Tuesday, January 15, 2019

पावर प्लांट चचाई में जंगल बीच करंट लगाकर चीतल एवं भैंसों का हुआ शिकार, वन विभाग पल्ला झाड़ रहा, पुलिश को कुछ फर्क नही पड़ता (मामला जिले में बढ़े वन अपराधों का जहाँ एमपीईबी पावर प्लांट चचाई के पास जंगल के बीचोंबीच करंट लगाकर अखंड प्रताप सिंह की 5 भैंसों को मार डाला गया, लंबे अरसे से करंट लगाकर चीतल का किया जा रहा था शिकार, बदकिस्मती से लाखों की फंस गयीं भैंसें)

दिनाँक 15 जनवरी 2019, स्थान - चचाई पावर प्लांट, सिरमौर, रीवा मप्र

  (शिवानन्द द्विवेदी, रीवा मप्र)

    प्रदेश एवं जिले में निरंतर बढ़ रहे बेलगाम वन अपराधों की श्रेणी में एक और अध्याय जुड़ चुका है. अभी तक तो नहरों, घाटियों, जलप्रपातों के बीच में मवेशियों को जीवित धकेले जाने की वारदातें सामने आईं थीं लेकिन अब तो ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जिससे पूरे जंगल विभाग के अस्तित्व पर ही प्रश्न चिन्ह लगने वाला है. जी हाँ यहां कोई पहेलियां नही बुझाई जा रही बल्कि सच्चाई के समाज को अवगत कराया जा रहा है.

    जंगल के बीचोंबीच करंट लगाकर किया जाता रहा शिकार

    यह मामला है चचाई जलप्रपात से होकर जाने वाले जंगल का जहां से होते हुए लगभग 7 से 8 किमी दूर जंगल के रास्ते बकिया-बीहर नहर पावर प्लांट चचाई से अतरैला वन परिक्षेत्र के जंगल तक जाती है. अभी पिछले दिनों ही इसी नहर में इंटेक प्लांट के पास दर्ज़नों गोवंशों के उतराते हुए शव मिले थे जो मीडिया में और समाज में हलचल पैदा कर दिए थे. अभी एक और मामला सामने आया है जो महीनों पुराना बताया गया है जिंसमे पीड़ित अखंड प्रताप सिंह निवासी मरैला ने लिखित तौर पर पुलिश एवं वन विभाग को शिकायत भी की लेकिन कार्यवाही नही हुई है.

    मामला है 5 भैंसों और एक चीतल का जंगल के बीच करंट से फंसकर मौत का

   सबसे बड़े आश्चर्य की बात तो यह है की जंगल के बीचोंबीच आखिर करंट आया कहां से लेकिन चकित मत होइये बता दें की चचाई पावर प्लांट बस नजदीक ही स्थित है जो 315 मेगावाट की बिजली उत्पन्न करता है. यह पावर प्लांट सरकार के ऐसे नियमों के अन्तर्गत बनाया गया है जो जंगल भूमि का भी उपयोग कर रहा है यद्यपि इस पावर प्लांट का कर्ताधर्ता एमपीईबी विभाग है.

   दिसंबर दूसरे सप्ताह की है वारदात  

    दिनाँक 12-13 दिसंबर के आसपास मरैला निवासी अखंड प्रताप सिंह उम्र लगभग 65 वर्ष की चार भैंसें एवं एक भैसा भैंसहटी नामक चचाई घाट  के नीचे चरने के लिए उतारे गए थे. बताया गया की यहीं एमपीईबी पावर प्लांट से उत्पन्न होने वाली बिजली का दुरुपयोग करके अर्जुन केवट नामक जवा निवासी उम्र लगभग 40 से 45 वर्ष जंगली जानवरों का शिकार करने के लिए करंट लगाया था जिसमे अखंड प्रताप सिंह की 4 नग जीवित पजाने योग्य भैंसें एवं एक नग भैंसा सब मिलाकर लगभग 4 से 5 लाख कीमत की फंसकर मारे गए।

