Thursday, August 22, 2019

1000 गोशालाओं के इंतज़ार में मप्र के बेसहारा गोवंश (मामला प्रदेश के बेसहारा गोवंशों का जिनका खरीफ सीजन आने से एकबार फिर जीवन संकट में दिख रहा है, रीवा में बननी हैं 33 गोशालाएं, 30 के टीएस जारी प्रत्येक की 27 लाख 62 हज़ार है लागत, पर धरातल पर नही बनी एक भी गोशाला)

दिनांक 23 अगस्त 2019, स्थान - गढ़/गंगेव, रीवा मप्र
   (शिवानन्द द्विवेदी, रीवा मप्र)
    प्रदेश में बनाई जाने वाली 1000 गोशालाओं की कहीं भी भौतिक धरातल में कोई रता पता नही है जिससे एकबार फिर प्रदेश के लाखों बेसहारा मवेशियों का जीवन संकट में दिख रहा है।

    वर्ष 2012 से एक्टिविस्ट शिवानन्द द्विवेदी एवं अन्य गोवंश प्रेमियों के सामाजिक प्रयाशों एवं मुद्दे को सतत मीडिया और समाज के समक्ष उठाये जाते रहने से बेसहारा गोवंशों के अधिकारों को लेकर एवं असामाजिक तत्वों द्वारा गोवंशों की प्रताड़ना किये जाने, अवैध बाड़ों में बिना समुचित व्यवस्था के कैद किये जाने, इनकी ट्रैफिकिंग, चल-पशु तस्करी किये जाने, चचाई क्योटी बहुती भलघटी अष्टभुजी भैंसहटी आदि जलप्रपातों में धकेले जाने, बकिया वराज नहर सहित अन्य नहरों में धकेले जाने आदि मामले केंद्रीय मंत्रालय श्रीमती मेनका गांधी पीएफए अध्यक्षा सहित मप्र एवं भारत शासन प्रशासन के समक्ष निरंतर उठाये गए हैं जिसका नतीजा ही है सत्ताधारी और विपक्षी दलों, समाज के हर वर्ग, प्रदेश एवं देश के मीडिआ के एक बहुत बड़े हिस्से में यह बात सतत बनी रही।
   किसानों और पशुओं दोनो की समस्या को आखिर समझा गया और जो कार्य तथाकथित हिंदूवादी पार्टी बीजेपी नही कर पाई उसे विपक्ष में बैठी कॉंग्रेस पार्टी ने कर डाला। आख़िरकार अपने आपको सत्ता में लाने के उद्देश्य से ही सही लेकिन प्रदेश में 1000 गोशालाओं को खोले जाने हेतु घोषणा किया। घोषणा तो किया लेकिन आज वर्ष भर का समय व्यतीत होने वाला है पर इनका प्रशासनिक अमला गोशालाओं के निर्माण में हीलाहवाली कर रहा है।
   जिले में बनाई जानी थी 33 गोशालाएं
   मध्य प्रदेश में तो अभी तक 900 गोशालाएं बनाये जाने हेतु जगह चिन्हित हुआ है लेकिन रीवा में ही अकेले 33 गोशालाएं खोले जाने हेतु टीएस हुआ है। रीवा की उन सभी 33 ग्राम पंचायतों को भी चिन्हित कर लिया गया है जिनमे से 30 गोशालाएं सामान्य प्रकृति की रहेंगी जबकि शेष तीन गोशालाएं वृहद किश्म की रहेंगी।

