Sunday, August 27, 2023

Breaking: गढ़ ठेकेदार की अवैध पैकारी एक बार फिर आई सामने, पुलिस की नाक के नीचे से पैकारी करते पकड़े गए शराब तस्कर// कैथा ग्राम में ग्रामीणजनों ने बिना नंबर प्लेट की बाइक के साथ पकड़ा तीन पेटी शराब//

*Breaking: गढ़ ठेकेदार की अवैध पैकारी एक बार फिर आई सामने, पुलिस की नाक के नीचे से पैकारी करते पकड़े गए शराब तस्कर// कैथा ग्राम में ग्रामीणजनों ने बिना नंबर प्लेट की बाइक के साथ पकड़ा तीन पेटी शराब//*


दिनांक 26 अगस्त 2023 रीवा मध्य प्रदेश।

  रीवा जिले में शराब ठेकेदारों के द्वारा गांव-गांव घर-घर अवैध पैकारी का सिलसिला जारी है। आए दिन शराब ठेकेदार अपने ठेकेदारी की आड़ में बिना नंबर प्लेट की अवैध गाड़ियों में गांव-गांव पैकारी करवा रहे हैं और यह सब पुलिस प्रशासन की नाक के ठीक नीचे हो रहा है। ताजा मामला रीवा जिले के थाना गढ़ क्षेत्र अंतर्गत ग्राम कैथा का है जहां हनुमान मंदिर कैथा के पास बिना नंबर प्लेट की हीरो एचएफ डीलक्स काली कलर की बाइक में दो युवक तीन पेटी शराब जिसमें से दो पेटी देसी मदिरा एवं एक पेटी बियर की पैकारी करते हुए गांव के ही स्थानीय निवासियों के द्वारा पकड़े गए जिसके बाद गढ़ पुलिस प्रशासन के सब इंस्पेक्टर शोभनाथ वर्मा एवं सहायक उप निरीक्षक सुखेंद्र सिंह को जानकारी देने के बाद मौके से गिरफ्तार कर थाना गढ़ ले जाया गया। 


  गौरतलब है की अवैध पैकारी करने वाले युवक विजय जायसवाल और आरिफ खान निवासी गढ़ के द्वारा बताया गया कि वह यह काम गांव-गांव करते हैं और ठेकेदार ने उन्हें ऐसा करने के लिए रखा हुआ है। ग्रामीणों द्वारा बनाए गए वीडियो में स्पष्ट तौर पर इन पैकारी करने वाले दोनों युवकों के द्वारा बताया जा रहा है कि गांव से जैसे ही डिमांड आती है वह सप्लाई कर देते हैं। अवैध पैकारी करने वाले इन ठेकेदारों की हिम्मत तो देखिए कि यह अवैध काम को ही वैध बता रहे थे और कह रहे थे कि पुलिस को सब जानकारी है। कैथा गांव के मिथिलेश चतुर्वेदी और शैलेंद्र पटेल सहित उपस्थिति लगभग दर्जन भर ग्रामीणजनों ने पैकारी करने वाले युवकों को गांव में रोका गया और पूछा कि वह बॉक्स में क्या लिए हैं जिसको खोलने के बाद पता चला कि उसमें दो पेटी देशी मदिरा थी जबकि तीसरी में 12 बोतल बियर थी जिसकी जानकारी तत्काल गढ़ पुलिस प्रशासन को देने के बाद मौके पर पुलिस ने आकर गवाहों के हस्ताक्षर बयान दर्ज किया और माल की जब्ती बनाकर थाना गढ़ की ओर आगे की कार्यवाही के लिए ले गए। मौके पर सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी भी उपस्थित रहे और पुलिस को पूरे मामले की जानकारी दी गई।

गौरतलब है कि न केवल कैथा ग्राम बल्कि आसपास के हिनौती बड़ोखर मिसिरा इटहा अकलसी डाढ़ सेदहा बड़ियोर लोटनी भदोहा बांस भटवा सहित कई दर्जन ग्रामों में इस प्रकार देसी मदिरा महुआ शराब सहित सरकारी ठेकेदारों के द्वारा नियम विरुद्ध घर-घर अवैध पैकारी करवाई जा रही है।


संलग्न - कैथा में पकड़े गए अवैध पैकारी करते हुए युवकों की फोटो/वीडियो के साथ उपलब्ध शराब की बोतले।

