Saturday, April 29, 2023

Breaking: सिरमौर के कोलहा पहुंची जल जीवन जागरण यात्रा // महिलाओं बुजुर्गों ने फिर सरकार और जनप्रतिनिधियों के विरुद्ध लगाए नारे // क्षेत्रीय विधायक और सांसद के प्रति जाहिर किया आक्रोश // पेयजल की किल्लत से परेशान महिलाओं ने कहा पानी नहीं तो वोट नहीं // जल जीवन जागरण यात्रा का पांचवा दौर जारी // पानी का प्रबंध करो, झूठे वादे बंद करो जैसे नारों से सीएम शिवराज को दिया संदेश //

*Breaking: सिरमौर के कोलहा पहुंची जल जीवन जागरण यात्रा // महिलाओं बुजुर्गों ने फिर सरकार और जनप्रतिनिधियों के विरुद्ध लगाए नारे // क्षेत्रीय विधायक और सांसद के प्रति जाहिर किया आक्रोश // पेयजल की किल्लत से परेशान महिलाओं ने कहा पानी नहीं तो वोट नहीं // जल जीवन जागरण यात्रा का पांचवा दौर जारी // पानी का प्रबंध करो, झूठे वादे बंद करो जैसे नारों से सीएम शिवराज को दिया संदेश //*
दिनांक 29 अप्रैल 2023 रीवा मध्य प्रदेश

  गर्मी आते ही भीषण पेयजल संकट उत्पन्न होने से रीवा जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों ने एक बार पुनः मोर्चा खोल दिया है। क्षेत्रीय विधायकों सांसदों और जनप्रतिनिधियों के विरुद्ध जगह-जगह प्रदर्शन हो रहे हैं और नारे लगाए जा रहे हैं। पानी का प्रबंध करो,  झूठे वादे बंद करो जैसे नारों के साथ ग्रामीण लोगों ने विधायकों और सांसदों को माकूल जवाब दिया। गौरतलब है कि इसके पहले जल जीवन जागरण यात्रा के प्रारंभिक चार दौर में जनता ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरुद्ध भी नारे लगाए थे और योजनाओं में चल रहे भ्रष्टाचार को लेकर आक्रोश जाहिर किया था। सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी ने जानकारी दी और बताया कि यह अभियान पूरे ग्रीष्मकालीन दौर में जारी रहेगा और जगह-जगह जाकर लोगों की समस्याओं से अवगत होकर विभिन्न माध्यमों से प्रदेश और केंद्र सरकार के पास तक इस समस्या को पहुंचाया जाएगा। उन्होंने बताया कि केंद्र और प्रदेश सरकार मात्र घोषणाएं कर रही है और शिलान्यास होने के बाद योजनाएं धरातल से गायब हो जाती हैं। आम जनता को दशकों से मात्र योजनाओं के शिलान्यास की जानकारी जनता के टैक्स के पैसे से आयोजित होने वाले सरकारी कार्यक्रमों के माध्यम से मिल जाया करती है। जनता की गाढ़ी कमाई कमीशनखोर अधिकारी ठेकेदार और भ्रष्ट नेता मिलकर हजम कर रहे हैं।
   …….. देखिए पूरे मामले को लेकर जल जीवन जागरण यात्रा के दौरान कोलहा ग्राम के ग्रामीणों ने और क्या-क्या कहा आइए सुनाते हैं उनकी जुबानी….
  *स्पेशल ब्यूरो रिपोर्ट रीवा मध्य प्रदेश*

Breaking: सर से पांव तक भ्रष्टाचार में डूबे सरपंच सचिव और चहेते इंजीनियरों को बचा रहे सीईओ जिला पंचायत // एक वर्ष से अधिक समय बाद भी 68 लाख की रिकवरी नही करवा पाए जिला सीईओ // बिना कार्य कराए ही फर्जी आहरण का है मामला // जहां सीधे दर्ज होनी चाहिए एफआईआर वहां चल रहा चहेतों को बचाने का काम // शिकायतकर्ता सुधाकर सिंह ने कहा यदि सीईओ जिला पंचायत कार्यवाही नहीं करते तो बैठेंगे धरने पर //

*Breaking: सर से पांव तक भ्रष्टाचार में डूबे सरपंच सचिव और चहेते इंजीनियरों को बचा रहे सीईओ जिला पंचायत // एक वर्ष से अधिक समय बाद भी 68 लाख की रिकवरी नही करवा पाए जिला सीईओ // बिना कार्य कराए ही फर्जी आहरण का है मामला // जहां सीधे दर्ज होनी चाहिए एफआईआर वहां चल रहा चहेतों को बचाने का काम // शिकायतकर्ता  सुधाकर सिंह ने कहा यदि सीईओ जिला पंचायत कार्यवाही नहीं करते तो बैठेंगे धरने पर //*

