Friday, August 23, 2019

धड़ल्ले से दौड़ रहे ओवरलोड वाहनों की ठोकर से घायल हुई गाय, स्थिति गंभीर (मामला जिले के थाना गढ़ अन्तर्गत भठवा मार्केट के पास का, पशु संजीवनी 1962 को किया गया सूचित, डॉक्टर और सर्जनों की टीम ने किया इलाज)

दिनांक 23 अगस्त 2019, स्थान गढ़/गंगेव/भठवा, रीवा मप्र
  घोषणा वीरों की घोषणाओं के बाद भी धरातल स्तर पर गौशाला निर्माण कार्य जीरो
 स्थानीय पुलिस प्रशासन की मदद से धड़ल्ले से दौड़ रहे ओव्हर लोड वाहन
  शिवानन्द द्विवेदी एवं स्वतंत्र शुक्ला (रीवा मप्र)

      प्रदेश सरकार के द्वारा गौशाला निर्माण कार्य की घोषणा करने के बाद भी अब तक धरातल स्तर में कार्य किसी प्रकार से आरंभ होने का नाम नहीं ले रहा है। आपको बता दें कि आज दिनांक 23 अगस्त 2019 को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण की गोमाता भठवा मार्केट के बस स्टैंड में अज्ञात वाहन से दुर्घटना ग्रस्त होकर अपनी अंतिम सांस गिन रही है। घटना की जानकारी शहर वाशियों द्वारा गौरक्षक शिवानंद द्विवेदी को दी गई जिससे हाल ही में घटना स्थल पर पहुंच कर प्राथमिक उपचार कराया गया, साथ ही पशु संजीवनी एम्बुलेंस 1962 को सूचना प्रेषित की गई, लेकिन अब तक 3 घन्टे बाद भी संजीवनी उपस्थित नहीं हो पाई। अंत मे शाम 4 बजे पशु संजीवनी को लेकर गंगेव वेटेरिनरी एक्सटेंशन अधिकारी उपस्थित हुए जिनके साथ आये सर्जनों ने गाय का इलाज किया।
   सुबह लगभग 11 बजे यद्यपि कम्पाउण्डर और ड्रेसर संतलाल साहू एवं रामानुज कोल के द्वारा प्राथमिक उपचार तो किया गया है लेकिन सर्जन के आने के बाद ही प्लास्टर हो पाया, वहीं घटना स्थल पर  उपस्थित लोगों का कहना था कि, गाय के पेट में लगभग 5 माह के गर्भ में बच्चा था जो ठोकर लगने से सम्भवतः मर चुका था लेकिन जिस प्रकार गाय जीवित बची हुई थी इससे डॉक्टरों का कहना था कि गाय के पेट मे बच्चा तब तक मरा नही था।
क्या कहना है इनका
गौरव शुक्ला निवासी भठवा - "गौरक्षक श्री शिवानंद द्विवेदी जी के द्वारा हमें गाय एक्सीडेंट होने की  सूचना मिली तो हमनें संबंधित अधिकारियों को इस विषय पर अवगत कराया, साथ ही प्राथमिक उपचार करा के ट्रेक्टर ट्राली  के माध्यम से गाय को परिजनों के घर पहुंचा दिया "
 गिरीश पटेल निवासी बांस-  "जब से यह रोड हाइवे बनी है तब से ओव्हर लोड बहनों की निकशी के चलते लगातार इस तरह की घटनाएं होती रहती हैं।"
ओम शुक्ला निवासी भठवा - "पशुओं की तो गिनती नहीं की एक दिन में कितने दुर्घटना के शिकार होते हैं आए दिन लोगों के साथ भी यही होता है। स्थानीय पुलिस प्रशासन की सह से ओव्हर लोड बहनों की धड़ल्ले से निकासी होती है। इसका विरोध भी किया गया लेकिन कोई फर्क पड़ता नजर नहीं आ रहा है।"
