Tuesday, November 29, 2016

(Rewa, MP) हिनौती-सेदहा के लोहरा में बिजली के करंट से पुनः हुआ नीलगाय का शिकार - सिरमौर वन परिक्षेत्र रीवा का प्रकरण



दिनांक: 29/11/2016
स्थान: लोहरा (हिनौती, रीवा मप्र)


विषय – सेदहा-हिनौती पंचायत अंतर्गत लोहरा नामक स्थान पर बिजली के अवैध खुले करंट से फिर हुआ नीलगाय का अवैध शिकार.


   (हिनौती, रीवा मप्र – शिवानन्द द्विवेदी)  अभी हाल ही में कुछ दिनों पूर्व ही सिरमौर वन परिक्षेत्र के भमरिया-डकरकुण्ड क्षेत्र के आसपास विद्युत् करंट लगाकर जंगली जानवरों जैसे नीलगाय, शुअर आदि का शिकार और साथ ही घरेलू  पशुओं जैसे गाय, बैल आदि का भी करंट में फसकर मरने का प्रकरण रीवा जिले में पेपर पत्रिकाओं में सिटी संस्करण के मुख्य पृष्ठ में प्रकाशित हुआ था और सोशल मीडिया में भी छाया रहा.
हिनौती-सेदहा के लोहरा में बिजली के करंट से पुनः हुआ नीलगाय का शिकार
    अभी पुनः एक प्रकरण की जानकारी मिली जिसमे ग्रामीणों और इस क्षेत्र के लोगों द्वारा एक रोझ अथवा नीलगाय के मरने की सूचना सेदहा-हिनौती पंचायती क्षेत्र के पास दी गयी जो की वनपरिक्षेत्र सिरमौर के अंतर्गत ही आता है. दिनांक 29 नवम्बर 2016 को सूचना मिलने पर पर्यावरण एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता द्वारा सर्वप्रथम सिरमौर के रेंज ऑफिसर श्री बाजपाई को सूचित किया गया. उनके दवारा त्वरित कार्यवाही न होने पर कांकर के प्रशिक्षु बीटगार्ड मनोज तिवारी को साथ लेकर हिनौती-सेदहा के लोहरा क्षेत्र के पास ग्राम बडोखर निवासी राजकुमार सिंह वैस की डबरी के पास जाया गया जहाँ एक ट्रांसफार्मर के पास तथा शारदा सिंह निवासी बडोखर के अहरी के पास अभी ताजा मरे हुए नील गाय का कंकाल मिला जिसमे भारी बदबू आ रही थी. कंकाल के पास ही उसका गोबर पड़ा मिला जो ताज़ा था जिससे रोझ होने की पुष्टि होती है. कंकाल से लगभग पचास मीटर दूर चलने पर एक छोटे से पेंड के पास वहीँ लोहरा में ही रोझ अथवा काले नीलगाय का सींग सहित शिर का ऊपरी भाग मिला जिसको की वहां से एक बोरी में भरकर फारेस्ट गार्ड मनोज तिवारी की उपस्थिति में अग्रिम कार्यवाही और जांच के लिए लाया गया जिसमे शिर के ऊपरी भाग की फॉरेंसिक एवं डीएनए जांच की मांग की गयी है.    
रेंज ऑफिसर सिरमौर श्री बाजपाई से लेकर पीसीसीएफ भोपाल श्री अनिमेष शुक्ला तक सूचना प्रेषित पर घटनास्थल पर कोई अधिकारी समय पर नहीं पंहुचा
     यह जानकारी प्रारंभिक तौर पर सिरमौर रेंज के वन परिक्षेत्र अधिकारी श्री बाजपाई (मोबाइल - 09926764285) को प्रेषित की गयी वहां से घंटों कोई प्रतिक्रिया न मिलने पर वन मंडलाधिकारी रीवा श्री गुप्ता (मोबाइल - 09424793326), सहायक वन संरक्षक श्री ए के शर्मा (मोबाइल - 09424793327) मुख्य वन संरक्षक श्री मुद्रिका सिंह (मोबाइल - 09424793325) , और पीसीसीएफ श्री अनिमेष शुक्ला भोपाल (मोबाइल -  09424790001) को दी गयी. लगभग तीन बजे तक इंतज़ार करने पर भी जब कोई वन अधिकारी घटनास्थल पर नहीं आया तो मरे हुए नील गाय का शिर का अग्र  भाग लेकर घटनास्थल से हिनौती लाया गया.   