दिनांक 29 अप्रैल 2023 रीवा मध्य प्रदेश।

   जिला पंचायत रीवा में वर्तमान प्रशासनिक व्यवस्था को देखते हुए बस यही किया कहा जा सकता है कि नाम बड़े और दर्शन छोटे। प्रदेश की ग्राम पंचायतों में किस कदर भ्रष्टाचार व्याप्त है उसका जीता जागता उदाहरण रीवा जिले की नईगढ़ी जनपद की जिलहंडी ग्राम पंचायत है जहां पिछले मार्च-अप्रैल 2022 में एसडीओ एस आर प्रजापति से कराई गई जांच में लगभग 68 लाख रुपए की रिकवरी आने के बाद चहेते सरपंच सचिव और इंजीनियरों को जिला पंचायत में बैठे दलालों के द्वारा बचाने का कार्य चल रहा है। सत्यापन के नाम पर बार-बार जनपद स्तर से जांच कराई जा रही है और जांच कराए जाने के बाद पुनः उतनी ही रिकवरी बनने के बाद भी मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत रीवा सीधे एफआईआर दर्ज करवाए जाने के बजाए पूर्व सरपंच सचिव और चहेते इंजीनियरों को बचाने का काम कर रहे हैं। जबकि धारा 40 और 92 के मामलों में 120 दिन अर्थात 4 महीने के भीतर अंतिम कार्यवाही किए जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। यह लक्ष्य तत्कालीन एडिशनल चीफ सेक्रेटरी राधेश्याम जुलानिया के द्वारा निर्धारित किया गया था। अब देखा जाय तो यह हाल मात्र नईगढ़ी की जिलहड़ी ग्राम पंचायत का नहीं है बल्कि पूरे रीवा जिले की अधिकतर ग्राम पंचायतों में यही खेल खेला जा रहा है। काफी जद्दोजहद के बाद शिकायत की जांच होने के बाद भी जिला पंचायत के सीईओ और धारा 40/92 देखने वाले परियोजना अधिकारी राजेश शुक्ला द्वारा खेल प्रारंभ कर दिया जाता है। पहले सरपंच सचिव रोजगार सहायक और इंजीनियर को बुलाया जाता है फिर सांठगांठ करके निचले स्तर के अधिकारियों के द्वारा जांचें करवाई जाती हैं। कई जांचों को बार-बार करवाने से उनकी रिकवरी और वसूली की राशि भी कम कर दी जाती है जबकि मौके पर कोई काम हुए नहीं होते। बड़ा सवाल यह है कि जब पिछली 7 साल के पंचायती कार्यकाल में तत्कालीन सरपंच सचिव और इंजीनियर ने कार्य नहीं करवाए और राशि का बंदरबांट कर लिया जो कि एसडीओ की जांच में कई बार साबित हो चुका है तो ऐसे में नए सरपंचों के कार्यकाल में वह पुराने काम कैसे पूरा किया जाएगा? दूसरी सबसे महत्वपूर्ण बात कि बिना कार्य करवाए ही राशि का बंदरबांट कर लिया गया ऐसे में सीधे गबन के लिए एफआईआर क्यों दर्ज नहीं करवाई जाती? तत्कालीन अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार श्रीवास्तव ने गबन और दुर्वियोजन के मामले में सीधे एफआईआर दर्ज करवाने के निर्देश दिए थे लेकिन इसके बाद भी न तो पूर्व जिला पंचायत सीईओ और न ही वर्तमान जिला पंचायत सीईओ द्वारा गबन के मामलों में एफआईआर दर्ज करवाई जा रही। अब इसको लेकर पंचायतों में भ्रष्टाचार के मुद्दे उठाने वाले लोग और सामाजिक कार्यकर्ताओं में काफी आक्रोश है। जिलहडी  पंचायत के सुधाकर सिंह ने बताया कि यदि जल्द वसूली मनाया जाकर एफ आई आर दर्ज नहीं की जाती तो वह जिला पंचायत रीवा में धरने पर बैठ जाएंगे।
*संलग्न*- कृपया संलग्न धारा 40/92 संबंधी जिलहंडी ग्राम पंचायत की वसूली के नोटिस और जांच पर जांच के बाद जारी की गई कई नोटिस एवं साथ में सुधाकर सिंह आदि की वीडियो वाइट जिला पंचायत कार्यालय के अंदर जी प्राप्त करें।

*स्पेशल ब्यूरो रिपोर्ट रीवा मध्य प्रदेश*

Thursday, April 27, 2023

Breaking: नहर अधूरी पूरी कर दो, माग हमारी पूरी कर दो।। कब जागोगे मामा प्यारे, पानी बिन मर रहे बेचारे।। जल जीवन जागरण यात्रा के चौथे चरण में सिरमौर तहसील में जनता ने मोदी और मामा के विरूद्ध लगाए नारे// जल जीवन जागरण यात्रा का दौर जारी।।

*Breaking: नहर अधूरी पूरी कर दो, माग हमारी पूरी कर दो।। कब जागोगे मामा प्यारे, पानी बिन मर रहे बेचारे।। जल जीवन जागरण यात्रा के चौथे चरण में सिरमौर तहसील में जनता ने मोदी और मामा के विरूद्ध लगाए नारे// जल जीवन जागरण यात्रा का दौर जारी।।*
दिनांक 27 अप्रैल 2023 रीवा मप्र।।

