दिनांक 04/01/2019, स्थान - रीवा मप्र
(शिवानन्द द्विवेदी, रीवा मप्र)
चल-पशु तस्करी के काले धंधे और पुलिश-माफिया के सम्बंध का पर्दाफाश होने के बाद अब पुलिश ने सामाजिक संगठनों और पत्रकारों को टारगेट करना प्रारंभ कर दिया है। अब सवाल यह है कि पुलिश वाले ही अपनी नाकामी और मिली भगत छुपाने प्रेस कॉन्फ्रेंस और प्रेस विज्ञप्ति जारी कर रहे हैं।
बैकुंठपुर टी आई मंगल सिंह ने पशु तस्करों को बताया था गरीब
बता दें कि घटना में टर्न तब आया जब बैकुंठपुर टी आई मंगल सिंह ने दबोचे गए चल-पशु तस्करों को क्लीन चिट देते हुए उन्हें गरीब और किसान बताया। सवाल यह था कि पुलिश आरोपी की घटना में संलिप्तता की जांच किये वगैर स्वयं ही पशु तस्करों को गरीबी रेखा का प्रमाण पत्र दे रही है यह कहाँ तक जायज है? किसी अपराध में आरोपी की संलिप्तता है कि नही और कारित घटना से सम्बंधित साक्ष्यों के आधार पर विधिवत जांच के बाद क्लीन चिट देना तो फिर भी वाजिब हो सकता है, लेकिन बिना जांच किये बिना बयान लिए और बिना कोई कायमी किये वाकायदा प्रेस विज्ञप्ति जारी कर पशु तस्करों को गरीब किसान का सर्टिफिकेट देना तो एक तरह से तस्करी को बढ़ावा देना और सभी साक्ष्यों और सबूतों को दरकिनार करना है।
चल-पशु तस्करी सम्बंधित कई प्रश्न अनुत्तरित ही रहे
सवाल यह था कि जब पिछले कई सप्ताह से पिपरहा, क्योटी, तराई, छुहिया घाटी, मोहनिया घाटी, देवलोंद, व्योहारी, जयसिंह नगर, कोतमा से छतीसगढ़ तक की चल-पशु तस्करी की वारदातें पुलिश और मीडिया के समक्ष रखी गई और रीवा जिले के सगरा, गढ़/लालगांव, और बैकुंठपुर थाने में विधिवत शिकायतें की गईं तो पुलिश ने विधिवत कार्यवाही क्यों नही की? क्या उक्त सभी घटनाओं में संलिप्त लोग गरीब और किसान थे? क्या कार और मोटर साईकल में माफिया की तरह पशुओं का पीछा करने वाले लोग गरीब और किसान थे? यदि प्रतिदिन छुहिया या मोहनिया घाटी से हज़ारों की संख्या में कोतमा के रास्ते छत्तीसगढ़ गोवंश भेजे जाते हैं तो क्या यह सभी गोवंश प्रतिदिन कृषि कार्य के लिए उपयोग हो रहे हैं? यदि कृषि कार्य के लिए उपयोग हो रहे तो इसका क्या प्रमाण है? प्रतिदिन इतनी बड़ी संख्या में भेजे जाने वाले गोवंश कहां से खरीदे जाते हैं और किन किन किसानों को बेंचे जाते हैं? ऐसे कौन कौन से किसान हैं जो अभी भी इतने बड़े पैमाने पर बैलों से खेती करते हैं? जो लोग अपने आप को तथाकथित पशु व्यापारी बता रहे हैं और इतनी बड़ी संख्या में पशु व्यापार कर रहे हैं क्या इनके पास जिला प्रशासन और पशु चिकित्सा विभाग से पंजीयन है?
इसी प्रकार पता नही कितने अनुत्तरित प्रश्न हैं जिनका जबाब पुलिश ने नही दिया और बिना किसी आधार के ही चल-पशु तस्करों को तथाकथित पशु व्यापारी और गरीब किसान बताकर फुरसत कर दिया। यदि पुलिश लोगों को गरीबी रेखा का प्रमाणपत्र वितरित करेगी तो फिर किसी को कलेक्टर और तहसीलदार के पास जाने की जरूरत नही पड़ेगी।
पत्रकारों ने आई जी और एसपी को किया लिखित शिकायत
चल-पशु तस्करी के मामले को उठाने वाले रीवा के पत्रकारों ने दिनांक 03 जनवरी 2019 को पुलिश अधीक्षक और पुलिश महानिरीक्षक रीवा को लिखित शिकायत भी की है जिसमे बैकुंठपुर टी आई मंगल सिंह द्वारा उन्हें फ़र्ज़ी कहने, धमकाने, और फ़र्ज़ी मामलों में फंसाने की बात कही है।
बताया गया कि बेबाक शक्ति न्यूज़ के रीवा ब्यूरो चीफ प्रदीप पटेल एवं खुलासा न्यूज़ लाइव के रीवा ब्यूरो चीफ आनंद द्विवेदी ने दिनांक 03 जनवरी 2019 की एक लिखित शिकायत में बैकुंठपुर टी आई मंगल सिंह द्वारा धमकाने, दुर्व्यवहार करने और मामलों में फंसाने की शिकायत की है और टी आई के विरुद्ध कार्यवाही की माग के साथ ही पत्रकारों की सुरक्षा की माग की है।
बता दें कि दिनाँक 31 दिसंबर 2018 को दोपहर के आसपास पत्रकार प्रदीप पटेल ने बैकुंठपुर थाना अंतर्गत हर्दी मोड़ से डिहिया-धुन्धकी ग्राम की तरफ जाने वाली सड़क पर बड़ी संख्या में पशुओं को ले जाते आधा दर्जन लोगों को देखा था जिसकी जानकारी पशु अधिकारों के लिए लड़ने वाले सामाजिक कार्यकर्ता शिवानन्द द्विवेदी को दी थी। इसके बाद सम्बंधित थाना बैकुंठपुर टी आई मंगल सिंह और रीवा आई जी आदि को सूचित किया गया था। जानकारी ध्यान फाउंडेशन के पदाधिकारियों को भी भेजी गई थी।
सूचना काफी उच्चस्तर तक भेजने के बाद जब बैकुंठपुर टी आई पर चल-पशु तस्करों पर कार्यवाही का दबाब बना तो टी आई मंगल सिंह ने बिना विधिवत जांच किये स्वयं ही पशु तस्करों को गरीब और किसान होने का प्रमाणपत्र दे डाला और पत्रकारों को फ़र्ज़ी बताया साथ ही मुकदमों में फंसाने की धमकी दे डाली।
पुलिश की बर्बरता पर सकते में आये पत्रकारों ने मामले को अगले दिनों एसपी और आई जी रीवा के समक्ष लिखित देकर मामले की निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच की माग की है।
संलग्न - पत्रकारों द्वारा एसपी और आईजी कार्यालय में लिखित दिए गए आवेदन की प्रतियां साथ ही उपस्थित पत्रकार प्रदीप पटेल और आनंद द्विवेदी।
--------------------------------
शिवानन्द द्विवेदी
सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता
ज़िला रीवा मप्र, मोब 9589152587, 7869992139
No comments:
Post a Comment