   अतरैला थाने एवं वन विभाग में लिखित दी सूचना

    अखंड प्रताप सिंह ने बताया की जानकारी मिलने पर घटना की सूचना  तत्काल अतरैला थाना एवं वन परिक्षेत्र अतरैला में दी गई लेकिन न तो वन विभाग द्वारा और न ही पुलिश विभाग द्वारा कोई प्राथमिकी दर्ज की गई. जबकि देखा जाए तो दोनों ही दृष्टि से करंट लगाकर जंगल के अंदर शिकार और मवेशियों का उसमे फंसकर मारना एक संगीन अपराध की श्रेणी में आता है जिंसमे वन विभाग को पीओआर और पुलिश विभाग को बकायदे एफआईआर दर्ज करना चाहिए.

   वेटेरिनरी अधिकारी ने शव न मिलने का बनाया बहाना

     बता दें की इस घटना के विषय में जब जवा वेटेरिनरी अधिकारी आर पी गौतम मिश्रा से बात की गई तो उन्होंने पूरा दोष वन विभाग और पुलिश विभाग पर मढ़ दिया और बताया की हमे मृत भैंसों का कोई भी अंग नही मिला. जबकि पीड़ित अखंड प्रताप दवारा बताया गया को मृत भैंसों के कुछ पैर वगैरह अंग अभी भी वहीं जंगल में पड़े हुए हैं जिनको आरोपी अर्जुन केवट ने काटकर फेंक दिया था जिससे यह पता न चले की घटना करंट लगाकर कारित हुई है. जबकि फॉरेंसिक रिपोर्ट में यह बात स्पष्ट हो ही जाती है की जीव केई मृत्यु के क्या कारण थे.

 क्या कहा अतरैला थाना प्रभारी प्रदीप सिंह ने

    जब प्राथमिकी दर्ज न किये जाने के विषय में अतरैला थाना प्रभारी प्रदीप सिंह से बात की गई तो उनका कहना था की वह मेडिकल रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं जबकि मेडिकल रिपोर्ट इसलिए नही बनी की वेटेरिनरी अधिकारी को मवेशियों के शव ही नही मिले.

    चश्मदीख गवाह भी है पुख्ता प्रमाण 

    यद्यपि इस पूरे मामले में एक चश्मदीख गवाह भी मौजूद है. चश्मदीख प्रदीप कुमार कोल उर्फ विधायक पिता चंद्रशेखर कोल उर्फ बेसहना निवासी मरैला उम्र लगभग 20 वर्ष के द्वारा पूरी घटना की जानकारी बतायी जा चुकी है लेकिन थाना प्रभारी अतरैला प्रदीप सिंह का अब यह कहना है की जब तक आरोपी अर्जुन केवट को पुलिश पकड़ कर पूंछताछ नही करेगी तब तक प्राथमिकी दर्ज नही होगी. वहरहाल अभी तक पुलिश ने आरोपी को ढूंढने तक का प्रयाश नही किया है जबकि घटना कारित हुए एक माह से ऊपर बीत चुके हैं. 

   रेंज अफसर अतरैला का वीडियो वायरल

    बता दें की रेंज अफसर अतरैला का एक वीडियो भी सामने आया है जिसमे रेंज अफसर स्वयं भी घटना कारित होने की स्वीकारोक्ति कर चुके हैं और बता रहे हैं की करंट से न केवल भैसों की मौत हुई हैं बल्कि चीतल की भी मौत हुई है. पर अब सवाल यह उठता है की आखिर जंगली संरक्षित क्षेत्र में एमपीईबी पावर प्लांट के करंट द्वारा असामाजिक एवं आपराधिक तत्वों द्वारा जंगली जानवरों का शिकार जैसे संगीन अपराध के लिए अब तक रेंज के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को बर्खास्त क्यों नही किया गया? आखिर पूरे मामले में एमपीईबी की भी तो जबाबदेही तय है की आखिर उनके द्वारा पावर प्लांट में उत्पन्न की जाने वाली बिजली का दुरुपयोग आपराधिक किस्म के लोग कैसे कर रहे हैं?