 शिवानंद द्विवेदी, गौरक्षक सामाजिक कार्यकर्ता - "यह पहली घटना नहीं है। इसके पहले भी बड़े बड़े ट्रक घरों में घुस चुके हैं। पता नहीं कितने व्यक्ति व मवेशी दुर्घटना के शिकार हो चुके हैं। इसलिए साशन प्रशासन संदर्भित विषय को संज्ञान में ले ओव्हर लोडेड व भारी वाहनों के निकासी में प्रतिबंध लगाएं। साथ ही क्षेत्र में बनाएं जाने वाली गौशाला के निर्माण कार्य में भी तीव्रता आए जिससे ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।"
   गोशालाएं न बनने से बेसहारा मवेशियों की हालत खराब
     मप्र में वर्तमान सरकार द्वारा 1000 गोशालाओं को बनाये जाने हेतु प्रस्ताव लाया गया है जिनमे से काफी गोशालाओं को बनाये जाने हेतु जगह भी चिन्हित कर ली गयी हैं। जिला रीवा में ही अकेले 33 गोशालाएं खोली जानी हैं जिनमे से 30 गोशालाओं के निर्माण  हेतु टीएस भी जारी किए जा चुके हैं लेकिन ग्राउंड वर्क न होने से स्थिति दयनीय बनी हुई है।
  हिनौती और बांस ग्राम पंचायत में मात्र खोदे गए गड्ढे
    बता दें कि गंगेव ब्लॉक के हिनौती एवं बांस ग्राम पंचायत में गोशाला निर्माण के नाम पर अब तक मात्र गड्ढे ही खोदे गए हैं। कुछ गड्ढे खोदे जाने के बबाद बाहर के मजदूरों द्वारा कार्य अधूरा छोंड़कर भाग जाने के कारण मनरेगा का कार्य पूर्णतया बन्द हो चुका है। ज्ञात हो कि मनरेगा के कार्य बाहरी मजदूरों नही बल्कि पंचायत और आसपास के मजदूरों के द्वारा करवाये जाते हैं। जबकि उक्त पंचायतों में गोशाला निर्माण के प्रारम्भ से ही धांधली प्रारम्भ होगयी है जिसकी निगरानी शासन प्रशासन को करना अत्यंत आवश्यक है।
  वाहनों की स्पीड पर लगे रोक, ऐरा प्रथा पर भी लगे लगाम
    आज सबसे ज्यादा मवेशी वैष्णो6 और सड़क दुर्घटनाओं के शिकार हो रहे हैं।सतना से बेला, क्योटी से कलवारी, मनगवां से चाकघाट एवं मनगवां से हनुमना अथवा शहरी रोड कोई भी सड़कें हो, इनमे बेतरतीब और रेलमपेल दौड़ने वाले ओवरस्पीड और ओवरलोड वाहनों की वजह से रोज सैकड़ों ऐरा मवेशी इसका शिकार हो रहे हैं। सामान्य तौर पर फसल नुकसानी बचाने के लिए होने वाली पशु क्रूरता तो है ही लेकिन उससे कहीं भयावह स्थिति सड़क दुर्घटनाओं में मारे जाने वाले मवेशियों की है। इस कारण जब तक ऐरा प्रथा में रोक नही लगती और ओवरस्पीड और ओवरलोड वाहनों पर नियत्रण और कार्यवाही नही होती तब तक कुछ भी कह पाना मुश्किल है। भठवा मार्केट के पास की घटना उसका एक पहलू मात्र है।
संलग्न - कृपया दुर्घटना से बुरी तरह घायल गाय की स्थिति एवं तत्पश्चात सर्जनों एवं डॉक्टर द्वारा किया गया इलाज की फ़ोटो।
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शिवानन्द द्विवेदी

सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता

जिला रीवा मप्र मोबाइल 9589152587





Thursday, August 22, 2019

ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा निर्माण एवं मरम्मत में 82 लाख के घोटाले की असंका - शिवानन्द द्विवेदी (मामला जिले के ग्रामीण क्षेत्रों के सामुदायिक एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का जिनमे सिरमौर, गंगेव, लौआ,रंगोली स्वास्थ्य केंद्रों के लिए स्वीकृत राशि रुपये 82 लाख दस हज़ार की बंदरबाट की असंका, कहीं किसी अस्पताल में नही हुआ कोई विशेष कार्य, मानवाधिकार आयोग की शिकायत में हुआ खुलासा)

दिनांक 23 अगस्त 2019, स्थान - गढ़/गंगेव, रीवा मप्र
   (शिवानन्द द्विवेदी, रीवा मप्र)
  सामाजिक एवं मनावाधिकार एक्टिविस्ट शिवानन्द द्विवेदी द्वारा गंगेव सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को लेकर अध्यक्ष मप्र राज्य मानवाधिकार आयोग अरेरा हिल्स भोपाल को लिखे गए पत्र के जबाब में लगभग एक वर्ष बाद एक लेटर प्राप्त हुआ है जिंसमे गंगेव सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के साथ साथ जिले के अन्य चार ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों सिरमौर, गंगेव, लौआ,रंगोली के विषय मे निर्माण कार्यों उन्नयन एवं मरम्मत विषय मे संचालनालय स्वास्थ्य सेवाओं द्वारा जानकारी भेजी गई है जिसमे बताया गया है कि कुल 82 लाख दस हज़ार रुपये विभिन्न निर्माण कार्यों के लिए सैंक्शन हुए थे परंतु अब तक कार्य पूर्ण नही किया जा सका है।
  ह्यूमन राइट्स कमीशन भोपाल से आया पत्र
    मप्र राज्य मानवाधिकार आयोग भोपाल द्वारा एक्टिविस्ट द्विवेदी को दिनाँक 29 जून 2019 को भेजे गए पत्र क्रमांक 19290/7300/रीवा/18 में यद्यपि यह कहा गया है कि राशि आवंटन एवं निर्माण कार्य में कोई बाधा उत्पन्न होना सम्भव नही है और प्रकरण को नस्तीबद्ध कर दिया गया है लेकिन वास्तव में धरातल पर आज दिनांक तक गंगेव सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में कोई भी कार्य सम्पादित नही हुआ है।
  संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं भोपाल ने आयोग को दिया यह जबाब
    एक्टिविस्ट शिवानन्द द्विवेदी की आयोग के समक्ष याचिका पर जब मानवाधिकार आयोग ने संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं मप्र भोपाल को प्रकरण क्रमांक/9870/7300/रीवा/2018 दिनांक 28 मार्च 2019 के माध्यम से लिखा तब संचालनालय ने अपने पत्र क्रमांक/5/भवन/सेल-1/2019-20/879/ दिनांक 3.5.2019 का हवाला देकर आयोग को बताया कि सियाराम साहू अवर सचिव लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग मप्र शासन भोपाल द्वारा आयुक्त स्वास्थ्य सेवाएं मप्र शासन को दिनांक 01.08.2013 को पत्र क्रमांक एफ 16 -1/2013/सत्रह/मेडि -3 भोपाल लिखकर सामान्य क्षेत्र के अंतर्गत ग्रामीण स्वास्थ्य संस्थाओं में विभिन्न निर्माण कार्यों हेतु प्रशासकीय स्वीकृति हेतु पत्र जारी