जांचकर्ता वनपरिक्षेत्र अधिकारी अतरैला द्वारा बदतमीजी से पेस आना इनकी वन अपराध में संलिप्तता दर्शाता है   
      इसके पूर्व जाँच के लिए आये सहायक वन संरक्षक श्री योगेश्वर वर्मा द्वारा बताया गया की अभी हाल ही में कांकर पनगड़ी बीट की जांच अतरैला के वनपरिक्षेत्र अधिकारी (मोबाइल - 07692053520) समेत एक पूरी टीम को सौपी गयी है जिसके सिलसिले में वह जाँच करने हेतु आ रहे हैं. इस जांच के सिलसिले में सूचना मिलने पर सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता सतत इस जांच टीम के एक सदस्य अतरैला के रेंजर के संपर्क में रहा जिनको सुबह 11 बजे तक आना बताया गया था. पर जब अतरैला रेंजर अपने दल के साथ 11 बजे तक नहीं आये तो उनसे जानकारी चाही गयी जिस पर उनका कहना था की वह पनगड़ी अथवा कांकर बीट में नहीं आ रहे बल्कि आवेदक स्वयं ही सिरमौर में आये और जांच में भागीदारी दे और कुछ बदतमीजी पूर्ण बातें की गयी. जाहिर है ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि पूरा रीवा वन विभाग ही सामाजिक एवं पर्यावरण कार्यकर्ता के जांच वाले बिन्दुओं से भयभीत है और क्योंकि इन वन कर्मचारियों और आला अधिकारियों के पास कोई जबाब देने को नहीं बचा है अतः स्वाभाविक रूप से अपनी भड़ास किसी न किसी माध्यम से निकाल रहे हैं जिसकी ऑडियो रिकॉर्डिंग भी मौजूद है.
      अब प्रश्न यह उठता है की भड़ास निकालने और आवेश में आने से न ही जांच संभव है और न ही वन अपराधों पर लगाम ही लग सकती है. सच्चाई जब भी सामने आती है तो उसके विपरीत कार्यों में संलिप्त माफिया की सांठ-गांठ से अवैध शिकार, अवैध उत्खनन, अवैध वनों की कटाई करवाने वाले यह वन अधिकारी और कर्मचारी आवेशित होकर अपने आपको और भी दोषी ही सिद्ध कर रहे हैं और साथ ही उनका बदतमीजी से पेश आने से मामला और भी गंभीर ही बनेगा. पूरे वन विभाग का ही यही हाल है की जब भी कोई वन अपराध की जानकारी किसी न किसी माध्यम से इनके उच्चाधिकारियों को प्रेषित की जाती है तो इनके कान खड़े हो जाते हैं, और फिर यह दोषी अधिकारी-कर्मचारी शिकायतकर्ता और आवेदक के चक्कर लगाने लगते हैं की वह अपनी शिकायत अथवा आवेदन वापस ले ले. कई मर्तबा ऐसा हुआ की यह वन कर्मचारी कोई तथाकथित गणमान्य व्यक्ति को लेकर पंहुच जाते और विभिन्न माध्यमों से आवेदकों और शिकायतकर्ताओं पर दवाब बनवाते की इन्हें माफ़ कर दिया जाए और यह वन कर्मचारी-अधिकारी अपनी कार्यशैली में जल्दी ही शुधार कर लेंगे पर हमेशा ही उसका उल्टा हुआ और जब भी इनको छोंड दिया जाता तो वन अपराध और भी धड़ल्ले से बढ़ते नज़र आये जो की हमारे वन और पर्यावरण के लिए बहुत घातक है जिस पर संज्ञान लेना अति आवश्यक हो गया है.
      यह जानकारी लिखे जाने तक बीट गार्ड मनोज तिवारी के अतिरिक्त कोई भी वन अधिकारी घटनास्थल पर मरे हुए नील गाय के पंचनामे और कंकाल उठाकर डीएनए अथवा फॉरेंसिक जांच के लिए नहीं लाया है. अभी भी अपेक्षा की जा रही है घटनास्थल का सघन निरीक्षण किया जायेगा और जो भी दोषी व्यक्ति अवैध खुले हुए बिजली के तार लगाकर करंट फैलाए हुए हैं उन्हें सख्ती से दण्डित किया जाएगा और जो भी व्यक्ति लोहरा क्षेत्र में मृतक पायी गयी नीलगाय की मौत का दोषी होगा उसके विरुद्ध भी वन्य प्राणी सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत कार्यवाही कर दण्डित किया जाएगा.
  संलग्न – कुछ फोटोग्राफ एवं देखें यूट्यूब विडियो जिसमे करंट से मरे हुए नीलगाय के कंकाल और शिर के भाग और साथ ही उसकी गोबर को दिखाया गया है:
  
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Sincerely Yours,
Shivanand Dwivedi
(Social, Environmental, RTI and Human Rights Activists)
Village - Kaitha, Post - Amiliya, Police Station - Garh,
Tehsil - Mangawan, District - Rewa (MP)
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