  नहर अधूरी पूरी कर दो, माग हमारी पूरी कर दो।। कब जागोगे मामा प्यारे, पानी बिन मर रहे बेचारे।। जैसे नारों के साथ जल जीवन जागरण यात्रा के चौथे पड़ाव में रीवा जिले के सिरमौर तहसील के किसानों और ग्रामीणों ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम अपना संदेश पहुंचाने का प्रयास किया।

  वाकया उस समय का है जब भीषण गर्मी का दौर आ चुका है और अब जगह-जगह पानी की भारी किल्लत देखने को मिल रही है। विधायक और सांसद निधियों से घर-आंगन के बीच खोदे गए नलकूप सूखने लगे हैं। कुएं तालाब तो काफी पहले ही सूख चुके हैं। अमृत सरोवर कागजों पर बनाए जा रहे हैं। पुराने तालाबों पर तो बेजा अतिक्रमण हो चुका है। रीवा जिले में तो 7 कलेक्टरों ने हाई कोर्ट जबलपुर को भ्रामक हलफनामा भी प्रस्तुत कर दिया और यह तक बता दिया कि 200 से अधिक सरकारी अतिक्रमित तालाबों का अतिक्रमण हटाया जा चुका है। यह सब किसी बुरे सपने से कम नहीं लग रहा। अप्रैल महीने का आखिरी सप्ताह चल रहा है गांव मुहल्लों सड़कों पर बच्चे औरतें बुजुर्ग साइकल और हाथ में डिब्बा-बाल्टी लिए हुए देखे जा सकते हैं। आपको ताजुब हो रहा होगा कि आखिर हम यह कौन सी तस्वीर आपको दिखाना चाह रहे हैं। घबराइए नहीं यह अमृतकाल का दौर है और इस अमृतकाल के दौर में जनता को पानी तक नसीब नहीं हो पा रहा हो तो ताजुब नही होना चाहिए क्योंकि अमृतलाल में अमृत की आस में पानी को तो त्यागना ही पड़ेगा। जब चातक पक्षी भी मात्र स्वाति नक्षत्र का ही वर्षा का जल ग्रहण करता है तो अमृतकाल के लिए अमृत का इंतजार तो करना ही पड़ेगा। है न हैरान कर देने वाली बात जहां एक तरफ भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रीवा की धरती पर आकर 7हजार 800 करोड़ रुपए से अधिक सिंचाई और जल जीवन मिशन से जुड़ी हुई परियोजनाओं की घोषणाएं और शिलान्यास करके जाते हैं और अगले ही दिन आपको हैरान कर देने वाली ऐसी तस्वीरें देखने को मिलती हैं जिसमें स्वतंत्रता प्राप्ति से लेकर आज तक जो भ्रष्टाचार की इबारत कुछ नेताओं कमीशनखोर अधिकारियों और दलालों ठेकेदारों के द्वारा लिखी गई है वह देखने को मिल रही है। भले ही नरेंद्र मोदी और मामा शिवराज सिंह चौहान अरबों खरबों की नहर और सिंचाई परियोजनाओं की रोज घोषणा करें इस बात से कमीशनखोर अधिकारियों नेताओं और ठेकेदारों को कोई विशेष अंतर पड़ने वाला नहीं है। कहते हैं हृदय परिवर्तन वहां होता है जहां ह्रदय होता है लेकिन सिर से लेकर पांव तक भ्रष्टाचार में डूबे इस तंत्र में हृदय परिवर्तन होकर भ्रष्टाचार से दूरी बना पाना शायद इन हृदय-विहीन नेताओं कमीशनखोर अधिकारियों और ठेकेदारों के लिए नामुमकिन सा है। चाहे वह त्यौंथर बहाव परियोजना हो अथवा 855 करोड़ से अधिक की लागत की जागृत अवस्था में सपने दिखाने वाली नईगढ़ी माइक्रो इरिगेशन प्रोजेक्ट सभी के हाल बेहाल हैं। ठेकेदार कमीशनखोर अधिकारियों की मदद से जनता के टैक्स के पैसे को चंपत लगाकर फरार हो गए हैं। जगह-जगह अधूरी पड़ी हुई और अप्रारंभ नहर परियोजनाएं इनके कुकर्मों को बयान कर रही हैं। रही सही कसर कुछ भ्रष्ट विधायक और सांसद पूरी कर देते हैं जो सरेआम भ्रष्टाचार का महिमामंडन करते हैं और अपने चहेते ठेकेदारों को कमीशन के चक्कर में टेंडर जारी करवा देते हैं फिर जब काम पूरा नहीं होता तो दुगुने रेट से पुनः संशोधित टेंडर जारी होते हैं और इस प्रकार टेंडर पर टेंडर जारी कर बराबर जनता के टैक्स के पैसे और सरकारी खजाने में चपत लगा रहे हैं। चाहे वह विधानसभा हो या लोकसभा विंध्य क्षेत्र और रीवा जिले की बाणसागर और टमस से संबंधित नहर परियोजनाओं की बदहाली के प्रश्न कहीं किसी असेंबली में उठते नजर नहीं आ रहे। विधायक और सांसद भूलकर कभी कुछ प्रश्न विधानसभा और लोकसभा में पूछ भी लेते हैं तो इसके बाद जब उनकी जेबें भर जाया करती हैं तो प्रश्न ही गायब हो जाते हैं। अभी कुछ महीनों में मप्र में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं तब कुकुरमुत्ता की तरह पैदा हुए नेता ग्रामीण जनता की चौखट पर दर-दर जाकर वोट की भीख मांगते नजर आएंगे। 
 *सिरमौर तहसील में जल संकट को लेकर चौथी बार आयोजित हुई जल जीवन जागरण यात्रा*

