Monday, August 7, 2023

Breaking: निजी आराजी में बनाया 14 लाख की 700 मीटर सड़क और 14.49 लाख का रपटा // प्रस्तावित वसूली के बाद अब सीईओ जिला पंचायत संजय सौरभ सोनवणे गढ़वा रहे कूट रचित अभिलेख // भ्रष्टाचारियों को संरक्षण देने का गजब मामला आया सामने// सीईओ जिला पंचायत की कार्यप्रणाली पर लगातार उठ रहे सवाल // वसूली और एफ आई आर दर्ज करवाने के स्थान पर घोटालेबाजों को बचाने का किया जा रहा प्रयास // गंगेव जनपद की चौरी ग्राम पंचायत के बाद सेदहा ग्राम पंचायत का है यह दूसरा मामला // स्वयं सीईओ जिला पंचायत मौके पर आकर किए थे जांच फिर भी सांठ गांठ कर चल रहा लीपापोती का खेल//

Breaking: निजी आराजी में बनाया 14 लाख की 700 मीटर सड़क और 14.49 लाख का रपटा // प्रस्तावित वसूली के बाद अब सीईओ जिला पंचायत संजय सौरभ सोनवणे गढ़वा रहे कूट रचित अभिलेख // भ्रष्टाचारियों को संरक्षण देने का गजब मामला आया सामने// सीईओ जिला पंचायत की कार्यप्रणाली पर लगातार उठ रहे सवाल // वसूली और एफ आई आर दर्ज करवाने के स्थान पर घोटालेबाजों को बचाने का किया जा रहा प्रयास // गंगेव जनपद की चौरी ग्राम पंचायत के बाद सेदहा ग्राम पंचायत का है यह दूसरा मामला // स्वयं सीईओ जिला पंचायत मौके पर आकर किए थे जांच फिर भी सांठ गांठ कर चल रहा लीपापोती का खेल//

दिनांक 7 अगस्त 2023 रीवा मध्य प्रदेश।

   रीवा जिला पंचायत भ्रष्टाचारियों का पनाहगाह बन कर उभर रहा है। यहां एक से बढ़कर एक कारनामे सामने आ रहे हैं जहां अब वसूली और अनुशासनात्मक कार्यवाही प्रस्तावित होने के बाद भी दोषियों को सरेआम बचाने का खेल खेला जा रहा है और कूट रचित अभिलेख भी गढ़े जा रहे हैं। इस पूरे मामले में मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत रीवा संजय सौरव सोनवणे की कार्यप्रणाली लगातार संदेह के दायरे में बनी हुई है। कई पंचायतों में हुए व्यापक भ्रष्टाचार और उसकी जांच कर वसूली प्रस्तावित होने के बाद अब सीईओ जिला पंचायत भ्रष्टाचारियों को बचाने की जुगत में लगे हैं। 
*चौरी के बाद अब सेदहा पंचायत में भी दोषियों को बचाने गढ़ी जा रही कहानियां*

  पिछले दिनों देखा गया कि किस प्रकार गंगेव जनपद की चौरी ग्राम पंचायत में लगभग डेढ़ करोड़ के भ्रष्टाचार की शिकायत पर जांच अधिकारियों ने 60 से 70 लाख रुपए की वसूली प्रस्तावित की थी जबकि देखा जाए तो अभी भी दर्जनों कार्यों की जांच चल रही थी और इस प्रकार लगभग एक करोड़ से ऊपर वसूली बन सकती थी लेकिन जिला पंचायत सीईओ संजय सौरभ सोनवणे द्वारा मात्र वसूली कम और विलोपित करने और दोषियों को बचाने के उद्देश्य से जांच पर जांच करवाई गई और अब दोषियों को बिना किसी दस्तावेजी साक्ष्य के ही वसूली से भी मुक्त किया जा रहा है। 
*सेदहा ग्राम पंचायत की 700 मीटर सुदूर सड़क निजी हित और निजी आराजी में*

