Breaking: धारा 89 की सुनवाई का खेल, सीईओ जिला पंचायत संजय सौरभ सोनवणे की सुनवाई का नहीं कोई निश्चित समय// मंगलवार को रात में 9 बजे तक चलती रहती है सुनवाई// कार्यालयीन समय से इतर नही है किसी को सुनवाई का अधिकार// ग्रामीण लोगों को रात में घर वापस जाने में दिक्कत// सीईओ जिला पंचायत कार्यालय समय पर क्यों नहीं करते सुनवाई? // कार्यालयीन समय से हटकर रात में धारा 89 की सुनवाई करने का क्या है ? // सीईओ जिला पंचायत संजय सौरभ सोनवणे नहीं बैठते कार्यालय में // अक्सर मिलने वाले लोग होते हैं मायूस, वापस लौट जाते हैं गांव//
दिनांक 28 जुलाई 2023 रीवा मध्य प्रदेश।
मध्य प्रदेश के जिला पंचायत कार्यालयों में पंचायती राज व्यवस्था की धज्जियां उड़ाई जा रही है। आलम यह है की ग्राम पंचायतों और जनपद पंचायतों सहित जिला पंचायत में व्यापक स्तर का भ्रष्टाचार फैला हुआ है लेकिन कार्यवाही के नाम पर मात्र लीपापोती की जाती है। हालिया उदाहरण रीवा जिले का है जहां जिला पंचायत कार्यालय में कई वर्षों से लंबित पड़ी हुई हजारों की संख्या में शिकायतों का कोई समुचित निराकरण नहीं किया जा रहा है और जांच के नाम पर मात्र खानापूर्ति की जा रही है।
जाने क्या है धारा 89 की सुनवाई और क्यों है महत्वपूर्ण
गौरतलब है कि जब पंचायतों के भ्रष्टाचार की जांच करवाई जाती है उसके बाद प्रकरण मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत की न्यायालय में पंचायत राज अधिनियम 1993 की धारा 89, 40 और 92 की सुनवाई हेतु प्रस्तुत किया जाता है। धारा 89 की सुनवाई में सभी पक्षों को सुना जाता है और वरिष्ठ इंजीनियर के तकनीकी जांच प्रतिवेदन के आधार पर वसूली और अन्य अनुशासनात्मक और अनुवर्ती कार्यवाही हेतु निर्णय पारित किया जाता है जिसके बाद धारा 40 जिसमें पद से पृथक करने की कार्यवाही होती है और धारा 92 जिसमें गबन की राशि को वसूली किए जाने और एफ आई आर दर्ज किए जाने की कार्यवाही की जाती है जो इस प्रक्रिया में शामिल होते हैं। जिससे स्पष्ट होता है कि यदि पंचायती राज व्यवस्था में भ्रष्टाचार को कम करना है तो धारा 89, 40 और 92 की कार्यवाही को और भी अधिक मजबूत किया जाना अनिवार्य हो जाता है जिससे सरपंच, सचिव और पंचायत विभाग के कर्मचारियों/अधिकारियों में कानून के प्रति भय बना रहे और भ्रष्टाचार पर लगाम लगाई जा सके। लेकिन जिला पंचायत रीवा में जबसे मुख्य कार्यपालन अधिकारी संजय सौरव सोनवणे आए हुए हैं तब से हालत यह हैं कि सुनवाई पर सुनवाई तो की जा रही है लेकिन किसी सार्थक नतीजे पर नहीं पहुंच पाए हैं। जिन पंचायतों में पहले कई लाख रुपए की वसूली बनाई गई थी अब जांच के नाम पर उनकी वसूली कम किए जाने का भी खेल चल रहा है। एक ताजा उदाहरण गंगेव जनपद की ग्राम पंचायत सेदहा, चौरी और उधर नईगढ़ी जनपद की ग्राम पंचायत जिलहड़ी और अन्य ग्राम पंचायतों का है।
मंगलवार को होती है धारा 89 की सुनवाई लेकिन कोई समय निश्चित नहीं कितनी रात तक चलेगी
गौरतलब है की पंचायत राज अधिनियम 1993 की धारा 89 की सुनवाई मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत रीवा के न्यायालय में मंगलवार को नियत की गई है लेकिन स्वयं सीईओ जिला पंचायत संजय सौरव सोनवणे का कोई समय ही सुनिश्चित नहीं है कि वह कार्यालय में कब से कब तक बैठेंगे। सुनवाई की तो बात ही छोड़िए यहां तो सामान्य व्यक्ति शिकायत लेकर और मिलने के लिए आते हैं तो भी सीईओ का कोई अता पता नहीं रहता है। बताया जाता है कि सीईओ संजय सौरव सोनवणे आजकल जिला कलेक्टर कार्यालय रीवा के एक कक्ष में बैठते हैं जहां से फाइल डीलिंग का काम किया जाता है। मंगलवार को नियत की गई धारा 89 की सुनवाई का समय निर्धारित नहीं होने से कई बार सुनवाई रात्रि 9:00 बजे तक चलती रहती है जिसमें कर्मचारी तो परेशान होते ही हैं साथ में वह आवेदक, शिकायतकर्ता और पक्षकार भी परेशान होते हैं जो दूरदराज गांव से आकर सुनवाई में अपना पक्ष रखना चाहते हैं।
इस बात को लेकर सरकारी कर्मचारी सहित कई शिकायतकर्ताओं और पक्षकारों ने कड़ी आपत्ति व्यक्त की है।
सीईओ संजय सौरभ सोनवणे ने आरटीआई के प्रथम अपीलीय अधिकारी के पदों को भी बना दिया मजाक
बात यहीं तक आकर नहीं रुकती बल्कि अभी पिछले माह जब नईगढ़ी सीईओ के प्रभार में रहे एडिशनल सीईओ एबी खरे को निलंबित कर सतना में अटैच किया गया तो उसके बाद से आरटीआई की सुनवाई हेतु प्रथम अपीलीय अधिकारी के पद और दायित्व पर भी संकट उत्पन्न हो गया। नियमानुसार होना तो यह चाहिए की आरटीआई से जुड़े मामलों में प्रथम अपीलीय अधिकारी स्वयं मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत को बनाया जाए अथवा अपने से कनिष्ठ एडिशनल सीईओ को बनाया जाए लेकिन यहां पर लंबा खेल कर दिया गया और आरटीआई कानून की धज्जियां उड़ाते हुए एक परियोजना अधिकारी को ही प्रथम अपीलीय अधिकारी बना दिया गया जिनको न तो आरटीआई की सुनवाई की कोई ट्रेनिंग है और न ही कानून का कोई ज्ञान। इससे साफ स्पष्ट हो जाता है कि किस प्रकार जिला पंचायत रीवा में पंचायती राज व्यवस्था की धज्जियां उड़ाई जा रही है।
संलग्न - कृपया संलग्न कुछ पंचायतों के धारा 89 के प्रकरणों की स्थिति देखने का कष्ट करें।
स्पेशल ब्यूरो रिपोर्ट रीवा मध्य प्रदेश
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