Tuesday, February 12, 2019

रीवा ब्रेकिंग- मजदूरी के स्थान पर मिली जेल, मजदूरों के मानवाधिकार का हुआ घोर हनन (मामला जिले के त्योंथर ब्लॉक अन्तर्गत डाढ़ पंचायत का जहाँ सैकड़ों मजदूर मजदूरी न मिलने को लेकर कर रहे थे अनसन, गढ़ पुलिश आयी और उठाकर ले गयी, अनसन में महिलाएं बुजुर्ग भी थे सम्मिलित)

दिनांक 12 फरवरी 2019, स्थान - गढ़/कटरा, रीवा मप्र
  (शिवानन्द द्विवेदी, रीवा मप्र)
    लोकतंन्त्र की हत्या कर पुलिसिया राज कैसे स्थापित हो रहा है इसका एक जीता जागता उदाहरण दिखा रीवा जिले के त्योंथर ब्लॉक अन्तर्गत आने वाली घाट के ऊपर स्थित डाढ़ पंचायत में।
   मजदूरी न मिलने पर सौंपा था ज्ञापन
    विंध्य किसान परिषद के सक्रिय कार्यकर्ता पुष्पराज तिवारी, डाढ़ निवासी गीता साकेत एवं ममता साकेत द्वारा बताया गया कि वह सभी अपने गांव के सैकड़ों मजदूरों के साथ 42 मजदूरों के मनरेगा में मेढ़ बंधान में मिट्टीकरण के किये गए कार्य के पैसे की माग कर रहे थे जिसके लिए पिछले सप्ताह मजदूरों ने त्योंथर सीईओ, एसडीएम, एवं जिला कलेक्टर को विधिवत लिखित ज्ञापन सौंपा था जिसके लिए माग की थी कि यदि 10 फरवरी 2019 तक यदि डाढ़ पंचायत के पंच परमेश्वर एवं मनरेगा के कार्यों की विधिवत जांच होकर 42 मजदूरों को उनकी मजदूरी नही दी जाती तो सभी मजदूर 11 फरवरी से अनसन प्रदर्शन करेंगे। 
      मनरेगा मजदूरी न मिलने पर कर रहे थे अनसन, पुलिश आयी और भर ले गयी थाने
    इस बीच कोई प्रशासनिक सुनवाई न होने पर सभी मजदूर पूर्व सूचना के आधार पर डाढ़ पंचायत भवन के सामने उपस्थित होकर प्रदर्शन कर रहे थे। दिनाँक 12 फरवरी को अनसन का दूसरा दिन था तभी सुबह 11 बजे के लगभग गढ़ पुलिश टी आई सीके तिवारी, एवं मनगवां एसडीओपी के निर्देश पर एसआई शैलेन्द्र सिंह अपने बल के साथ आये और शिवकुमार साकेत सहित अन्य मजदूरों को गाड़ी में भरकर गढ़ थाने ले गए।
    क्या लोकतंन्त्र में अनसन करना है अपराध?
    जिस प्रकार से लोकतांत्रिक एवं शांतिपूर्ण ढंग से अपने पंचायत भवन के सामने प्रदर्शन कर रहे मनरेगा के मजदूरों को गढ़ पुलिश उठाकर थाना ले गयी उससे साफ जाहिर है कि लोकतंन्त्र की हत्या कर मजदूरों और आम नागरिकों के मानवाधिकार का अच्छा खासा उल्लंघन किया जा रहा है।
   पुलिश ने क्यों नही की मामले की जांच?
   सवाल यह भी है कि आखिर गढ़ पुलिश टी आई सीके तिवारी द्वारा वास्तविकता जानने का प्रयाश क्यों नही किया गया? क्या यह पुलिश विभाग को नही पता था कि आखिर मजदूर इकठ्ठा होकर किस बात के लिए प्रदर्शन कर रहे थे? क्या सबसे पहले अपराध ग्राम पंचायत के सरपंच सचिव एवं सीईओ त्योंथर के खिलाफ नही बनता? आखिर मजदूरों ने जब मनरेगा में कार्य किया है तो उनकी मजदूरी किस आधार पर नही दी जा रही क्या सीईओ अथवा पंचायत विभाग ने लिखित तौर पर मजदूरों को अवगत कराया था?
   हिटलरवादी तंत्र में कमजोर का जीना दूभर
   इन सब प्रश्नों के जबाब यह हिटलरवादी तंत्र नही दे सकता क्योंकि यह तो अंग्रेजों के समय की पुलिश है जो अपनी अकल कम लगाती है और नेताओं रसूखदारों की ज्यादा सुनती है। आज गढ़ पुलिश के यह हाल हैं कि यहाँ अपराध का ग्राफ बढ़ता जा रहा है और अपराधियों पर लगाम नही लग पा रहा है जबकि अपनी नाकामी छुपाने के लिए गढ़ पुलिश निर्दोषों कमजोरों और मजदूरों को निशाना बनाकर उन्हें जबरन कठघरे में खड़े कर रही है।
   वास्तव में देखा जाय तो गढ़ पुलिश इस मामले को पंचायत विभाग पर दबाब डालकर मजदूरों की मजदूरी दिलवाने में एवं पंचायती भ्रष्टाचार के विरुद्ध कार्यवाही कर सकती थी लेकिन उल्टे अपने नाकामी छुपाने के लिए पुलिश ने एक कमजोर बेरोजगार मजदूर के मानवाधिकार को खत्म करते हुए मजदूर को ही सलाखों के पीछे पहुचा दिया। 
    अब देखना यह होगा कि मजदूरों की इस शिकायत पर गढ़ पुलिश एवं पंचायत सरपंच सचिव के विरुद्ध क्या कार्यवाही होती है?
संलग्न - कृपया संलग्न तस्वीरों में देखें अनसन प्रदर्शन करते डाढ़ पंचायत के मजदूर एवं दिए गए ज्ञापन की फ़ोटो।
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शिवानन्द द्विवेदी
सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता
जिला रीवा, मप्र, मोब 9589152587, 7869992139

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