  वर्ष 2014-15 के दरमियान सेदहा ग्राम पंचायत में ग्राम जीरौही टोला मैं दुर्जन कोल से अरुण सिंह के खेत की तरफ बनाई गई सुदूर सड़क को कागजों पर तो शासकीय आराजी नंबर 39 एवं 43 में बनाया बताया गया लेकिन जब मौके पर जांच की गई तो पता चला कि यह सड़क आराजी नंबर 43 के मात्र 60 मीटर हिस्से पर ही बनी है जबकि शेष 640 मीटर अरुण प्रताप सिंह की प्राइवेट आराजी नंबर 50 एल, 51 और 52 में बनाई गई है। इस प्रकार जनता के टैक्स के पैसे और शासकीय धन का दुरुपयोग करते हुए निजी हितलाभ के लिए सड़क निजी आराजी में बना दी गई। मामले की जांच भी हुई लेकिन सीईओ जिला पंचायत संजय सौरव सोनवड़े अब दोषियों को बचाने में लगे हुए हैं। 
 *निजी बांध की मेढ़ पर बना दिया 14.49 लाख का रपटा, कराधान घोटाले से भी जुड़े तार*

  दूसरा बड़ा मामला उसी 700 मीटर की सड़क पर बनाए गए एक रपटे को लेकर भी है जिसकी लागत 14.49 लाख रुपए बताई गई है। कराधान मद से बना हुआ दर्शाया गया यह रपटा भी पूरी तरह से गुणवत्ताविहीन तो है ही साथ में भूमिस्वामी अरुण प्रताप सिंह की निजी आराजी नंबर 52 मौजा सेदहा हल्का सेदहा में बनाया गया है। मामले की शिकायत सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी के द्वारा की गई थी जिसकी जांच हुई और तीन सदस्यीय जांच दल जिसमें कार्यपालन यंत्री ग्रामीण यांत्रिकी सेवा आर एस धुर्वे और दो एसडीओ एस आर प्रजापति और जीतेंद्र अहिरवार की टीम ने संयुक्त रूप से जांच की थी और जांच में स्पष्ट तौर पर प्रतिवेदन देते हुए बताया था कि निजी हितलाभ के लिए रपटे का निर्माण किया गया है और रपटे की गुणवत्ता भी अमानक स्तर की है। इसलिए पूरी राशि वसूली योग्य है और अनुशासनात्मक कार्यवाही प्रस्तावित की गई थी। लेकिन जब सीईओ जिला पंचायत संजय सौरभ सोनवणे आए तो दोषियों को बचाने के उद्देश्य से नई-नई जांच करवा दी और फर्जी कूट रचित दस्तावेज तैयार कर कहानियां गढ़ी जा रही हैं। 
  *निर्माण उपरांत निजी जमीन को शासकीय किए जाने का खेल*

  सीईओ जिला पंचायत रीवा द्वारा जांच पर जांच के नाम पर तहसीलदार और एसडीएम सिरमोर को पत्र लिखकर रपटा निर्माण वाले स्थान के नक्शा तरमीन किए जाने और शासकीय अत्यजन किए जाने के लिए लेख किया गया जिसके बाद तहसीलदार ने मौके पर आकर गुणा भाग करते हुए रपटा निर्माण वाले स्थल की जमीन का अत्यजन करते हुए शासकीय खसरे के रूप में दर्ज कर दिया और बता दिया कि पहले जो रपटा निजी भूमि पर बनाया हुआ था अब वह शासकीय हो गया है। 
  *भूमि बंधक दर्ज बैंक से कर्ज फिर भी खसरे में कैसे हुआ बदलाव*

  गौरतलब है की भू राजस्व संहिता 1959 की धारा 173 के तहत उसी निजी भूमि का अत्यजन अथवा शासकीय घोषित किया जा सकता है जो किसी भी प्रकार से बंधक न हो और कोई शासकीय धन राशि बकाया न हो लेकिन जैसा कि भूमिस्वानी अरुण प्रताप सिंह की आराजी नंबर 52 मौजा सेदहा वाले प्रकरण में देखा जा सकता है कि इस आराजी पर वर्ष 2019 से लेकर 2021 के बीच में तीन बार कर्ज लिया गया और खसरे में स्पष्ट तौर पर भूमि बंधक दर्ज है। 
   अब बड़ा सवाल यह है कि बंधक दर्ज भूमि और शासकीय धन राशि बकाया होने पर किस आधार पर कूट रचित दस्तावेज तैयार कर किस नियम के आधार पर अरुण प्रताप सिंह की उक्त भूमि को अत्यजन करते हुए शासकीय दर्ज किया गया?
  *भूमि को शासकीय तो दर्ज किया लेकिन रपटा की गुणवत्ता का क्या?*

