Thursday, November 30, 2023

*Breaking: त्योंथर बहाव परियोजना में ENC एमजी चौबे ने ऊषा मार्टिन कम्पनी को पहुचाया अनैतिक लाभ // एक्वाडक्ट टूटने पर लगभग 3 करोड़ 50 लाख रूपये का कर दिया अधिक भुगतान // ENC एमजी चौबे ने निर्माण कम्पनी का किया बचाव // बिना बाढ़ के ही नदी में बाढ़ आना बताकर गलत कार्य को किया पास // जुर्माने और टर्मिनेट करने के स्थान पर दिखाई मेहरबानी // फाइल खुली तो सबके उड़े होस // RTI से प्राप्त जानकारी और पुराने विडियो ने जल संसाधन विभाग की कार्यप्रणाली की एक बार पुनः खोल दी पोल //*

*Breaking: त्योंथर बहाव परियोजना में ENC एमजी चौबे ने ऊषा मार्टिन कम्पनी को पहुचाया अनैतिक लाभ // एक्वाडक्ट टूटने पर लगभग 3 करोड़ 50 लाख रूपये का कर दिया अधिक भुगतान // ENC एमजी चौबे ने निर्माण कम्पनी का किया बचाव // बिना बाढ़ के ही नदी में बाढ़ आना बताकर गलत कार्य को किया पास // जुर्माने और टर्मिनेट करने के स्थान पर दिखाई मेहरबानी // फाइल खुली तो सबके उड़े होस // RTI से प्राप्त जानकारी और पुराने विडियो ने जल संसाधन विभाग की कार्यप्रणाली की एक बार पुनः खोल दी पोल //*
दिनांक 30/11/2023 रीवा मप्र. 

  त्योंथर बहाव परियोजना को लेकर एक बड़ा खुलासा हुआ है. एक पुराने विडियो ने जल संसाधन विभाग की कार्यप्रणाली की एक बार पुनः पोल खोल दी है. मामला इंजिनियर इन चीफ रहे एमजी चौबे के कार्यकाल का है जहाँ त्योंथर बहाव परियोजना से जुड़े एक एक्वाडक्ट निर्माण में हुई गड़बड़ी और भ्रष्टाचार को लेकर जारी किये गए इंस्पेक्शन नोट ने पूरे मामले पर सवाल खड़े कर दिए हैं. इस मामले से यह स्पष्ट हो गया है की कैसे तत्कालीन इंजिनियर इन चीफ एमजी चौबे ने 24 मई 2016 को जारी किये गए अपने इंस्पेक्शन नोट और मीटिंग मिनट में स्वयं ही गड़बड़ी का होना स्वीकार किया और स्वयं ही ठेका कम्पनी ऊषा मार्टिन लिमिटेड को साढ़े 3 करोड़ रुपए की बड़ी रियायत दे डाली. बड़ा सवाल यह है जब ईएनसी ने स्वयं ही मिनट मीटिंग और इंस्पेक्शन नोट्स में गड़बड़ी होना स्वीकार किया और उसे डॉक्यूमेंट के तौर पर नोट किया तो फिर क्यों ठेका कम्पनी को कम्पनी की गलती और निर्माण में हुए भ्रष्टाचार की वजह से टूटे एक्वाडक्ट को सही बताते हुए साढ़े 3 करोड़ रूपये का अलग से राशि जारी की गयी? 