*स्पेशल ब्यूरो रिपोर्ट रीवा मध्य प्रदेश*

Monday, August 7, 2023

Breaking: निजी आराजी में बनाया 14 लाख की 700 मीटर सड़क और 14.49 लाख का रपटा // प्रस्तावित वसूली के बाद अब सीईओ जिला पंचायत संजय सौरभ सोनवणे गढ़वा रहे कूट रचित अभिलेख // भ्रष्टाचारियों को संरक्षण देने का गजब मामला आया सामने// सीईओ जिला पंचायत की कार्यप्रणाली पर लगातार उठ रहे सवाल // वसूली और एफ आई आर दर्ज करवाने के स्थान पर घोटालेबाजों को बचाने का किया जा रहा प्रयास // गंगेव जनपद की चौरी ग्राम पंचायत के बाद सेदहा ग्राम पंचायत का है यह दूसरा मामला // स्वयं सीईओ जिला पंचायत मौके पर आकर किए थे जांच फिर भी सांठ गांठ कर चल रहा लीपापोती का खेल//

Breaking: निजी आराजी में बनाया 14 लाख की 700 मीटर सड़क और 14.49 लाख का रपटा // प्रस्तावित वसूली के बाद अब सीईओ जिला पंचायत संजय सौरभ सोनवणे गढ़वा रहे कूट रचित अभिलेख // भ्रष्टाचारियों को संरक्षण देने का गजब मामला आया सामने// सीईओ जिला पंचायत की कार्यप्रणाली पर लगातार उठ रहे सवाल // वसूली और एफ आई आर दर्ज करवाने के स्थान पर घोटालेबाजों को बचाने का किया जा रहा प्रयास // गंगेव जनपद की चौरी ग्राम पंचायत के बाद सेदहा ग्राम पंचायत का है यह दूसरा मामला // स्वयं सीईओ जिला पंचायत मौके पर आकर किए थे जांच फिर भी सांठ गांठ कर चल रहा लीपापोती का खेल//

दिनांक 7 अगस्त 2023 रीवा मध्य प्रदेश।

   रीवा जिला पंचायत भ्रष्टाचारियों का पनाहगाह बन कर उभर रहा है। यहां एक से बढ़कर एक कारनामे सामने आ रहे हैं जहां अब वसूली और अनुशासनात्मक कार्यवाही प्रस्तावित होने के बाद भी दोषियों को सरेआम बचाने का खेल खेला जा रहा है और कूट रचित अभिलेख भी गढ़े जा रहे हैं। इस पूरे मामले में मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत रीवा संजय सौरव सोनवणे की कार्यप्रणाली लगातार संदेह के दायरे में बनी हुई है। कई पंचायतों में हुए व्यापक भ्रष्टाचार और उसकी जांच कर वसूली प्रस्तावित होने के बाद अब सीईओ जिला पंचायत भ्रष्टाचारियों को बचाने की जुगत में लगे हैं। 
*चौरी के बाद अब सेदहा पंचायत में भी दोषियों को बचाने गढ़ी जा रही कहानियां*

  पिछले दिनों देखा गया कि किस प्रकार गंगेव जनपद की चौरी ग्राम पंचायत में लगभग डेढ़ करोड़ के भ्रष्टाचार की शिकायत पर जांच अधिकारियों ने 60 से 70 लाख रुपए की वसूली प्रस्तावित की थी जबकि देखा जाए तो अभी भी दर्जनों कार्यों की जांच चल रही थी और इस प्रकार लगभग एक करोड़ से ऊपर वसूली बन सकती थी लेकिन जिला पंचायत सीईओ संजय सौरभ सोनवणे द्वारा मात्र वसूली कम और विलोपित करने और दोषियों को बचाने के उद्देश्य से जांच पर जांच करवाई गई और अब दोषियों को बिना किसी दस्तावेजी साक्ष्य के ही वसूली से भी मुक्त किया जा रहा है। 
*सेदहा ग्राम पंचायत की 700 मीटर सुदूर सड़क निजी हित और निजी आराजी में*

