Saturday, November 25, 2023

Breaking: CEO जिला पंचायत संजय सौरभ सोनवणे का एक और करनामा// धारा 89 की सुनवाई के बिना ही जारी कर दिया मनमाना वसूली आदेश // मामला है बांस पंचायत का जहां पूर्व ईई आर एस धुर्वे की जांच को धता बताते हुए अमानक घटिया रपटे को किया गया मान्य// 14.49 लाख के स्थान पर मात्र बनाई गई 1 लाख 36 हजार की वसूली // कूटरचित दस्तावेज तैयार करने माप से अधिक मूल्यांकन दर्ज करने और फर्जी दस्तावेज तैयार करने पर भी नही हुई FIR// बड़ा सवाल: आखिर क्या सीईओ जिला पंचायत श्री सोनवणे की अब ऐसी ही रहेगी कार्यपणाली!

*Breaking: CEO जिला पंचायत संजय सौरभ सोनवणे का एक और करनामा// धारा 89 की सुनवाई के बिना ही जारी कर दिया मनमाना वसूली आदेश // मामला है बांस पंचायत का जहां पूर्व ईई आर एस धुर्वे की जांच को धता बताते हुए अमानक घटिया रपटे को किया गया मान्य// 14.49 लाख के स्थान पर मात्र बनाई गई 1 लाख 36 हजार की वसूली // कूटरचित दस्तावेज तैयार करने माप से अधिक मूल्यांकन दर्ज करने और फर्जी दस्तावेज तैयार करने पर भी नही हुई FIR// बड़ा सवाल: आखिर क्या सीईओ जिला पंचायत श्री सोनवणे की अब ऐसी ही रहेगी कार्यपणाली!*

दिनांक 25 नवंबर 2023 रीवा मप्र।

  मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत रीवा संजय सौरभ सोनवड़े का एक और करनामा सामने आया है जहां 10 नवंबर 2023 को बांस ग्राम पंचायत जनपद पंचायत गंगेव में हुए व्यापक स्तर के भ्रष्टाचार की जांच को लेकर उन्होंने मात्र लगभग एक लाख 89 हजार रुपए की वसूली नोटिस जारी की है। मामले पर आपत्ति जाहिर करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी ने अब निर्वाचन आयोग नई दिल्ली और भोपाल को भी शिकायत की है। 
*दो जांचे जिसमे सीईओ जिला पंचायत संजय सौरभ सोनवणे नही कर पाए निराकरण*

  गौरतलब है की बांस ग्राम पंचायत से संबंधित पहली शिकायत वर्ष 2020 में की गई थी जिसमें दो दर्जन से अधिक कार्यों की जांच तत्कालीन कार्यपालन यंत्री ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग क्रमांक 2 डीएस आर्मों एसडीओ आरडी पांडेय एवं सहायक यंत्री मनीष मिश्रा आदि की उपस्थिति में की गई थी जिसमें व्यापक स्तर पर अनियमितता और गड़बड़ी प्रकाश में आई थी। लेकिन ग्राम पंचायत के तत्कालीन सरपंच गीता पटेल एवं सचिव मेदनी प्रसाद आदिवासी के द्वारा जांच से संबंधित अभिलेख उपलब्ध नहीं करवाए जाने के कारण कुछ कार्यों को छोड़कर शेष कार्यों की वसूली नहीं बन पाई थी। इसके बाद दूसरी शिकायत वर्ष 2022 में की गई जब अक्टूबर के दरमियान तत्कालीन कार्यपालन यंत्री ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग क्रमांक 01 आर एस धुर्वे, एसडीओ जितेंद्र अहिरवार एवं सहायक यंत्री एस आर प्रजापति द्वारा जांच की गई जिसमें कुल 09 बिंदुओं की जांच की गई और तब भी अभिलेख उपलब्ध न हो पाने के कारण जहां कार्य अमानक गुणवत्ता विहीन बताए गए लेकिन जांच पूर्ण नहीं हो सकी। बड़ा सवाल आखिर दस्तावेज उपलब्ध करवाएगा कौन?
  *इन इन बिंदुओं पर स्पष्ट अभिमत के बाद भी सीईओ और ईई ने किया भ्रष्टाचारियों का बचाव*

  तत्कालीन कार्यपालन मंत्री ग्रामीण यांत्रिकी सेवा आर एस धुर्वे की दूसरी जांच में कराधान मद से बनाए गए रपटा निर्माण हनुमान मंदिर बांस के पास जिसकी लागत 14 लाख 49 हजार स्वीकृत थी गुणवत्ताविहीन अमानत और स्तरहीन करार दिया गया। जांच के दौरान पाया गया की 30 मीटर रपटे का मूल्यांकन किया गया था जबकि मौके पर वह 21.25 मीटर ही पाया गया जबकि कंक्रीट के नीव की गहराई 1.75 मीटर मूल्यांकित थी जबकि मौके पर 0.35 मीटर ही पाई गई। सरफेस पर स्लैब के स्थान पर घटिया मटेरियल डस्ट आदि डालकर बनाया गया था जो 5 मीटर लंबाई में टूटा हुआ पाया गया था। रपटे में न तो विंग वाल है और न ही एप्रोन पाया गया जिसे जांच टीम ने पूरी तरह से निरस्त करते हुए मूल्यांकनकर्ता अधिकारियों और इंजीनियर को दोषी ठहराया था जिसकी संपूर्ण 14 लाख 49 हजार की वसूली बनाई जानी थी लेकिन ऐसा नहीं किया गया और मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत रीवा  द्वारा शिकायतकर्ता को बिना जानकारी दिए हुए और धारा 89 की सुनवाई का अवसर दिए हुए ही दोषी मूल्यांकनकर्ताओं के साथ सांठगांठ कर मात्र 1 लाख 36 हजार रुपए की ही वसूली बनाई गई जिसको लेकर अब बड़े सवाल खड़ी किए गए हैं।
 *कराधान घोटाले से संबंधित है मामला, कई इंजीनियर है कार्यवाही की जद में*