*कैसा था त्योंथर बहाव परियोजना से जुड़ा हुआ जल संसाधन विभाग का प्लान?*

  अब यदि दिनांक 22 मई 2016 को त्योंथर बहाव परियोजना से सम्बंधित टमस नदी में बनाए गए एक्वाडक्ट के निरीक्षण टीप की बात की जाय तो इस निरीक्षण के दौरान तत्कालीन जल संसाधन विभाग के चीफ इंजिनियर श्रीकांत दांडेकर, अधीक्षण यंत्री अजय सिंघल, कर्पापालन यंत्री अरविन्द त्रिपाठी, अनुविभागीय अधिकारी मयंक सिंह उपस्थित रहे. निरीक्षण टीप पर अपना पत्र जारी करते हुए इंजिनियर इन चीफ  एमजी चौबे ने बताया की त्योंथर बहाव परियोजना टोंस हाइडल पॉवर प्रोजेक्ट से 5.1 किलोमीटर दूरी पर है. इस नहर सिस्टम का हेड डिस्चार्ज 30 क्यूमेक्स है. यह नहर 5 किलोमीटर 21 मीटर की लम्बाई पास करने के बाद एक प्राकृतिक नाले से होकर गुजरती है जहाँ अंत में पानी को स्टोर करने के लिए एक छोटी खाड़ीनुमा आकृति का रूप दिया जाना है. इस खाड़ी का उपयोग 0.5 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी सुरक्षित करते हुए टमस नदी के दायें हिस्से में महाना कैनाल सिस्टम एवं टमस नदी के बाएं हिस्से में त्योंथर बहाव परियोजना के लिए पानी सप्लाई किये जाने का प्रावधान रखा गया है. इस खाड़ीनुमा आकृति में इस पानी को सुरक्षित करते हुए शेष पानी 2.4 मीटर व्यास की गोलाई वाली ह्यूम पाइप जिन्हें प्रीस्ट्रेस्ड कंक्रीट पाइप (पीएससी) कहा जाता है उसके माध्यम से 4 किलोमीटर और 210 मीटर तक लम्बाई से पास किये जाने का प्रावधान है. इस पीएससी पाइप के माध्यम से पानी सप्लाई करने के बाद टमस नदी आ जाती है जहाँ पर 4.210 किमी से लेकर 4.660 किमी तक कुल 450 मीटर लम्बाई में साइफन एक्वाडक्ट बनाया जाना था जो की टमस नदी की गहराई के बीच से होकर गुजरना था. इसके बाद नहर का पानी आगे चलकर 53 किमी लम्बाई की खुली नहर से होकर गुजरते हुए किसानों के खेतों तक पहुचाने का प्रवधान था. 
    *क्या कहता है दिनांक 22.05.202016 का ईएनसी का त्योंथर बहाव परियोजना का इंस्पेक्शन नोट्स*

  इंजीनियर इन चीफ एमजी चौबे ने अपने 24 मई 2016 के इंस्पेक्शन नोट में बताया की टमस एक्वाडक्ट एक सिंगल बैरल स्ट्रक्चर है जो कुल 10 स्पैन में बनाया जाना था जिसमे एक्वाडक्ट के प्रत्येक स्पैन की लम्बाई 42 मीटर रखी गयी थी . प्रत्येक स्पैन की चौड़ाई और डायमेंशन 3.3 मीटर गुणा 3.3 मीटर का होना बताया गया है. जब सवाल उठा की आखिर इतने उच्स्तर के कार्य में एक्वाडक्ट ध्वस्त कैसे हो गया तो इंस्पेक्शन नोट्स में बताया गया की 16 मई 2016 की रात लगभग 2.30 बजे एक्वाडक्ट के सपोर्ट में बनाए गए पिलर नंबर 7 और 8 के टूटने और धसने की आवाज आई जिसमे मौजूद एसडीओ द्वारा बताया गया की एक्वाडक्ट को सपोर्ट करने वाले जो पिलर और बेस बनाए गए थे उसके फेलियर के कारण ऐसा हुआ. बताया गया की जो पाइप एक्वाडक्ट को जोड़ने के लिए बीच में लगाईं गयी थीं वह भी क्रेकिंग आवाज के साथ टूटकर बैठने लगीं. अंततः एक्वाडक्ट के लिए बनाया गया बैरल टूटकर बैठ गया और दो टुकड़ों में विभाजित होकर वी आकर ले लिया. बैरल के दोनों हिस्से नजदीकी पिलर पर टूटकर टिक गए. बताया गया की एसडीओ की चेतावनी के बाद सभी काम करने वाले लेबर वहां से भाग खड़े हुए लेकिन जनरेटर की तेज आवाज के कारण एक लेबर को चेतावनी सुनाई नहीं दी इसलिए वह नहीं भाग पाया और उसकी मृत्यु हो गयी. 
*इंजिनियर इन चीफ ने कहानी गढ़ने में अकल नहीं लगाईं इसलिए पकड़े गए!*

  अब कहानी में ट्विस्ट इंस्पेक्शन रिपोर्ट और मीटिंग मिनट के अगले चरण से आती है. यहाँ से स्पष्ट देखा जा सकता है की इंजीनियर इन चीफ रहे एमजी चौबे ने कहानी तो गढ़ डाली लेकिन होम वर्क नहीं किया इसलिए कहते हैं की एक झूंठ को सही बताने के लिए कभी-कभी 100 झूंठ के पुलिंदे भी बनाने पड़ते हैं लेकिन कहीं न कहीं झूंठ अपने पीछे सबूत छोड़ ही जाता है. 
  ईएनसी चौबे की कहानी में आगे लिखा है की बैरल और एक्वाडक्ट का सपोर्ट 30 सेमी मोटे कंक्रीट के 6.60 मीटर गुणा 1.80 मीटर आयताकार टुकड़ों पर रखा हुआ था जो नीचे नदी तल से 6 मीटर उंचाई पर मिटटी पर टिका हुआ था. अब बड़ा सवाल यह है कि कई हजार टन की वजन वाले बैरल और एक्वाडक्ट को कैसे बिना मिटटी को प्रॉपर कम्पेक्सन किये हुए ऊपर डाल दिया गया जिसका नतीजा यह हुआ की बैरल और एक्वाडक्ट धस कर बैठ गया और एक्वाडक्ट टूट गया.  
 *ठेका कम्पनी को बचाने पानी गिरने और बाढ़ आने की बनाई गयी झूंठी कहानी* 

