Sunday, September 25, 2016

(Rewa, MP) रीवा अंतर्गत कटरा डीसी में बिजली व्यवस्था 15 दिवस बाद भी नहीं सुधरी, मनमाना बिलिंग, इटहा का जला ट्रांसफार्मर महीनों बाद भी नहीं बदला




 
स्थान – कैथा, गढ़ (रीवा, म.प्र.), दिनांक: 25.09.2016, दिन रविवार,

अभी भी रीवा के कटरा डीसी में विद्युत् की बदहाल स्थिति- लाइन का फाल्ट विभाग आज तक नहीं ठीक कर पाया, सोरहवा-हिनौती के लाइनमैन सुधाकर मिश्रा पैसा लेकर सुधारते हैं बिजली

 (कैथा-गढ़, रीवा) रीवा के कटरा डीसी में बिजली व्यवस्था बदहाल स्थिति में बनी हुई है. आज दो सप्ताह का समय बीत चुका है और कटरा और त्योंथर का बिजली विभाग आज फाल्ट तक नहीं ढूंढ पाया. बिजली विभाग कल फाल्ट ठीक करता है तो आज फिर लग जाता है. समझ नहीं आता की यह फाल्ट अपने आप लग रहा है अथवा जानबूझकर लगाया जा रहा है. जनता के लिए तो यह सब रात्रि के किसी बहुत भयानक सपने की तरह है. सपना इतना भयावह की जनता रात्रि में न तो सो पा रही और न जाग पा रही. आज सबसे बड़ा प्रश्न यह है की क्या बिजली विभाग को विद्युत् समस्या का बरसात में ही ध्यान आना था? आखिर क्यों मेंटेनेंस और केबलीकरण का कार्य समय पर नहीं किया गया? लाइन मेंटेनेंस का काम तो गर्मियों में किया जाना चाहिए था. क्या हुआ उस मेंटेनेंस और केबलीकरण की राशि का? उस राशि की बलि कहीं भ्रष्ट्राचार रुपी भयानक राक्षस को तो नहीं चढ़ा दी गयी? इस प्रकार के दर्ज़नों प्रश्न हैं जिनको आज बिजली विभाग के किसी भी कर्मचारी-अधिकारी में जबाब देने की क्षमता नहीं समझ आती.

गढ़ फीडर अंतर्गत इटहा ग्राम का ट्रांसफार्मर पिछले एक माह से जला – कैथा पंचायत अंतर्गत आने वाले इटहा ग्राम में लालजी पटेल के घर के पास का एक ट्रांसफार्मर पिछले एक माह से जला हुआ है जिसकी कोई सुनवाई नहीं हुई. यह बात कटरा डीसी के कनिष्ठ यंत्री सोनी, गढ़ के लाइनमैन राजकुमार मिश्रा, प्रभाकर सिंह को बताई गयी, पर अब तक तो ट्रांसफार्मर नहीं लगा है जबकि ग्रामीणों से पता चला की इटहा ग्राम के उपभोक्ताओं ने पूरा बिजली का बिल भी भरा हुआ है. अमूमन होता यूँ है की यदि 50 प्रतिशत से कम बिजली का बिल शेष रहता है तो बिजली विभाग ट्रांसफार्मर लगाने में आनाकानी करता है परन्तु इटहा ग्राम के सन्दर्भ में ऐसी कोई स्थिति नहीं है जिससे वहां पर तत्काल ट्रांसफार्मर न लगाया जाये.