  वर्ष 2014-15 के दरमियान सेदहा ग्राम पंचायत में ग्राम जीरौही टोला मैं दुर्जन कोल से अरुण सिंह के खेत की तरफ बनाई गई सुदूर सड़क को कागजों पर तो शासकीय आराजी नंबर 39 एवं 43 में बनाया बताया गया लेकिन जब मौके पर जांच की गई तो पता चला कि यह सड़क आराजी नंबर 43 के मात्र 60 मीटर हिस्से पर ही बनी है जबकि शेष 640 मीटर अरुण प्रताप सिंह की प्राइवेट आराजी नंबर 50 एल, 51 और 52 में बनाई गई है। इस प्रकार जनता के टैक्स के पैसे और शासकीय धन का दुरुपयोग करते हुए निजी हितलाभ के लिए सड़क निजी आराजी में बना दी गई। मामले की जांच भी हुई लेकिन सीईओ जिला पंचायत संजय सौरव सोनवड़े अब दोषियों को बचाने में लगे हुए हैं। 
 *निजी बांध की मेढ़ पर बना दिया 14.49 लाख का रपटा, कराधान घोटाले से भी जुड़े तार*

  दूसरा बड़ा मामला उसी 700 मीटर की सड़क पर बनाए गए एक रपटे को लेकर भी है जिसकी लागत 14.49 लाख रुपए बताई गई है। कराधान मद से बना हुआ दर्शाया गया यह रपटा भी पूरी तरह से गुणवत्ताविहीन तो है ही साथ में भूमिस्वामी अरुण प्रताप सिंह की निजी आराजी नंबर 52 मौजा सेदहा हल्का सेदहा में बनाया गया है। मामले की शिकायत सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी के द्वारा की गई थी जिसकी जांच हुई और तीन सदस्यीय जांच दल जिसमें कार्यपालन यंत्री ग्रामीण यांत्रिकी सेवा आर एस धुर्वे और दो एसडीओ एस आर प्रजापति और जीतेंद्र अहिरवार की टीम ने संयुक्त रूप से जांच की थी और जांच में स्पष्ट तौर पर प्रतिवेदन देते हुए बताया था कि निजी हितलाभ के लिए रपटे का निर्माण किया गया है और रपटे की गुणवत्ता भी अमानक स्तर की है। इसलिए पूरी राशि वसूली योग्य है और अनुशासनात्मक कार्यवाही प्रस्तावित की गई थी। लेकिन जब सीईओ जिला पंचायत संजय सौरभ सोनवणे आए तो दोषियों को बचाने के उद्देश्य से नई-नई जांच करवा दी और फर्जी कूट रचित दस्तावेज तैयार कर कहानियां गढ़ी जा रही हैं। 
  *निर्माण उपरांत निजी जमीन को शासकीय किए जाने का खेल*

  सीईओ जिला पंचायत रीवा द्वारा जांच पर जांच के नाम पर तहसीलदार और एसडीएम सिरमोर को पत्र लिखकर रपटा निर्माण वाले स्थान के नक्शा तरमीन किए जाने और शासकीय अत्यजन किए जाने के लिए लेख किया गया जिसके बाद तहसीलदार ने मौके पर आकर गुणा भाग करते हुए रपटा निर्माण वाले स्थल की जमीन का अत्यजन करते हुए शासकीय खसरे के रूप में दर्ज कर दिया और बता दिया कि पहले जो रपटा निजी भूमि पर बनाया हुआ था अब वह शासकीय हो गया है। 
  *भूमि बंधक दर्ज बैंक से कर्ज फिर भी खसरे में कैसे हुआ बदलाव*

  गौरतलब है की भू राजस्व संहिता 1959 की धारा 173 के तहत उसी निजी भूमि का अत्यजन अथवा शासकीय घोषित किया जा सकता है जो किसी भी प्रकार से बंधक न हो और कोई शासकीय धन राशि बकाया न हो लेकिन जैसा कि भूमिस्वानी अरुण प्रताप सिंह की आराजी नंबर 52 मौजा सेदहा वाले प्रकरण में देखा जा सकता है कि इस आराजी पर वर्ष 2019 से लेकर 2021 के बीच में तीन बार कर्ज लिया गया और खसरे में स्पष्ट तौर पर भूमि बंधक दर्ज है। 
   अब बड़ा सवाल यह है कि बंधक दर्ज भूमि और शासकीय धन राशि बकाया होने पर किस आधार पर कूट रचित दस्तावेज तैयार कर किस नियम के आधार पर अरुण प्रताप सिंह की उक्त भूमि को अत्यजन करते हुए शासकीय दर्ज किया गया?
  *भूमि को शासकीय तो दर्ज किया लेकिन रपटा की गुणवत्ता का क्या?*