  मामला यहीं पर आकर नहीं रुकता बल्कि सीईओ जिला पंचायत संजय सौरव सोनवड़े द्वारा रात 9 और 10 बजे सुनवाई के दौरान कार्यपालन यंत्री ग्रामीण यांत्रिकी सेवा टीपी गुर्दवान को दबाव देकर बोला जाता है कि रपटा में सुधार करवा दो और वसूली विलोपित कर दो। अब सवाल यह है की भूमि को अवैधानिक तरीके से शासकीय तो दर्ज करवा दिया लेकिन जिस रपटे नीव और नीचे की जमीन ही खिसक गई है और जो पूरी तरह से गुणवत्ताविहीन बनाया गया है भला उसमें सुधार कैसे संभव है? प्राप्त जानकारी अनुसार कार्यपालन यंत्री टीपी गुर्दवान ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि जिस कार्य का बेस और कोई आधार ही नहीं है उसमें सुधार की गुंजाइश नहीं रहती इसलिए रपटे का सुधार नहीं किया जा सकता अतः राशि वसूली योग्य है। 
  *सीईओ जिला पंचायत संजय सौरभ सोनवणे की स्पष्ट संलिप्तता*

  गंगेव जनपद की चौरी और सेदहा ग्राम पंचायत के इन किस्सों से भलीभांति समझा जा सकता है कि कैसे सर से पांव तक डूबे हुए भ्रष्टाचारियों को बचाने और उन्हें संरक्षण देने के लिए सीईओ जिला पंचायत संजय सौरव सोनवणे अपने पद और शक्ति का गलत उपयोग कर रहे हैं। आखिर चाहे चौरी ग्राम पंचायत में कुसियारी घाट स्टॉप डैम स्थल परिवर्तन का मामला रहा हो या सेदहा ग्राम पंचायत के जिरोही प्लाट में अरुण प्रताप सिंह के निजी भूमि पर रपटा निर्माण का, दोनों ही मामलों में स्पष्ट तौर पर देखा जा सकता है कि जहां एक में कोई स्टॉप डैम ही नही बना तो दूसरे में नियम विरुद्ध गुणवत्ताविहीन घटिया निर्माण कार्य किया गया और निजी हितलाभ के उद्देश्य से जनता के टैक्स के पैसे और शासकीय धनराशि का दुरुपयोग किया गया और बाद में सीईओ जिला पंचायत की मदद से कूटरचित और फर्जी दस्तावेज बनाया जाकर वर्तमान दिनांक में अभिलेखों में सुधार का कार्य किया जा रहा है जिससे स्पष्ट तौर पर पता चलता है कि पूरे मामले में मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत रीवा संजय सौरभ सोनवड़े की भूमिका है और यह पूरी तरह से पंचायतों में भ्रष्टाचार को संरक्षण दे रहे हैं।।
  *सैकड़ों पंचायतों की लंबित पड़ी शिकायतों पर कोई कार्यवाही नहीं पर जिनमें पहले से वसूली बनी उनमें लीपापोती का खेल जारी*

  गौरतलब है की अभी भी जिले भर में सैकड़ो ऐसी ग्राम पंचायतें हैं जहां व्यापक स्तर का भ्रष्टाचार हुआ और शिकायतकर्ताओं ने वर्षों पहले से शिकायत की हुई है लेकिन उन पर जांच और कार्यवाही के स्थान पर मात्र उन पंचायतों की जांच और शिकायतों में लीपापोती की जा रही है जिन पंचायत में बड़ी मशक्कत के बाद जांच हुई और जांच के बाद अब वसूली की कार्यवाही प्रस्तावित हुई है जिस पर अब सीईओ जिला पंचायत रीवा संजय सौरभ सोनवड़े के द्वारा लीपापोती करते हुए भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया जा रहा है। 
संलग्न - कृपया मामले से संबंधित संलग्न दस्तावेज अभिलेख तहसीलदार की जांच प्रतिवेदन सीईओ जिला पंचायत के पत्र आदि प्राप्त करें।
*स्पेशल ब्यूरो रिपोर्ट रीवा मध्य प्रदेश।*

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