हिनौती-सोरहवा के लाइनमैन सुधाकर मिश्रा कार्य में अनुपस्थित – सोरहवा-हिनौती क्षेत्र में कार्यरत लाइनमैन सुधाकर मिश्रा पैसे लेकर उपभोक्ताओं का बिल बनाते हैं. यहाँ बिल वितरण छः महीने में मात्र एक बार होता है. जब बिजली बिल पेनाल्टी सहित हजारों रुपये बन जाता है तब ग्रामीणों को उनका बिल मिलता है. इस प्रकार जिन उपभोक्ताओं का बिल 450 अथवा 500 रुपये देने होते हैं उन्हें 600 अथवा 700 देना पड़ जाता है. लाइनमैन सुधाकर मिश्रा से शिकायत पर यह व्यक्ति उपभोक्ताओं को पेनाल्टी लगाने और बिजली काटने की धमकी देता है. सोरहवा निवासी हरिबंस पटेल के पुत्र अरुणेन्द्र पटेल द्वारा दिनांक 24 सितम्बर को सोरहवा की बिजली सप्लाई बाधित होने पर पूंछने पर सुधाकर मिश्रा ने बिजली बंद कर देने की धमकी दे दी और कहा की “लाइनमैन का चार्ज होता है जो उपभोक्ताओं को देना पड़ेगा. 200 रुपये देने पर ही लाइनमैन एक बार आएगा”. सुधाकर मिश्रा का कहना था की “हम 50 हज़ार की तनख्वाह उठाते हैं और काम नहीं करते बल्कि हम कार्य करने के लिए अपने साथ प्राइवेट लाइनमैन रखते हैं जिसे प्रति विजिट उपभोक्ताओं को पैसे देने पड़ेंगे तभी बाधित लाइन बन पायेगी नहीं तो नहीं बनेगी. जहाँ तक शिकायत की बात है तो जिसको जहाँ शिकायत करनी है वहां करो क्योंकि सीएम हेल्पलाइन में हमारे कंप्यूटर ऑपरेटर जो निराकरण लिख देते हैं वही होता है चाहे जितनी और जिस लेवल में शिकायत पंहुच जाये. बिजली विभाग का कुछ नहीं होता. ज्यादा से ज्यादा हमारा ट्रान्सफर करेंगे और क्या करेंगे.” इस प्रकार से इन बिजली कर्मचारियों की स्थिति बनी हुई है.

कैथा की हरिजन आदिवासी बस्ती में वर्षों से कटी केबल नहीं लगी - मीटर रीडिंग और केबलीकरण के विषय में सीएम हेल्पलाइन के प्रकरणों में हुई लीपापोती
तो यह स्थिति है इन बिजली कर्मचारियों की. अब जहाँ तक सवाल है उपभोक्ताओं का उनका तो मरना तय है क्योंकि इन गाँव के गरीबों का जिनका की खेती किसानी के अतिरिक्त कोई अन्य आधार नहीं उन्हें औसत 150 रीडिंग का बिल थमा दी गयी. इनमे से तो कैथा के हरिजन और आदिवासी बस्ती के ऐसे लोग हैं जिनके घरों में बिजली सप्लाई पिछले एक वर्ष से नहीं दी गयी है. इसके विषय में सीएम हेल्पलाइन में भी शिकायत क्र.2056670, 2056711 और 2065662 दर्ज करवाई गयी थी परन्तु कोई समाधान नहीं दिया गया. उल्टा सीधा समाधान देकर सब कुछ ठंडा कर दिया गया, यह स्थिति है सीएम हेल्पलाइन की. इसी प्रकार पिछले वर्ष सोरहवा ग्राम निवासी वृजवासी पटेल ने मीटर रीडिंग के अनुसार और सही बिल भेजे जाने के विषय में सीएम हेल्पलाइन और रीवा बिजली विभाग के समक्ष प्रकरण रखा था परन्तु उस पर भी कोई सुनवाई नहीं हुई. वृजवाशी पटेल के घर में तो बहुत पहले से ही मीटर लगा हुआ है परन्तु मीटर रीडिंग लेने कोई कर्मचारी नहीं आता. बिजली विभाग यह समझता है की यदि औसत बिलिंग से ही काम चल जाता है तो क्यों फालतू में मीटर रीडर रखा जाये. वास्तविक तौर पर देखा जाये तो लाइनमैन का ही काम है की वह अपने सम्बंधित क्षेत्र में मीटर रीडर का भी काम करे और लाइन सुधारने का, परन्तु सुधाकर मिश्रा, राजकुमार मिश्रा और प्रभाकर सिंह जैसे ऐसे लाइनमैन कटरा डीसी में हैं जिनको जनता की परेशानी से कोई लेना देना नहीं है. संविदा और कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर कार्य करने वाले मीटर रीडर और प्राइवेट वर्कर हैं जो ले दे कर काम चला लेते हैं. जो व्यक्ति समझदार है वह इन मीटर रीडर को कुछ अधिभार दे कर मीटर रीडिंग एडजस्ट करवा लेता है. इसी कारण जिन व्यक्तियों के घरों में बिजली की सबसे ज्यादा खपत होती है उनका बिल सबसे कम और जिनके घरों में एक या दो सीएफएल बल्ब लगे हैं उनको हजारों भरने पड़ते हैं यह किस्सा है बिजली कर्मचारियों और समझदार उपभोक्ताओं के सांठ गांठ का.