  मामला यहीं पर आकर नहीं रुकता बल्कि सीईओ जिला पंचायत संजय सौरव सोनवड़े द्वारा रात 9 और 10 बजे सुनवाई के दौरान कार्यपालन यंत्री ग्रामीण यांत्रिकी सेवा टीपी गुर्दवान को दबाव देकर बोला जाता है कि रपटा में सुधार करवा दो और वसूली विलोपित कर दो। अब सवाल यह है की भूमि को अवैधानिक तरीके से शासकीय तो दर्ज करवा दिया लेकिन जिस रपटे नीव और नीचे की जमीन ही खिसक गई है और जो पूरी तरह से गुणवत्ताविहीन बनाया गया है भला उसमें सुधार कैसे संभव है? प्राप्त जानकारी अनुसार कार्यपालन यंत्री टीपी गुर्दवान ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि जिस कार्य का बेस और कोई आधार ही नहीं है उसमें सुधार की गुंजाइश नहीं रहती इसलिए रपटे का सुधार नहीं किया जा सकता अतः राशि वसूली योग्य है। 
  *सीईओ जिला पंचायत संजय सौरभ सोनवणे की स्पष्ट संलिप्तता*

  गंगेव जनपद की चौरी और सेदहा ग्राम पंचायत के इन किस्सों से भलीभांति समझा जा सकता है कि कैसे सर से पांव तक डूबे हुए भ्रष्टाचारियों को बचाने और उन्हें संरक्षण देने के लिए सीईओ जिला पंचायत संजय सौरव सोनवणे अपने पद और शक्ति का गलत उपयोग कर रहे हैं। आखिर चाहे चौरी ग्राम पंचायत में कुसियारी घाट स्टॉप डैम स्थल परिवर्तन का मामला रहा हो या सेदहा ग्राम पंचायत के जिरोही प्लाट में अरुण प्रताप सिंह के निजी भूमि पर रपटा निर्माण का, दोनों ही मामलों में स्पष्ट तौर पर देखा जा सकता है कि जहां एक में कोई स्टॉप डैम ही नही बना तो दूसरे में नियम विरुद्ध गुणवत्ताविहीन घटिया निर्माण कार्य किया गया और निजी हितलाभ के उद्देश्य से जनता के टैक्स के पैसे और शासकीय धनराशि का दुरुपयोग किया गया और बाद में सीईओ जिला पंचायत की मदद से कूटरचित और फर्जी दस्तावेज बनाया जाकर वर्तमान दिनांक में अभिलेखों में सुधार का कार्य किया जा रहा है जिससे स्पष्ट तौर पर पता चलता है कि पूरे मामले में मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत रीवा संजय सौरभ सोनवड़े की भूमिका है और यह पूरी तरह से पंचायतों में भ्रष्टाचार को संरक्षण दे रहे हैं।।
  *सैकड़ों पंचायतों की लंबित पड़ी शिकायतों पर कोई कार्यवाही नहीं पर जिनमें पहले से वसूली बनी उनमें लीपापोती का खेल जारी*

  गौरतलब है की अभी भी जिले भर में सैकड़ो ऐसी ग्राम पंचायतें हैं जहां व्यापक स्तर का भ्रष्टाचार हुआ और शिकायतकर्ताओं ने वर्षों पहले से शिकायत की हुई है लेकिन उन पर जांच और कार्यवाही के स्थान पर मात्र उन पंचायतों की जांच और शिकायतों में लीपापोती की जा रही है जिन पंचायत में बड़ी मशक्कत के बाद जांच हुई और जांच के बाद अब वसूली की कार्यवाही प्रस्तावित हुई है जिस पर अब सीईओ जिला पंचायत रीवा संजय सौरभ सोनवड़े के द्वारा लीपापोती करते हुए भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया जा रहा है। 
संलग्न - कृपया मामले से संबंधित संलग्न दस्तावेज अभिलेख तहसीलदार की जांच प्रतिवेदन सीईओ जिला पंचायत के पत्र आदि प्राप्त करें।
*स्पेशल ब्यूरो रिपोर्ट रीवा मध्य प्रदेश।*