  अब यदि रीवा जिले की सिरमौर तहसील और गंगेव जनपद को ही ले लिया जाए तो लालगांव और उसके आसपास आने वाले लगभग 50 से अधिक ग्रामों में भीषण जल संकट है और जल अभाव क्षेत्र घोषित है। ऐसे में यहां की जनता आए दिन अपनी बातों को उठाती रहती है और आंदोलन करती रहती है लेकिन कुंभकर्णी निद्रा में सोए हुए यह जनप्रतिनिधि हैं कि जागने का नाम नहीं ले रहे और एयर कंडीशनर में बैठकर मजे मार रहे हैं। खैर जनता भी है कि सब जानती है और आगे आने वाले चुनावों में इन्हे माकूल जवाब भी देगी। 
   अब आइए देखते हैं दिनांक 27 अप्रैल 2023 को लालगांव जल अभावग्रस्त क्षेत्र में अप्रारंभ और अधूरी पड़ी नहर पर चौथी बार जल जीवन जागरण यात्रा अभियान के तहत कैसे ग्रामीणजनों ने एकत्रित होकर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी जगाने का प्रयास किया और अपनी पानी की समस्या को मीडिया के सामने उठाया…
*संलग्न* - कृपया संलग्न वीडियो फुटेज और नहर से संबंधित अन्य वीडियो और वाइट प्राप्त करें….

*स्पेशल ब्यूरो रिपोर्ट रीवा मध्य प्रदेश*

Sunday, April 23, 2023

Breaking: जिले के अमृत सरोवर निर्माण में चल रही व्यापक धांधली - शिवानंद द्विवेदी // फर्जी मस्टररोल जारी कर मजदूरों के स्थान पर मशीन और जेसीबी से कराए जा रहे निर्माण कार्य // अमृत सरोवर निर्माण चयन स्थल में इंजीनियर द्वारा की गई गड़बड़ी // ऐसे स्थानों पर बनाए जा रहे अमृत सरोवर जहां पानी रुकने की कोई संभावना नहीं // जंगल के पथरीले और बिना ड्रेनेज वाले भाग में बनाए जा रहे अमृत सरोवर // जंगली जमीन के पथरीले दरारों से पानी बहना आम बात // सरकार के अमृत सरोवरों में नहीं रुक रहा बूंदों पानी // सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी ने अमृत सरोवरों के निर्माण स्थल चयन और प्रक्रिया पर उठाए गंभीर सवाल //

*Breaking: जिले के अमृत सरोवर निर्माण में चल रही व्यापक धांधली - शिवानंद द्विवेदी // फर्जी मस्टररोल जारी कर मजदूरों के स्थान पर मशीन और जेसीबी से कराए जा रहे निर्माण कार्य // अमृत सरोवर निर्माण चयन स्थल में इंजीनियर द्वारा की गई गड़बड़ी // ऐसे स्थानों पर बनाए जा रहे अमृत सरोवर जहां पानी रुकने की कोई संभावना नहीं // जंगल के पथरीले और बिना ड्रेनेज वाले भाग में बनाए जा रहे अमृत सरोवर // जंगली जमीन के पथरीले दरारों से पानी बहना आम बात // सरकार के अमृत सरोवरों में नहीं रुक रहा बूंदों पानी // सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी ने अमृत सरोवरों के निर्माण स्थल चयन और प्रक्रिया पर उठाए गंभीर सवाल //*
दिनांक 24 अप्रैल 2023 रीवा मध्य प्रदेश।