किया गया था। जिसमे रीवा जिले के चार ग्रामीण क्षेत्रों के स्वास्थ्य केंद्रों जिसमे सिरमौर, गंगेव, लौआ,रंगोली एवं शाजापुर जिला में तिलावद मैना सम्मिलित है इनके लिए राशि क्रमसः 42 लाख 26 हज़ार रुपये,  24 लाख 89 हज़ार रुपये, तीन लाख 70 हज़ार रुपये, 6 लाख 83 हज़ार रुपये एवं 4 लाख 42 हज़ार रुपये की स्वीकृति हुई थी इस प्रकार कुल 82 लाख 10 हज़ार रुपये स्वीकृत होने के बाबजूद भी उक्त किसी भी स्वास्थ्य केंद्र में नियमानुसार कार्य का होना नही पाया गया है।
    गंगेव स्वास्थ्य केंद्र विषयक अपर संचालक वित्त मप्र शासन का चीफ इंजीनियर पीडब्ल्यूडी को पत्र
    एक्टिविस्ट द्विवेदी की शिकायत एवं ह्यूमन राइट्स कमीशन के पत्र को आधार बनाकर दिनांक 29 मार्च 2019 को अपर संचालक वित्त संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं मप्र शासन भोपाल द्वारा प्रमुख अभियंता लोक निर्माण विभाग अरेरा हिल्स भोपाल के नाम पत्र क्रमांक/5/भवन/2018-19/676 जारी किया गया जिसमें सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गंगेव जिला रीवा के अधूरे/जर्जर भवन हेतु आवंटन उपलब्ध कराए जाने विषयक लेख लिखा गया जिसमें अवर सचिव मप्र शासन लोक निर्माण विभाग के पत्र क्रमांक/127/99/2018/19/यो भोपाल दिनांक 24 जनवरी 2019 एवं मॉनव अधिकार आयोग भोपाल के पत्र क्रमांक 1333/3154/होशंगाबाद/18 दिनाँक 11 जनवरी 2019 का हवाला दिया गया जिसमें लेख किया गया कि व्यय राशि की जानकारी उपलब्ध कराई जाए।
  82 लाख से अधिक राशि व्यय लेकिन कार्य का पता नही
    बता दें कि उपरोक्त सभी कार्यों के लिए संचालनालय स्वास्थ्य सेवाओं मप्र शासन द्वारा पीडब्ल्यूडी सहित जो भी जानकारी एक्टिविस्ट शिवानन्द द्विवेदी की शिकायत पर मॉनव अधिकार आयोग भोपाल को उपलब्ध कराई गई है उससे एक बात भलीभांति स्पष्ट हो चुका है कि यद्यपि राशि का आवंटन और आहरण तो कर लिया गया है लेकिन भौतिक धरातल पर कहीं भी नियमानुसार कार्य का होना नही पाया गया है।
  गंगेव सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हेतु 24 लाख 89 हज़ार रुपये आवंटित
   उक्त आदेश में जहां 82 लाख 10 हज़ार के कार्य मे जिला रीवा के 4 अस्पताल सम्मिलित थे वहीं सबसे ज्यादा राशि का आवंटन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सिरमौर के लिए 20 बिस्तरीय वार्ड के निर्मान के लिए 42 लाख 26 हज़ार आवंटित हुए थे वहीं गंगेव सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जीर्णशीर्ण भवन के सुधार कार्य के लिए 24 लाख 89 हज़ार आवंटित हुए थे। लेकिन जहां आवंटित राशि के हिसाब से जहां सिरमौर अस्पताल में भी 20 वार्डों का उन्नयन ठीक से नही हो पाया वहीं गंगेव सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की जीर्णशीर्ण स्थिति यथावत बनी हुई है जिसमे मालमवेसी बांधने और पशुओं को रखने जैसी स्थिति अभी भी बनी हुई है।
  गंगेव स्वास्थ्य केंद्र का पिछले वर्षों उठा मुद्दा