Sunday, August 6, 2023

Big Breaking: प्रधानमंत्री सुरक्षा संबंधी CCTV फुटेज की जानकारी उपलब्ध नहीं ऐसा भयंकर मिला RTI का जवाब // क्या 24 अप्रैल 2023 रीवा में आयोजित राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस में कार्यक्रम में नहीं लगाए गए सीसीटीवी कैमरे? आखिर कार्यक्रम स्थल के सीसीटीवी फुटेज की जानकारी किसके पास? जिला पंचायत रीवा में सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी द्वारा लगाए गए आरटीआई में क्यों नहीं दिया गया सीसीटीवी फुटेज और परिवहन आदि की जानकारी?

*Big Breaking: प्रधानमंत्री सुरक्षा संबंधी CCTV फुटेज की जानकारी उपलब्ध नहीं ऐसा भयंकर मिला RTI का जवाब // क्या 24 अप्रैल 2023 रीवा में आयोजित राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस में कार्यक्रम में नहीं लगाए गए सीसीटीवी कैमरे? आखिर कार्यक्रम स्थल के सीसीटीवी फुटेज की जानकारी किसके पास? जिला पंचायत रीवा में सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी द्वारा लगाए गए आरटीआई में क्यों नहीं दिया गया सीसीटीवी फुटेज और परिवहन आदि की जानकारी?*
दिनांक 4 अगस्त 2030 रीवा मध्य प्रदेश।

  दिनांक 29 मई 2023 को मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत कार्यालय रीवा में सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी द्वारा लगाई गई एक आरटीआई में बड़ा खुलासा सामने आया है। एक्टिविस्ट द्विवेदी द्वारा 06 बिंदुओं की जानकारी जिला पंचायत रीवा से चाही गई थी जिसमें मात्र पहले बिंदु की कुछ पन्ने की जानकारी ही उपलब्ध करवाई गई है। शेष बिंदु क्रमांक 02 से 06 तक के बीच की जानकारी उपलब्ध नहीं करवाई गई है तो क्या इसका तात्पर्य यह माना जाए की जानकारी है ही नहीं अथवा किसी बड़े भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए ऐसा किया जा रहा है?
  *सीसीटीवी फुटेज और परिवहन से संबंधित बिंदु क्रमांक 4 और 5 की जानकारी परिवहन विभाग के पास भी नहीं*

  गौरतलब है कि सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 6(1) में आवेदन करने के पश्चात यदि कोई जानकारी संबंधित कार्यालय में उपलब्ध नहीं रहती है तो धारा 6(3) के तहत आवेदन को उस कार्यालय की तरफ फॉरवर्ड कर दिया जाता है जहां पर उस जानकारी के पाए जाने की सर्वाधिक संभावना होती है। शिवानंद द्विवेदी द्वारा बिंदु क्रमांक 04 एवं 05 में कई जानकारी आरटीओ से संबंधित चाही गई थी जिसमें कितनी बसें अधिग्रहित की गई और कहां पर उनकी पार्किंग की गई और साथ में पार्किंग के दौरान सीसीटीवी फुटेज की जानकारी भी चाही गई थी।
    गौरतलब है कि सीसीटीवी फुटेज की जानकारी इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि जितनी बसें अधिग्रहित की गई क्या उतनी बसों की पार्किंग की गई है और फिर यदि सुरक्षा से संबंधित कोई चूक हुई हो तो वह भी सीसीटीवी फुटेज में सामने आ जाती है। परिवहन विभाग के लोक सूचना अधिकारी के द्वारा जानकारी देने से सीधे मना कर दिया गया और बताया गया कि जानकारी कार्यालय में संधारित्र नहीं है।
*सीसीटीवी फुटेज की जानकारी उपलब्ध नहीं है तो क्या प्रधानमंत्री के कार्यक्रम सीसीटीवी कैमरे ही नहीं लगाए गए?*

