही वन अपराधों पर लगाम ही लग सकती है. सच्चाई जब भी सामने आती है तो उसके विपरीत कार्यों में संलिप्त माफिया की सांठ-गांठ से अवैध शिकार, अवैध उत्खनन, अवैध वनों की कटाई करवाने वाले यह वन अधिकारी और कर्मचारी आवेशित होकर अपने आपको और भी दोषी ही सिद्ध कर रहे हैं और साथ ही उनका बदतमीजी से पेश आने से मामला और भी गंभीर ही बनेगा. पूरे वन विभाग का ही यही हाल है की जब भी कोई वन अपराध की जानकारी किसी न किसी माध्यम से इनके उच्चाधिकारियों को प्रेषित की जाती है तो इनके कान खड़े हो जाते हैं, और फिर यह दोषी अधिकारी-कर्मचारी शिकायतकर्ता और आवेदक के चक्कर लगाने लगते हैं की वह अपनी शिकायत अथवा आवेदन वापस ले ले. कई मर्तबा ऐसा हुआ की यह वन कर्मचारी कोई तथाकथित गणमान्य व्यक्ति को लेकर पंहुच जाते और विभिन्न माध्यमों से आवेदकों और शिकायतकर्ताओं पर दवाब बनवाते की इन्हें माफ़ कर दिया जाए और यह वन कर्मचारी-अधिकारी अपनी कार्यशैली में जल्दी ही शुधार कर लेंगे पर हमेशा ही उसका उल्टा हुआ और जब भी इनको छोंड दिया जाता तो वन अपराध और भी धड़ल्ले से बढ़ते नज़र आये जो की हमारे वन और पर्यावरण के लिए बहुत घातक है जिस पर संज्ञान लेना अति आवश्यक हो गया है.
      यह जानकारी लिखे जाने तक बीट गार्ड मनोज तिवारी के अतिरिक्त कोई भी वन अधिकारी घटनास्थल पर मरे हुए नील गाय के पंचनामे और कंकाल उठाकर डीएनए अथवा फॉरेंसिक जांच के लिए नहीं लाया है. अभी भी अपेक्षा की जा रही है घटनास्थल का सघन निरीक्षण किया जायेगा और जो भी दोषी व्यक्ति अवैध खुले हुए बिजली के तार लगाकर करंट फैलाए हुए हैं उन्हें सख्ती से दण्डित किया जाएगा और जो भी व्यक्ति लोहरा क्षेत्र में मृतक पायी गयी नीलगाय की मौत का दोषी होगा उसके विरुद्ध भी वन्य प्राणी सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत कार्यवाही कर दण्डित किया जाएगा.
  संलग्न – कुछ फोटोग्राफ एवं देखें यूट्यूब विडियो जिसमे करंट से मरे हुए नीलगाय के कंकाल और शिर के भाग और साथ ही उसकी गोबर को दिखाया गया है:
  
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Friday, November 25, 2016

(Rewa, MP) - दबंगों ने सेदहा, डाढ़ और हिनौती ग्राम पंचायत के पास भमरिया में गायों के लिए एक बार फिर बनाया अवैध वांडा/कैदखाना


दिनांक: 25/11/2016
स्थान: भमरिया (हिनौती, रीवा मप्र)


सेदहा, डाढ़ और हिनौती ग्राम पंचायत के पास भमरिया में एक बार पुनः गायों के लिए बनाया गया अवैध वांडा.