   यहाँ पर गौरतलब है की ठेका कम्पनी ऊषा मार्टिन को उपकृत करने और बचाने के लिए एवं साढे 3 करोड़ रूपये का अधिक लाभ देने के लिए पानी गिरने और बाढ़ आने की झूंठी कहानी बनाई गयी. बताया गया की 15 मई 2015 की रात को पूरी रात पानी गिरा जिसकी वजह से बाढ़ आ गयी और अगले दिन भी 2 बजे दिन में 20 मिनट के लगभग पानी गिरने से बैरल और एक्वाडक्ट गिरने की घटना हुई. 

  इस प्रकार ईएनसी एमजी चौबे ने बताया की बैरल गिरने और एक्वाडक्ट गिरने की जो घटना घटित हुई वह वह बाढ़ और भारी बारिस की वजह से हुई. अब ईएनसी चौबे आगे लिखते हैं की उन्होंने ऊषा मार्टिन के प्रीस्ट्रेसिंग एक्सपर्ट मुकेश मिश्रा को बुलाकर कांट्रेक्टर ऊषा मार्टिन लिमिटेड को निर्देशित किया की बैरल और एक्वाडक्ट के बीच के हिस्से में सपोर्ट के लिए कंक्रीट की डायमेंशन बढ़ाकर  6.6 मीटर गुणा 1.8 मीटर के स्थान पर 9 मीटर गुणा 3 मीटर की जाय जिससे लोड का समुचित डिस्ट्रीब्यूशन हो सके जिससे पुनः ऐसी घटना न घटे. इसके अतिरिक्त ईएनसी ने आगे लिखा की कंक्रीट को सपोर्ट करने के लिए जो मिटटी जमाव की गई थी उसे चौड़ाई में 2 मीटर अतिरिक्त बढाया जाए जिससे यहाँ भी लोड के डिस्ट्रीब्यूशन के कारण पुनः ऐसी स्थिति निर्मित न हो. इस प्रकार आगे लिखा गया की कांट्रेक्टर 8 और 9 नंबर के पिलर के बीच में बैरल और एक्वाडक्ट के सपोर्ट को बेहतर बनाने के लिए सपोर्ट सिस्टम बढाने पर प्लान कर रहा है.
 
*अब पूरा माजरा ऐसे समझें* 

  जल संसाधन विभाग के इंजिनियर इन चीफ एमजी चौबे ने किस प्रकार अपने पद का दुरूपयोग करते हुए ठेका कम्पनी को उपकृत करते हुए जनता के टैक्स के पैसे की बर्वादी की इसको इनके खुद के इंस्पेक्शन नोट और प्रिंसिपल सेक्रेटरी की मीटिंग मिनट से समझा जा सकता है। ईएनसी एमजी चौबे द्वारा हस्ताक्षरित संलग्न पत्र क्रमांक 3441065/पी-2/2007 भोपाल दिनांक 24 मई 2016 में चौबे ने स्वयं स्वीकार किया है की बैरल और एक्वाडक्ट को सपोर्ट करने के लिए नीचे मिटटी की चौड़ाई 2 मीटर बढाई जानी चाहिए जबकि मिटटी की उंचाई 6.6 मीटर गुणा 1.8 मीटर के स्थान पर 9 मीटर गुणा 3 मीटर की जाय. अब ऐसे में जाहिर है वी आकार में टूटकर बैठ गया बैरल स्वयं गलत डिजाईन और तकनीकी मापदंडों का सही पालन न करने के कारण हुआ न की बाढ़ अथवा पानी की वजह से. 
  *एक पुराने वीडियो ने ईएनसी चौबे की झूंठ की खोल दी पोल* 