  मध्य प्रदेश के रीवा जिले में पंचायत स्तर पर बनाए जा रहे अमृत सरोवर निर्माण को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी ने गंभीर प्रश्न खड़ा किए । द्विवेदी के द्वारा उपलब्ध करवाए गए तथ्यों और प्रमाणों की मानें तो अमृत सरोवर निर्माण चयन स्थल पर मानक मापदंडों का पालन न करते हुए मनमाने ढंग से जहां कहीं भी अमृत सरोवरों का निर्माण कराया जा रहा है। अमृत सरोवर निर्माण स्थल पर भौतिक सत्यापन करने के बाद जानकारी ली गई तो पता चला कि जिले के सैकड़ों अमृत सरोवर निर्माणों में स्थल चयन प्रक्रिया का समुचित पालन नहीं किया गया है। जैसे ही पंचायतों को पता चला कि अमृत सरोवर के लिए करोड़ों की राशि मनरेगा में आई है उसका भक्षण करने के लिए भ्रष्टाचार के नए-नए तरीके इजाद कर लिए गए। कई स्थलों का चयन जंगली भूभाग में किया गया है जहां पहले से ही पथरीली जमीन है और पत्थरों के बीच से दरारे हैं जहां न तो ड्रेनेज या वर्षा का पानी आने की कोई संभावना रहती है और न ही दरारों युक्त जमीन में पानी रुकने का भी कोई पर्याप्त कारण। सवाल यह है कि जब अमृत सरोवरों में पानी ही नहीं रुकेगा तो फिर यह अमृत सरोवर किस काम के? इसके पूर्व भी वाटर शेड स्कीम के द्वारा जिले में बनाए गए कई अमृत सरोवरों में आज भी पानी मौजूद नहीं रहता क्योंकि भूमि स्थल चयन समुचित तरीके से न किए जाने के कारण दरार युक्त जमीन, पथरीली जमीन, मोरम युक्त जमीन पर तालाब का निर्माण करवा दिया गया जिसमें सरकार की अरबों-खरबों रुपए तो बर्बाद हो गए लेकिन शासन की मंशा अनुरूप जो जल संग्रहित कर भूमि का जल स्तर बढ़ाया जाना था और साथ में पशु पक्षियों मवेशियों के लिए पीने का पानी उपलब्ध करवाए जाना था उस पर भी पानी फिर गया है। प्रदेश के इन महान और प्रतिभावान इंजीनियरों के बारे में जितनी बात कही जाए वह कम ही होगी क्योंकि लेआउट किए जाने के पूर्व स्थल चयन काफी सोच-समझकर किया जाना होता है और अमृत सरोवर निर्माण के जो मापदंड होते हैं इसमें ड्रेनेज का पानी, वर्षा का पानी, उस स्थल पर पहुंच पाए साथ में वन और पर्यावरण के नियमों का भी उल्लंघन न किया जाए और जहां तालाब बनाए जा रहे हैं वहां की भूमि और मिट्टी का भी परीक्षण किया जाए। बिना मिट्टी परीक्षण किए तालाब बनाए जाने की अनुमति शासन द्वारा उल्लेखित नियमों में नहीं है परंतु जिले और प्रदेश में हर जगह राशि का बंदरबांट किए जाने के उद्देश्य से कहीं भी अमृत सरोवर बना दिए जाते हैं जहां मात्र शासन के पैसे की बर्बादी हो जाती है। 
  *वैज्ञानिक दृष्टि से इस प्रकार की भूमि पर बनाया जाना चाहिए अमृत सरोवर*

   यदि पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग एवं शासन के मापदंडों को माने तो जिस जमीन पर अमृत सरोवर का निर्माण कराया जाना है वह जमीन वेस्टलैंड होना चाहिए, एस जमीन जहां ड्रेनेज और बहाव के पानी का प्रचुर मात्रा में जमाव होता है, ऐसी जमीन जिसकी टोपोग्राफी अर्थात तलीय स्थिति ऐसी होनी चाहिए जहां गहराई और डिप्रेशन हो और जमीन की सतह निचले स्तर की हो, जहां तक सवाल मिट्टी के प्रकार का है तो मिट्टी न तो छारीय होना चाहिए न अम्लीय होना चाहिए और न ही सलाइन अर्थात लवण युक्त होना चाहिए। अधिकतर पीली वाली मिट्टी और बिना कटाव वाली मिट्टी पर तालाब निर्माण कार्य होना चाहिए, जमीन की जियोलॉजी इस प्रकार होनी चाहिए जिसमें लाइनार्मेंट और फाल्ट बिलकुल नहीं होनी चाहिए। 
   अब यदि मध्य प्रदेश के अधिकांश जिलों में देखा जाए तो जो अमृत सरोवर बनाए जा रहे हैं उनमें ऐसे बहुत कम तालाब होंगे जहां उक्त मापदंडों का पालन किया जा रहा है और अधिकतर तालाब इसी प्रकार के अमानक और अनुचित जगहों पर बनाए जा रहे हैं जहां पर न तो पानी रुकेगा और न ही किसी तरह से इन अमृत सरोवर को बनाए जाने का आम जनता अथवा जीव-जंतुओं को कोई लाभ प्राप्त होगा।
   अब बड़ा सवाल यह है कि क्या मध्यप्रदेश के कर्णधार और प्रतिभावान इंजीनियर यह जवाब दे पाएंगे कि उनके द्वारा जिस प्रकार की भूमि का चयन किया गया है क्या वह लेबोरेटरी में मिट्टी परीक्षण करते हुए और शासन के मानक अनुसार किया गया है? जाहिर है कई परियोजनाओं की तरह अमृत सरोवर भी मात्र जनता के टैक्स के पैसे और शासन की राशि हड़पने मात्र साधन बनाए जा रहे हैं।