    जिन तीन ग्राम पंचायतों में वृहद गोशालाएं बनाई जानी थीं उनमे रीवा ब्लॉक की टीकर में 26 एकड़, गंगेव ब्लॉक की पनगड़ी कला पंचायत में 59 एकड़, एवं जवा ब्लॉक की कोनी कला पंचायत में 39 एकड़ भूमि का आवंटन किया गया है।
  टीएस जारी, प्रत्येक गोशाला 27 लाख 62 हज़ार में बनेगी
   प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले की वर्तमान समय मे बनाई जा रही 30 गोशालाओं के लिए टीएस जारी हो चुका है जिंसमे इन सभी 30 गोशालाओं की लागत राशि 27 लाख 62 हज़ार रुपये बतायी गयी है।
     टीएस जारी होने के साथ ही उन चिन्हित 30 ग्राम पंचायतों में जगह का ले आउट भी कर लिया गया है जिसमे आर ई एस के सहायक यंत्री, ब्लॉक के सीईओ और राजस्व एवं वेटेरिनरी अमले के साथ स्थानों को चिन्हित कर नींव डालने की प्रक्रिया शुरू हुई है।
  कई पंचायतों में मात्र खोदे गए गड्ढे
   हिनौती पंचायत के गदही ग्राम में बनाई जा रही लगभग 20 एकड़ भूभाग में गोशाला की स्थिति यह है यहां मात्र गड्ढे खोदे जाने तक ही कार्य सीमित होकर रह गया है। गैर पंचायती मजदूरों द्वारा कार्य कराए जाने की प्रक्रिया चल रही है। यहाँ स्थिति यह है कि नौ दिन चले अढ़ाई कोश।

    यही स्थिति पास ही स्थित बांस पंचायत की भी है। यहाँ गोशाला बनाये जाने के पहले ही गोशाला कार्य रोक दिया गया है। यह समाज कल तक पशुओं को आवारा छोड़ दिया करता था फिर उनका रोना रोता था। अब जब सरकार इनके लिए गोशालाओं की व्यवस्था कर रही है तो यह समाज ही इसमे रोड़ा बन रहा है। बताया तो यह भी जा रहा है कि गोशाला तालाब में बनाई जा रही थी जिसका कुछ ग्रामीणों द्वारा विरोध किया गया लेकिन राजस्व विभाग से प्राप्त जानकारी में बताया गया कि ग्रामीणों द्वारा शासकीय भूमि पर बेजा कब्जा किया गया था जो अतिक्रमण हटाकर अब गोशाला बनाई जा रही है तो कुछ ग्रामीन उसका विरोध कर रहे हैं जबकि गोशालाओं के निर्माण में बाधा उत्पन्न करना सर्वथा गलत है।
  यदि गोशालाएं नही बनी तो होगी फजीहत
   सवाल यह है कि सिर्फ घोषणाएं भर कर देने से कुछ नही होने वाला। घोषणाएं करके उनमे कार्य परिणीति तक अमल करना ज्यादा आवश्यक है। आज जिस प्रकार पंचायती और मनरेगा के क्रियाकलाप चल रहे हैं उसके तौर पर देखा जाय तो यदि पंचायतों पर नकेल नही कसी गयी तो आवंटित 27 लाख 62 हज़ार रुपये हवा में उड़ जाएंगे और सीईओ सरपंच सचिव सब हजम कर लेंगे और किसी को भनक तक नही लगेगी। इसलिए कार्य और उसकी गुणवत्ता पर निगरानी अत्यंत आवश्यक है। यह कार्य जितना आवश्यक प्रशासनिक दृष्टि से है उससे कहीं अधिक सामाजिक दृष्टि से भी है।

    अब अगला सवाल यह है कि घोषणाओं के बाद आखिर यह गोशालाएं बनकर कब पूरी होंगी? क्या इस खरीफ वर्ष 2019 के लिए यह गोशालाएं बनकर पूरी हो जाएंगी? अथवा फिर वही हालात निर्मित होंगे जब इन्हें लाठी डंडे, टांगे कुल्हाड़ी से ही स्वागत होने वाला है क्योंकि इस क्रूर समाज से जहाँकी गोवंश समाज से पूरी तरह से वहिष्कृत हो चुके हैं कोई मानवता की अपेक्षा करना बेमतलब है।
संलग्न - कृपया संलग्न देखें जिले में बनने वाली 30 वर्तमान गोशालाओं का जारी हुआ टीएस। साथ मे गोशालाओं और आसरे का इंतज़ार करते हुए आवारा गोवंश।
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शिवानन्द द्विवेदी

सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता

जिला रीवा मप्र, मोबाइल 9589152587



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