दिनांक 07/01/2025 रीवा मप्र
ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग रीवा क्रमांक 01 में पदस्थ कार्यपालन यंत्री श्री टीपी गुर्दवान के द्वारा अपने कार्यकाल के दौरान निविदा प्रक्रिया, कोटेसन आमंत्रण में अपने संपर्क के ख़ास व्यक्तियों को लाभ पहुचाने और निविदा स्वीकृत करने के लिए खाली कोटेसन पत्रक बिना मटेरियल रेट डाले जाने और बाद में डेट परिवर्तित कर उसे सबसे कम रेट का भरे जाने आदि सम्बन्धी षड्यंत्र और भ्रष्टाचार की जाँच किये जाने हेतु कमिश्नर रीवा संभाग एवं जिला सीईओ को शिकायत की गयी है. आरटीआई एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी द्वारा यह शिकायत की गयी है जिसमे जाँच की माग की गयी है. शिकायत में सूचना के अधिकार से प्राप्त महत्वपूर्ण दस्तावेज संलग्न किये गए हैं जिनमे हस्ताक्षरित एवं सील लगाए हुए खाली कोटेशन पाए गए हैं जिससे मामले की पुष्टि होती है. बड़ा सवाल यह है की जब कोटेशन भरकर आवेदन किये जाते हैं तो कोटेशन आवेदनों में खाली कोटेशन कैसे सम्मिलित किये गए? चलिए मान लेते हैं की गलती से कहीं एकात खाली कोटेशन डाल दिए गए तो फिर उन खाली कोटेशन में कार्यपालन यंत्री टीपी गुर्दवान के हस्ताक्षर और सील कैसे है? इसका क्या मतलब समझा जाय? यह सभी प्रश्न निविदा और कोटेशन जारी करने की टेबल के नीचे और ऑफलाइन प्रक्रिया में व्यापक गड़बड़ी और भ्रष्टाचार की तरफ इशारा करते हैं. कैसे टेबल के नीच अपने ख़ास और चहेतों को विशेष लाभ देने के उद्येश्य से आवेदन तो ले लिए जाते हैं लेकिन आवेदन तिथि के बाद जितने कोटेशन निविदाएँ प्राप्त होती हैं उन प्राप्त वास्तविक आवेदनों से मटेरियल सप्लायर और वेंडर न चुनकर अपने खास व्यक्ति के लिए अलग से रेट सूची वाला कालम भरकर उपकृत किया जाता है. इस मामले में अभी ताजा उदाहरण भी देखने को मिला है जहाँ कुछ खास विधायकों एवं जनपद अध्यक्षों के चेलों को टेबल के नीचे से ऑफलाइन टेंडर प्रक्रिया खोलकर लेनदेन कर टेंडर ऑफर किये गए हैं. इसकी चर्चा भी आरईएस की गलियारों में रही की कौन-कौन ऐसे खास ठेकदार थे जिनको इस विशेष भ्रष्टाचार वाली योजना का लाभ आरईएस विभाग में दिया गया. खैर जहाँ तक टीपी गुर्दवान का सवाल है तो यदि टीपी गुर्दवान के कक्ष में लगाया हुआ सीसीटीवी कैमरा देख लिया जाय तो गुर्दवान सरकारी काम कम कर्ता है अधिकतर इसके इर्दगिर्द और कक्ष में नेताओं जनपद जिला अध्यक्षों, विधायकों और संसद के दलाल ही बैठे मिलेंगे. बड़ा सवाल यह है की आखिर निरंतर इनके कक्ष चलता हुआ चाय पानी और नास्ता किस बाट के लिए है? क्या यह टीपी गुर्दवान का निजी घर है अथवा सरकारी कार्यालय यह भी सवाल के घेरे में है.