  *फर्जी मस्टररोल जारी कर जंगली क्षेत्र में मशीन और जेसीबी से कराए जा रहे निर्माण कार्य*

  जहां तक सवाल अमृत सरोवर के निर्माण में मजदूरों के उपयोग को लेकर के है तो मनरेगा के अधिनियम तो बहुत स्पष्ट तौर पर यह कहते हैं कि 60 और 40 का अनुपात मजदूरी और मटेरियल को लेकर रखा जाएगा लेकिन हालात यह हैं की फर्जी मस्टर रोल जारी कर दिए जा रहे हैं और ऐसे मजदूर भरे जाते हैं जो उस ग्राम पंचायत के सरपंच सचिव के करीबी होते हैं जिनके खाते में पैसे आने के बाद या तो एटीएम कार्ड के माध्यम से या फर्जी खोले गए खातों के माध्यम से पैसे आहरित कर लिए जाते हैं और मौके पर कार्य मात्र जेसीबी ट्रैक्टर और मशीनों के द्वारा किया जा रहा है।
    हालांकि विशेषज्ञों की मानें तो यह समस्या चिरकालीन है क्योंकि 200 रुपए मजदूरी पर आज मजदूर मेहनत वाला मिट्टी खुदाई का काम नहीं करते हैं और मनरेगा मजदूरी का पैसा भी उन्हें समय पर नहीं मिलता। इसलिए मजदूर मिलने में दिक्कत बताई जा रही है। लेकिन सवाल यह है कि जब मजदूर नहीं मिल रहे हैं तो मनरेगा के अधिनियम में मजदूरों का स्थान क्यों रखा गया है जबकि सरकार के नीचे से लेकर ऊपर तक के अधिकारियों को यह भली-भांति पता है कि ग्राम पंचायतों में बहुतायत कार्य मशीनों द्वारा ही कराया जा रहा है और मजदूरों के नाम पर मात्र फर्जी मस्टररोल जारी किए जा रहे हैं?
 देखिए सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी के द्वारा मौके पर पहुंचकर कैसे तालाब निर्माण में मापदंडों का उल्लंघन पाया गया…. देखिए यह स्पेशल रिपोर्ट..

 *स्पेशल ब्यूरो रिपोर्ट रीवा मध्य प्रदेश*

Breaking: जिले के सरकारी तालाबों के अतिक्रमण को लेकर दायर करेंगे इंटरवेंशन याचिका - शिवानंद द्विवेदी // अवमानना से बचने के लिए रीवा जिले के 7 तत्कालीन कलेक्टर ने हाई कोर्ट में दिया भ्रामक जानकारी // कलेक्टरों के दावे के अनुसार अब मात्र 3 तालाब ही अतिक्रमण युक्त // भौतिक सत्यापन से सामने आई हकीकत, सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी ने किया खुलासा // वरिष्ठ अधिवक्ता नित्यानंद मिश्रा मामले की कर रहे पैरवी //*

*Breaking: जिले के सरकारी तालाबों के अतिक्रमण को लेकर दायर करेंगे इंटरवेंशन याचिका - शिवानंद द्विवेदी // अवमानना से बचने के लिए रीवा जिले के 7 तत्कालीन कलेक्टर ने हाई कोर्ट में दिया भ्रामक जानकारी // कलेक्टरों के दावे के अनुसार अब मात्र 3 तालाब ही अतिक्रमण युक्त // भौतिक सत्यापन से सामने आई हकीकत, सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी ने किया खुलासा // वरिष्ठ अधिवक्ता नित्यानंद मिश्रा मामले की कर रहे पैरवी //*
  दिनांक 24 अप्रैल 2023 रीवा मध्य प्रदेश।

  रीवा जिले के सरकारी तालाबों में बेजा अतिक्रमण को लेकर हाईकोर्ट जबलपुर में लगाई गई एक जनहित याचिका में सुनवाई के बाद जिले के तत्कालीन 07 कलेक्टरों को अवमानना की नोटिस जारी हुई थी।  इस मामले में एक दशक से रीवा जिले में पदस्थ रहे तत्कालीन 07 कलेकटरों को व्यक्तिगत तौर पर उपस्थित होकर हलफनामे के साथ जवाब देना था। अपने जवाब के दौरान इन 07 कलेक्टर ने हाईकोर्ट में जो जानकारी दी है वह भ्रमित करने वाली है। जहां कई कलेक्टरों ने तो हाईकोर्ट के सामने माफी तक मांग ली वहीं कुछ कलेक्टर ने कहा की रीवा जिले के सरकारी तालाबों को अतिक्रमण मुक्त करवाया जा चुका है और मात्र 3 तालाब ही शेष बचे हैं जिनका अतिक्रमण जल्द ही मुक्त करवा लिया जाएगा। 