  अब बड़ा सवाल यह है कि यदि सीसीटीवी फुटेज और वाहन पार्किंग की जानकारी न तो नगर निगम न परिवहन विभाग न मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत रीवा और न ही अन्य संबंधित विभागों में उपलब्ध नहीं है तो क्या यह मान लिया जाए कि कार्यक्रम स्थल पर सीसीटीवी कैमरे ही नहीं लगाए गए और क्या यह माना जाए कि 24 अप्रैल 2023 को रीवा में आयोजित राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस का कार्यक्रम जो इतने बड़े पैमाने पर हुआ जिसमें भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं आकर कार्यक्रम को संबोधित किया तो इस कार्यक्रम में कोई सुरक्षा व्यवस्था ही नहीं की गई? क्योंकि जाहिर है यदि सीसीटीवी कैमरे लगाए गए होते तो निश्चित तौर पर आरटीआई के माध्यम से यह जानकारी अवश्य दी जाती लेकिन जिस प्रकार से जानकारी देने से मना किया गया और स्पष्ट तौर पर बताया गया कि सीसीटीवी फुटेज की जानकारी संधारित्र नहीं है तो क्या इसका तात्पर्य माना जाए किसी सीसीटीवी कैमरे ही नहीं लगाए गए? 

   जानकारों का मानना है कि आरटीआई से प्राप्त इस जवाब ने बड़े सवाल पैदा किए हैं जिसमें एक तरफ तो आवेदक को सूचना आयोग में अपील करने के लिए मजबूर किया है तो वहीं दूसरी तरफ प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी बड़े सवाल पैदा किए हैं।

*संलग्न*  देखिए मामले को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी ने क्या कहा और आरटीआई से प्राप्त जानकारी में उन्हें क्या जवाब मिला।

*स्पेशल ब्यूरो रिपोर्ट रीवा मध्य प्रदेश*

Breaking: गोशाला निर्माण के 38 लाख में 14.50 लाख गए कमीशन में, पेटी कांट्रेक्टर का व्हाट्सएप चैट हुआ वायरल // गोशाला घोटाले में अब हो गए नए और बड़े खुलासे // पेटी ठेकेदार पीयूष पांडेय ने बताया कि कैसे बाहर के गिरोह ने आकर गौशाला का धन लूटा // इंदौर के दलाल आलोक शर्मा और राहुल रणदीप ने व्हाट्सएप चैट पर बताया कैसे होती थी सेटिंग //

*Breaking: गोशाला निर्माण के 38 लाख में 14.50 लाख गए कमीशन में, पेटी कांट्रेक्टर का व्हाट्सएप चैट हुआ वायरल // गोशाला घोटाले में अब हो गए नए और बड़े खुलासे // पेटी ठेकेदार पीयूष पांडेय ने बताया कि कैसे बाहर के गिरोह ने आकर गौशाला का धन लूटा // इंदौर के दलाल आलोक शर्मा और राहुल रणदीप ने व्हाट्सएप चैट पर बताया कैसे होती थी सेटिंग //*
दिनांक 6 अगस्त 2023 रीवा मध्य प्रदेश।

  रीवा जिले में हुए व्यापक स्तर के गौशाला घोटाले में कुछ नए खुलासे हुए हैं। रीवा जिले के संविदाकार और पेटी कांट्रेक्टर पियूष पांडेय से हुए व्हाट्सएप चैट में बाहर से आए लुटेरों और दलालों ने गौशाला से जुड़े हुए लेनदेन की विस्तार से चर्चा की जिसका व्हाट्सएप चैट पीयूष पांडेय ने रिलीज किया है। गौरतलब है कि मामले की जांच आर्थिक अपराध शाखा के द्वारा भी की जा रही है। 
  *38 लाख की गौशाला में 14.50 लाख जाएंगे मात्र कमीशन में फिर कैसे बनेगी गौशाला?*