   (हिनौती, रीवा मप्र – शिवानन्द द्विवेदी) गायों को अवैध तरीके से कैदखाने में रखने का एक और प्रकरण पुनः असामाजिक तत्वों द्वारा किया जा रहा है. जी हाँ यह प्रकरण है हिनौती, डाढ़ और सेदहा पंचायत के पास का और दोनों पंचायतों के संपर्क बिदु भमरिया अथवा भमरगढ़ नामक स्थान के पास का. यहाँ पर मंत्री उर्फ़ पुष्पेन्द्र सिंह पिता दिवाकर सिंह निवासी बडोखर, सूर्यकांत सिंह उर्फ़ बड़े बाबा पिता नर्मदा सिंह निवासी बडोखर, आनंद सिंह पिता समरबहादुर सिंह निवासी सेदहा, बिजेंद्र सिंह निवासी बडोखर और राजेंद्र त्रिपाठी पिता अमरनाथ निवासी करहिया-डाढ़ की सांठ-गाँठ से मंत्री उर्फ़ पुष्पेन्द्र सिंह पिता दिवाकर सिंह की जमीन पर अवैध तरीके से गायों के लिए कैदखाने/बाड़ा का निर्माण किया गया है जिसमे न तो चारे, न तो पानी और न ही आसमान पर छत है. गौ हत्या में तत्पर इन तथाकथित संभ्रांत दबंगों द्वारा एक बार पुनः कानून को ताक पर रखकर गौ हत्या निवारण अधिनियम मप्र, पशु अतिचार निवारण अधिनियम भारत को धता बताकर गौ-वंशों पर अतिचार किया जा रहा है जिसको देखने वाला कोई शासन-प्रशासन नहीं दीख रहा है जबकि कहा जाए तो मप्र एवं भारत में हिन्दू धर्म और गौवंशों का तथाकथित समर्थन करने वाली हिंदूवादी सरकार का ही राज चल रहा है.
  यह सब ज्यादातर दबंग और अपराधिक रिकॉर्ड वाले व्यक्ति हैं जो वहीँ पास स्थित कांकर पनगड़ी बीट के जंगलों से अवैध तरीके से गिट्टी पत्थर का परिवहन करते हैं और अवैध तरीके से लकड़ी की कटाई भी किया करते हैं.
  अभी हाल ही में आबकारी और पुलिश विभाग के छापों में बिजेंद्र सिंह निवासी बडोखर की हिनौती स्थित दुकान से देशी-विदेशी मदिरा भी पकड़ी गयी थी. बिजेंद्र सिंह अवैध तरीके से मदिरा बेचने का भी व्यापर करता है जिसकी सीएम हेल्पलाइन 181 में भी शिकायत दर्ज है.
  श्रीमती मनेका गाँधी जी के पीपल फॉर एनिमल एनजीओ का हस्तक्षेप –
अभी हाल ही में दिनांक 21 नवम्बर 2016 को सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता द्वारा श्रीमती मनेका गाँधी जी के पीपल फॉर एनिमल नामक एनजीओ को किये गए ईमेल जिसमे की कैदखाने में अवैध तरीके से बंद की गई गायों से सम्बंधित एक विडियो भी यूट्यूब के माध्यम से भेजा गया था जिसमे बाड़े में बंद की हुई गायों को लगभग सुबह साढ़े दश बजे के आसपास दिखाया गया था.
       इस पर संज्ञान लेते हुए श्रीमती गाँधी जी के कार्यालय से अगले ही दिन लगभग नौ बजे सुबह के आसपास एक मैडम का कॉल कई मर्तबा आया जिसमे उन महोदया ने बंद की गयी गायों के विषय में जानकारी चाही थी. सम्पूर्ण जानकारी एवं साथ ही गढ़ टी आई श्री वृजराज सिंह (मोब- 7049122845), जिला रीवा एसपी श्री संजय कुमार (मोब: - 7049100455) एवं रीवा कलेक्टर श्री राहुल जैन (मोब: - 9425903973) का मोबाइल नंबर क्रमश: सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा तत्काल बताया गया. इस प्रकार केन्द्रीय मंत्रालय के उच्चस्तर से जब दबाब लगाया गया और उक्त उच्चाधिकारियों से जानकारी चाही गयी तो रीवा एसपी संजय कुमार एवं कलेक्टर राहुल जैन के संज्ञान में तत्काल गढ़ पुलिश प्रभारी टी आई श्री बृजराज सिंह के द्वारा घटनास्थल पर पंहुच कर स्थिति का जायजा लेते हुए लोगों को आगाह किया गया की वह ऐसी असंवैधानिक गतिविधि में न लगें अन्यथा प्रकरण दर्ज कर कड़ी कार्यवाही की जाएगी. वर्तमान समय तक कोई भी आपराधिक प्रकरण दोषियों के ऊपर दर्ज नहीं हुआ है और मात्र मौखिक ही नोटिस दी गयी है और सम्बंधित पंचायतों के सरपंचों से जानकारी चाही गयी है.
   गदही-डकरकुण्ड क्षेत्र में बिजली के खुले तार लगाकर जंगली जानवरों जैसे रोझ और जंगली सूअर का शिकार –
हिनौती और सेदहा पंचायती क्षेत्र में एक और भी प्रकरण का खुलासा हुआ है जिसमे आपराधिक प्रकृति के लोगों द्वारा गदही-डकर-कुण्ड क्षेत्र में बिजली के खुले तार लगाकर रात में करंट सप्लाई कर दिया जाता है जिससे वहां पर आने वाले जंगली जानवर जैसे रोझ-नीलगाय, जंगली सूअर, गायें, बैल आदि फंसकर मर जाते हैं. यह प्रकरण कई बार प्रकाश में आया है जिस पर आज तक न तो वन विभाग ने और ना ही पुलिश विभाग ने कोई संज्ञान लिया है. वहरहाल अभी हाल ही में श्रीकांत मिश्रा निवासी ग्राम बडोखर का एक बैल और एक गाय गदही क्षेत्र में अवैध तरीके से फैलाए गए करंट की चपेट में आने से मर गए थे जिस पर पीड़ित ने दबंगों के डर से चुप साधना उचित समझा परन्तु अब यह जानकारी पूरे क्षेत्र में व्याप्त है.
यह जानकारी लिखे जाने तक सूत्रों के माध्यम से प्राप्त जानकारी से पता चला है की अभी भी दबंगों ने पुनः पशुओं को कैद कर दिया है और एक बार पुनः नियम कानून को धता बता दिया है.