  *सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी मामले पर जल्द ही फाइल करेंगे इंटरवेंशन याचिका*
   इस मामले में सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी ने कुछ तहसीलों के लगभग दो दर्जन तालाबों पर जाकर उनका निरीक्षण और भौतिक सत्यापन किया तो पाया की सरकार के सभी दावे झूठे हैं और कलेक्टरों ने अपनी जान छुड़ाने के लिए और हाईकोर्ट में अवमानना से बचने के लिए झूठ के पुलिंदे तैयार कर लिए। वास्तव में देखा जाए तो जिन तालाबों को अतिक्रमण मुक्त होना बताया गया उनके भीटों और आसपास के क्षेत्र में लोगों ने पक्के मकान तक बना लिए हैं। गांव वालों ने कई तालाबों के रकबे का काफी बड़े होना बताया लेकिन मौके पर वह तालाब कम रकबों में सिमटे हुए नजर आए। इस प्रकार लगभग दो दर्जन तालाबों में किए गए सर्वे में कलेक्टरों के झूठ की पोल खुल गई है। अब इस मामले को लेकर शिवानंद द्विवेदी हाईकोर्ट में इंटरवेंशन फाइल करेंगे और सरकारी अधिकारियों की उपस्थिति में सभी तालाबों का भौतिक सत्यापन और जांच की जाएगी तब वैसे ही दूध का दूध और पानी का पानी अलग हो जाएगा। 
    कितनी विडंबना है की एक तरफ यह आला अधिकारी शासकीय संपत्ति को क्षति पहुंचाने वाले और अतिक्रमण करने वाले लोगों को खुली छूट देकर रखते हैं और जब बात इनके माथे पर आती है तो अपने बचाव में झूठ के नए-नए महल गढ़ते रहते हैं। यदि देखा जाए तो सरकारी तालाबों पर अतिक्रमण को लेकर लगाई गई इस याचिका में जबलपुर के वरिष्ठ अधिवक्ता नित्यानंद मिश्रा के द्वारा जो जानकारी दी गई है उससे सरकार की कारगुजारी सामने आ चुकी है। अब तो बस इंतजार इस बात का है कि जैसे ही इन सरकारी तालाबों का भौतिक सत्यापन और जांच हो जाए वैसे ही एक बार पुनः सभी कलेक्टर कटघरे में खड़े हो जाएंगे। 
*देखिए मामले को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी ने क्या कहा है…..*

*संलग्न*- सरकार के द्वारा हाईकोर्ट जबलपुर में प्रस्तुत याचिका में अपना जवाब और अतिक्रमण मुक्त कराए गए दावों की सूची.
*स्पेशल ब्यूरो रिपोर्ट रीवा मध्य प्रदेश*

Breaking: जब सरकारें अपने काम में फेल हो गई तो जनता ने उठाया गैंती फावडा, अब खोद रहे नहर // दशकों पूर्व नहर परियोजनाओं के पूरा न होने से नाराज ग्रामीणों ने खुद ही उठा लिया फावड़ा // देखिए मामला है रीवा जिले का जहां 24 अप्रैल को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस का उत्सव मनाने आ रहे हैं और लगभग 7 हजार करोड़ से ऊपर की परियोजनाओं का करेंगे शिलान्यास // घोषणाओं और शिलान्यास की हकीकत बयान करती यह खबर सबके आंख कान खोलने वाली है //*

Breaking: जब सरकारें अपने काम में फेल हो गई तो जनता ने उठाया गैंती फावडा, अब खोद रहे नहर // दशकों पूर्व नहर परियोजनाओं के पूरा न होने से नाराज ग्रामीणों ने खुद ही उठा लिया फावड़ा // देखिए मामला है रीवा जिले का जहां 24 अप्रैल को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस का उत्सव मनाने आ रहे हैं और लगभग 7 हजार करोड़ से ऊपर की परियोजनाओं का करेंगे शिलान्यास // घोषणाओं और शिलान्यास की हकीकत बयान करती यह खबर सबके आंख कान खोलने वाली है //*
  दिनांक 23 अप्रैल 2023 रीवा मध्य प्रदेश