  वास्तव में यह मामला रीवा जिले के बहुचर्चित कराधान घोटाले से भी संबंधित है जहां पर कई मूल्यांकनकर्ता इंजीनियर दोषी हैं जिसमें सहायक यंत्री आरपी कुशवाहा उपयंत्री के एल पट्टा एवं हरिदर्शन पटेल ने न केवल बांस बल्कि दर्जनों ऐसी ही पंचायत मे कराधान मद में किए गए निर्माण कार्य में गलत कूटरचित तरीके से फर्जी मूल्यांकन करने के कारण दोषी पाए गए हैं जिसमें पूर्व में सेदहा एवं चौरी ग्राम पंचायत भी सम्मिलित हैं। लेकिन जिस प्रकार निरंतर फर्जी कूटरचित दस्तावेज तैयार करने और गलत मूल्यांकन करने के बावजूद भी इंजीनियर और सहायक यंत्री सहित अधिकारियों को जिला पंचायत सीईओ के द्वारा बचाने का प्रयास किया जा रहा है और एफ आई आर दर्ज करवाने एवं अनुशासनात्मक कार्यवाही करने के स्थान पर मात्र कुछ हजार रुपए की वसूली से अभयदान दिया जा रहा है यह जिला पंचायत सीईओ संजय सौरव सोनवडे की कार्यप्रणाली पर एक बार पुनः प्रश्न खड़ा करता है। बड़ा सवाल यह है की आखिर जिला सीईओ क्या जांच रिपोर्ट स्वयं नहीं पढ़ते? क्या सीईओ संजय सौरभ सोनवणे आंख मूदकर सुनवाई कर रहे हैं?
 *आखिर को जिला पंचायत ने शिकायतकर्ता को धारा 89 की सुनवाई में अपना पक्ष रखने क्यों नहीं बुलाया*

  यहां पर बड़ा सवाल यह है की मध्य प्रदेश पंचायत राज अधिनियम 1993-94 की धारा 89 की सुनवाई में विधिवत दोनों पक्षों को मौका दिया जाता है जिसमें वह अपनी बात तथ्यों और प्रमाणों के साथ रखें इसके बाद गुण दोष के आधार पर को जिला पंचायत सीईओ मामले पर अपना अंतिम आदेश जारी करते हैं लेकिन यहां पर यह बात गौरतलब है कि जहां चौरी और सेदहा जैसी पंचायत में राजनीतिक दबाव और पक्षपात के चलते दर्जन भर बार से अधिक सुनवाई की गई और कई बार जांच पर जांच की गई वहीं अन्य पंचायतो एवं बांस पंचायत के मामले में मात्र बंद कमरे में बैठकर सुनवाई नोटिस जारी कर दी गई और मात्र लगभग एक लाख 89 हजार रुपए के आसपास वसूली नोटिस जारी करते हुए मामले की इतिश्श्री कर दी गई।
 
  *14.49 लाख रुपए के रपटे के गबन में किन-किन अधिकारियों का है शेयर*

  बड़ा सवाल यह है कि जहां सेदहा पंचायत के एक ऐसे ही मामले पर पूरी वसूली बनाई गई है वहीं दूसरी तरफ आखिर बांस पंचायत के मामले में जब माप से अधिक का मूल्यांकन किया गया और घटिया स्तरहीन एवं गुणवत्ताविहीन कार्य को पास करते हुए मात्र 1 लाख 36 हजार रुपए की ही वसूली बनाई गई तो बड़ा सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर इस 14 लाख 49 हजार के मामले में कौन-कौन से अधिकारी और इंजीनियर की हिस्सेदारी है? आखिर जनता की गाढ़ी कमाई के टैक्स के पैसे की इस प्रकार से बर्बादी करने में सीईओ जिला पंचायत और कार्यपालन यंत्री की क्यों रुचि है? जाहिर है शायद इसमें बड़ा हिस्सा इन अधिकारियों को भी  जाता होगा तभी बार-बार दोषी पाए जाने वाले एक ही इंजीनियर को बचाने का निरंतर प्रयास किया जा रहा है जबकि ऐसे मामलों में सीधे अनुशासनात्मक कार्यवाही और पुलिस में प्रकरण दर्ज करवाया जाना नितांत आवश्यक होता है।

  सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी ने मामले की शिकायत भारत निर्वाचन आयोग नई दिल्ली एवं मध्य प्रदेश निर्वाचन आयोग भोपाल सहित सभी वरिष्ठ अधिकारियों को की है और मामले पर संज्ञान लेते हुए तत्काल ऐसे मुख्य कार्यपालन अधिकारी एवं कार्यपालन यंत्री को रीवा जिले से हटाए जाने की मांग की है।
*संलग्न* - कृपया संलग्न मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत रीवा द्वारा जारी वसूली जमा करने हेतु नोटिस की प्रति एवं तत्कालीन कार्यपालन यंत्री आर एस धुर्वे का जांच प्रतिवेदन सहित घटिया स्तरहीन और गुणवत्ताविहीन रपटे की तस्वीर प्राप्त करें।

*स्पेशल ब्यूरो रिपोर्ट रीवा मध्य प्रदेश*

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