सामाजिक कार्यकर्त्ता शिवानंद द्विवेदी ने आरटीआई से प्राप्त दस्तावेजों के आधार पर जो आरोप लगाये हैं उनके बताया गया है उनमे ई.ई टीपी गुर्दवान ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग क्रमांक 01 रीवा द्वारा ऐसे कार्यों की सूची भी उपलब्ध कराई गयी है:
इन इन कार्यों के बिना रेट सूची डाले ही खाली सत्यापित कोटेशन आरटीआई से मिले: - सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त तकनीकी कार्यों की सामग्री सप्लाई के संलग्न कोटेसन पेज क्रमांक 68 में कार्य का नाम पीसीसी रोड एवं ग्रेवल रोड निर्माण सखिया प्रजापति के घर से बगीचे एवं नदी की तरफ ग्राम पंचायत पटना जनपद पंचायत गंगेव जिला रीवा मप्र, कोटेसन के पेज क्रमांक 75 में कार्य का नाम पीसीसी रोड एवं ग्रेवल रोड निर्माण करारी आदिवासी बस्ती से फूल पहुँच मार्ग तरफ ग्राम पंचायत पटना जनपद पंचायत गंगेव जिला रीवा मप्र, कोटेसन के पेज क्रमांक 87 कार्य का नाम – दो अतिरिक्त कक्ष निर्माण कन्या हायर सेकेंडरी स्कूल लालगांव ग्राम पंचायत लालगांव उपसंभाग सिरमौर जिला रीवा मप्र, नरोत्तम प्रसाद मिश्रा शिवाजी नगर मैदानी द्वारा प्रस्तुत कोटेसन के पेज क्रमांक 155 में कार्य का नाम – पीसीसी रोड एवं ग्रेवल निर्माण ग्राम लोटनी से कठमना पहुँच मार्ग तरफ ग्राम पंचायत लोटनी जनपद पंचायत गंगेव जिला रीवा मप्र, कोटेसन के पेज क्रमांक 174 में कार्य का नाम – पीसीसी रोड एवं ग्रेवल रोड निर्माण संतोष सिंह के घर से होते हुए देवी मंदिर तरफ ग्राम पंचायत पटना जनपद गंगेव जिला रीवा मप्र में प्रस्तुत बिना दर/रेट के ही सत्यापित किया गया है जिसमे कार्यपालन यंत्री टीपी गुर्दवान के हस्ताक्षर और सील तक मौजूद हैं. बड़ा सवाल यह है की दर वाले कालम में बिना रेट डाले ही कोई कोटेसन कैसे सत्यापित किया जा सकता है? यह पूर्णतया नियम विरुद्ध है क्योंकि कम दर वाले का कोटेसन स्वीकृत किया जाना है और दर न लिखे जाने से पूरी प्रक्रिया त्रुटिपूर्ण और संदेहास्पद है जिसमे लेनेदेन कर ऐसे ही अंत में जिसे स्वीकृत देना होता है उसकी न्यूनतम रेट को अलग से भर लिया जाता था और निविदा आमंत्रण के बाद ऐसे साठगांठ कर रेट भरे जाते हैं और टेंडर प्रक्रिया में भ्रष्टाचार किया जाकर मनमुताबिक अपने ख़ास व्यक्ति को लाभ पहुचाने हेतु टेंडर/कोटेसन का लाभ दे दिया गया है.
शिवानंद द्विवेदी ने इसे अत्यंत गंभीर मामला बताते हुए कमिश्नर रीवा संभाग सहित वरिष्ठ अधिकारियों को शिकायतें की हैं की आखिर इतने बड़े वरिष्ठ पद पर बैठे हुए तकनीकी अधिकारी जिले के कार्यपालन यंत्री द्वारा यह अवैधानिक कृत्य किया गया है जिस पर कठोर दंडात्मक कार्यवाही किये जाने की माग की गयी है और 420 का प्रकरण भी दर्ज किये जाने की माग की है.
*कमिश्नर रीवा संभाग ने अधीक्षण यंत्री आरई एस से जांच किये जाने जारी किया पत्र*: -
मामले की गंभीरता को देखते हुए कमिश्नर रीवा संभाग ने अधीक्षण यंत्री आरईएस को पत्र जारी किया है जिसके बाद अधीक्षण यंत्री ने कार्यपालन यंत्री ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग क्रमांक 02 एसबी रावत को पत्र लिखा है. लेकिन जिस मामले की जांच पुख्ता और प्रमाणिक आरटीआई से उपलब्ध दस्तावेजों के आधार पर तत्काल हो जानी चाहिए थी उस पर पत्र-पत्र का खेल खेला जा रहा है. ऐसे में क्या यह मान लिया जाय की इस पूरे भ्रष्टाचार में सभी की सहभागिता है? आज जनता यह जानना चाहती है की भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस की अलाप करने वाली यह सरकार आखिर इतने गंभीर भ्रष्टाचार के मामलों पर चुप क्यों है?
*स्पेशल ब्यूरो रिपोर्ट रीवा मप्र*
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