 संलग्न - संलग्न तस्वीरों में देखें पीड़ित अखंड प्रताप सिंह दवारा लिखित दिया गया आवेदन एवं साथ में करंट में मृत हुई भैंसों के कंकाल आदि जिन्हें बताया गया की आरोपी अर्जुन केवट ने काटकर वहीं नदी में फेंक दिया था.

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शिवानन्द द्विवेदी

सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता 

ज़िला रीवा मप्र, मोब 9589152587, 7869992139

Friday, January 4, 2019

चल-पशु तस्करी मामले में टी आई के विरुद्ध आई जी को की गयी शिकायत, पत्रकारों ने कार्यवाही की किया माग (बैकुंठपुर थाना क्षेत्र का है मामला जिसमे चल-पशु तस्करी पर पर्दा डालने पुलिश ने पत्रकारों पर फ़र्ज़ी मुकदमे में फंसाने की दी थी धमकी साथ ही पत्रकारों को टी आई मंगल सिंह ने बताया था फ़र्ज़ी)

दिनांक 04/01/2019, स्थान - रीवा मप्र

 (शिवानन्द द्विवेदी, रीवा मप्र)

    चल-पशु तस्करी के काले धंधे और पुलिश-माफिया के सम्बंध का पर्दाफाश होने के बाद अब पुलिश ने सामाजिक संगठनों और पत्रकारों को टारगेट करना प्रारंभ कर दिया है। अब सवाल यह है कि पुलिश वाले ही अपनी नाकामी और मिली भगत छुपाने प्रेस कॉन्फ्रेंस और प्रेस विज्ञप्ति जारी कर रहे हैं।

   बैकुंठपुर टी आई मंगल सिंह ने पशु तस्करों को बताया था गरीब

   बता दें कि घटना में टर्न तब आया जब बैकुंठपुर टी आई मंगल सिंह ने दबोचे गए चल-पशु तस्करों को क्लीन चिट देते हुए उन्हें गरीब और किसान बताया। सवाल यह था कि पुलिश आरोपी की घटना में संलिप्तता की जांच किये वगैर स्वयं ही पशु तस्करों को गरीबी रेखा का प्रमाण पत्र दे रही है यह कहाँ तक जायज है? किसी अपराध में आरोपी की संलिप्तता है कि नही और कारित घटना से सम्बंधित साक्ष्यों के आधार पर विधिवत जांच के बाद क्लीन चिट देना तो फिर भी वाजिब हो सकता है, लेकिन बिना जांच किये बिना बयान लिए और बिना कोई कायमी किये वाकायदा प्रेस विज्ञप्ति जारी कर पशु तस्करों को गरीब किसान का सर्टिफिकेट देना तो एक तरह से तस्करी को बढ़ावा देना और सभी साक्ष्यों और सबूतों को दरकिनार करना है।

चल-पशु तस्करी सम्बंधित कई प्रश्न अनुत्तरित ही रहे

   सवाल यह था कि जब पिछले कई सप्ताह से पिपरहा, क्योटी, तराई, छुहिया घाटी, मोहनिया घाटी, देवलोंद, व्योहारी, जयसिंह नगर, कोतमा से छतीसगढ़ तक की चल-पशु तस्करी की वारदातें पुलिश और मीडिया के समक्ष रखी गई और रीवा जिले के सगरा, गढ़/लालगांव, और बैकुंठपुर थाने में विधिवत शिकायतें की गईं तो पुलिश ने विधिवत कार्यवाही क्यों नही की? क्या उक्त सभी घटनाओं में संलिप्त लोग गरीब और किसान थे? क्या कार और मोटर साईकल में माफिया की तरह पशुओं का पीछा करने वाले लोग गरीब और किसान थे? यदि प्रतिदिन छुहिया या मोहनिया घाटी से हज़ारों की संख्या में कोतमा के रास्ते छत्तीसगढ़ गोवंश भेजे जाते हैं तो क्या यह सभी गोवंश प्रतिदिन कृषि कार्य के लिए उपयोग हो रहे हैं? यदि कृषि कार्य के लिए उपयोग हो रहे तो इसका क्या प्रमाण है? प्रतिदिन इतनी बड़ी संख्या में भेजे जाने वाले गोवंश कहां से खरीदे जाते हैं और किन किन किसानों को बेंचे जाते हैं? ऐसे कौन कौन से किसान हैं जो अभी भी इतने बड़े पैमाने पर बैलों से खेती करते हैं? जो लोग अपने आप को तथाकथित पशु व्यापारी बता रहे हैं और इतनी बड़ी संख्या में पशु व्यापार कर रहे हैं क्या इनके पास जिला प्रशासन और पशु चिकित्सा विभाग से पंजीयन है? 