    वर्ष 2017 में गंगेव सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के जीर्णशीर्ण होने का मुद्दा सामाजिक कार्यकर्ता शिवानन्द द्विवेदी द्वारा उठाया गया जब गर्मियों में अकस्मात विजिट में पाया गया कि न तो पानी पीने के लिए कोई व्यवस्था थी और न ही दवा स्टोर रूम। इसी प्रकार जब बरसात आयी तो पता चला कि जो दवा रूम था उसमें छत से पानी टपक रहा था। जब तत्कालीन बीएमओ देवव्रत पांडेय से जानकारी चाही गयी तो उन्होंने बताया कि यह कार्य पीडब्ल्यूडी विभाग को सौंपा गया था जिसमे कोई हिनौती पंचायत का ठेकेदार सुरेश चतुर्वेदी कार्य कर रहा है। लेकिन बीच मे ही पैसा हजम करके भाग गया है। अंदर देखने पर पाया गया कि जहां वार्ड बना हुआ था वह भवन भी बुरी तरह से क्षतिग्रस्त था जहाँ पर मरीजों को बैठने तक के लिए जगह नही थी।
   मीडिया में उठा था मामला
    गंगेव सामुदायिक स्वस्थ्य केंद्र में अव्यवस्था का मामला उस समय मीडिया में भी उठा था। जिसके बाद रीवा में हड़कंप मच गया था जिससे सीएमओ और बीएमओ एवं संवंधित ठेकेदार एवं पीडब्ल्यूडी विभाग को जबाब देने की स्थिति पैदा हुई थी। इसके बाद न्यूज़पेपर का हवाला देकर सामाजिक कार्यकर्ता द्विवेदी द्वारा मामला ट्विटर एवं ईमेल आदि के माध्यम से उच्चाधिकारियों एवं भोपाल नई दिल्ली तक रखा गया था। साथ ही मामले को मप्र राज्य मानवाधिकार आयोग भोपाल को भी लिखा गया था जिस पर उपरोक्त जबाबी कार्यवाही की गई है।
   जनहित के मामलों में आयोग की नही है गंभीरता - शिवानन्द द्विवेदी
    यद्यपि गंगेव सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र वाले मामले को गौर से देखा जाय तो आयोग को लिखे जाने के बाद स्वास्थ्य विभाग मप्र भोपाल एवं पीडब्ल्यूडी विभाग भोपाल के कानों में जूं तो रेंगी और कुछ कागज़ी कार्यवाही तो की गई है लेकिन यह अपर्याप्त है क्योंकि मात्र कागज़ी कार्यवाही हो जाने और पत्रों के आदान प्रदान हो जाने भर से कुछ नही होता। वास्तव में आयोग को यह भी देखना था कि आखिर जितनी राशि स्वास्थ्य विभाग द्वारा उक्त सभी स्वस्थ्य केंद्रों के उन्नयन और मरम्मत आदि के लिए जारी किए गए उनका उपयोग हुआ है कि नही। मात्र संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं भोपाल एवं पीडब्ल्यूडी भोपाल के पत्राचार के आधार पर पूरे प्रकरण को नस्तीबद्ध कर देना उचित नही है। इससे मानवाधिकार के संरक्षण के लिए कार्य करने वाले एक्टिविस्टों शिवानन्द द्विवेदी जैसे जुझारू लोगों के लिए भी कार्य के बोझ को बढ़ाना ही है। इसमे आयोग से और भी निगरानी की उम्मीद की जाती है।
संलग्न - कृपया मप्र राज्य मानवाधिकार आयोग भोपाल द्वारा भेजे गए वह समस्त कागज़ात, पत्राचार के दौरान संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं एवं पीडब्लूडी भोपाल,  लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के पत्र एवं जांच प्रतिवेदन आदि की फ़ोटो भी देखें।
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शिवानन्द द्विवेदी

सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता

जिला रीवा मप्र, मोबाइल 9589152587











आयुष अस्पताल जमुई को मिला डॉक्टर, मानवाधिकार आयोग ने लिया संज्ञान (मामला जिले के त्योंथर ब्लॉक अन्तर्गत जमुई ग्राम का जहां पर पिछले दसकों से नही था कोई डॉक्टर, एक्टिविस्ट शिवानन्द द्विवेदी के प्रयासों से अनसुने अनजाने आयुष केंद्र को पार्ट टाइम मिला डॉक्टर,सप्ताह में दो दिन रहेगी ड्यूटी)

दिनांक 23 अगस्त 2019, स्थान - त्योंथर ब्लॉक रीवा मप्र


   (शिवानन्द द्विवेदी, रीवा मप्र) 


    जिले के आयुष अस्पतालों की स्थिति दयनीय बनी हुई है। जिले में स्थित आयुर्वेदिक अस्पतालों की सुध लेने वाला कोई नही है। जबकि देखा जाय तो आयुर्वेद भारत की सबसे पुरानी चिकित्सा पद्धति है जिसको आज भी भारत के लोग प्राथमिकता के तौर पर देखते हैं। ग्रामीण परिवेशों में रहने वाले लोग हों कि शहरी क्षेत्र में सभी आयुर्वेद को सबसे पहले आजमाते हैं। आज विश्वभर में बाबा रामदेव की दिव्य फार्मेसी,  डाबर, वैद्यनाथ, श्री आयुर्वेद, हिमालय फार्मा आदि जानी मानी आयुर्वेदिक संस्थानों के उत्पाद बिना किसी डॉक्टर की सलाह के दुकानों पर उपलब्ध रहते हैं। च्यवनप्राश तो बहुत ही आम है। चूर्ण, गैस, हार्ट, डायबिटीज, बीपी, आदि के नुस्खे सभी प्रमुख आयुर्वेदिक दुकानों और सामान्य दुकानों में भी खरीदे जा सकते हैं। इसका सबसे बड़ा कारण है भारत मे आयुर्वेदिक परंपरा का रचा बसा होना।

जमुई आयुष अस्पताल को मिला डॉक्टर

   जहां पिछले वर्ष 2018 तक यह स्थिति थी कि जमुई आयुष अस्पताल को स्वीपर और क्लर्क संचालित कर रहे थे उसी मामले को जब सामाजिक कार्यकर्ता एवं ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट शिवानन्द द्विवेदी द्वारा मानवाधिकार आयोग मप्र भोपाल में लिखा गया तो आयोग ने पत्र क्रमांक/12/893/7886/रीवा/18 भोपाल दिनांक 01.06.2019 जिला आयुष अस्पताल रीवा को जारी किया साथ ही मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी रीवा पत्र क्रमांक /मा0 अ0 आ0/ 19/13046 दिनांक 08.05.2019 भी जारी किया जिसमें जमुई आयुष अस्पताल में रिक्त पद के विरुद्ध चिकित्सीय कार्यव्यवस्था की दृष्टि से स्थानीय कार्यालय के आदेश क्रमांक स्था0/2019/1754-1763 रीवा दिनांक 27.05.2019 डॉक्टर ध्यानेन्द्र प्रताप सिंह आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी शाशकीय आयुष औषधालय रामपुर की ड्यूटी सप्ताह में दो दिन लगाई जाकर चिकित्सक की पूर्ति कर दी गयी है। यह आदेश डॉक्टर नीरजा शुक्ला जिला आयुष अधिकारी द्वारा इस बाबत दिनाँक 27 मई 2019 को दिया गया है।

    इस प्रकार जनहित के ऐसे अछूते मुद्दे जिसे दसकों से कोई देखने वाला नही था उस पर एक्टिविस्ट शिवानन्द द्विवेदी के पत्र पर मनवाधिकार आयोग ने संज्ञान लिया और कार्यवाही हुई। निश्चित तौर पर सप्ताह में दो दिन ही सही आयुष चिकित्सक की उपलब्धता के बाद स्थिति काफी हद तक सुधरेगी और पीड़ित लोगों को आयुर्वेदिक इलाज का लाभ मिल सकेगा।

संलग्न - कृपया संलग्न आयुष विभाग एवं मानवाधिकार आयोग भोपाल के समस्त पत्र देखें।

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शिवानन्द द्विवेदी
सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता
जिला रीवा मप्र मोबाइल 9589152587


