Sunday, December 10, 2023

Breaking: विश्व मानवाधिकार दिवस पर आयोजित हुआ राष्ट्रीय वेबीनार// देश के जाने माने संपादक, सूचना आयुक्त और ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट ने कार्यक्रम में लिया हिस्सा// सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी और प्रवीण पटेल ने मिलकर आयोजित किया वेबीनार//

*Breaking: विश्व मानवाधिकार दिवस पर आयोजित हुआ राष्ट्रीय वेबीनार// देश के जाने माने संपादक, सूचना आयुक्त और ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट ने कार्यक्रम में लिया हिस्सा// सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी और प्रवीण पटेल ने मिलकर आयोजित किया वेबीनार//*
दिनांक 10 दिसंबर 2023 रीवा मध्य प्रदेश

   10 दिसंबर विश्व मानवाधिकार दिवस के उपलक्ष पर राष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन किया गया जिसमें देश के जाने-माने पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता, रिटायर्ड आईएएस अधिकारियों, सूचना आयुक्त और मानवाधिकार संरक्षण से जुड़े हुए एक्टिविस्टों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम का संचालन एवं संयोजन आरटीआई एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी एवं फोरम फॉर फास्ट जस्टिस के ट्रस्टी एवं सामाजिक कार्यकर्ता प्रवीण पटेल के द्वारा किया गया।

  कार्यक्रम में हिस्सा लेते हुए नेशनल ह्यूमन राइट्स कमिशन नई दिल्ली के सदस्य और ह्यूमन राइट्स डिफेंडर उड़ीसा से मनोज जेना ने बताया कि वर्ष 2013-14 से लेकर अब तक ह्यूमन राइट्स वायलेशन बढ़ गए हैं और साथ ही ह्यूमन राइट डिफेंडर्स का काम भी प्रभावित हुआ है। कहीं न कहीं इसके लिए लोकतांत्रिक प्रक्रिया में कमी बड़ा कारण देखा जा रहा है। वहीं रिटायर्ड आईएएस अधिकारी जतीस मोहंती ने बताया की समाज में मानवाधिकार का हनन एक आम बात हो गई है जिसके लिए सभी को मिलकर प्रयास करने की आवश्यकता है। 
     
     कार्यक्रम में पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेष गांधी ने भी अपने विचार रखे और कोर्ट में बढ़ते हुए प्रकरण, निरंतर हो रहे मानवाधिकार के हनन और साथ में आरटीआई कानून को कमजोर करने को लेकर चिंता जाहिर की। कार्यक्रम में सोशल एक्टिविस्ट झरना पाठक ने भी अपने विचार रखें और मानवाधिकार को महिला उत्पीड़न से जोड़ते हुए समाज में महिलाओं के प्रति क्रूरता और अत्याचार को लेकर चिंता जाहिर की। अंग्रेजी दैनिक इंडियन एक्सप्रेस रायपुर से सहायक संपादक एजाज कैसर ने भी पत्रकारिता के माध्यम से अपने अनुभवों को साझा किया और बताया कि जब भी ऐसे मामले उनके संज्ञान में आए हैं उन्होंने पूरी जिम्मेदारी और तरीके से समाज के सामने रखा है। फ्रीडम ऑफ़ एक्सप्रेशन और फ्रीडम ऑफ स्पीच सहित पत्रकारिता के क्षेत्र में बढ़ती दखलंदाजी को लेकर चिंता जाहिर करते हुए उन्होंने कहा की स्वयं पत्रकारों का भी मानवाधिकार का हनन किया जा रहा है इसके कई उदाहरण उपलब्ध हैं। 

  कार्यक्रम में फोरम फॉर फास्ट जस्टिस के संयोजक सामाजिक कार्यकर्ता प्रवीण पटेल ने भी अपने विचार रखें और अपने अनुभवों को विस्तार से साझा किया और बताया की लोकतांत्रिक प्रक्रिया में कमी की वजह से आज मानवाधिकार हनन से जुड़े हुए मुद्दों को उठाने वाले ह्यूमन राइट्स डिफेंडर्स और मानवाधिकार संरक्षण के लिए कार्य करने वाले कार्यकर्ताओं को स्वयं भी खतरा उत्पन्न हो गया है। कार्यक्रम में कई पार्टिसिपेंट्स और अन्य लोगों ने भी अपने विचार साझा किए और ह्यूमन राइट्स वायलेशन से संबंधित प्रश्न रखें।
*संलग्न* - कृपया संलग्न कार्यक्रम से संबंधित जुड़ी हुई तस्वीरें प्राप्त करें।