संलग्न – कुछ फोटोग्राफ एवं देखें यूट्यूब विडियो जहाँ पर गायों का कैदखाना खुले आसमान के नीचे बनाया गया है:  अवैध तरीके से कैदखाने में बंद की गयी गायों को दिखाता youtube विडियो - सौजन्य शिवानन्द द्विवेदी (सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता) 


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Sincerely Yours,
Shivanand Dwivedi
(Social, Environmental, RTI and Human Rights Activists)
Village - Kaitha, Post - Amiliya, Police Station - Garh,
Tehsil - Mangawan, District - Rewa (MP)
Mob - (official) 07869992139, (whatsapp) 09589152587
TWITTER HANDLE: @ishwarputra - SHIVANAND DWIVEDI













Sunday, October 2, 2016

(Rewa, MP) कैथा के अति प्राचीन श्री हनुमान मंदिर प्रांगण में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाई गई गाँधी और शास्त्री जयंती



स्थान – कैथा-गढ़ (रीवा, म.प्र.), दिनांक: 02.10.2016, दिन रविवार,

 (कैथा-गढ़, रीवा) आज जब हमारे भारत देश को बाहरी और आतंरिक दुश्मनों से खतरा बढ़ गया है आज वह समय आ गया है जब हम उन वीर सपूतों को याद करें जिन्होंने अपने परिवार और स्वयं की कोई फ़िक्र न करते हुए हँसते-हँसते अपने जीवन को देश सेवा में बलिदान कर दिया.
जी हाँ! आज दो अक्टूबर का दिन ऐसे ही भारत के दो महान सपूतों के जन्म दिन के रूप में मनाया जाता है. यह दिन भारत के वर्तमान और आधुनिक काल के इतिहास के अमिट दिन हैं. इस दिन अहिंसा और सत्य के पुजारी श्री मोहनदास करमचन्द्र गाँधी और “जय जवान जय किसान” का नारा देने वाले भारत के सपूत और पूर्व प्रधानमंत्री श्री लालबहादुर शास्त्री जी का जन्म हुआ था.
भारतीय संस्कृति में श्रीमद भगवद गीता का अपना एक अति महत्वपूर्ण स्थान है. गीता के पुजारी और उसके प्रत्येक श्लोक का अपने जीवन काल में अनुकरण कर जीवन यापन करने वाले महात्मा गाँधी शायद गौतम बुद्ध के बाद अहिंसा के सिद्धांत को आधुनिक काल में अक्षरसः जीने वाले प्रथम और अविरल व्यक्ति हुए हैं.
वहीँ श्री लालबहादुर शास्त्री एक मझे हुए और दृढ शासक-प्रशासक के उदहारण हैं. उनके नेतृत्व काल में भारत ने अत्यंत विकट स्थिति से गुजरते हुए देश के जवानों और किसानों को आत्मबल और नैतिक बल प्रदान किया. उन्होंने ही यादगार “जय जवान जय किसान” का नारा दिया और उसके बाद ही भारत में दोनों ही क्षेत्रों में अभूतपूर्व परिवर्तन हुए. हरित क्रांति के जनक थे पूर्व प्रधानमंत्री श्री शास्त्रीजी.
आज जब भारत को पडोसी देशों से आतंकवाद और युद्ध जैसे भयानक खतरे छाये हुए हैं आज आवश्यकता है इन महान पुरुषों के जीवन और इनकी दृढ़ता को याद कर इनसे शिक्षा ग्रहण करने की.
आज गाढ़ी और शास्त्री जयंती के महान अवसर पर पावन यज्ञस्थली कैथा के अति प्राचीन श्री हनुमान मंदिर प्रांगण में शक्ति की उपासना के पर्व के दूसरे दिन इन महापुरुषों को यादकर श्रद्धांजलि दी गयी. इस बीच समाज के गणमान्य व्यक्ति और बच्चे उपस्थित रहे.

|||धन्यवाद|||
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शिवानन्द द्विवेदी
(सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता)
ग्राम कैथा, पोस्ट अमिलिया, थाना गढ़,
जिला रीवा  (म.प्र.) पिन ४८६११७
मोबाइल नंबर – 07869992139