  जल जीवन जागरण यात्रा के तहत तीसरी बार रीवा जिले के गंगेव जनपद और सिरमौर तहसील के सिसवा लालगांव टेहरा ग्राम क्षेत्र में दशकों से अधूरी पड़ी नहर की खुदाई न हो पाने और पानी न मिलने के कारण ग्रामीणों ने मोर्चा खोल दिया और देखते ही देखते गैंती-फावड़ा-तगाड़ी लेकर स्वयं ही नहर में उतर पड़े। यह मामला था अधूरी पड़ी रीवा की नहरों का जहां ठेकेदार और कमीशनखोर अधिकारियों की मदद से दशकों पूर्व राशि का बंदरबांट कर लिया गया और अब गांव वाले पानी के लिए परेशान हैं। गांव वालों का कहना है कि यदि नहर आ जाती तो भूमि का जल स्तर भी बढ़ता जिससे उन्हें आसानी से पीने का पानी उपलब्ध होता और सिंचाई की भी व्यवस्था हो पाती लेकिन उनकी जमीन को बर्बाद कर खोदकर छोड़ दिया गया इसमें आए दिन दुर्घटनाएं भी होती रहती हैं और नहर में पानी दूर का सपना रह गया है। अब जब 24 अप्रैल 2023 को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 7 हजार करोड़ से अधिक सिंचाई और जल जीवन मिशन की परियोजनाओं की घोषणा कर शिलान्यास करने के लिए आ रहे हैं ऐसे में गांव वालों ने एक बार पुनः मोर्चा खोल लिया है और विभिन्न माध्यमों से अपनी बात सरकार के पास तक पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं और उसी श्रृंखला में तीसरी बार प्रदर्शन करते हुए हाथ में गैंती और फावड़ा उठाया और महिलाओं सहित नहर में कूद पड़े। 
  *गांव के एक बुजुर्ग ने मामा शिवराज सिंह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए गाया गाना*

  इस बीच गांव के एक बुजुर्ग सुदर्शन नामदेव नामक व्यक्ति ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विफलता के लिए एक गाना भी गा डाला जिसमें पानी की समस्या और उसके लिए मची हाहाकार को लेकर गीतकार सुनील सिंह द्वारा लिखा गया गाना गाया जो सोशल मीडिया में अब खूब वायरल हो रहा है. 

 *मध्य प्रदेश और केंद्र की घोषणावीर सरकारें मात्र कर रही घोषणाएं, जनता के टैक्स के पैसे को व्यर्थ करने और वाहवाही लूटने का माध्यम बन चुके हैं शिलान्यास कार्यक्रम - शिवानंद द्विवेदी*

  इस बीच सोशल एक्टिविस्ट शिवानंद ने कहा कि सरकार घोषणाओं पर घोषणाएं कर रही हैं लेकिन कहीं भी इनकी घोषणाएं क्रियान्वित नहीं होती दिख रही। अब इस नहर वाले मामले को ही ले लिया जाए तो एक दशक पूर्व नहरों को अधूरा खोदकर ठेकेदार के द्वारा छोड़ दिया गया और वरिष्ठ पदों पर बैठे हुए कमीशनखोर आला अधिकारी बंदरबांट करवा दिए। अब दिक्कत यहां हो रही है कि जब तक इस भ्रष्टाचार की जांच नहीं होती और दोषियों के विरुद्ध कार्यवाही नहीं होती तो आने वाली सभी योजनाएं इसी प्रकार भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ती जाएंगी क्योंकि जब सही तरीके से मॉनिटरिंग ही नहीं की जाएगी और जनता के टैक्स के पैसे का दुरुपयोग नहीं रोका जाएगा तब तक चाहे जितना भी घोषणाएं कर दी जाए जितना भी बजट आवंटित कर दिया जाए वह सब बजट कमीशनखोर अधिकारियों ठेकेदारों और नेताओं की जेब भरने में ही चला जाएगा उनका कहना था कि आज सबसे बड़ी दिक्कत भ्रष्टाचार है जिस पर लगाम लगाना अत्यंत आवश्यक है। 
   *अधूरी पड़ी नहरों की खुदाई के लिए यह लोग रहे उपस्थित*

    इस बीच लालगांव-सिसवा- टेहरा आदि ग्रामीण क्षेत्र से उपस्थित ग्रामवासियों और किसानों ने कई स्लोगन के माध्यम से अपनी बातें शासन प्रशासन तक पहुंचाने का प्रयास किया। टूट रही है तुमसे आस, कैसे जीतोगे विश्वास।। हमने मन में ठाना है, मामा तुम्हे जगाना है ।। मोदी जी कुछ मदद करो, जल्द हमारी नहर भरो।। मोदी राज तुम्हारी है, नहर की मांग हमारी है।। मामा अब तो सुनो पुकार, पानी का है हाहाकार।।  जैसे नारों से आम जनता ने सरकार को जगाने का प्रयास किया। इस बीच प्रदर्शन के दौरान और नहर खुदाई में शिवानंद द्विवेदी के साथ लालगांव-सिसवा और टेहरा क्षेत्र के कई किसान और ग्रामवासी लालगांव उपसरपंच लवकुश तिवारी, श्रीधाम संगीतांजलि से सुनील सिंह, शेखर केवट, केदार प्रसाद पांडेय, देवेन्द्र तिवारी, सुदर्शन नामदेव, विपिन साकेत, मृगेंद्र सिंह, दिनेश साकेत, दिनेश साकेत सहित दर्जनों महिलाएं और ग्रामवासी मौजूद रहे।
  *देखिए पूरे मामले पर अन्य लोगों ने क्या कहा और प्रदर्शन से संबंधित अन्य वीडियो आदि बाइट आदि प्राप्त करें…*
*स्पेशल ब्यूरो रिपोर्ट रीवा मध्य प्रदेश*