*स्पेशल ब्यूरो रिपोर्ट रीवा मध्य प्रदेश*

Saturday, December 9, 2023

Breaking: न्यायालयीन प्रकरणों में जवाब फाइल नहीं करवा रहे CEO जिला पंचायत रीवा // हाई कोर्ट के दर्जनों प्रकरणों में जवाब नही किए जा रहे फाइल// जानबूझकर अधिकारियों के द्वारा जवाब फाइल न होने से दोषियों को मिल रहा स्थगन का लाभ // हाईकोर्ट में दर्जनों ऐसे मामले जहां समय पर जवाब फाइल न किए जाने से प्रतिवादी को मिल रहा फायदा // हालिया मामला सेदहा ग्राम पंचायत की सीईओ द्वारा जारी 27 लाख रुपए की वसूली नोटिस का है जहां पर सचिव सरपंच ने सीईओ जिला पंचायत की नोटिस के विरुद्ध दायर की रिट याचिका//

*Breaking: न्यायालयीन प्रकरणों में जवाब फाइल नहीं करवा रहे CEO जिला पंचायत रीवा // हाई कोर्ट के दर्जनों प्रकरणों में जवाब नही किए जा रहे फाइल// जानबूझकर अधिकारियों के द्वारा जवाब फाइल न होने से दोषियों को मिल रहा स्थगन का लाभ // हाईकोर्ट में दर्जनों ऐसे मामले जहां समय पर जवाब फाइल न किए जाने से प्रतिवादी को मिल रहा फायदा // हालिया मामला सेदहा ग्राम पंचायत की सीईओ द्वारा जारी 27 लाख रुपए की वसूली नोटिस का है जहां पर सचिव सरपंच ने सीईओ जिला पंचायत की नोटिस के विरुद्ध दायर की रिट याचिका//*

दिनांक 10 दिसंबर 2023 रीवा मप्र।

  हाई कोर्ट में लंबित दर्जनों मामलों में मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत रीवा संजय सौरभ सोनवडे समय पर जवाब प्रस्तुत नहीं करवा पा रहे हैं जिसकी वजह से भ्रष्टाचारियों को कोर्ट से स्थगन का लाभ मिल रहा है। ग्राम पंचायत सेदहा जनपद पंचायत गंगेव की चौरी, सेदहा और बांस सहित ऐसी दर्जनों पंचायतें हैं जहां ऐसे दर्जनों मामले हाई कोर्ट जबलपुर में पेंडिंग पड़े हुए हैं जहां जानबूझकर समय पर जवाब प्रस्तुत नहीं करवा पाने के कारण पंचायत के भ्रष्टाचार में दोषी पाए गए सरपंच सचिव और इंजीनियर को स्थगन का लाभ मिल रहा है।
 *सेदहा पंचायत में सरपंच सचिव द्वारा अब तक दायर की जा चुकी हैं 6 रिट याचिका*

  गौरतलब है की सेदहा पंचायत के तत्कालीन सरपंच पवन कुमार पटेल एवं सचिव दिलीप कुमार गुप्ता के द्वारा हाई कोर्ट जबलपुर में अब तक कुल 6 रिट याचिका दायर की जा चुकी है जिसमे मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत रीवा के द्वारा या की कोई जवाब ही प्रस्तुत नहीं किए गए अथवा आधे अधूरे जवाब प्रस्तुत किए गए हैं जिसकी वजह से हाई कोर्ट के स्थगन आदेश को निरस्त नहीं किया जा सका है।
    इस प्रकार के मामलों में स्थगन देते समय हाईकोर्ट के द्वारा चार सप्ताह के भीतर जवाब प्रस्तुत करने के निर्देश दिए जाते हैं लेकिन मामला सालों साल चलता रहता है जिससे भ्रष्टाचारियों के मनोबल बढ़े हुए हैं।
  *सरपंच पवन कुमार पटेल और सचिव दिलीप कुमार गुप्ता की छठवीं रिट याचिका 28852/2023*

  अभी हाल ही में अक्टूबर नंबर 2023 के दौरान सेदहा पंचायत के तत्कालीन सरपंच पवन कुमार पटेल एवं सचिव दिलीप कुमार गुप्ता को सीईओ जिला पंचायत की 27 लाख रुपए के वसूली मामले में दोषी पाया गया था उसी को लेकर इनके द्वारा हाईकोर्ट जबलपुर में रिट याचिका क्रमांक 28852 वर्ष 2023 दायर की गई है जिस पर सुनवाई जस्टिस श्री संजय कुमार द्विवेदी की सिंगल बेंच में चल रही है जिसमें अगली सुनवाई की तारीख 12 दिसंबर 2023 लगाई गई है।
     सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी के द्वारा बताया गया कि उन्होंने इस बाबत मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत रीवा संजय सौरभ सोनवडे से व्यक्तिगत मिलकर और संदेशों के माध्यम से कई बार मामले पर कैविएट लगाने अथवा जवाब प्रस्तुत करने के लिए आग्रह किया गया लेकिन अब तक सीईओ जिला पंचायत के द्वारा किसी भी प्रकार से मामले में रुचि नहीं दिखाई गई है। जिससे साफ जाहिर है की अधिकारी स्वयं चाहते हैं की दोषी व्यक्ति को आसानी से स्थगन का लाभ मिल जाए और बाद में मामले में उल्टा सीधा जवाब लगाकर रफा दफा करवा दिया जाय।
  *वसूली नोटिस के बाद दोषी पाते हैं हाईकोर्ट में पनाहगाह*

  सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी ने बताया कि उन्होंने ऐसे कई मामलों को हाईकोर्ट स्तर पर डिफेंड किया है जिसमें उनके द्वारा बताया गया कि कई मामलों में तो वह स्वयं भी अपने वकीलों के माध्यम से जवाब लगवाते हैं और कैविएट भी दायर करते हैं लेकिन वास्तव में होता यह है की ऐसे कार्य शासन स्तर के हैं जहां हाईकोर्ट के ऐसे मामलों पर शासन को समयबद्ध तरीके से या की कैविएट लगानी होती है या कि समय पर जल्द ही जवाब फाइल करना होता है लेकिन जिस प्रकार से पंचायत विभाग के मामलों में देखा जा रहा है की मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत एवं जनपद पंचायत सहित ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के कार्यपालन यांत्रियों के द्वारा जवाब लगाने में कोई रुचि नहीं ली जा रही है इससे वसूली और कार्यवाही के दोषी पाए गए सरपंच सचिव और इंजीनियरों के मनोबल बढ़े हुए हैं और हाईकोर्ट उनके लिए पनाहगाह बन चुका है जहां किसी भी प्रकार के अपराधिक मामलों पर वह जाकर आसानी से स्थगन प्राप्त कर रहे देखे जा रहे हैं।
  *यदि कैविएट लगाई जाए और समय पर जवाब प्रस्तुत किया जाए तो न मिले स्थगन का लाभ*

   मामलों पर अपनी पैनी नजर बनाए हुए एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी ने बताया कि अमूमन प्रशासनिक स्तर से कार्यवाही से छटपटाए हुए दोषी कर्मचारी अधिकारी हाईकोर्ट में स्थगन के लिए चले जाते हैं और वहां उन्हें आसानी से स्थगन मिल जाता है। स्थगन मिलने के बाद शासन स्तर से समय पर जवाब प्रस्तुत नहीं किया जाता इसलिए ऐसे मामले सालों साल चलते रहते हैं। रीवा जिले के बर्खास्त सहायक यंत्री अमूल्य खरे और उपयंत्री आरिफ मुस्तफा जैसे कई उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि इनके मामले एक दशक से हाईकोर्ट जबलपुर में पेंडिंग पड़े हुए हैं जहां पर स्थगन को वेकेट करने के लिए शासन स्तर से कोई प्रयास नहीं किए गए और न ही समय पर जवाब ही प्रस्तुत किया गया जिसकी वजह से बर्खास्त सहायक और उपयंत्री भी और अधिक भ्रष्टाचार बढ़ाते हुए पंचायतों में डटे हुए हैं।
  अब यदि ऐसे में शासन स्तर से या की कैविएट लगा दी जाए या की समय पर जवाब प्रस्तुत कर दिया जाए और स्थगन वैकेट करने के लिए हाईकोर्ट से आग्रह किया जाए तो ऐसे मामलों को डिफेंड किया जा कर जल्दी कार्यवाही करवाई जा सकती है। लेकिन बड़ा सवाल यह है बड़े प्रशासनिक अधिकारियों के ही संरक्षण में पल बढ़ रहे भ्रष्टाचारियों को बचाने के लिए ही प्रशासन स्वयं रुचि नहीं लेता जिसकी वजह से चाहे वह हाईकोर्ट हो अथवा किसी भी प्रकार का अन्य न्यायालय ऐसे दोषियों के लिए पनाहगाह साबित हो रहा है।

*संलग्न* - जनपद पंचायत गंगेव ग्राम पंचायत सेदहा के तत्कालीन सरपंच पवन कुमार पटेल एवं सचिव दिलीप कुमार गुप्ता के द्वारा हाईकोर्ट जबलपुर में जिला रीवा के मुख्य कार्यपालन अधिकारी संजय सौरव सोनवडे के 27 लाख रुपए के वसूली आदेश के विरुद्ध लगाए गए याचिका और उससे संबंधित अन्य दस्तावेज एवं अन्य फोटो वीडियो आदि संलग्न।

*स्पेशल ब्यूरो रिपोर्ट रीवा मध्य प्रदेश*