1000 गोशालाओं के इंतज़ार में मप्र के बेसहारा गोवंश (मामला प्रदेश के बेसहारा गोवंशों का जिनका खरीफ सीजन आने से एकबार फिर जीवन संकट में दिख रहा है, रीवा में बननी हैं 33 गोशालाएं, 30 के टीएस जारी प्रत्येक की 27 लाख 62 हज़ार है लागत, पर धरातल पर नही बनी एक भी गोशाला)

दिनांक 23 अगस्त 2019, स्थान - गढ़/गंगेव, रीवा मप्र
   (शिवानन्द द्विवेदी, रीवा मप्र)
    प्रदेश में बनाई जाने वाली 1000 गोशालाओं की कहीं भी भौतिक धरातल में कोई रता पता नही है जिससे एकबार फिर प्रदेश के लाखों बेसहारा मवेशियों का जीवन संकट में दिख रहा है।

    वर्ष 2012 से एक्टिविस्ट शिवानन्द द्विवेदी एवं अन्य गोवंश प्रेमियों के सामाजिक प्रयाशों एवं मुद्दे को सतत मीडिया और समाज के समक्ष उठाये जाते रहने से बेसहारा गोवंशों के अधिकारों को लेकर एवं असामाजिक तत्वों द्वारा गोवंशों की प्रताड़ना किये जाने, अवैध बाड़ों में बिना समुचित व्यवस्था के कैद किये जाने, इनकी ट्रैफिकिंग, चल-पशु तस्करी किये जाने, चचाई क्योटी बहुती भलघटी अष्टभुजी भैंसहटी आदि जलप्रपातों में धकेले जाने, बकिया वराज नहर सहित अन्य नहरों में धकेले जाने आदि मामले केंद्रीय मंत्रालय श्रीमती मेनका गांधी पीएफए अध्यक्षा सहित मप्र एवं भारत शासन प्रशासन के समक्ष निरंतर उठाये गए हैं जिसका नतीजा ही है सत्ताधारी और विपक्षी दलों, समाज के हर वर्ग, प्रदेश एवं देश के मीडिआ के एक बहुत बड़े हिस्से में यह बात सतत बनी रही।
   किसानों और पशुओं दोनो की समस्या को आखिर समझा गया और जो कार्य तथाकथित हिंदूवादी पार्टी बीजेपी नही कर पाई उसे विपक्ष में बैठी कॉंग्रेस पार्टी ने कर डाला। आख़िरकार अपने आपको सत्ता में लाने के उद्देश्य से ही सही लेकिन प्रदेश में 1000 गोशालाओं को खोले जाने हेतु घोषणा किया। घोषणा तो किया लेकिन आज वर्ष भर का समय व्यतीत होने वाला है पर इनका प्रशासनिक अमला गोशालाओं के निर्माण में हीलाहवाली कर रहा है।
   जिले में बनाई जानी थी 33 गोशालाएं
   मध्य प्रदेश में तो अभी तक 900 गोशालाएं बनाये जाने हेतु जगह चिन्हित हुआ है लेकिन रीवा में ही अकेले 33 गोशालाएं खोले जाने हेतु टीएस हुआ है। रीवा की उन सभी 33 ग्राम पंचायतों को भी चिन्हित कर लिया गया है जिनमे से 30 गोशालाएं सामान्य प्रकृति की रहेंगी जबकि शेष तीन गोशालाएं वृहद किश्म की रहेंगी।