  त्योंथर बहाव परियोजना से सम्बंधित टमस नदी पर तत्समय बनाया जा रहा एक्वाडक्ट और बैरल जब टूटकर बैठ गया था तब उसी समय वहां से स्थानीय लोगों के द्वारा एक वीडियो भी बनाया गया था जो आज भी मौजूद है और जो ईएनसी एमजी चौबे के झूंठ की पोल खोल रहा है. वीडियो में स्पष्ट तौर पर देखा जा सकता है की कैसे एक्वाडक्ट और बैरल टूट कर वी आकार में बैठ गया है लेकिन वहीँ नदी के नीचे डाली गयी मिटटी में कोई बहाव नहीं हुआ है. बड़ा सवाल यह है की जिस प्रकार ईएनसी एमजी चौबे ने झूंठ का पुलिंदा गढ़ते हुए रात में तेज बारिस और बाढ़ आना बताकर एक्वाडक्ट बहने की बात लिखी है वह इस वीडियो से पूरी तरह से निराधार प्रतीत होती है. कोई अनपढ़ व्यक्ति भी यह समझ सकता है की यदि नदी में बाढ़ आएगी तो सेटरिंग और मिटटी पूरी तरह से बह जाएगी और बैरल एक्वाडक्ट एक बार में ही नीचे टूटकर ध्वस्त हो जायेगा न की वह वी आकार में बैठेगा. और उससे भी बड़ा सवाल यह है कि जब एक्वाडक्ट के नीचे से मिट्टी का बहाव ही नहीं हुआ तो फिर बाढ़ कैसे आ गई और तेज बारिश बताया जाना किस हद तक जायज है? और उससे भी बड़ा सवाल यह है की आखिर मई 2015 जब की यह घटना बताई जा रही है आखिर कब इतनी भीषण बारिस हुई थी और कब इतनी अधिक बाढ़ आई थी?

 *एक्वाडक्ट को ही इंस्पेक्शन नोट में बना दिया साइफन एक्वाडक्ट* 

  
   मजे की बात यह भी है की ईएनसी जैसे प्रदेश के बड़े इंजिनियर ने एक एक्वाडक्ट को ही  साइफन एक्वाडक्ट बना दिया. वस्तुतः एक्वाडक्ट और  साइफन एक्वाडक्ट में बड़ा अंतर होता है. जहाँ नालों और छोटे स्थानों पर एक्वाडक्ट बनाया जाना है वहीँ टमस जैसी बड़ी नदियों में जहाँ 450 मीटर लम्बाई में नदी के बहाव को क्रॉस कर पाइप लाइन निकाली जानी होती है वहां  साइफन एक्वाडक्ट बनाया जाना प्रस्तावित होता है. गौरतलब है की  साइफन एक्वाडक्ट को नदी के नीचे गहराई में खोदकर कंक्रीट डालकर बनाया जाता है न की ऊपर से. लेकिन जिस प्रकार त्योंथर बहाव परियोजना के इस हिस्से में टमस नदी पर एक्वाडक्ट को ही साइफन एक्वाडक्ट मान लिया गया यह कहीं न कहीं ईइएनसी जैसे वरिष्ठ अधिकारी की कार्य क्षमता और स्वविवेक पर भी प्रश्न खडा करता है. कुल मिलाकर इस पूरे मामले से यह भलीभांति समझा जा सकता है की किस प्रकार से ईएनसी ने जहाँ अपने मिनट मीटिंग और इंस्पेक्शन रिपोर्ट में स्वयं ही तकनीकी मापदंडों के अनुरूप एक्वाडक्ट का कार्य होना नहीं पाया वहीँ ऊषा मार्टिन कम्पनी से सांठगांठ करते हुए जनता के टैक्स की साढ़े 3 करोड़ रूपये की गाढ़ी कमाई को कम्पनी और जल संसाधन विभाग के भ्रष्टाचार की बलि चढ़ा दी गयी. 

   अब बड़ा सवाल यह है आखिर कब ईएनसी एमजी चौबे और दोषी एसई और ईई के ऊपर कार्यवाही होगी?

*संलग्न* - कृपया संलग्न वह वीडियो देखें जहाँ मई 2015 में त्योंथर बहाव परियोजना से सम्बंधित एक्वाडक्ट टूटने को दिखाया गया है जहाँ बिना बारिस और बिना मिटटी के बहाव हुए ही मात्र तकनीकी गलती की वजह से इतना बड़ा नुकसान हुआ जिसके लिए ईएनसी ने साढ़े तीन करोड़ रूपये का एक्स्ट्रा पेमेंट किया और साथ में वीडियो बाइट प्राप्त करें एवं मिनट मीटिंग/इंस्पेक्शन रिपोर्ट की प्रति भी प्राप्त करें. 

*स्पेशल ब्यूरो रिपोर्ट रीवा मप्र*

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