    इसी प्रकार पता नही कितने अनुत्तरित प्रश्न हैं जिनका जबाब पुलिश ने नही दिया और बिना किसी आधार के ही चल-पशु तस्करों को तथाकथित पशु व्यापारी और गरीब किसान बताकर फुरसत कर दिया। यदि पुलिश लोगों को गरीबी रेखा का प्रमाणपत्र वितरित करेगी तो फिर किसी को कलेक्टर और तहसीलदार के पास जाने की जरूरत नही पड़ेगी।

    पत्रकारों ने आई जी और एसपी को किया लिखित शिकायत

    चल-पशु तस्करी के मामले को उठाने वाले रीवा के पत्रकारों ने दिनांक 03 जनवरी 2019 को पुलिश अधीक्षक और पुलिश महानिरीक्षक रीवा को लिखित शिकायत भी की है जिसमे बैकुंठपुर टी आई मंगल सिंह द्वारा उन्हें फ़र्ज़ी कहने, धमकाने, और फ़र्ज़ी मामलों में फंसाने की बात कही है। 

    बताया गया कि बेबाक शक्ति न्यूज़ के रीवा ब्यूरो चीफ प्रदीप पटेल एवं खुलासा न्यूज़ लाइव के रीवा ब्यूरो चीफ आनंद द्विवेदी ने दिनांक 03 जनवरी 2019 की एक लिखित शिकायत में बैकुंठपुर टी आई मंगल सिंह द्वारा धमकाने, दुर्व्यवहार करने और मामलों में फंसाने की शिकायत की है और टी आई के विरुद्ध कार्यवाही की माग के साथ ही पत्रकारों की सुरक्षा की माग की है।

   बता दें कि दिनाँक 31 दिसंबर 2018 को दोपहर के आसपास पत्रकार प्रदीप पटेल ने बैकुंठपुर थाना अंतर्गत हर्दी मोड़ से डिहिया-धुन्धकी ग्राम की तरफ जाने वाली सड़क पर बड़ी संख्या में पशुओं को ले जाते आधा दर्जन लोगों को देखा था जिसकी जानकारी पशु अधिकारों के लिए लड़ने वाले सामाजिक कार्यकर्ता शिवानन्द द्विवेदी को दी थी। इसके बाद सम्बंधित थाना बैकुंठपुर टी आई मंगल सिंह और रीवा आई जी आदि को सूचित किया गया था। जानकारी ध्यान फाउंडेशन के पदाधिकारियों को भी भेजी गई थी।  

     सूचना काफी उच्चस्तर तक भेजने के बाद जब बैकुंठपुर टी आई पर चल-पशु तस्करों पर कार्यवाही का दबाब बना तो टी आई मंगल सिंह ने बिना विधिवत जांच किये स्वयं ही पशु तस्करों को गरीब और किसान होने का प्रमाणपत्र दे डाला और पत्रकारों को फ़र्ज़ी बताया साथ ही मुकदमों में फंसाने की धमकी दे डाली।

     पुलिश की बर्बरता पर सकते में आये पत्रकारों ने मामले को अगले दिनों एसपी और आई जी रीवा के समक्ष लिखित देकर मामले की निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच की माग की है।

संलग्न - पत्रकारों द्वारा एसपी और आईजी कार्यालय में लिखित दिए गए आवेदन की प्रतियां साथ ही उपस्थित पत्रकार प्रदीप पटेल और आनंद द्विवेदी।

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शिवानन्द द्विवेदी

 सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता

ज़िला रीवा मप्र, मोब 9589152587, 7869992139