    जिन तीन ग्राम पंचायतों में वृहद गोशालाएं बनाई जानी थीं उनमे रीवा ब्लॉक की टीकर में 26 एकड़, गंगेव ब्लॉक की पनगड़ी कला पंचायत में 59 एकड़, एवं जवा ब्लॉक की कोनी कला पंचायत में 39 एकड़ भूमि का आवंटन किया गया है।
  टीएस जारी, प्रत्येक गोशाला 27 लाख 62 हज़ार में बनेगी
   प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले की वर्तमान समय मे बनाई जा रही 30 गोशालाओं के लिए टीएस जारी हो चुका है जिंसमे इन सभी 30 गोशालाओं की लागत राशि 27 लाख 62 हज़ार रुपये बतायी गयी है।
     टीएस जारी होने के साथ ही उन चिन्हित 30 ग्राम पंचायतों में जगह का ले आउट भी कर लिया गया है जिसमे आर ई एस के सहायक यंत्री, ब्लॉक के सीईओ और राजस्व एवं वेटेरिनरी अमले के साथ स्थानों को चिन्हित कर नींव डालने की प्रक्रिया शुरू हुई है।
  कई पंचायतों में मात्र खोदे गए गड्ढे
   हिनौती पंचायत के गदही ग्राम में बनाई जा रही लगभग 20 एकड़ भूभाग में गोशाला की स्थिति यह है यहां मात्र गड्ढे खोदे जाने तक ही कार्य सीमित होकर रह गया है। गैर पंचायती मजदूरों द्वारा कार्य कराए जाने की प्रक्रिया चल रही है। यहाँ स्थिति यह है कि नौ दिन चले अढ़ाई कोश।

    यही स्थिति पास ही स्थित बांस पंचायत की भी है। यहाँ गोशाला बनाये जाने के पहले ही गोशाला कार्य रोक दिया गया है। यह समाज कल तक पशुओं को आवारा छोड़ दिया करता था फिर उनका रोना रोता था। अब जब सरकार इनके लिए गोशालाओं की व्यवस्था कर रही है तो यह समाज ही इसमे रोड़ा बन रहा है। बताया तो यह भी जा रहा है कि गोशाला तालाब में बनाई जा रही थी जिसका कुछ ग्रामीणों द्वारा विरोध किया गया लेकिन राजस्व विभाग से प्राप्त जानकारी में बताया गया कि ग्रामीणों द्वारा शासकीय भूमि पर बेजा कब्जा किया गया था जो अतिक्रमण हटाकर अब गोशाला बनाई जा रही है तो कुछ ग्रामीन उसका विरोध कर रहे हैं जबकि गोशालाओं के निर्माण में बाधा उत्पन्न करना सर्वथा गलत है।
  यदि गोशालाएं नही बनी तो होगी फजीहत
   सवाल यह है कि सिर्फ घोषणाएं भर कर देने से कुछ नही होने वाला। घोषणाएं करके उनमे कार्य परिणीति तक अमल करना ज्यादा आवश्यक है। आज जिस प्रकार पंचायती और मनरेगा के क्रियाकलाप चल रहे हैं उसके तौर पर देखा जाय तो यदि पंचायतों पर नकेल नही कसी गयी तो आवंटित 27 लाख 62 हज़ार रुपये हवा में उड़ जाएंगे और सीईओ सरपंच सचिव सब हजम कर लेंगे और किसी को भनक तक नही लगेगी। इसलिए कार्य और उसकी गुणवत्ता पर निगरानी अत्यंत आवश्यक है। यह कार्य जितना आवश्यक प्रशासनिक दृष्टि से है उससे कहीं अधिक सामाजिक दृष्टि से भी है।

    अब अगला सवाल यह है कि घोषणाओं के बाद आखिर यह गोशालाएं बनकर कब पूरी होंगी? क्या इस खरीफ वर्ष 2019 के लिए यह गोशालाएं बनकर पूरी हो जाएंगी? अथवा फिर वही हालात निर्मित होंगे जब इन्हें लाठी डंडे, टांगे कुल्हाड़ी से ही स्वागत होने वाला है क्योंकि इस क्रूर समाज से जहाँकी गोवंश समाज से पूरी तरह से वहिष्कृत हो चुके हैं कोई मानवता की अपेक्षा करना बेमतलब है।
संलग्न - कृपया संलग्न देखें जिले में बनने वाली 30 वर्तमान गोशालाओं का जारी हुआ टीएस। साथ मे गोशालाओं और आसरे का इंतज़ार करते हुए आवारा गोवंश।
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शिवानन्द द्विवेदी

सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता

जिला रीवा मप्र, मोबाइल 9589152587