  संविदाकार और पेटी कांट्रेक्टर पीयूष पांडेय ने अपने मोबाइल से जो व्हाट्सएप चैट रिलीज किया है उसमें इंदौर और छतरपुर के आए दलालों और लुटेरों ने गौशाला में कमीशन की विस्तार से चर्चा की है जिसमें बताया गया है की लगभग 7 लाख रूप मनरेगा विभाग को कमीशन में जायेंगे। व्हाट्सएप चैट में ही दलाल आलोक शर्मा और राहुल रणदीव द्वारा आगे बताया जाता है कि 6 लाख रुपए की राशि नीचे से लेकर ऊपर तक सरकारी अधिकारियों के लिए फिक्स होती हैं जो उन्हें हर हाल में देना होता है। चैट में आगे बताया जाता है कि डेढ़ लाख रुपए दलालों को टोकन अमाउंट में दिया जाना होता है जो पेटी कांट्रेक्टर उन्हें देंगे। जिसमें से 50 हजार रुपए कार्य प्रारंभ होने के पहले देना पड़ेगा और शेष 50 प्रतिशत राशि कार्य पूरा होने के बाद दिया जाना है। इस प्रकार देखा जाय तो प्रत्येक गौशाला में 14.50 लाख रुपए तो मात्र कमीशन में ही निकल जाते हैं शेष बची 23.50 लाख रुपए की राशि में स्थानीय स्तर पर सरपंच सचिव इंजीनियर की भी कमीशन फिक्स होती है तब जाकर बची खुची राशि में गोशाला निर्माण का काम सरकारी डकैत करवाते हैं जिसका नतीजा देखा जा सकता है की अधूरी पड़ी गोशाकाएं और चंपत हुए ठेकेदार यही हालत लगभग हर जगह देखने को मिल रहे हैं।
  
  *400 स्वच्छता शौचालय बनाए जाने में भी दलालों ने बता दिया कैसे रहेगा कमीशन का खेल*

  संविदाकार पियूष पांडेय के इसी व्हाट्सएप चैट में बाहर से आए गिरोह और दलालों राहुल रणदीव एवं आलोक शर्मा से हुई चैट में बताया जाता है कि उन्हें (गिरोहों को) 400 मनरेगा के तहत बनाए जाने वाले स्वच्छता शौचालय बनाए जाने का ठेका मिला है। जिसकी लागत 3 लाख 53 हजार रुपए है जिसमे मनरेगा की मजदूरी 50 हजार रुपए और सरकारी अधिकारियों की कमीशन 35 हजार और दलालों के लिए टोकन अमाउंट 7500 रुपए होगा इसमें कार्य प्रारंभ होने के पहले 5 हजार और शेष आधा कार्य होने के बाद 5 हजार देना होगा। जबकि अभी सरपंच सचिव इंजीनियर और पेटी कांट्रेक्टर की कमीशन शेष है। यदि उस कमीशन को भी जोड़ लिया जाए तो शौचालय निर्माण के लिए एक से डेढ़ लाख रुपए ही बचेंगे तब भला कैसे गुणवत्तापूर्ण शौचालय निर्माण किया जा सकता है?
  *दलालों ने 180 आंगनवाड़ी केंद्र बनाए जाने के ठेके में भी कमीशन का खेल बता दिया*

   बात यहीं तक नहीं रुकती है बल्कि इंदौर और छतरपुर से आए दलालों ने 180 की संख्या में आंगनवाड़ी केंद्र बनाए जाने के लिए भी कमीशन का विस्तार से लेखा-जोखा अपने वायरल चैट में दे दिया। मनरेगा योजना अंतर्गत बनाई जा रही एक आंगनवाड़ी में 7 लाख 82 हजार की लागत आएगी जिसमें डेढ़ लाख रुपए मनरेगा मजदूरी में जाएगा और 1 लाख 20 हजार रुपए सरकारी अधिकारियों की कमीशन रहेगी जबकि 20 हजार इन दलालों को टोकन अमाउंट देना पड़ेगा जिसमें 10 हजार रुपए कार्य प्रारंभ होने के पहले और शेष 10 हजार रुपए का कमीशन आधा कार्य होने के बाद पेटी ठेकेदार द्वारा इन गिरोह दलालों को दिया जाएगा। 
  *वर्तमान सरकार में भ्रष्टाचार मुक्त भारत की कल्पना नहीं बल्कि भ्रष्टाचारयुक्त भारत का नाम दिया जाना बेहतर*