कटरा डीसी अंतर्गत गढ़ के पास फीडर सेपरेसन अति आवश्यक – वर्षों से पड़ा हुआ बिजली विभाग का फीडर सेपरेसन का लंबित काम अब बहुत ही आवश्यक हो चुका है. ज्ञातव्य हो की गढ़ आज इस क्षेत्र के बहुत महत्वपूर्ण व्यावसायिक स्थलों में से एक है जो राष्ट्रीय राजमार्ग से भी सम्बन्ध रखता है. राष्ट्रीय राजमार्ग के मध्य में स्थित होने से इसका महत्व और भी बढ़ जाता है. परन्तु फिर भी बिजली विभाग के लिए इस स्थल का कोई विशेष महत्व नहीं है तभी तो पुलिस थाना, मध्यांचल बैंक, इलाहाबाद बैंक, सहित सहकारी बैंक आदि जैसी महत्वपूर्ण बैंकिंग और सरकारी संस्थाओं के बाद भी यहाँ पर लाइन दिन में लगभग पूर्णतया अवरुद्ध रहती है. इस पर बिजली विभाग की कोई रूचि नहीं है. शायद इन्ही सभी समस्याओं के मद्देनज़र कभी बिजली विभाग के उच्चधिकारियों ने गढ़ के पास स्थित 150 किमी लाइन का फीडर सेपरेसन के बारे में विचार कर प्रोजेक्ट लांच किया था परन्तु आज तक पता नहीं यह क्यों पूरा नहीं हो पाया है. आज के वर्तमान समय में जब आम जनता की डिमांड बहुत बढ़ गयी हैं और जबकि जनता से मनमाना बिल की वसूली की जा रही है यह बहुत आवश्यक है की वर्षों पुराना पड़ा फीडर सेपरेसन का कार्य पूर्ण कर लाइन मेंटेनेंस, और केबलीकरण पर विशेष ध्यान दिया जाये. जनता से उचित बिल तो लिया जाये पर उसको बिल के अनुरूप बिजली भी मुहैया कराई जाये.

गढ़ स्थित बैंकों में आम जनता बिजली न होने से रहती है परेशान –
जैसा की बताया गया की गढ़ आज इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण व्यावसायिक केन्द्र के रूप में उभरा है पर लगता है बिजली विभाग इसका पलीता बना कर ही दम लेगा. वैकल्पिक तौर पर आज बैंकों के पास जनरेटर की व्यवस्था तो होती है पर उसका उपयोग ज्यादातर बैंक नहीं करते. जैसे केंद्रीय जिला सहकारी बैंक मर्यादित शाखा गढ़ में जनरेटर की कोई व्यवस्था नहीं है इसी प्रकार मध्यांचल ग्रामीण बैंक में भी लाइन सप्लाई अवरुद्ध होने पर कार्य भी अवरुद्ध कर दिया जाता है. वैसे भी बैंक कर्मचारी आज बहुत ही कम काम करना चाहते हैं और उस पर यदि बिजली नहीं है तो उसका हवाला देकर ग्राहकों और बेचारे ग्रामीणों को वापस घर लौटा देते हैं. इस प्रकार ग्रामीण क्षेत्र से 10 किमी और उससे ऊपर से पैदल चलकर आने वाला बुजुर्ग जिसकी की वृद्ध, अथवा अन्य सामाजिक सुरक्षा पेंशन दी जानी थी वह भी न मिले तो कितने बड़े शर्म और दुर्भाग्य की बात है. न तो शर्म उन बैंक कर्मचारियों को लगती जो काम नहीं करते और भला बिजली विभाग ने तो पहले ही शर्म को धो कर पी लिया है.

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शिवानन्द द्विवेदी
(सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता)
ग्राम कैथा, पोस्ट अमिलिया, थाना गढ़,
जिला रीवा  (म.प्र.) पिन ४८६११७

मोबाइल नंबर – 07869992139










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