  इस प्रकार उपरोक्त व्हाट्सएप चैट के माध्यम से भलीभांति समझा जा सकता है कि जहां भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी काला धन वापस लाने भ्रष्टाचार ओसमाप्त करने और सुशासन लाने की बड़ी-बड़ी बातें हांकते हैं वहां अभी भी सरकार में बैठे नुमाइंदों, सरकारी अफसरानो की छत्रछाया में सैकड़ो किलोमीटर दूर से गिरोह और दलाल किस प्रकार बाज की तरह आंख बैठाए हुए सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में मजदूरों के हक और गौमाता के निवाला को हजम कर रहे हैं इस वाक्यात से भलीभांति समझा जा सकता है। फिर भी यदि पियूष पांडेय और उनके जैसे दर्जन भर अन्य फिशिंग के शिकार हुए इनके साथियों की कोई शिकायत आती है तो फिर भी शिकायतकर्ता को ही दोषी ठहराया जाता है और शिकायतों पर लीपापोती का खेल प्रारंभ हो जाता है। ताजा उदाहरण पेटी ठेकेदार पीयूष पांडेय और अन्य पेटी ठेकेदारों की शिकायत का है जिनका लगभग 15 लख रुपए के लगभग राशि यह बाहर से आए गिरोह और दलालों ने हजम कर लिया जिसकी जांच भोपाल स्तर, प्रधानमंत्री कार्यालय स्तर और लोकायुक्त स्तर से पहले ही होकर दोषियों को क्लीन चिट दिया जा चुका है। अब जबकि जांच आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ रीवा द्वारा की जा रही है इसमें गवाहों और बयानों में नए-नए खुलासे सामने आ रहे हैं। हालांकि पीयूष पांडेय ने बताया कि मामले को लेकर वह न्यायालय भी पहुंच चुके हैं जहां से जल्द ही उन्हें रिलीफ मिलने वाली है।
   *एसपी आईजी को भी की गई शिकायत, अब तक नही हुई जांच*

  मामले को लेकर संविदाकार पीयूष पांडेय और उनके साथियों ने बताया कि उन्होंने रीवा जिले के पुलिस अधीक्षक और अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक को भी मामले की शिकायत सौंपी है। वर्ष 2022 में एसपी और आईजी को की गई शिकायत में पीयूष पांडेय और दर्जन भर उनके साथियों द्वारा कार्यालय पहुंचकर ज्ञापन दिया गया था और वहां कार्यालय के बाहर ही वीडियो भी बनाए गए थे जिसमें वाह अपनी समस्याओं की बात कर रहे हैं। इसके बाद भी कई बार पियूष पांडेय और उनके साथी एसपी और आईजी से मिले और कार्यवाही की गुहार लगाई है लेकिन अब तक मामले पर किसी भी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं की गई है और न ही जांच की गई है जिसके बाद पीड़ित शिकायतकर्ता अब कोर्ट की शरण में गए हैं।
  
  *गौशाला घोटाले के तार जुड़े एक बड़े आईएएस ऑफिसर से*

  रीवा जिले में हुए व्यापक स्तर के गौशाला घोटाले, बाउंड्री वाल निर्माण, शौचालय निर्माण और बाहर से आए दलालों आलोक शर्मा राहुल रणदीव, आभास भारद्वाज, राजाराम कुशवाहा जैसे दलालों के तार रीवा जिले में पदस्थ रहे एक बड़े आईएएस अधिकारी से जुड़े हुए हैं। बतौर पेटी कांट्रेक्टर पीयूष पांडेय की माने तो इन दलालों ने पियूष पांडेय को गुमराह करते हुए मनरेगा के कार्य ठेकेदारी प्रथा और कमीशनखोरी में कराए जाने की लालच दी जिसके बाद पीयूष पांडेय ने कुछ ऐसे वीडियो उपलब्ध करवाए हैं जिसमें यह दलाल रीवा जिले में पदस्थ रहे एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी से पार्टी करते हुए कई जगह फोटो वीडियो में नजर आ रहे हैं। हालाकी यह मामला आगे के अंकों में विस्तार से सामने आएगा और फिलहाल के लिए तो बस यही पर्याप्त है कि कैसे संलग्न व्हाट्सएप चैट में बाहर के दलालों ने रीवा की गौशालाओं को लूटा और पुर्तगाली, डच, अंग्रेजों, चंगेज खान और महमूद गजनवी की तरह आए गोमताओं और मजदूरों के हक को लूट कर चले गए। 
*संलग्न* - पेटी कांट्रेक्टर पीयूष पांडेय और उपरोक्त दलाल गिरोह के बीच वे व्हाट्सएप चैट, स्क्रीनशॉट और वीडियो एवं साथ में मामले को लेकर पीड़ित पेटी कांट्रेक्टर पीयूष पांडेय का कथन बयान।
*स्पेशल ब्यूरो रिपोर्ट रीवा मध्य प्रदेश*